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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, June 23, 2013

विज्ञापन की मलाई ने बंद कर दिए उत्‍तराखंड के चैनलों के मुंह!

विज्ञापन की मलाई ने बंद कर दिए उत्‍तराखंड के चैनलों के मुंह!

उत्तराखंड में आयी तबाही में मरनेवालों की संख्या हजारों में है लेकिन टेलीविजन स्क्रीन पर और अखबारों में यह संख्‍या शुरुआती दौर में बहुत ही कम बताई जा रही थी. आपदा प्रबंधन में असफल बहुगुणा सरकार की पोल खोलने की बजाय तमाम टीवी चैनल दूसरी खबरों पर फोकस कर रहे थे. तो इसके पीछे कारण कुछ और नहीं बल्कि विज्ञापन का लॉलीपाप था. सरकार ने पंद्रह और सत्रह जून को 16 न्‍यूज चैनलों को विज्ञापन जारी किए.

इसी विज्ञापन की हड्डी पाकर चैनल भौंकने की बजाय कूं कूं करते दिख रहे थे. जब आई नेक्‍स्‍ट ने चैनलों को करोड़ों बांटे जाने का खुलासा किया तो सरकार आनन फानन में सारे विज्ञापनों पर तात्‍कालिक रोक लगा दी. हालांकि सभी को आश्‍वासन दिया गया है कि आपदा की विपदा से बाहर निकलते ही यह विज्ञापन उन लोगों को दे दिए जाएंगे. लिहाजा चैनल आपदा में सरकार बहादुर की असफलता दिखाने की बजाय दूसरे तरह की नौटंकी कर रहे हैं.

इसमें भी खास बात यह रही कि ये विज्ञापन ऐसे चैनलों को भी दिए गए जिनमें से ज्‍यादातर उत्‍तराखंड में दिखते भी नहीं है. ये सारे काम इसलिए किए गए ताकि चैनल विज्ञापन की लालच में सच्‍चाई दिखाने की बजाय कूड़ा-कचरा दिखाएं. जबकि सच्‍चाई यह है सरकार अगर सही समय पर आपदा प्रबंधन करने में सफल रहती तो बहुतों के जान बचाए जा सकते थे. पर बिकाऊ मीडिया के दौर में अब वही खबरें बाहर आती हैं, जिनसे चैनल को कोई फायदा ना होता हो.

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