इंडस्ट्री और आम आदमी दोनों की ऐसी तैसी होने वाली है डीटीसी के तहत नये आयकर प्रावधानों से।सभी बीमा पालिसी में आयकर छूट नहीं मिलने वाली!
सरकार ने वोडाफोन के ढाई हजार करोड़ रुपये मय ब्याज लौटा दिए पर बजट प्रावधानों के लागू हो जाने के बाद आयकर विभाग फिर टैक्स क्लेम कर सकता है।
बजट में डीटीसी लागू न होने पर भी अन्य प्रावधान लाए गए हैं। पहली अप्रैल के बाद से इंश्योरेंस के लिए ज्यादा पैसे चुकाने होंगे। इसी दिन से इंश्योरेंस सेक्टर में नए नियम लागू हो रहे हैं। आयकर ढांचे और कानून के पीछे उद्योग जगत वोडाफोन टैक्स रिफंड मामले की बड़ी भूमिका देख रहा है।वित्त वर्ष 2012-13 के बजट में वोडाफोन-हचिसन जैसे अन्य सौदों को कर दायरे में लाने के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आयकर कानून में संशोधन और उसे पिछली तिथि से लागू करने के प्रस्ताव दिया है जिससे उद्योग जगत आशंकित है।फिलहाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वोडाफोन को टैक्स रिफंड करना पड़ा। पर बजट प्रावधानों के लागू हो जाने के बाद आयकर विभाग फिर टैक्स क्लेम कर सकता है। वोडाफोन मामले को देश में पूंजी निवेश के मामले में काफी सकरात्मक मान कर चल रहा था बाजार। पर ताजा घटनाक्रम को देखते हुए आयकर मामले में इंड्स्ट्री को सरकार के इरादे पर शक है। यहीं नहीं, नये आयकर प्रावधानों से इंडस्ट्री के अलावा बीमा धारक आम नागरिकों की जेब पर भी कैंची चलने की आशंका है।बजट में सर्विस टैक्स की दर बढ़ाने के ऐलान के चलते ऐसा हुआ है। वित्त मंत्री ने इस बजट में सर्विस टैक्स को बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है। इसके चलते हेल्थ, मोटर, होम सभी तरह के इंश्योरेंस महंगे होने जा रहे हैं।ट्रेडिशनल लाइफ इंश्योरेंस प्लान पर पहले साल के प्रीमियम पर 1.5 फीसदी के बजाय 3 फीसदी सर्विस टैक्स चुकाना होगा। इसके अलावा सम अश्योर्ड प्रीमियम का 10 गुना नहीं होने पर टैक्स छूट का फायदा नहीं मिलेगा। अब तक सम अश्योर्ड प्रीमियम के 5 गुना होने पर टैक्स छूट मिलती थी। मालूम हो कि डीटीसी के तहत तमाम भत्तों को आयकर दायरे में लाने का प्रस्ताव है और भविष्य निधि व बीमा के लिए दी जाने वाली आयकर छूट खत्म की जानी है। डीटीसी लंबित जरूर है पर वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने डीटीसी के तहत आयकर प्रावधानों में जो परिवर्तन किये हैं, उससे अब सभी बीमा पालिसी में आयकर छूट नहीं मिलने वाली। यूलिप तो अब सीधे आयकर दायरे में है।आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आयकर में बचत के लिए एक लाख रुपये की सीमा तक जीवन बीमा योजना, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), एंप्लाइ प्रोविडेंट फंड, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट, एनपीएस आदि में निवेश किया जा सकता है। यूलिप योजनाओं की बिक्री में गिरावट देखने को मिली है। बीमा कंपनियों ने फोकस जरूर यूलिप की बजाय अन्य ट्रेडिशनल पॉलिसी की ओर किया है। कुल मिलाकर इंडस्ट्री और आम आदमी दोनों की ऐसी तैसी होने वाली है डीटीसी के तहत नये आयकर प्रावधानों से।
वोडाफोन टैक्स मामले में मिली हार से सरकार ने बजट में इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा है। कानून में बदलाव 1 अप्रैल 1962 से लागू माने जाएंगे।संशोधन के बाद कंपनियों को विदेशी सब्सिडियरी के जरिए सौदों पर भी आयकर चुकाना होगा, अगर कंपनियों के पास भारतीय एसेट्स हैं।प्रस्ताव पर प्रणव मुखर्जी का कहना है कि कानून में कुछ खामियां रह गई थी जिसे सिर्फ सुधारा गया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि वोडाफोन ट्रांजैक्शन में पुरानी तारीख से टैक्स वसूली करने के कदम से विदेशी निवेशकों का भरोसा कम नहीं होगा। साथ ही पुरानी से तारीख से टैक्स कानून में बदलाव करना जायज है।
