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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, April 12, 2013

उत्तराखण्ड नगर निकाय चुनावः रूद्रप्रयाग जनपद के कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड

उत्तराखण्ड नगर निकाय चुनावः रूद्रप्रयाग जनपद के कांग्रेस विधायकों का रिपोर्ट कार्ड


कांग्रेस मतदाताओं के रूख को पहचान कर सहमी….

-चन्द्रशेखर जोशी||

उत्तराखण्ड के नगर निकाय चुनाव २०१४ लोकसभा चुनावों की रिहर्सल मानी जा रही है, चुनावी रूझान कांग्रेस के विपरीत जाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार और संगठन की आम कार्यकर्ताओं के साथ संवादहीनता तथा कांग्रेस सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर के अलावा केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत द्वारा राज्य की बेलगाम नौकरशाही पर वार तथा इसे मुख्यमंत्री द्वारा अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ मीडिया के माध्यम से प्रत्युत्तर आदि तमाम कारण कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित होने जा रहे हैं। नगर निकाय चुनाव में असफलता स्थानीय मुद्दो को हल करने में कांग्रेस सरकार की असफलता ही मानी जायेगी, जिसे लोकसभा चुनावों में में भी विपक्ष प्रमुखता से भुना सकेगा।ANTI PHOTO

कुल मिलाकर देखा जाए तो इस समय नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रतिकूल परिस्थितियां देखी जा रही है। कांग्रेस मतदाताओं के रूख को पहचान कर सहमी हुई है।

नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस के विधायकों व मंत्रियों का भी रिपोर्ट कार्ड बनेगा कि उनके क्षेत्र में कांग्रेस की क्या स्थिति रही जिसे कांग्रेस के आलाकमान को भेजा जाएगा, परन्तु कांग्रेस संगठन अपने विधायकों व मंत्रियों के खिलाफ क्या कदम उठायेगी, यह तो बाद की बात है परन्तु राज्य भर में जो सत्तारूढ दल के खिलाफ जो स्थितिया बन रही है उससे साफ है कि नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ जनता मन बना चुकी है, तो ऐसी क्या स्थितियां बन रही है जिससे जनता कांग्रेस के खिलाफ मन बना रही है इसे हम जनपदवार बतायेगें, प्रस्तुत आलेख में जनपद रूद्रप्रयाग का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत है जहां जनता ने दो विधायक कांग्रेस के चुन कर भेजे और इनमें से एक कैबिनेट मंत्री है परन्तु कैबिनेट मंत्री द्वारा अपने जनपद की लगातार उपेक्षा से कांग्रेस के प्रति जनता में अथाह नाराजगी है। किन कारणों से वह नाराजगी है वह विस्तार से हमने   वह तथ्य जुटाये हैं। रूद्रप्रयाग की जनता ने बडी आशा से कांग्रेस विधायकों को इस आशा से चुनकर भेजा था कि उनकी वर्षो से लंबित समस्या दूर होगी, परन्तु कांग्रेस विधायको ने रूद्रप्रयाग की जनता की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।  जनता के नाराजगी भरे रूख को देखते हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस को जिताउ उम्मीदवार खोजने में दिक्कत आ रही है। कांग्रेस के कई मजबूत दावेदार कुछ कारणों से रेस से बाहर होने के कारण  रूद्रप्रयाग जिला मुख्यालय की नगर पालिका सीट जिताना स्थानीय कांग्रेस विधायक व कैबिनेट मंत्री के लिए अग्नि परीक्षा साबित होने जा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि क्षेत्र, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, समस्या को सुलझा न पाने के कारण रूद्रप्रयाग, अगस्तमुनि व उठीमठ में नगर निकाय चुनाव जिता पाना कैबिनेट मंत्री व स्थानीय विधायक हरक सिंह के लिए मुश्किल साबित हो रहा है,

रूद्रप्रयाग जनपद में नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस से जनता की नाराजगी साफ देखी जा रही है, किन कारणों से यह है, चन्द्रशेखर जोशी की विशेष मेहनत से तैयार विशेष आलेखः

रुद्रप्रयाग के सिलगढ़ क्षेत्र के न्याय पंचायत कंडाली में मुख्यमंत्री की एलौपेथिक चिकित्सालय की निर्माण की घोषणा अभी तक परवान नहीं चढ़ पाई है। इसका बुरा असर क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है, मरीजों को मजबूरन इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। सिलगढ़ क्षेत्र के लोग बीते कई समय से क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।  मुख्यमंत्री ने  एलोपैथिक चिकित्सालय निर्माण की घोषणा की थी। इस चिकित्सालय के बन जान से सिलगढ़ क्षेत्र की करीब 12 ग्रामसभाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलने का अनुमान था। अस्पताल निर्माण को लेकर शासनादेश भी जारी हो चुका है। बावजूद इसके एक साल होने के बाद भी चिकित्सालय का निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि कहा कि इस संबंध उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री व शासन-प्रशासन को भी अवगत कराया गया, बावजूद इसके कोई कार्यवाही नहीं की गई।  क्षत्रीय जनता इससे बुरी तरह नाराज है।

रुद्रप्रयाग जनपद हेतु  वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए जिला योजना के तहत 43 करोड़ 62 लाख रुपए का परिव्यय अनुमोदित कर दिया गया। सबसे अधिक 715.26 लाख रुपये का परिव्यय लोक निर्माण विभाग के लिए निर्धारित किया गया है। गत वर्ष 50 कम्पोस्ट पिटों का निर्माण कराया गया। वहीं तीनों ब्लाकों में चयनित 14 एसीपी ग्रामों में चरी एवं सिंचाई हौज का निर्माण कराया गया। जिला नियोजन समिति की बैठक में वर्ष 2013-14 के लिए जिला योजना के तहत सबसे अधिक 715.26 लाख रुपए लोनिवि के लिए परिव्यय अनुमोदित किया गया। वहीं कृषि के लिए 30 लाख, उद्यान 33.70, पशुपालन 83.91 लाख, दुग्ध विकास 11.50 लाख, मत्स्य 1.33 लाख, वानकी 132 लाख समेत कई विभागों का बजट अनुमोदित किया गया। परन्तु रूद्रप्रयाग जनपद का विकास नहीं हो पाया और आम जन कांग्रेस सरकार से नाराज ही दिख रहा है।  उद्यान विभाग के  भ्रष्टाचार पर विधायकों का शह होने की चर्चा है।

