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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, June 13, 2013

औद्योगिक गलियारे से बंगाल के औद्योगिक माहौल सुधरने की उम्मीद अभी बनी नहीं!

औद्योगिक गलियारे से बंगाल के औद्योगिक माहौल सुधरने की उम्मीद अभी बनी नहीं!


बेलगाम स्पीड के बलि होते हाईवे क्रास करते लोग!शाम के बाद तो ये स्वर्णिम राजमार्ग मृत्युपथ में तब्दील हो जाते हैं!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे को शुक्रवार को हरी झंडी दे दी और इसकी संभाव्यता रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समूह का गठन किया है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआईसी) के बाद यह इस तरह का दूसरा गलियारा है। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे पर काम चल रहा है।लेकिन बंगाल में भूमि अधिग्रहण नीति और राजमार्गों के मौजूदा हालात के मद्देनर इस औद्योगिक गलियारे से राज्य के औद्योगिक माहौल सुधरने की उम्मीद अबी बनी नहीं है।


यदि अमृतसर से कोलकाता तक औद्योगिक गलियारा बनता है तो दुनिया के कुछ घनी आबादी वाले क्षेत्रों में शामिल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास को एक नई दिशा और गति मिलेगी। गौरतलब है कि इन छह राज्यों में देश की 40 फीसदी आबादी रहती है।इस गलियारे में अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अंबाला, सहारनपुर, दिल्ली, रुड़की, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, हजारीबाग, धनबाद, आसनसोल, दुर्गापुर और कोलकाता जैसे शहर पड़ते हैं जो इस समय भी औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात हैं।जब औद्योगिक गलियारा तैयार हो जाएगा तो इसके किनारे कुछ नए औद्योगिक शहर के बसने का भी रास्ता खुलेगा।


सोमवार की रात आठ बजे के करीब राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर छह पर अंकुरहाटि चेकपोस्ट क्रासिंग से रास्ता पार करते मोटरबाइक पर सवार दो लोगों की मौके पर मौत हो गयी।ऩाराज स्थानीय वासिंदों ने ट्राफिक जाम कर दिया। रैफ उतारकर लाशे कब्जे में लेकर यातायात चालू किया गया। हफ्ते में दो चार दिन अंकुरहाटि चेकपोस्ट पर यह नजारा दिखने को मिल जाता है। आजकल रानीहाटी, अंकुरहाटी, कोना, शलप से लेकर जयपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर छह और  राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर दो को चौड़ा किये जाने का काम तेजी पर है। भूमि अधिग्रहण की समस्या की वजह से यह काम काफी धीमी गति से चल रहा है। ऊपर से इन राजमार्गों के किनारे बसे लोगों के लिए रास्ता पार करने की व्यवस्था न होने के कारण रोजाना कहीं न कहीं दुर्घटना होते रहने के कारण कानून और व्यवस्था की भी भारी समस्या खड़ी हो जाती है।इसीतरह निमता से लेकर कल्याणीतक कल्याणी हाईवे को बी चौड़ा किया जा रहा है। पर्यावरण को ताक पर रखते हुए हजारों की तादाद में बेरहमी से पेड़ काटे जा रहे हैं। इन राजमार्गों के किनारे गैरकानूनी तौर पर पार्किंग कहीं भी देखी जा सकती है , जिससे फुटपाथ गायब हो गया है। लोगदों को तेज गति से आ रहे वाहनों के बीच रास्ता बनाते हुए राजमार्ग पर चलना पड़ता है, जबकि राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटना के बाबत कोई मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जा सकता। राजमार्ग पर पैदल चलने की मनाही है। राजमार्ग को निर्दिष्ट स्थानों के अलावा पार भी नहीं किया जा सकता।राजमार्ग पर पड़ने वाले हजारों गांवों के लोग रोजाना जान हथेली पर लेकर घर और काम की जगह जाने की मजबूरी से रास्ता पार करते हैं और दुर्घटनाएं होती रहती है।


औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) सचिव की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालय समूह (आईएमजी) का गठन किया जाएगा जिसमें आर्थिक मामलों, सड़क परिवहन, जहाजरानी मंत्रालय के सचिव एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन शामिल होंगे।एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि यह समूह ढांचागत एवं वित्तीय व्यवस्था  के साथ अमतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे की स्थापना की व्यवहार्यता का अध्ययन करेगा। समूह एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। यह गलियारा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगा।



हाईवे से लेकर बालि ब्रिज तक करीब एक किलोमीटर रास्ते पर दर्जनों जगह पर स्पीड ब्रेकर अनावश्यक ढंग से बेतरतीब लगा दिये गये हैं। लेकिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर पड़ने वाले गांवों और कस्बों में न स्पीड ब्रेकर हैं और न ट्राफिक सिगनल। कहीं कहीं क्रासिंग पर कभी कभी पुलिस नजर आती है, लेकिन इतने महत्वपूर्म राजमार्गों की कोई निगरानी आमतौर पर नहीं होती। वाहनों में क्या क्या ढोया जाता है किसी को कोई अंदाजा नहीं है। पचासों मील चलने के बावजूद कहीं भी गश्ती पुलिस नजर नहीं आती।


शाम के बाद तो ये स्वर्णिम राजमार्ग मृत्युपथ में तब्दील हो जाते हैं। शलप में प्रेतनगरी कोलकाता वेस्ट की तरह कहीं भी राजमार्ग पर रोशनी न होने से बेलगाम स्पीड से आये दिन दुर्घटनाओं में मारे जाने को अभिशप्त लोग बस अपनी बारी के इंतजार में जी रहे होते हैं।


