हम अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक देश की उत्पादक व सामाजिक शक्तियों के साझा मंच से इस देश की बहिष्कृत निनानब्वे फीसद जनगण के डिजिटल बायोमेट्रिक कत्लेआम के लिए आर्थिक सुधारों के नम जारी अश्वमेध अभियान के खिलाफ अविलंब राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरु करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, जो सबसे अहम है।
मैं कल रात को बामसेफ एकीकरण सम्मेलन में शामिल होने के लिए मुंबई रवाना हो रहा हूं । आपसे वहीं अंबेडकर भवन, दादर ईस्ट में 2 मार्च और 3 मार्च को मुलाकात हो सकती है। हम अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक देश की उत्पादक व सामाजिक शक्तियों के साझा मंच से इस देश की बहिष्कृत निनानब्वे फीसद जनगण के डिजिटल बायोमेट्रिक कत्लेआम के लिए आर्थिक सुधारों के नम जारी अश्वमेध अभियान के खिलाफ अविलंब राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरु करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, जो सबसे अहम है।
इसके बिना न आरक्षण की निरंतरता रहेगी और न जनप्रतिनिधित्व के जरिये संविधान, संसद और लोकतंत्र का वजूद कायम रहेगा।सत्ता में भागेदारी भी असंभव है।
सबसे जरुरी है कि इस देश के लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष ढांचे की सुरक्षा के लिए संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक प्रणाली और जीवन के हर क्षेत्र में सभी के लिए समान अवसर।
अंध धर्म राष्ट्रवाद की पैदल सेना बनकर भक्तिमार्ग पर देश काल परिस्थिति से अनभिज्ञ बहुजन समाज जिस अंधकार में मारे जाने को नियतिबद्ध है, वहां अंबेडकर विचारधारा और बहुजन महापुरुषों के समता और सामाजिक न्याय के आंदोलन की अटूट परंपरा ही हमारे लिए दिशा निर्देश हैं।
महज आरक्षण नहीं, सिर्फ सत्ता में भागेदारी नहीं, बल्कि अंबेडकरवादी अर्थशास्त्र के मुताबिक देश की अर्थ व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों, संपत्ति, रोजगार, शिक्षा, नागरिक, स्त्री और मानवअधिकारों के लिए, जल जंगल जमीन और आजीविका से बेदखली के विरुद्ध संविदान के तहत पांचवीं और छठीं अनुसूचियों में प्रदत्त गारंटी लागू करने के लिए, दमन और भय का माहौल खत्म करने के लिए यह अतिशय विलंबित कार्यभार अत्यंत आवश्यक है।
इसके लिए सभी अंबेडकरवादियों, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों, जनांदोलनों को बिना किसी बैर भाव और अहम के एक ही लक्ष्य के लिए गोलबंद होना बेहद जरुरी है।
एकाधिकारवादी नेतृत्व के बजाय लोकतांत्रिक सामाजिक,भाषिक व भौगोलिक प्रतिनिधित्व वाले साझा नेतृत्व स्थानीय स्तर पर गांव गांव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विकसित करने की आवश्यकता है।
जाति उन्मुलन हमारा लक्ष्य है और हम अस्पृश्यता के विरुद्ध हैं। भेदभाव के विरुद्ध हैं।
राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए सबसे जरुरी है राष्ट्रव्यापी विचार विमर्श।
जिसके लिए इस देश के पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों, शरणार्थियों और अल्पसंख्यकों को कहीं कोई स्पेस नहीं मिलता।
सारे लोग बिखराव के शिकार है।