इसके अलावा चारधाम यात्रा शुरू होने में मात्र एक माह का समय शेष है, लेकिन बद्रीनाथ व केदारनाथ राजमार्ग कई स्थानों पर जर्जर होने से जनलेवा बना हुआ है। सबसे बुरे हाल केदारनाथ मार्ग के हैं, यहां बीआरओ की ओर से हाईवे को ठीक करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए हैं। इस कारण यात्रियों को भोले बाबा के दर्शन के लिए तमाम परेशानियों से होकर गुजरना पडे़गा। आगामी 14 मई को भगवान केदारनाथ एवं 16 मई को बद्रीविशाल के कपाट खुलेंगे। चार धाम यात्रा के लिए देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। सरकारी खुमारी के चलते इस बार मोटरमार्ग की हालत खस्ता बनी हुई है। कई स्थानों पर जर्जर मार्ग जर्जर होने से मार्ग जानलेवा भी बना हुआ है। जिले के अंतर्गत पड़ने वाले हाईवे पर लगभग 60 किमी का सफर काफी दर्द भरा होगा, जो यात्रा पर आने वाले भक्तों का मजा किरकिरा कर सकता है। जर्जर पड़ी सड़कों के ट्रीटमेंट के लिए विभाग की ओर से कोई इंतजाम अभी तक नहीं किए गए हैं। इस कारण जगह जगह सड़कों पर धूल के बबंडर भी नजर आ रहे हैं। यात्रा शुरू होने के लिए काफी कम समय होने से हाईवे का ठीक होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नजर नहीं आ रही।

केदारनाथ हाईवे पर जर्जर स्थान- भटवाणीसैंण, रामपुर, फाटा, नौलापाणी, नैल, गंगतल महादेव बद्रीनाथ हाईवे पर जर्जर स्थान  सिरोबगड़, नरकोटा, नगरासू, नवासू, शिवानंदी

इसके अलावा रूद्रप्रयाग नगर पालिका धन की कमी के कारण विकास कार्य कराने में असफल होती आयी है, इस ओर स्थानीय विधायक तथा कैबिनेट मंत्री डा० हरक सिंह रावत ने कभी कोई ध्यान नही दिया। जिससे स्थानीय विधायक से नाराजगी है। नगर पालिका से भेजा गेस्ट हाउस निर्माण का प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। चारधाम यात्रा का मुख्य केंद्र होने के साथ ही रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय भी है। ऐसे में देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ ही पर्यटक अधिक से अधिक संख्या में यहां रुकते हैं। यात्राकाल के दौरान तो यात्रियों की भारी तादाद देखने को मिलती है, और ठहरने की सीमित सुविधाएं होने से उन्हें मुख्यालय में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं मौजूदा समय में यात्रियों को ठहरने के लिए शहर में कोई गेस्ट हाउस की व्यवस्था तक नहीं है। यात्रियों की उचित सुविधा को देखते हुए नगर पालिका ने वर्ष 2008-09 में शहर के बीचोंबीच गेस्ट हाउस निर्माण के लिए 35.25 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। गेस्ट हाउस में यात्रियों को ठहरने के साथ ही खान-पान की भी उचित सुविधा मुहैया कराई जानी थी, परंतु अभी इस प्रस्ताव पर शासन से कोई स्वीकृति न मिलने मामला अभी शासन में लटका हुआ है। वहीं पालिका भी वित्तीय स्वीकृति के इंतजार में बैठी हुई है।

नगर पालिका रुद्रप्रयाग में सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। आलम यह है कि कई- कई हफ्ते कूडे़दानों की सफाई नहीं होती है। लोग गंदगी से परेशान हैं, लेकिन संसाधनों की कमी का रोना रोती पालिका को इसकी चिंता नहीं।

भले ही पालिका प्रशासन शहर को स्वच्छ व आदर्श बनाने का दावा करे, लेकिन सफाई व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही चल रही हैं। सफाई के लिए जरूरी संसाधन भी पूरे नहीं हैं।  कई कूडेदान ऐसे हैं, जिनकी सफाई का नंबर कई-कई हफ्ते में आता है।   सड़कों के किनारे नालियां तो बनी हैं, लेकिन सही तरह से निर्माण न होने से कई स्थानों पर पानी मुख्य मार्ग पर आ जाता है। इससे लोगों को आवागमन में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।   कांग्रेस के स्थानीय विधायक का इस ओर कोई ध्यान नही है।

 

गर्भवती महिलाओं के लिए प्रचार प्रसार हेतु करोडों के विज्ञापन तो जारी हुए परन्तु वर्षभर तक धरातल पर कुछ नही हुआ, नगर निकाय चुनावों से एक दिनों पूर्व खुशियों की सवारी के नाम पर चार एंबुलेंस लाकर वाहवाही लूटने की योजना बनायी गयी परन्तु कांग्रेस सरकार के विधायकों ने वर्षभर कोई योजना प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा को सुरक्षित लाने एवं ले जाने के लिए नहीं बनायी। वर्षभर जच्चा बच्चा के लिए क्या किया गया, यह सवालों के घेरे में है। वही आमजन के अंदर भी यह भावना आयी कि यह सब निकायों चुनावों को प्रभावित करने का प्रयासभर है।

ज्ञात हो कि सीएमओ डॉ.केडी शर्मा एवं सीएमएस डॉ.सपीएस नेगी ने 'खुशियों की सवारी' का जिलाचिकित्सालय में निरीक्षण किया। इस अवसर पर सीएमओ श्री शर्मा ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं को अस्पताल आने-जाने में बड़ी दिक्ततें होती हैं। कहा कि सरकार की इस पहल से अब जरुरतमंदों को अस्पताल सकुशल पहुंचने एवं मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने में यह एम्बुलेंस अहम भूमिका निभाएगी।

गढ़वाल प्रभारी संतोष पंत ने बताया कि जिले को 'चार खुशियों की सवारी' मिली हैं। जिसमें दो वाहन जिला चिकित्सालय, एक अगस्त्यमुनी एवं एक ऊखीमठ में नियुक्त किए जाएंगे।

रुद्रप्रयाग में  इस बार की होली के रंग ऊखीमठ के लोगों के लिए फीके पड़ गए है। क्षेत्र में त्रासदी में ग्रामीणों को कई जान माल का नुकसान हुआ था।  इस बार की होली ऊखीमठ वासियों के लिए  खुशी भरी नही रही और कांग्रेस के स्थानीय विधायकों ने उनके दुखों को दूर करने का कोई प्रयास तक नहीं किया। । त्रासदी में उन परिवारों के लिए जिन्होंने अपने घर-बार, परिवार एवं परिजनों को खो दिया है। गत वर्ष 13 सितम्बर की मध्य रात्रि को ऊखीमठ क्षेत्र के चुन्नी, मंगोली, किमाणा, प्रेमनगर आदि स्थानों में बादल फटने से 65 लोग की जान चली गई थी। जबकि पांच हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। साथ ही ग्रामीणों के घर-बार, खेत खलियान समेत सभी कुछ नष्ट हो गए थे। आपदा में किसी परिवार के पांच, किसी के चार व किसी के दो सदस्यों ने अपनी जान गवाई, उनके जख्म अभी भी भरे नहीं हैं।ऐसे में इन दुखी परिवारों के आंसू पोछने का स्थानीय विधायक ने कोई प्रयास नही किया, जबकि विधायक ने इन लोगों के दुख में शामिल भी नहीं हुए तथा उन्होंने हर्षोल्लास से होली मनायी।

त्रासदी के प्रभावित मंगोली के आशाराम बताते हैं इस बार की होली उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है, होली को लेकर कोई उत्साह यहां नहीं है। अभी तक आपदा के जख्मों से ही नहीं उभर पाए हैं। ऊखीमठ के प्रभावित दिनेश जमलोकी के लिए होली का त्यौहार इस बार कोई मायने नहीं रखता। अपने दो बच्चों व पत्‍‌नी को खो चुके जमलोकी इस बार होली के इस त्यौहार में अकेले हैं। ऐसे में इस बार की होली उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।

