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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, April 10, 2013

टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़ा मामला तो खुला, न्याय मिलेगा?

टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़ा मामला तो खुला, न्याय मिलेगा?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


बाबरी विध्वंस और गुजरात नरसंहार से पहले मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की राह तय करने में हिंदू साम्राज्यवाद ने जो दो बड़े पड़ाव तय किये, उनमे से पहला भोपाल गैस त्रासदी है तो दूसरा सिखों का नरसंहार, जिसे अमेरिका ने जनसंहार मानने से इंकार कर दिया। हो सकता है कि  मनमोहन के बदले राहुल को प्रधानमंत्री बनाये जाने की चर्चा शुरु होते ही जैसे वाशिंगटन ने वीसा के लिए नरेंद्र मोदी के स्वागत कर दिया, उसीतरह वह गुजरात में नरसंहार के इतिहास को भी खारिज कर दें। भारतीय लोक गणराज्य में घोटालों में तो कभी किसी को सजा होने की सूचना नहीं है, लेकिन मानवता के विरुद्ध घटित इनचारों घटनाओं में दोषियों को सजा न होना और  अभियुक्तों के सत्ता शिखर तक पहुंच जाने की कथा लोकतांत्रिक​ ​ धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था की असलियत बताने के लिए काफी है।सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में टाइटलर को 84 के दंगों में क्लीन चिट दी थी। लेकिन दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर को झटका देते हए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ फिर से जांच के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सिख दंगों के मामले में जगदीश टाइटलर की फाइल फिर से खुलने का रास्ता साफ हो गया है। सिख नरसंहार के मामले में सबसे दिलचस्प पहलू तो यह है कि सिखों का ​​प्रतिनिधित्व करने वाले अकाली दल अब उस संघ परिवार के साथ है, जो सिखों के नरसंहार के वक्त कांग्रेस के साथ बिना शर्त खड़ा था। इसी बीच बाबरी विध्वंस मामले में आडवानी के खिलाफ अपील में कोताही के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार की खिंचाई जरुर की। पर राममंदिर ​​आंदोलन के रणहुंकार के साथ आडवाणी ने भी गुजरात नरसंहार के मामले में अभियुक्त नरेंद्र मोदी के मुकाबले उग्रतम हिंदुत्व का पांसा फेककर प्रधानमंत्रितत्व का दावा पेश कर दिया। अब विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में हिंदू राष्ट्र के लिए संघ परिवार फिर राममंदिर आंदोलन शुरु​​ कर रहा है। इसी के मध्य शिरोमणि अकाली दल ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े मामले को फिर से खोले जाने को लेकर दिए गए आदेश का स्वागत किया है। जैसा कि पंजाब के उप मुख्यमंत्री और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कहते हैं,यह फैसला हजारों दंगा पीड़ित परिवारों के 30 साल के लंबे संघर्ष में पहली छोटी जीत है।कैसी जीत,किसकी जीत?टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़ा मामला तो खुला, न्याय मिलेगा?बाकी मामलों में चाहे जो हुआ हो, सिखों को न्याय न मिलने की सबसे बड़ी वजह सिख राजनीति और नेतृत्व का केशरियाकरण है।सुखबीर बादल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस दंगे के बाद से ही दिल्ली पुलिस, सीबीआई और पीड़ित परिवारों को दबाव बनाकर इंसाफ के सभी रास्तों को बंद करने के लिए काम कर रही है।