हम तोड़ने में नहीं, जोड़ने में यकीन करते हैं और इस बिखराव को खत्म करने के लिए प्राथमिक स्तर पर बामसेफ के सभी धड़ों और गुटों के एकीकरण का प्रयास करते हैं।
सभी धड़ों, गुटों के अध्यक्षों को इस सम्मेलन के लिए आमंत्रण पत्र भेजा गया है और सबको खुला आमंत्रण है।
हम इस व्यवस्था के सिवाय किसी के खिलाफ नहीं है।
आज रेल बजट है। फिर आम बजट। राष्ट्रीय विध्वंस के जिम्मेवार कारपोरेट राज को खत्म किये बिना इस देश के मैंगो जनगण की मुक्ति असंभव है।
बामसेफ के एकीकरण से हम बहुजनसमाज के निर्माण की दिशा में उत्पादक शक्तियों और सामाजिक शक्तियों का वैश्विक व्यवस्था के विरुद्ध विश्वभर में जारी प्रतिरोध आंदोलन और रंगभेद व दासता के विरुद्ध मुक्तिसंग्राम की परंपराओं के मुताबिक, सुफी संतों .महापुरुषों और बाबासाहेब की विचारधारा व परंपराओं के मुताबिक, मुक्ति के लिए दुनियाबर की जनता के आंदोलनों की सुदीर्घ परंपराओं के मुताबिक ध्रुवीकरण और एकीकरण चाहते हैं।
संवाद और विमर्श के लिए बामसेफ एकीकरण सम्मलन एक अनिवार्य पहल है। जहां एकमात्र एजंडा यही है कि बहुजन समाज का निर्माण और राष्ट्रव्यापी आंदोलन।
अगर विचारधारा एक है, लक्ष्य एक है, तब अलग अलग द्वीपों में अपने अपने तरीके से लड़कर अपने लोगों का, अपने स्वजनों का नरसंहार का साक्षी बनते रहने के लिए क्यों अभिशप्त रहेंगे हम?
आइये, दमन , सामाजिक भेदभाव, अर्थ व्यवस्था और जीवन के हर क्षेत्र से बहिष्कार के विरुद्ध, सैन्य राष्ट्र की अपनी ही जनता के विरुद्ध युद्धघोषणा के खिलाफ हमारे उड़नदस्ते में शामिल हों!
अंबेडकर विचारधारा के मुताबिक समता और सामाजिक न्याय आधारित व्यवस्था निर्माण के लिए इस प्रयास में सहभागी बनने के लिए खुला आमंत्रण है।
इसी सिलसिले में निवेदन है कि कोलकाता से बाहर होने की वजह से मेरे ब्लागों पर संभवतः मेरी आठ मार्च को वापसी तक अपडेट निलंबित रहेगा।
पाठकों को निरंतर जरुरी सूचनाएं देते रहने के हमारे वायदे में इस मामूली व्यवधान के लिए माफ करेंगे।
अगर नेट कनेक्शन रहा और बिजली गुल न हुई तो प्रयास रहेगा कि रेलवे बजट के विश्लेषण का प्रयास करुं रवानगी से पहले।
अगर संभव न हुआ तो रेल बजट और बजट पर मुंबई में बात होगी।
वैसे भी बजट पर पिछले कई वर्षों से हमारा विश्लेषण मुंबई से ही आता रहा है, जो देश की वाणिज्यिक राजधानी तो है ही, मूलनिवासी बहुजन आंदोलन का केंद्र भी। वहीं बाबासाहब की कर्मभूमि है और वही उनका निर्वाण हुआ।
इस बार खास बात है कि सविता भी हमारे साथ होंगी।
हमारे ब्लाग में किसी भी भाषा में आपका फीडबैक का स्वागत है।
हम बांग्ला, अंग्रेजी और हिंदी में निरंतर लिखते हैं और हमारी कोशिश है कि कम से कम जो भाषाएं हम पढ़ और समझ सकते हैं , उन सभी भाषाओं में सूचनाओं का अबाध आदान प्रदान हो।
हम किसी भी तरह के मिथ्या और घृणा अभियान के परतिरोध के लिए अंगीकारबद्ध हैं।
आशा है , सहयोग बनाये रखेंगे।
वैकल्पिक मीडिया के जो साथी हमारे साथ दशकों से हैं, उनसे भी, और कारपोरेट मीडिया में जो लोकतंत्र, समता , सामाजिक न्याय, लोकतंत्र और साम्राज्यवाद विरोध, दमनविऱोधी संस्कृति के कलमकार हैं, उनसे भी सहयोग की अपेक्षा है।
पलाश विश्वास
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.

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