रुद्रप्रयाग के शिक्षा मित्र कांग्रेस सरकार से बहुत नाराज है। तिलवाडा में बैठक कर उन्हने कहा कि शिक्षा मित्रों को बढे हुए वेतन का लाभ नहीं मिल रहा है।  शासन ने 20 दिसम्बर 2012 को शिक्षा मित्रों के मानदेय में बढ़ोत्तरी करने का ऐलान कर शासनादेश जारी कर दिया था। इसमें शिक्षा मित्रों का मानदेय दस हजार से बढ़ाकर 13 हजार रुपये किया गया था। अन्य जनपदों के शिक्षा मित्रों को बढ़ा हुआ वेतनमान मिल रहा है। लेकिन रुद्रप्रयाग में शिक्षा मित्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

रुद्रप्रयाग में वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के अभिभावकों की भीड बुकसेलरों की दुकानों पर लग रही है वहीं प्राइवेट विद्यालयों में मोटी फीस देने के साथ ही पुस्तकें खरीदने के लिए परिजनों को अच्छी खासी रकम चुकता करनी पड़ रही है। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष नया शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में सरकारी विद्यालयों में किताबों एवं कापियां समेत तमाम सामग्री लेने के लिए मुख्यालय की दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ लगना शुरू हो गया है। प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश शुल्क के नाम पर मोटी रकम जमा करने के बाद अब काफी, किताबों समेत अन्य शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए दबाव बना हुआ है। इससे अभिभावकों की जेबें ढीली हो रही हैं। यह परिजनों के लिए चुनौती से कम नहीं है। परन्तु इस ओर स्थानीय विधायक ने जनता को राहत दिलाने के लिए अपनी ओर से कोई पहल नहीं की।

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से पुलिस कर्मियों के लिए आपदा प्रबंधन, खोज-बचाव एवं प्राथमिक सहायता प्रशिक्षण  असफल साबित होता रहा है।

आपदा ग्रस्त क्षेत्र ऊखीमठ में सरकार ने पांच माह बाद भी भू:वैज्ञानिक दल से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण न कराने व आपदा के दौरान हुई क्षति का ट्रीटमेंट न होने के विरोध में आज त्रासदी के प्रभावित भूख हड़ताल पर बैठा। उनके समर्थन में क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व आपदा क्षेत्र के ग्रामीण भी समर्थन में बैठे रहे।

आपदा ग्रस्त क्षेत्र मंगोली निवासी बलवीर सिंह धर्मवाण ने गुरुवार को तहसील परिसर ऊखीमठ में भूख हड़ताल पर धरना शुरू कर दिया है। पीड़ित का कहना है कि अति संवेदनशील आपदा ग्रस्त क्षेत्र ऊखीमठ में भू:वैज्ञानिकों के दल (भू वैज्ञानिक , सिविल इंजीनियर, मौसम वैज्ञानिक) से सर्वेक्षण कराने को लेकर विगत दस वर्षो से जिला प्रशासन, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री तक से मांग करते आ रहे है, लेकिन सरकार ने आपदा के पांच माह बाद भी भू:सर्वेक्षण टीम न भेजने व भूस्खलित स्थानों का ट्रीटमेंट नहीं किया गया है।   आपदा ग्रस्त क्षेत्रों के ग्रामीणों  स्थानीय विधायकों से नाराज है। आपदा के सात माह बीतने के बाद भी कुंड-ऊखीमठ मोटरमार्ग का स्थाई ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है।

रुद्रप्रयाग के  बद्रीनाथ हाईवे पर रुद्रप्रयाग-श्रीनगर के मध्य सिरोबगड़ स्थित पहाड़ी से भूस्खलन होने पर बार-बार रास्ता अवरुद्ध हो जाता है। इससे चमोली व रुद्रप्रयाग जनपद के लोगों के साथ ही चारधाम यात्रियों के लिए मुसीबत बनी रहती है। अब सिरोबगड़ स्लाइड़िग जोन से छुटकारा मिलने की उम्मीद बन गई है। इसके लिए सीमा सड़क संगठन अलकनंदा नदी के किनारे लगभग डेढ़ सौ मीटर लंबी व छह मीटर ऊंची कंक्रीट की मजबूत दीवार बनाई जा रही है।

वर्तमान में भी यहां पर सड़क की हालात बहुत खराब है। बारिश होने पर पहाड़ी से मलबा सड़क पर आ गिरता जिससे सड़क पर वाहनों की आवाजाही मुश्किल हो जाती है। बीआरओ ने 2011 में ब्लास्ट कर पूरा मलबा झाड़ने का प्रयास किया और सड़क के नीचे पुश्ते लगाकर मार्ग को चौड़ा किया, लेकिन समस्या का हल नहीं हो पाया।

रूद्रप्रयाग के  केदारनाथ के साथ ही मद्महेश्वर व तुंगनाथ यात्रा  पैदल मार्ग से हटाना प्रशासन के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं हैं।  इस कारण सबसे विकट समस्या पैदल मार्गो को खोलने की है।

रुद्रप्रयाग-पोखरी मोटरमार्ग की हालत खस्ताहाल बनी हुई है। जिससे स्कूली छात्रों समेत आम जनता को आवाजाही करने में खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। ऐसे में लोनिवि मार्ग पर केवल मिट्टी बिछाने तक सिमट कर रह गया है। रुद्रप्रयाग शहर से कलेक्ट्रेट को जाने वाला मार्ग पिछले तीन महीनों से बदहाल बना हुआ है। डीएम समेत कई उच्च अधिकारी इस मार्ग पर से गुजरते हैं, लेकिन सड़क पर पडे़ बडे़-बडे़ गड्डों का एहसास भी इन अधिकारियों को नहीं हो रहा है। मोटरमार्ग पर बनी नालियों की मरम्मत की व्यवस्था ठीक ढंग से न होने से सारा गंदा पानी मार्ग पर बह रहा है। ऐसे में बार-बार लोनिवि इस मार्ग पर मिट्टी तो बिछा रहा है, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं कर पा रहा है। जिससे मिट्टी उखडने के चलते यहां जगह-जगह गड्डे एवं कीचड़ जमा हो रहा है। उक्त मार्ग से प्रतिदिन स्कूली बच्चों के साथ सैकड़ों आमजन यहां से आवाजाही करते हैं। उक्त मोटरमार्ग को सुधारने के लिए स्थानीय लोग कई बार आवाज उठा चुके हैं। फिर भी इसकी हालत में कोई सुधार नहीं किया गय। जो लोनिवि की लापरवाही को भी दर्शाता है।

रुद्रप्रयाग: खर्च लाखों लेकिन सुविधाओं के नाम पर ठेंगा, स्थानीय लोगों के लिए जैसे अब ये नियति बन चुकी है। जरूरत के मुताबिक शहर को रोशन करने में पालिका पूरी तरह नाकाम साबित हुई है, जबकि शहर के रसूखदार लोगों के घरों को पालिका की स्ट्रीट लाइट रोशन कर रही हैं।