बहरहाल,  दिल्ली में हुए 1984 के सिख दंगों के मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उनके मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए उन मामलों की दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने एक मजिस्ट्रेटी अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें टाइटलर को क्लीनचिट देने वाली सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया गया था।गौरतलब है कि 2 अप्रैल 2009 को सीबीआई ने यह कहते हुए दंगा केस में टाइटलर को क्लीन चिट दी थी कि उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं है। टाइटलर 1 नवंबर 1984 इंदिरा गांधी की हत्या के बाद फैले दंगों में तीन लोगों की मौत में आरोपी हैं। उत्तरी दिल्ली में स्थित पुलबंगश गुरुद्वारा के पास बादल सिंह, ठाकुर सिंह, और गुरचरण सिंह की हत्या मामले पर सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को दिसंबर 2007 में कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था जिसके बाद मामले की दोबारा जांच की गई थी।सबसे पहले 2005 में नानावटी कमीशन ने अपने जांच में जगदीश टाइटलर का नाम लिया। उसके बाद सीबीआई ने टाइटलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसके चलते टाइटलर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। टाइटलर पर आरोप है कि सिखों की हत्या के वक्त वो वहां मौजूद थे।इससे पहले 29 सितंबर 2007 को कोर्ट में पहली क्लोजर रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा था कि इस मामले का मुख्य गवाह जसबीर सिंह लापता है और वो नहीं मिल रहा है। लेकिन IBN7 ने जसबीर सिंह को कैलिफोर्निया से ढूंढ निकाला था। जसबीर सिंह का कहना था कि सीबीआई ने कभी उससे पूछताछ ही नहीं की। इसके बाद कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए मामले की फिर से जांच करने का निर्देश दिया था।कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने कुल 6 गवाहों के बयान दर्ज किए इसमें जसबीर सिंह भी शामिल था। सीबीआई ने कैलिफोर्निया जाकर जसबीर सिंह का बयान दर्ज किया था। लेकिन फिर भी सीबीआई ने उसे भरोसेमंद गवाह नहीं माना। सीबीआई ने अप्रैल 2009 में एक बार फिर से मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। सीबीआई रिपोर्ट के मुताबिक 1 नवंबर 1984 को पुलबंगश में हुए दंगे के दौरान टाइटलर मौके पर मौजूद नहीं थे। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट मे कहा कि टाइलटर उस वक्त दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निवास तीन मूर्ति भवन में थे।मालूम हो कि 23 साल पहले हुए इस नरसंहार के गवाह जसवीर सिंह की सीबीआई को लंबे समय से तलाश थी। गौरतलब है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों में तकरीबन 3000 सिख दंगाइयों के हाथों मारे गए थे।


बुधवार को दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुलबंगश केस में यह आदेश दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर इस मामले में आरोपी हैं। सीबीआई ने अदालत में इस केस को बंद करने का अनुरोध करते हुए अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी। मगर, अदालत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। अदालत ने सीबीआई को आदेश दिया कि इस मामले को दोबारा खोला जाए और फिर से जांच करके टाइटलर पर केस चलाया जाए।


गौरतलब है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में दंगे भड़क गए थे और इन दंगों के दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं पर दंगों को भड़काने का आरोप लगा था। आईबीएन7 इस केस के एक अहम गवाह जसबीर सिंह तक पहुंचा। हालांकि सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में इस गवाह को विश्वसनीय नहीं माना था। वैसे जसबीर पर दिल्ली में 1997 में दंगों के एक गवाह पर हमले और एक गवाह को 25 लाख की घूस की पेशकश का भी आरोप है। जसबीर का कहना है कि उन्होंने टाइटलर को दिल्ली के पुलबंगश इलाके में दंगाइयों को भड़काते हुए देखा था। आईबीएन7 ने जसबीर को कैलिफोर्निया में खोज निकाला था। जसबीर ने उस वक्त ये कहा था कि अगर सीबीआई उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा दे तो वो भारत लौट कर गवाही दे सके।जसबीर सिंह का कहना है कि 'मैंने किंग्सवे कैंप में हॉस्पिटल के बाहर टाइटलर को भीड़ को उकसाते देखा, वो कह रहे थे कि तुम्हारी वजह से शर्मसार हूं। नॉर्थ में सज्जन कुमार के इलाके में देखो या ईस्ट में एचकेएल भगत की कॉन्सटीटुएंसी में। सिखों की कॉलोनियों की कॉलोनियां ध्वस्त कर दी गई हैं। लेकिन मेरे इलाके में अभी तक सिर्फ कुछ को ही मारा गया है।'


