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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, April 23, 2012

Fwd: झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/4/23
Subject: झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव
To: alok putul <alokputul@gmail.com>


यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों में हत्याएं करती फिर रही है, फसलों और अनाजों को तबाह करती, कॉरपोरेट कंपनियों के लिए इलाके की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करती, बलात्कारों और आगजनी का सहारा लेती हुई ये फौजें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की फौजें हैं.लोग जब पलट कर जवाब देते हैं तो वे आतंकवादी करार दिए जाते हैं. अपने समय की कई दबा दी गई सच्चाइयों को पेश करती, चंद्रिका की रिपोर्ट, जिसे उन्होंने झारखंड के अपने दौरे से लौट कर लिखा है.

झारखंड: संगीनों पर सुरक्षित गांव



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