नगर के नौ वार्डो के रास्तों व सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था नगर पालिका के कंधों पर है। लेकिन इसमें से कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पैदल मार्गो पर सूरज ढलते ही अंधेरा पसर जाता है। कोटेश्वर मार्ग, जागतोली, तिलणी व रैंतोली समेत कई वार्डो की कुछ ऐसी ही तस्वीर है। शहर में स्ट्रीट लाइटें तो लगी हैं, लेकिन आवश्कता के मुताबिक कम, रसूखदार व व व्यक्ति विशेष लोगों की पसंद के अनुसार ज्यादा। पुनाड वार्ड की बात करें तो मौजूदा सभासद के घर के आस-पास के क्षेत्र को पालिका की लाइटें रोशन कर रही हैं, जबकि मुख्य बाजार से लेकर बद्रीनाथ मार्ग पर कई निजी होटलों के सामने स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं, जिसका बिल नगर पालिका वहन करती है। नगरवासी इन रास्तों पर अंधेरे मे ही जैसे-तैसे आवाजाही कर अपने घरों को पहुंच पाते हैं।

रुद्रप्रयाग में इस साल भी गर्मियों में तल्लानागपुर क्षेत्र के करीब सौ गांव के ग्रामीण पानी के लिए तरसेंगे। करीब 23 करोड़ रुपए की लागत से बन रही तल्लानागपुर पेयजल योजना पर काम कछुआ गति से चल रहा है। इसके चलते इस साल भी योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिलेगा। जिले में तल्लानागपुर क्षेत्र पेयजल समस्या का पर्याय है। यहां के सौ से अधिक गांवों पिछले चार दशक से पेयजल किल्लत से परेशान हैं। सरकार ने जो भी पेयजल योजनाएं यहां के लिए बनाई वह अब तक यहां के लोगों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हुई है। यही कारण है कि क्षेत्र में गंभीर पेयजल किल्लत को देखते हुए दो साल पहले तत्कालीन राज्य सरकार ने 23 करोड़ की लागत से तल्लानागपुर के लिए मंदाकिनी से लिफ्ट पंपिंग योजना की स्वीकृति दी। इसमें से करीब आठ करोड़ रुपए शासन से अवमुक्त हो चुके हैं। योजना पर काम शुरू हुए करीब डेढ़ साल हो चुके हैं। लेकिन विभाग की लेटलटीफी इस कदर हावी है कि अब तक योजना पर करीब बीस फीसदी ही काम हो पाया है। यह हाल तब है जब काम पूरा होने का समय साल 2013 तय किया गया है। खास बात यह है कि योजना का कार्य तत्लानागपुर में लगभग 105 गांव के लोग इस योजना के निर्माण कार्य पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।

तैला सिलगढ़ क्षेत्र की दस हजार से भी अधिक आबादी को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए छह करोड़ से अधिक की लागत से स्वीकृत पेयजल योजना का पांच वर्ष बीतने के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। कारण यह है कि कुछ ग्रामीण प्राकृति स्रोत को अपना बता रहे हैं। इस योजना पर निगम 477.10 लाख रुपये में से निगम चार करोड़ योजना पर खर्च कर चुका है।

जखोली विकास खंड के अंतर्गत सिलगढ़ क्षेत्र के 16 राजस्व ग्रामों की 53 बस्तियों को पेयजल किल्लत से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2006-07 में शासन से तैला-सिलगढ़ पेयजल योजना को मंजूरी मिली थी। इसके लिए जल निगम को 623.46 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हुई। वर्ष 2007 शुरूआती माह में शासन से एक करोड़ प्रथम किश्त के रूप में अवमुक्त हुए। इसके बाद निगम ने लस्तर गाड से योजना को जोड़ने का कार्य शुरू किया गया, परंतु क्षेत्रीय लोगों ने इसका विरोध करने के बाद विभाग हाथ पीछे खींच दिए। मौजूदा समय स्थिति यह है कि विभाग 46.82 किमी लंबी इस योजना को गैंठाणा गांव के किरवाना गदेरा से बना रहा है, जिस पर गत वर्ष 2010 से निर्माण कार्य शुरू किया गया। जबकि वर्ष 2011 के फरवरी माह में दूसरी किश्त के रूप में 377.10 लाख रूपए अवमुक्त हो चुके हैं, पेयजल निगम द्वारा योजना की 477.10 लाख रूपए अवमुक्त धनराशि में से 4 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके हैं।

ये गांव होंगे लाभान्वित- धारकोट, तैला, जखनोली, टाट, पाली, मूसाढुंग, कुमड़ी, बुढोली, चाका, फलाटी, मरगांव, कंडाली, जैली, पंद्रोला, शीशों, बन्दरतोली।

रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय के  कई क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर न होने से विद्युत की समस्या बनी हुई है। जिला मुख्यालय के अन्तर्गत बेला वार्ड में लाखों रुपये के एक दर्जन खराब ट्रांसफार्मर महीनों से कोटेश्वर सड़क के किनारे खुलेआम लावारिस हालत में छोड़े गए हैं। इन पर जंग लगने से इनकी स्थिति खराब होती जा रही है। प्रावधान तो यह है कि खराब पडे़ ट्रांसफार्मर को निगम द्वारा रिपेयर करने के लिए कम्पनी को भेजे जाते हैं, लेकिन वह कोटेश्वर सड़क के किनारे जंग खाते-खाते सड़ने की कगार पर हैं, लेकिन फिर भी इन पर निगम द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।  दूसरी ओर वर्तमान में जखोली, ऊखीमठ व अगस्त्यमुनि ब्लाक के तीन दर्जन ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर न होने से लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है।

ऊखीमठ क्षेत्र के जैवीरी में स्थित 33केवी विद्युत स्टेशन में लगातार हो रहे भू-धंसाव के कारण क्षेत्र के दो सौ गांव में विद्युत संकट गहराने का खतरा पैदा हो गया है। वहीं निगम विद्युत स्टेशन को स्थानान्तरण करने के लिए अभी जमीन तक नहीं तलाशी है।

विगत वर्ष माह सितम्बर में ऊखीमठ क्षेत्र में भीषण आपदा के चलते क्षेत्र जैवीरी में स्थित 33केवी विद्युत सब स्टेशन पर इसकी जद में आ गया था, जिससे यहां भी काफी नुकसान पहुंचा था, और बार बार विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है। वहीं सब स्टेशन लगातार धंस रहा है, अब तक विद्युत स्टेशन लगभग पांच मीटर नीचे तक धंस चुका है। जिसमें जमीन धंसने से भवन की दीवार, और फर्श में दरारें आ गई है। साथ ही रिर्टनिंग वाल और ब्रेस्ट वाल भी धंसती जा रही है। विद्युत स्टेशन में लगातार हो रहे इस धसाव के चलते सब स्टेशन की पावर यार्ड में विद्युत तार टूट रहे है। तार टूटने से बार-बार विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है। आलम यह है कि छह माह बीत जाने के बाद भी ऊर्जा निगम द्वारा विद्युत स्टेशन के लिए भूमि तक चयनित नहीं कर पाया है।

