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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, April 12, 2013

फुले-अम्बेडकरवाद व् अन्य वाद


फुले-अम्बेडकरवाद व अन्य वाद 

फुले-अम्बेडकरवाद व् अन्य वाद 

"भारत में ब्राह्मणों के द्वारा समर्थित या प्रचारित कोई भी वाद जैसे समाजवाद, कम्युनिज्म, मार्क्सवाद, सेकुलरवाद ....आदि सभी वाद भारत में ब्राह्मणवाद को यथा-स्थिति में बनाए रखने के लिए सहयोगी वाद है !" - चमन लाल 

भारत में फुले-अम्बेडकरवाद को छोड़कर जितने भी वाद निर्माण हुवे वह सब ब्राह्मणों ने या ब्राह्मणों की व्यवस्था के समर्थक लोगों ने निर्माण किये ! जिस रामायण में विदेशी ब्राह्मण राम (पुष्यमित्र सुंग ) भारत के मूलनिवासियों की षड़यंत्र-पूर्वक हत्या करता है, ऐसे हत्यारे को पुरषोतम राम मानकर, रामायण मेलों का आयोजन कराने वाले बनिए राम मनोहर लोहिया ने समाजवाद की अवधारण को भारत में परिभाषित किया ! इनको और समाजवादी जय प्रकाश नारायण को लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव (दोनों मूलनिवासी) ने ब्राह्मणवाद के ही छद्दम रूप समाजवाद को अपना आदर्श मानकर जो आन्दोलन निर्माण किये उन-उन आंदोलनों के माध्यम से मूलनिवासियों की कोई भी संस्था निर्माण नहीं हुई बल्कि परिवारवादी और त्रिश्नाग्रस्त लालू प्रसाद यादव और मुलयम सिंह यादव व्यक्ति के तौर पर इन आंदोलनों से निर्माण हुवे ! इन निर्मित नेतावों को ब्राह्मणों ने अपने साम,दाम,दंड, और भेद की निति से अपने कब्जे में किया और परिणाम यहाँ तक हुवा कि इन नेतावों ने ब्राह्मणवादी दलों को भारत में ब्राह्मणवाद को टिकाये रखने के लिए बिना मांगे समर्थन दिया ! इन आंदोलनों में शामिल जन-साधारण लोगों की किसी भी मौलिक समस्याओं का समाधान व्यक्ति-निर्माण होने की बदोलत नहीं हुवा है !

मंडल कमीशन के लागू हो जाने के बाद में शूद्रों और अति-शूद्रों का धुर्विकरण हो जाने के डर से ब्राह्मणों के एक पक्ष बीजेपी ने मोंडल कमीशन के लाभ्वान्वित शूद्रों को अति-शूद्रों के साथ सामजिक धुर्विकरण को रोकने के लिए 'राम मंदिर निर्माण' करने हेतु रथ-यात्रा का आयोजन किया ! जिसके कारण शुद्र ब्राह्मणों के पक्ष में चले गए, जिन लोगों ने (अति-शूद्रों) उनको अधिकार दिलाने के लिए उनके साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर लड़ाई लड़ी, उनके साथ सामाजिक धरातल पर वह खड़े नहीं हो सके ! तत्कालीन समय में ब्राह्मणों के ही दुसरे पक्ष कांग्रेस का नेतृत्व कर रही इंदिरा गाँधी ने सविंधान में संसोधन करके इसके प्रस्तावना वाले हिस्से में 'सेकुलरिज्म'-(धर्म-निरपेक्ष) शब्द को जुड्वाया था ! ' मंडल कमीशन की लहर को समाप्त करने के लिए ब्राह्मणों के दोनों पक्ष बीजेपी और कांग्रेस साथ-साथ आ गए थे ! स्वंयं तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने सरकारी प्रोटोकॉल का उलंघन करके विहिप की रथ-यात्रा को दिल्ली के बॉर्डर पर जाकर रिसीव करके 'सेकुलरिज्म' अर्थात 'धर्म-निरपेक्षता' की धज्जियां उड़ा दी थी !

भारत में कम्युनिज्म की विचारधारा को ऍम एन रॉय, डांगे और उनके ब्राह्मण साथियों ने ब्राह्मणवाद की विचारधारा के साथ ताल-मेल बिठाकर आगे बढ़ाया ! भारत के जिन-जिन राज्यों में इनका प्रभाव रहा है, वहां-वहां इनकी पार्टी में शूद्रों और अति-शूद्रों के प्रभावशाली नेत्रत्वों का प्रतिनिधित्व नगण्य रहा है ! और जन-साधारण मूलनिवासियों की मौलिक सामाजिक, जातीय एवं आर्थिक सम्स्यवों का इन लोगों ने कोई निराकरण नहीं किया है !

मार्क्सवाद की विचारधारा को भी भारत में ब्राह्मण ही चला रहे हैं और इसके तहत में भारत के ब्राह्मणों ने भारत के आदिवासियों को उग्रवादी घोषित करके, उनको मारकर उनकी जंगल और जमीन पर कब्ज़ा करने का षड़यंत्र रचा हुवा है ! एक पत्रिका ने बाकायदा भारत सरकार ने कहाँ-कहाँ हथियार इन लोगों को दिए सब छापा है ! आदिवासियों को हथियार दिए जा रहे हैं और वह अपने ही भाईओं पर गोली चला रहे हैं ! ब्राह्मण कांटे से काँटा निकाल रहे हैं मार्क्सवाद की विचारधारा की बदोलत ! एक तरह से यह ब्राह्मणों का आदिवासियों का नर-संहार करने का मामला है और उनका नर-संहार करके उद्योगपतियों को उनकी जंगल और जमीन को दोहन करने के लिए देने का मामला है !

इसलिए भारत में फुले-अम्बेडकरी वाद को छोड़कर कोई भी वाद भारत के मूलनिवासी बहुजनों को मुक्ति दिलाने में सहायक नहीं हो सकता है ! बामसेफ भारत में फुले-अम्बेद्करिवाद को प्रस्थापित करने के लिए कटिबद्ध है और इसके किसी भी बामसेफ पक्ष के कार्यकर्ता, प्रचारक, शुभचिंतक इमानदारी के साथ में तन-मन-धन से इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए क्रियाशील हैं ! ये सभी लोग धन्यवाद और उत्साहवर्धन के पात्र हैं ! इन समस्त लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि इतिहास की समीक्षा करके उससे सबक लेकर मात्र संस्थागत तरीके से आन्दोलन निर्माण करने से ही बामसेफ का उद्देश्य हासिल होगा और अन्य किसी भी तरीके से यह पहले ही फेल हो चूका है , उसको पुनः दोहराना कार्यकर्तावों, प्रचारकों और शुभचिंतकों की बुद्धिमानी नहीं होगी !

आजादी के इस संघर्ष में आप सभी मूलनिवासियों के साथ, 

जय मूलनिवासी !

चमन लाल
Coordinator (BAMCEF Constitution Restructuring committee)

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