ये राजमार्ग दरअसल भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा)  के मातहत है और राज्य सरकार उसके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करता।भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा) भारत का सरकारिक का उपक्रम है। इसका कार्य इसे सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रखरखाव और प्रबन्धन करना और इससे जुड़े हुए अथवा आनुषंगिक मामलों को देखना है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन संसद के एक अधिनियम, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 के द्वारा किया गया था। प्राधिकरण ने फरवरी, 1995 में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के साथ कार्य करना शुरू किया।


भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (भाराराप्रा) को आम जनता की तकलीफों से कुछ लेना देना नहीं है।अपने इलाकों में तो राष्ट्रीय राजमार्गों का घनत्व बहुत कम है और यदि कुछ मार्ग हैं भी तो उनका रख-रखाव सही ढंग से नहीं होता। उनमें से अधिकांश में जहां-तहां गङ्ढे दिखाई देते हैं, जिनमें बरसात में पानी भर जाता है और फिर तो उन पर बाहन चला रहे लोगों के लिये भयंकर परेशानी का सबब बन जाता है।सड़कों की पामीर जैसी गांठे जो नक्शे में कोलकाता और हैदराबाद के पास भी देखी जा सकती है, लेकिन वे गांठ राष्ट्रीय राजमार्गों की नहीं, बल्कि राज्य के राजमार्गों की हैं। उन राज्यों का निर्माण और रख-रखाव केंद्र सरकार के पैसे से नहीं होता, बल्कि राज्य सरकारों के पैसे से होता है।दिल्ली में रह रहे अधिकांश भारतीय देश की सड़कों के मानचित्र से अवगत नहीं है। इस मानचित्र में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को बहुत महत्व मिला है। देश के अनेक राष्ट्रीय राजमार्गों की गांठ यहां देखी जा सकती है। दिल्ली में राष्ट्रीय राजमार्गों का घनत्व बहुत ही ज्यादा है। जब हम इस इलाके की जनसंख्या और आर्थिक योगदान को देखें, तो उनके मुकाबले इस क्षेत्र में मिले राष्ट्रीय राजमार्ग बहुत ज्यादा है।


कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय सिटी राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर छह दिल्ली रोड पर वर्षों से टूटे हुए सलप पुल से हर शाम अंधेरे में डूबी प्रेतनगरी नजर आता ​​है। इस पुल का एक हिस्सा टूटा हुआ है, तो दूसरे हिस्से के वनवे से गाड़ियां आती-जाती हैं। इस वजह से रोजाना ट्राफिक जाम इस अतिव्यस्त राजमार्ग और आगे चलकर इससे जुड़ने वाले मुंबई रोड की रोजमर्रा की जिंदगी है।इस महत्वपूर्ण वाणिज्यपथ के पुल पर किसी गाड़ी के अटक जाने से घंटों तक आवागमन रुक जाता है। विकास का ढोल पीटने वाली सरकार एक पुल की वर्षों से मरम्मत नहीं कर पा रही। अंधेरे में डूबे पुल के नीचे पूरब में दूर-दूर तक फैली कोलकाता पश्चिम अंतरराष्ट्रीय सिटी को देखते हुए बंगाल के हालात का सही जायजा लिया जा सकता है।


राष्ट्र की राजधानी दिल्ली को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (National Highway 2) 1,465 कि.मी. सड़कमार्ग है। दिल्ली से पश्चिम बंगाल स्थित कोलकाता पहुँचने तक यह हरयाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड राज्यों से होकर गुजरती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (National Highway 2) के अन्तर्गत आने वाले मुख्य नगर हैं – फरीदाबाद, मथुरा, आगरा, इटावा कानपुर, फतेहपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, सासाराम, औरंगाबाद, धनबाद आदि।


राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (National Highway 2) प्राचीन ग्राण्ड ट्रंक रोड, जो कि अब राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (National Highway 1) और राष्ट्रीय राजमार्ग 2 (National Highway 2) में विभाजित हो चुका है, का हिस्सा है।


राष्ट्रीय राजमार्ग ६ का सामान्यतः NH_6 के रूप में उल्लेख किया गया है । यह एक व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्ग है जो कि  दक्षिण गुजरात , महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , झारखंड और पश्चिम बंगाल जोड़ता है ।यह आधिकारिक तौर पर 1949 किलोमीटर से अधिक लंबा है।


सड़कें जितनी विकसित होंगी, विकास दर भी उतनी ही ज्यादा मजबूत होगी। इसलिये विकास के ग्लोबल स्टैंडर्ड को प्राप्त करने के लिये सड़कों के भी ग्लोबल स्टैंडर्ड का होना चाहिये। लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो घटनाएं घट रही हैं, उनसे पता चलता है कि यह प्राधिकरण किस तरह पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और दिल्ली व आसपास के इलाकों के अलावा देश के अन्य हिस्सों की उपेक्षा कर रहा है। पश्चिम बंगाल में एक राष्ट्रीय राजमार्ग की खस्ता हाल देखकर पर उस पर यात्रा कर रहे कोलकाता हाईकोर्ट के एक जज ने तो एक जनहित याचिका ही दायर कर दी। उसके बारे में पता चला कि प्राधिकरण उस सड़क के रखरखाव के लिये धन नहीं उपलब्ध नहीं करवा रहा है।


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