रुद्रप्रयाग जिले की 106 तोकों में इस वित्तीय वर्ष में भी बिजली नहीं पहुंच पाई। ऊर्जा निगम ने जो प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, ऐसे में चार हजार की आबादी को फिलहाल लालटेन के सहारे ही रातें काटनी पड़ेंगी। पहाड़ में बनाई जा रही जल विद्युत परियोजनाएं देश के बडे़-बडे़ शहरों को तो जरूर रोशन कर रही, लेकिन यहां की जनता के लिए यह सफेद हाथी साबित हो रही हैं। आधुनिकता के इस दौर में जिले की 106 तोकों के वाशिंदे आज भी विद्युत बल्बों की रोशनी के लिए तरस रहे हैं। रात होते ही लोगों की जिंदगी लालटेन के सहारे कटती है। लगभग चार हजार की आबादी मौजूदा समय में इस समस्या से जूझ रही है। ऊर्जा निगम ने इन तोकों को प्रकाशमान करने के लिए दो वर्ष पूर्व शासन को प्रस्ताव तो भेजा था, लेकिन  मंजूरी नहीं मिल पाई है।

रुद्रप्रयाग राजकीय शिक्षक संघ ने शिक्षकों की बीस सूत्रीय मांग और एलटी ग्रेड में जिला केडर न बनाए जाने संबंधित प्रस्ताव समेत विभिन्न मांगों का निराकरण न होने पर आक्रोश जताया है।   संघ ने राज्य सरकार को बीस सूत्रीय मांग पत्र पर दिया, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

रुद्रप्रयाग जिले के नौ विद्यालयों के भवन निर्माण का प्रस्ताव लगभग दो माह से शासन में लटका है। शिक्षा विभाग ने इन भवनों के लिए 125 लाख का इस्टीमेंट शासन को भेजा था। अभी तक शासन से धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि ये सब मुख्यमंत्री की घोषणाओं में शामिल हैं।

बीते वर्ष के दौरान मुख्यमंत्री विजय बहुगणा ने जिले के लिए दर्जनों घोषणाएं की। इनमें नौ विद्यालयों के भवन निर्माण की घोषणाएं भी शामिल हैं। इन विद्यालयों को नए भवन मिलने की आस छात्रों में जगी थी, लेकिन अभी तक किसी भी स्कूल के लिए धनराशि स्वीकृत नहीं हो पाई है। इससे इन विद्यालयों के लगभग तीन हजार छात्रों को भवन की समस्या से जूझना पड़ रहा है। जीर्ण-शीर्ण भवन में पठन-पाठन कार्य करने को मजबूर होना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग ने राजकीय बालिका इंटर कालेज रुद्रप्रयाग के लिए 20 लाख, राइका कैलाश बांगर के लिए 10 लाख, बासुदेव जनता इंटर कालेज गंगानगर के लिए 10 लाख, उमावि देवीधार के लिए 20 लाख, अतुल मॉडल पब्लिक स्कूल तिलवाड़ा के लिए 10 लाख, राउमावि दिगधार बडमा के लिए 20 लाख, जनता जूनियर हाईस्कूल शीशों के लिए 15 लाख, शहीद राय सिंह बंगारी उमावि चमालकोट तुनेटा के लिए 10 लाख और जनता जूहा लुखेंद्रधार के लिए 10 लाख रुपये का इस्टीमेट तैयार शासन को भेजा था। अभी इस संबंध में शासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

-उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में विद्यालयों को पीपीपी मोड में दिए जाने का कड़ा विरोध किया गया।   शिक्षकों ने कहा कि प्रदेश सरकार प्राथमिक विद्यालयों को पीपीपी मोड में देने की तैयारी कर रही है। शिक्षक संगठन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि विद्यालयों को किसी भी हालत में पीपीपी मोड में नहीं जाने दिया जाएगा। बैठक में पीपीपी मोड के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया।

रुद्रप्रयाग में  सरकारी धन के दुरुपयोग का बेजोड़ नमूना  ग्राम पंचायत खांकरा के रामपुर तोक में देखा जा सकता है। यहां मात्र 22 परिवारों को खांकरा-कांडई मोटरमार्ग से जोड़ने के लिए एक ही गदेरे में दो पुलों का निर्माण किया जा रहा है। गांव की जरूरत के हिसाब से यहां एक पुल ही पर्याप्त है। ग्राम पंचायत खांकरा के अंतर्गत रामपुर तोक को खांकरा-कांडई मोटरमार्ग से जोड़ने के लिए वर्ष 2010 एवं 2011 में जिला पंचायत की डीबीसी बैठक में दो पैदल पुलों के निर्माण का प्रस्ताव मंजूर हुआ। रामपुर तोक में केवल 22 परिवार ही रहते हैं, ऐसे में लोक निर्माण विभाग इस गांव को मोटर मार्ग से जोड़ने के लिए एक ही गदेरे पर दो पुलों का निर्माण कर सरकारी पैसे में आग लगा रहा है। इन पुलों का निर्माण 16 लाख रुपये में कराया जा रहा है।

इससे बड़े ताज्जुब की बात तो यह है कि इन पुलों के बीच दूरी मात्र सौ मीटर है।   पुलों के निर्माण में नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है।

क्या आप इन मोहतरमा जी से वाकिफ है,, राज्य जैविक उत्पाद परिषद की अध्यक्ष लक्ष्मी राणा, इन नेत्री के बारे में आप क्या जानते हैं, उत्तराखण्ड में कांग्रेस के सत्ता में आते ही जहां वरिष्ठ कांग्रेसी जन सत्ता का लाभ लेने के लिए व्याकुल है,, वही इन्हें कैसे राज्य जैविक उत्पाद परिषद की अध्यक्ष पद पर आराम से बैठा दिया गया, इसके बाद कई विदेश यात्रा भी सरकारी खजाने से कर चुकी है, लक्ष्मी राणा कांग्रेस सरकार आते ही सत्ता के शीर्ष पर कैसे काबिज हो जाती है,,

स्थानीय विधायक तथा कैबिनेट मंत्री डा० हरक सिंह रावत के पास क्षेत्रीय जनता की समस्याओं को निपटाने के लिए समय नही है शायद तभी  राज्य जैविक उत्पाद परिषद की अध्यक्ष लक्ष्मी राणा ने विभिन्न गांवों का भ्रमण कर जन समस्याएं सुनी। इस मौके पर उन्होंने ग्रामीणों को समस्याओं के जल्द निराकरण का आश्वासन दिया। लक्ष्मी राणा ने तिलवाडा, सुमाडी, तुनेटा, रामपुर, पंद्ररोला समेत कई गांवों का भ्रमण कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र के विकास के लिए वचनबद्ध हैं। उन्होंने सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया। इसका जनता को लाभ लेना है। इसके पश्चात उन्होंने रामपुर में बन रहे झूला पुल का निरीक्षण किया।  उन्होंने चिरबटिया, बजीरा, अमकोटी, गोर्ती, इंद्रनगर, बजीरा, पालाकुराली आदि गांवों का भ्रमण किया।

