| Tuesday, 24 April 2012 11:18 |
अरुण कुमार पानीबाबा उत्तर प्रदेश की जनता यह आरोप सुनते-सुनते थक गई है कि बीमारू प्रांतों में यह राज्य प्रमुख है। पिछली बार यहां की जनता ने मायावती को साफ बहुमत दिया था, इसी उम्मीद से कि वे दलित वर्ग का ऐसा कायापलट कर देंगी कि उत्तर प्रदेश विकसित राज्यों में खड़ा हो जाएगा। यह दुखद है कि पिछले पांच-सात सालों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रभावी प्रचार से यह प्रतिष्ठा अर्जित कर ली है कि दोनों ही प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जाने लगे हैं। इस दौरान इस लेखक के अलावा एक भी अन्य व्यक्ति ने उत्तर प्रदेश की (अब पूर्व) मुख्यमंत्री मायावती को इस योग्य नहीं कहा। हमने 2007 में भी यही सुझाया था कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत की मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रयास करती दिखाई नहीं देंगी तो उत्तर प्रदेश की सत्ता भी गंवा बैठेंगी। ऐसा नहीं है कि मायावती सरकार अपनी पूर्ववर्ती सरकार से भी निकृष्ट और निकम्मी थी। सच यह है कि मायावती ने कानून-व्यवस्था में सुधार किया। लेकिन विरोधी प्रचार की कोई काट नहीं हुई कि प्रशासनिक न्याय की कीमत का मीटर पूर्ववर्ती सरकार की तुलना में पचास से सौ प्रतिशत या और अधिक तेज हो गया। एक तरफ यह प्रचार तूल पकड़ता रहा और दूसरी तरफ मायावती ने नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तरह मामूली प्रयास भी नहीं किया कि वे रायसीना हिल स्थित साउथ ब्लाक की दिशा में अग्रसर हों। उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का विश्लेषण करने से पहले एक सैद्धांतिक स्पष्टीकरण, पचास बरस पहले पत्रकारिता का छात्र होने और प्रशिक्षण के वक्त विज्ञापन विधा के परचे में यह सिद्धांत पढ़ा था कि किसी प्रचार को मनवाने के लिए मुलम्मा अनिवार्य होता है। गिलट पर कलई चढ़ा कर तो चांदी का प्रचार कर सकते हैं लेकिन कोरे पीतल को चांदी या सोना नहीं बता सकते। सच्ची करामात किसी प्रकार की मोहताज नहीं होती। कर्नाटक के हनुमंतैया, तमिलनाडु के कामराज नाडार, पंजाब के प्रताप सिंह कैरो, ओड़िशा के बीजू पटनायक, हरियाणा के बंसीलाल वगैरह ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपनी कार्यशैली की छाप से राष्ट्रीय नेतृत्व के नक्शे में स्थान बनाया। हर स्तर पर योग्यता की मोहर लगा कर दिखाई। उत्तर प्रदेश की जनता ने मायावती को एकछत्र राज्यसत्ता सौंप कर यही संदेश दिया था कि यह राज्य राष्ट्रीय राजनीति, देश की एकता, सामाजिक समरसता के प्रति अपने उत्तरदायित्व के प्रति सजग-सचेत है। मायावती ने यह मौका क्यों गंवा दिया? शायद वे 2007 के जनादेश का अर्थ ही नहीं समझ सकीं। इस बार पुन: जनता ने वैसा ही जनादेश समाजवादी नौजवान अखिलेश यादव को दिया है। इस जनादेश में निहित अर्थ को पहचान कर अखिलेश जन-भावना का समुचित सम्मान करेंगे तो वे भविष्य में राष्ट्रनायक साबित हो सकते हैं। मायावती की राह चलेंगे तो उसी गति को प्राप्त होंगे। अखिलेश को जो जन-समर्थन मिला है उसकी तुलना राजीव गांधी को 1984 में मिले विशाल बहुमत से की जा सकती है। राजीव गांधी के बाद उनका कोई वारिस उस गद्दी पर नहीं बैठ पाया है। इस बार तो रायबरेली-अमेठी-सुलतानपुर की जनता ने वंशानुगत जागीर से भी बहिष्कृत कर दिया। पिछले डेढ़ सौ बरसों से उत्तर प्रदेश की अराजकता विस्तृत आख्यान का रूप ले चुकी है। समूचे प्रांत में अमन-चैन और कानून-व्यवस्था की चुनौती आंखमिचौली का खेल बन गई है। अखिलेश इस नाजुक परिस्थिति और उसकी जटिलता से अवश्य अवगत होंगे। कामराज नाडार का जिक्र पहले आ चुका है, वे राजाजी को अपदस्थ कर मुख्यमंत्री बने थे। ब्राह्मणवादी विद्वतजन एक अति पिछड़े, 'अशिक्षित' राजनेता के अत्यंत शालीन रणकौशल की चर्चा से कतराते रहे हैं? उस लंबी कहानी का बयान इस विश्लेषण में संभव नहीं। गौरतलब है कि उस संघर्ष में सहज विजय के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले कामराज ने राजाजी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद मांगा और शपथ ग्रहण करने के बाद फिर चरण स्पर्श कर सफलता के लिए सलाह मांगी। तब राजाजी ने सुझाया था कि विधायकों, पार्टी कार्यकर्ताओं, समर्थकों का सचिवालय में प्रवेश निषेध और प्रशासनिक ढांचे से उनका संपर्क सभी स्तरों पर प्रतिबंधित होना चाहिए, उनकी समस्त समस्याओं का समाधान मुख्यमंत्री कार्यालय से किया जाए। कामराज ने राजा जी की इस सीख का पूरी तरह पालन किया था। उत्तर प्रदेश के नौजवान मुख्यमंत्री को आत्म-परिचय की पुस्तक स्वयं लिखनी है। |
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.
Wednesday, April 25, 2012
राष्ट्रीय राजनीति और उत्तर प्रदेश
राष्ट्रीय राजनीति और उत्तर प्रदेश
No comments:
Post a Comment