जसबीर सिंह 84 के दंगों में अहम गवाह है। आईबीएन7 2007 में इन तक पहुंचा था। सालों से 5 अलग-अलग जांच आयोग और तमाम दबाव झेल रहे जसबीर ने आईबीएन7 से बातचीत में अपना दमखम कायम रखा। उन्होंने बताया कि वो अब तक अपने बयान पर कामय हैं। सीबीआई फाइलों में ये शख्स 1984 में पुल बंगश में हुए सिखों के कत्लेआम का चश्मदीद है। जसबीर ने बताया कि कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की भूमिका के बारे में उसने कई बार बोला है। लेकिन सीबीआई सुनना ही नहीं चाहती। जसबीर ने बताया कि सीबीआई तो उसे लापता घोषित कर चुकी है। यही नहीं सीबीआई ने टाइटलर को क्लीन चिट देकर अपनी जांच रिपोर्ट की फाइल ही बंद कर दी थी।लेकिन 2007 में आईबीएन7 ने जसबीर सिंह को उनके कैलीफोर्निया के घर से ढूंढ निकाला था। जसबीर ने आरोप लगाए थे कि बयान न देने के लिए उनके घर वालों को कई बार धमकियां भी दी गई। जान पर खतरे कि वजह से वो अपने परिवार से दूर कैलिफोर्नियां में रह रहे हैं। उस वक्त जसबीर ने हमें बताया था कि वो कोर्ट में अपना बयान दोहराने को तैयार हैं। लेकिन सीबीआई कभी जसबीर तक पहुंची ही नहीं। दंगा पीड़ित इंसाफ का इंतजार करते रहे। अब कोर्ट से सीबीआई को झटका मिला है। दंगा पीड़ितों में इंसाफ की नई उम्मीद जगी है।


गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को निशाने पर लेते हुए दंगा पीड़ितों ने सीबीआई पर जांच को अनुचित तरीके से आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। दंगा पीड़ितों ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के खिलाफ हुए दंगे में तीन लोगों की हत्या मामले में आगे की जांच की मांग की जिससे टाइटलर का दोष साबित हो सके।अडिशनल सेशन जज अनुराधा शुक्ला भारद्वाज को पीड़ितों ने बताया कि सीबीआई को बॉलिवुड स्टार अमिताभ बच्चन और दिल्ली पुलिस के पूर्व अफसर से भी बतौर गवाह पूछताछ की जानी चाहिए क्योंकि दोनों ही एक सीडी में टाइटलर के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पार्थिव शरीर के पास खड़े दिखाई दे रहे हैं। तीन मूर्ति भवन में यह सीडी एक एजेंसी ने रिकॉर्ड की थी।दंगा पीड़ित लखविंदर कौर की ओर से दायर विरोध याचिका के बाद कोर्ट में इस मामले पर अंतिम जिरह हो रही थी। कौर के पति बादल सिंह की दंगे में मृत्यु हुई थी। कौर ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट और टाइटलर को क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल खड़े किए थे।


क्लोजर रिपोर्ट को सही ठहराते हुए सीबीआई ने इसी सीडी पर विश्वास जताया था जिसे आरोपी टाइटलर ने ही उपलब्ध कराया था। टाइटलर इस सीडी को यह साबित करने के लिए लेकर आए थे कि वह दंगे के वक्त इंदिरा गांधी के पार्थिव शरीर के पास ही थे। हालांकि सीडी में न ही वक्त और न ही तारीख का कोई जिक्र है।


कथित सीडी में आर के धवन (इंदिरा गांधी के पूर्व सचिव), गौतम कौल (तब के एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस) और अमिताभ बच्चन टाइटलर के साथ एक स्थान पर ही खड़े दिखाई दे रहे हैं। पीड़ितों के वकील वरिष्ठ एडवोकेट एचएस फुल्का ने सीडी के सत्यापन के लिए इन्हीं तीनों से बतौर गवाह पूछताछ करने को कहा। पीड़ितों के वकील ने मांग की कि सीबीआई ने इन तीनों से ही किसी तरह की पूछताछ नहीं की है। कोर्ट की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होनी है।



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