लक्ष्मी राणा ने क्षेत्र का दौरा तो किया परन्तु वह एक भी समस्यायें निपटाने में असमर्थ साबित हुई, इससे जनता में यह संदेश गया कि स्थानीय विधायक अगली बार देहरादून की सहसपुर सीट से चुनाव लडना चाहते हैं शायद तभी रुद्रप्रयाग क्षेत्र के प्रति वह उपेक्षात्मक रूख अपना रहे हैं।  पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने ऊखीमठ में छह माह बाद भी आपदा प्रभावितों की समस्याओं का निराकरण नहीं किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कुंड-ऊखीमठ मोटरमार्ग की स्थिति के कारण हो रही परेशानी पर भी रोष जताया। पूर्व विधायक आशा नौटियाल ने एक बयान में कहा कि छह माह बाद भी ऊखीमठ आपदा प्रभावितों की समस्याएं जस की तस हैं। ऊखीमठ को जोड़ने वाले कुंड-ऊखीमठ मोटरमार्ग पर लोनिवि वे स्थाई निर्माण नहीं किया, इस कारण मार्ग की स्थिति बदहाल है। बारिश होते ही पहाड़ से भारी मलबा आने लगता है और वाहनों की आवाजाही बाधित हो जाती है। उन्होंने सरकार पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि ऊखीमठ से गैस एजेंसी को हटाए जाने से क्षेत्र में दिनों दिन रसोई गैस की समस्या बढ़ती जा रही है। नौटियाल ने कहा कि सरकार ने आपदा प्रभावितों के एवं आपदा में हुए नुकसान की भरपाई के लिए अभी तक कोई ठोस कार्य नहीं किए। यदि मोटरमार्गो के निर्माण, भूस्खलित क्षेत्रों में चैक डेमों का निर्माण, पेयजल योजनाओं साथ-साथ 33 केवी सब स्टेशन अन्यत्र स्थापित किए जाने सहित योजनाओं पर कार्य नहीं किया जाता है तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते है।

रुद्रप्रयाग नगर क्षेत्र की लगभग बीस हजार आबादी को पेयजल की बेहतर सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रस्तावित रीवर बैड फिल्टरेशन सिस्टम डेढ़ वर्ष से लटका हुआ है। जल संस्थान की सुस्ती का आलम यह है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी जल संस्थान योजना के निर्माण के लिए सही जगह का चयन नहीं कर पाया है।

गर्मियों में नगर वासियों को पेयजल समस्या से निजात दिलाने के लिए जल संस्थान ने नदी के जरिये फिल्टर पानी पिलाने की योजना तो तैयार की, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के बाद भी इस ओर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। गत वर्ष मार्च में संस्थान ने 96.12 लाख रुपये की लागत से रीवर बैड फिल्टरेशन सिस्टम का प्रस्ताव शासन को भेजा, जिसे जल्द स्वीकृति भी मिल गई। परंतु स्वीकृति के बाद से अभी तक योजना के लटकी पड़ी हुई है।

योजना के निर्माण में हो रही देरी के पीछे जल संस्थान की सुस्ती जिम्मेदार बनी हुई है। आलम यह है कि अभी तक संस्थान योजना के लिए सही जगह की चयन तक नहीं कर पाया है। हालांकि दो स्थानों बद्रीनाथ राजमार्ग पर सुरमेरपुर में अलकनंदा नदी व गौरीकुंड राजमार्ग पर भटवाड़ी सैण के समीप मंदाकिनी नदी पर योजना निर्माण के लिए परीक्षण किया जा चुका है, पर कुछ खास परिणाम हाथ नहीं आए हैं। ऐसे में कब तक लोगों को इसका लाभ मिल पाता है कहा नहीं जा सकता है।

रुद्रप्रयाग जनपद के सीमांत ग्राम पंचायत गौरीकुंड में पांच माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इस कारण ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नवम्बर माह से अनियमितता व धांधली के कारण ऊखीमठ गैस एजेंसी बंद पड़ी हुई है। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगस्त्यमुनि गैस एजेंसी लोगों को पर्याप्त मात्रा में गैस उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है।

केदारघाटी की सीमांतवर्ती ग्राम पंचायत गौरीकुंड में लगभग पांच माह से रसोई गैस की आपूर्ति नहीं हो पाई है। इससे लोगों के सम्मुख खाना बनाने की चुनौती पैदा हो गई है। वर्तमान समय में गौरीकुंड में लगभग पचास परिवार निवास करते है। साथ ही वहां एलोपैथिक चिकित्सालय, पुलिस चौकी, मंदिर समिति एवं गढ़वाल मंडल विकास निगम कर्मचारी भी कार्य कर रहे है। लेकिन रसोई गैस उपलब्ध न होने से वे लकड़ियों के सहारे ही खाना बनाने को मजबूर है। मिट्टी तेल की आपूर्ति न होने से संकट और भी गहरा गया है।

रुद्रप्रयाग में  19 जनवरी को जिले में सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत ने प्रदेश का तीसरा उपनल कार्यालय का उद्घाटन किया था। इसमें रुद्रप्रयाग के साथ ही चमोली, टिहरी एवं पौड़ी जिले को शामिल किया गया था। अभी तक बेरोजगारों के लगभग 900 से अधिक विजिटिंग रिकार्ड दर्ज हो चुके हैं। उधर, कार्यालय संचालन के लिए प्रभारी समेत पांच कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई, बावजूद इसके कार्यालय अभी तमाम अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। यहां अभी तक निगम को कम्प्यूटर, फर्नीचर व टेलीफोन की कोई सुविधा तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में यहां प्रतिदिन नौकरी के आस लगाए बैठे सैकड़ों बेरोजगार युवा विजिटिंग रिकार्ड के लिए पहुंच रहे हैं। एक रजिस्ट्रर में ही उनका नाम व पते के सात साथ ही टेलीफोन नंबर भी दर्ज किया जा रहा है।

उपनल कार्यालय भी क्षेत्रीय जनता के लिए एक छलावा साबित हुआ है। बेंरोजगारों में भारी आक्रोश है।

पोखरी, भुनका, धांदड व रतूड़ा के ग्रामीण  आंदोलन के लिए बाध्य है।

-रुद्रप्रयाग जिलेवासियों को पेयजल मुहैया कराने के लिए जल संस्थान हैंडपंप के रखरखाव पर अब तक जलसंस्थान करीब तीन करोड़ की धनराशि भी खर्च कर चुका है। जिला मुख्यालय के साथ ही जिले के कई स्थानों पर  संस्थान के 230 में से करीब 70 हैंडपंप बंद पड़े हुए हैं। इसके चलते जिला मुख्यालय, तल्लानागपुर, तिलवाड़ा व दशज्यूला समेत कई क्षेत्रों में समस्या विकट बनी हुई है।  इन हैंडपंप के रखरखाव पर संस्थान हर साल पांच लाख रुपए खर्च करता है। जिसके मुताबिक अब तक करीब तीन करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

-रुद्रप्रयाग जिले के रैंतोली-जसोली मोटरमार्ग की जर्जर हालत इस मार्ग से जुडे़ 14 गांवों के ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। कई स्थान अति संवेदनशील घोषित के बाद भी प्रशासन इस मामले में गंभीर नजर नहीं आ रहा है। लगभग 15 वर्ष पूर्व बने रैंतोली-जसोली मोटरमार्ग खस्ताहाल है, नतीजन मार्ग पर पग-पग मौत मंडराती रहती हैं। पिछले कुछ सालों में यहां सात बड़ी दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, जिसमें दस से अधिक लोगों ने अपनी जान गवाईं और 15 लोग घायल हुए। इस मोटरमार्ग के सुधारीकरण एवं डामरीकरण के लिए ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन को अवगत भी कराया गया, लेकिन आज तक मोटरमार्ग की स्थिति जस की तस बनी हुई है। पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल ने 14 अप्रैल 2011 में जनकल्याण शिविर के दौरान जनता की मांग पर उक्त मोटरमार्ग की हालत सुधारने के लिए लोनिवि के साथ ही एडीबी जोशीमठ को निर्देशित किया था, दो वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक इस मोटरमार्ग पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जगह-जगह संकरा होने के साथ ही डामरीकरण के अभाव में पूरी सड़क पर गहरे गड्ढे बन गए हैं।

प्रभावित गांव- पंचभैय्याखाल, लोली, बीरों, ग्वाड़, पीड़ा, चिनग्वाड़, ग्वाड थापली, पावों, फलाटधार, च्वींथ, तैला छौड़ा आदि

रुद्रप्रयाग शहर में एक ही लाइनमैन पूरे नगर क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था का जिम्मा संभाले हुए है, वह भी संविदा पर तैनात है। शहर में चार लाइनमैन के सापेक्ष ही यह एकमात्र तैनाती है।   लघु उद्योगों के साथ ही उपभोक्ताओं को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका खासा असर सरकारी दफ्तरों पर भी पड़ता है। ऊर्जा निगम में विद्युत व्यवस्था के लिए अन्य कर्मचारी तैनात न होने से ही यह समस्या सामने आ रही है। नगर में विद्युत लाइन बदलने के लिए भी निगम किराए पर मजदूरों की व्यवस्था करता है, जिससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब नगर क्षेत्र में एक लाइनमैन के भरोसे पूरी विद्युत व्यवस्था संचालित हो रही है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में क्या हाल होंगे।

रुद्रप्रयाग जिले के सबसे बड़ा कसबा अगस्त्यमुनि विद्युत समस्या से त्रस्त है। यहां शाम ढलते ही चारों ओर गुप अंधेरे छा जाता है। ऐसा नहीं की यहां विद्युत कटौती हो रही है, बल्कि बल्वों के सिर्फ एलीमेंट ही नजर आते हैं। क्षेत्र में यह समस्या पिछले दो साल से बनी हुई है, लेकिन ऊर्जा निगम इस समस्या को अभी तक नहीं सुलझा पाया है।

लगभग 15 हजार आबादी वाले अगस्त्यमुनि ब्लाक मुख्यालय होने के साथ ही सौ से अधिक गांवों का मुख्य बाजार भी है। बावजूद इसके यहां विकास ने रफ्तार नहीं पकड़ी है। यहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। कसबे में रहने वाले लोग पिछले दो वर्ष से ऊर्जा निगम की मार झेल रहे हैं। शाम ढलते ही पूरा शहर अंधेरे की में खो जाता है। लो वोल्टेज के कारण बिजली शहर का अंधेरा कम नहीं कर पा रही है। इसके साथ ही शाम को अघोषित कटौती भी जारी है। हालांकि मध्य रात्रि के बाद बल्ब में रोशनी जरूर दिखने लगती है। समस्या का सबसे अधिक खामियाजा बोर्ड परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। अगले महीने से परीक्षाएं शुरू हैं, लेकिन बिजली की इस समस्या को देखते हुए वह रात्रि के समय पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

रुद्रप्रयाग: जिला मुख्यालय में आर-एपीडीआर (रिस्टकर््टर्ड एक्सेलेरेटेड पावर डेवलपमेंट एंड रिफार्मस प्रोग्राम) के तहत बिछाई जाने वाली पैकिंग विद्युत लाइनें नहीं बिछाई जा सकी। इसके पीछे ऊर्जा निगम की लापरवाही सामने आई है। प्रत्येक जिला मुख्यालय में यह लाइनें बिछाई जानी थी। इन लाइनों के बिछ जाने से विद्युत चोरी की संभावना शून्य हो जाती है।

रुद्रप्रयाग के धनपुर क्षेत्र के कई गांव वर्तमान में जुगाड़ से रोशन हो रहे हैं। विद्युत पोल सड़ गए हैं, लाइनें जमीन न छुएं इसलिए उन्हें रस्सों के सहारे कसा गया है। ऐसे में विद्युत सप्लाई तो हो रही है, लेकिन कब कोई हादसा हो जाए, पता नहीं। जिले के धनपुर क्षेत्र के अन्तर्गत आधा दर्जन गांवों में निगम की बिछाई गई लाइनों ने यहां लोगों को मुश्किल में डाला हुआ है। आलम यह है कि इन गांवों में लगे विद्युत पोल नीचे से सड़ चुके है, लेकिन इन्हीं सड़े पोल से ग्यारह केवी की लाईन गुजर रही है। साथ ही खंबे सड़े होने के कारण विद्युत लाईन भी झुक गई है। निगम के कर्मचारियों ने रस्सियों से पेड़ों के सहारे लाइन को कस दिया है। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

इन गांवों में परेशानी- फलाटधार, सिराणबोंगा, चिनग्वाड़, सिल्ली, मोलखंडी, तैला छोड़ा, लाटधार।

ऊखीमठ तहसील के करीब सैकड़ों गांवों में विद्युत कटौती अब आम बात हो गई है जबकि विभागीय अधिकारी पावर स्टेशन में आई खराबी के पीछे भूधंसाव होना बता रहे हैं। लगभग 200 गांवों में बिजली की आंख मिचौली से ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीते साल सितंबर महीने में ऊखीमठ में आई भीषण आपदा के कारण जैबरी स्थित विद्युत सब स्टेशन खतरे की जद में आ गया है। अब यह विद्युत स्टेशन भूस्खलन की जद में कभी भी आ सकता है। इसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो 200 गांव में विद्युत आपूर्ति कभी भी पूर्ण रुप से ठप हो सकती है। निगम ने इसके लिए अभी तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की है। क्षेत्र में लगातार शाम छह बजे से रात आठ बजे तक नियमित कटौती की जाती है।

रुद्रप्रयाग  जिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड एवं एक्सरे संचालक की तैनाती न होने पर जनता नाराज है तथा आंदोलित है। जनता  ने राज्य सरकार व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।  वक्ताओं ने कहा कि जिला चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड व एक्स रे संचालक की तैनाती न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इनकी तैनाती न होने से दूरस्थ अंचलों से आने वाले ग्रामीणों को 35 किमी दूर श्रीनगर या अन्यत्र जाना पड़ता है। जिससे उनके धन व समय की बर्बादी होती है।

रूद्रप्रयाग जिले में फल, सब्जियों व दालों के उत्पादकों को सरकारी लापरवाही की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। अच्छा उत्पादन करने के बावजूद भी उन्हें इसका वाजिब मुनाफा नहीं मिल पा रहा है और इसका कारण है कि विभागीय स्तर पर विपणन की उचित व्यवस्था के लिए प्रयास की कमी।

स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के सरकारी दावे जिले में हवाई साबित हो रहे हैं। जिले में आज भी उत्पादकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र में उत्पाद के विपणन की समस्या इतनी जटिल है कि कमरतोड़ मेहनत के बाद भी किसानों को पूरी आमदनी नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में ग्रामीण लगातार कृषि कार्य से मुंह मोड़ रहे हैं। मौजूदा समय में जिले के अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ व जखोली ब्लॉक में कई उत्पादक भारी मात्रा में फलों, दालों एवं सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। रतूड़ा, निरवाली गांव, नारायणकोटी, स्यूंड आदि क्षेत्रों में सबसे अधिक उत्पादन हो रहा है। लेकिन उत्पादकों के सामने सबसे बड़ी समस्या विपणन व विभागीय स्तर से उचित प्रोत्साहन न मिलना बनी हुई है। इन क्षेत्रों में अमरूद के साथ विभिन्न प्रकार की दालों व सब्जियों का उत्पादन काश्तकार इस सीजन में कर रहे हैं, लेकिन अच्छा उत्पादन के बाद इन उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए निजी खर्च पर वाहन बुक करने पड़ते हैं। ऐसे में उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मजबूरन किसान अपने मेहनत को सस्ते दामों में बचनी पड़ती है। रुद्रप्रयाग तल्लानागपुर क्षेत्र के धारकोट गांव की अस्सी हैक्टेयर भूमि को सिंचित करने के लिए बनाई गई धारकोट लिफ्ट योजना पर एक वर्ष से पानी नहीं चला है जिससे काश्तकारों को इस योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने योजना पर शीघ्र पानी आपूर्ति की मांग की।

काश्तकारों का कहना है कि धारकोट व तल्ला धारकोट के करीब अस्सी हैक्टेयर भूमि को सिंचित करने वाली इस लिफ्ट योजना पर पूर्व में आयी तकनीकी खराबी से एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पर पानी सुचारू नहीं हो पाया है।   सिलगढ़ क्षेत्र की 15 ग्राम सभाओं को पेयजल आपूर्ति करने के लिए बनाई जा रही तैला-सिलगढ़ पेयजल योजना का बजट नहीं होने के के कारण निर्माण कार्य बंद पड़ा है। ग्रामीणों को कहना है कि निगम ने दो माह के भीतर टैंकरों से पानी आपूर्ति का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक पानी आपूर्ति नहीं हो पाई। क्षेत्र के तैला, धारकोट, जखनोली, टाट, मूसाढुंग, कुमडी, बुडोली, चाका, फलाटी, पूर्वी चाका, जैली, पाली, कंडाली, शीशो, बंदततोली, आदि गांवों को पेयजल आपूर्ति करने के उद्देश्य से बनाई जा रही तैला-सिलगढ़ पेयजल योजना का कार्य बंद पड़ा हुआ है। निगम पानी आपूर्ति करने के लिए 15 टैंक बना चुका है व एक बनना बाकी है। टैंक निर्माण हुए एक वर्ष होने को है, लेकिन विभाग ने पानी नहीं चलाया है।

फाटा -ब्यूंगगाड़ जल विद्युत परियोजना क्षेत्र के 14 हजार ग्रामीणों के लिए खतरा बनी है। तमाम नियमों को धता बताते हुए लैंको कंपनी की ओर से कार्य किया जा रहा है। इसके बावजूद कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वर्ष 2007-08 में जल विद्युत कंपनी लैंको ने इस परियोजना का निर्माण शुरू किया था। निर्माण के चार वर्षो में क्षेत्र के पंद्रह गांवों के लोगों को काफी मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं। अब तक तमाम भूस्खलन व धसाव की घटनाओं से ग्रामीणों का जीना दुश्वार हो गया है। इस परियोजना के तहत ऊखीमठ ब्लॉक के पंद्रह गांव प्रभावित हो रहे हैं। अब तक दस गांव में टनल निर्माण से पेयजल स्रोत सूख चुके हैं। इसके अलावा सभी पंद्रह गांव में भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है। अब तक दो सौ से अधिक मकान इस परियोजना के निर्माण से प्रभावित हो चुके हैं। क्षेत्र में बनाई जा रही टनल जिन गांवों के नीचे से गुजर रही है उनके ग्रामीणों को इस बात की जानकारी तक कंपनी ने नहीं दी है।

भरदार पट्टी की लगभग पांच हजार आबादी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला माईकीमंडी पैदल मार्ग ग्रामीणों के लिए मुसीबत बना हुआ है। निर्माणाधीन राइका जवाड़ी सड़क का मलबा इस पैदल मार्ग पर गिराए जाने से मार्ग कई जगहों पर क्षतिग्रस्त पड़ा हुआ है।

राइका जवाड़ी को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए रुद्रप्रयाग बाईपास से सड़क कटिंग के लिए वर्ष 2010 में लोनिवि ने कार्य शुरु किया था। लोनिवि ने मोटर मार्ग का पूरा मलबा सीधे माईकीमंडी पैदल मार्ग पर गिरा दिया, इससे चार जगहों पर मलबा व बोल्डर पड़े हुए हैं। मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने से स्थिति काफी खराब है। ऐसे में मार्ग भरदार क्षेत्र के दस गांवों के लगभग पांच हजार आबादी के लिए मुसीबत बना हुआ हैं। यह एक मात्र पैदल मार्ग है जो उक्त गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ता है। मार्ग की बदहाली ने क्षेत्रीय लोगों की आवाजाही की समस्या बढ़ा दी है। लगभग ढेड़ वर्ष बाद भी लोनिवि विभाग ने पैदल मार्ग का मलबा हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है, जो कि विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है। यह गांव हो रहे प्रभावित- दरमोला, जवाड़ी, उत्यासू, रौठिया, स्वीली, सेम, तरवाड़ी, कालापौड़ डुंग्री व माईमंडी।

रूद्रप्रयाग जनपद में लोक निर्माण विभाग में कर्मियों का अभाव है, जिसे विकास को गति नही मिल पा रही है। स्थानीय कांग्रेस विधायक का इस ओर कोई ध्यान नही है। लोक निर्माण विभाग प्रखंड रुद्रप्रयाग के पास जखोली व अगस्त्यमुनि ब्लाक की कुल 323 तथा दैवीय आपदा की 21 योजनाएं हैं। इन योजनाओं की देखभाल एवं दोनों ब्लाकों की 258 गांवों में सड़कों की कार्रवाई करने की जिम्मेदारी तो सरकार ने दे दी, लेकिन इन योजनाओं को संचालित करने के लिए मात्र पांच जेई ही दिए। प्रखंड में अवर अभियंता के 14 पद स्वीकृत हैं जिसमें से अभी भी नौ पद रिक्त चल रहे हैं। कर्मचारियों के अभाव में कई बार क्षतिग्रस्त मोटरमार्गो की मरम्मत नहीं हो पाती।   जिससे ग्रामीणों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

http://mediadarbar.com/16837/uttrakhand-local-bodies-election-an-report-card-of-rudra-pryags-mlas/

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