गौरतलब है कि ब्रिटेन की वोडाफोन ने मई, 2007 में हांगकांग के हचिसन समूह की हचिसन एस्सार में 67 फीसदी हिस्सेदारी 11.2 अरब डॉलर में खरीदी थी। भारत में एस्सार समूह की हिस्सेदारी वाली संयुक्त उद्यम कंपनी हचिसन-एस्सार पहले देश में हच ब्रांड के तहत मोबाइल सेवा दे रही थी। आयकर विभाग ने इस अधिग्रहण पर वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स को 11,000 करोड़ रुपये का कर वसूली नोटिस भेजा था। विभाग का मानना था कि अधिग्रहण भारतीय संपत्तियों का हुआ है, इसलिए वोडाफोन पर कर की देनदारी बनती है। बंबई हाई कोर्ट में आयकर विभाग के पक्ष में मामला जाने के बाद वोडाफोन इसे शीर्ष अदालत में ले गई थी।
वोडाफोन आयकर मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है। शीर्ष अदालत सरकार की पुनर्विचार याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा है कि वोडाफोन और एस्सार-हचिसन सौदे में 11 हजार करोड़ रुपये का कैपिटल गेन टैक्स लगाना आयकर विभाग के दायरे में नहीं आता। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 20 जनवरी को वोडाफोन पर टैक्स के आयकर विभाग के दावे को खारिज कर दिया था।सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने के कुछ ही घंटे बाद सरकार ने वोडाफोन के ढाई हजार करोड़ रुपये मय ब्याज लौटा दिए। इसकी पुष्टि खुद दूरसंचार कंपनी के प्रवक्ता ने की है। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट के याचिका खारिज करने के कुछ ही देर बाद कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का बयान आया था कि सरकार कंपनी को ये पैसे लौटा देगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की ओर से मंगलवार शाम आनन-फानन बैठक बुलाई गई। इसमें खुर्शीद के अलावा गृह मंत्री पी चिदंबरम, संचार मंत्री कपिल सिब्बल और अटार्नी जनरल जीई वाहनवती शामिल थे। खुर्शीद ने बैठक के बाद कहा कि पुनर्विचार याचिका सरकार के पास उपलब्ध आखिरी न्यायिक उपचार है। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को अपने निर्णय में बंबई हाई कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए आयकर विभाग को वोडाफोन द्वारा जमा कराए गए 2,500 करोड़ रुपये 4 प्रतिशत ब्याज के साथ दो माह में लौटाने को कहा था।
वित्त मंत्रालय ने आज तमाम आशंका को दूर करते हुए कहा कि कराधान के लिए 6 साल पुराने मामलों को खोला नहीं जा सकता है।बजट के बाद उद्योग संगठनों के साथ रविवार को बैठक में मुखर्जी ने कहा, 'हम 1962 से मामले नहीं खोलने जा रहे हैं। यह कानूनी जरूरत है। जब हम किसी चीज की व्याख्या करते हैं और कानून इसे हमारी मंशा बताता है तो मामला वहां पहुंच जाता है जब उस कानून को बनाया गया था। लेकिन आयकर कानून में ऐसे प्रावधान भी हैं कि हम 6 साल से पुराने मामले को नहीं खोल सकते हैं। ऐसे में हम 1962 से पुराने मामले को नहीं खोलने जा रहे हैं।' उन्होंने उद्योग जगत को आश्वस्त करते हुए कहा कि इस मसले पर अनुचित कार्रवाई नहीं होगी।वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि 6 साल की मौजूदा सीमा की जगह 16 साल पुराने मामले को खोलने के प्रस्ताव का वोडाफोन जैसे मामलों से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव विदेश में परिसंपत्तियों से जुड़ा है। वित्त सचिव आर एस गुजराल ने कहा कि सरकार कर में निश्चितता की बात कर रही है। उन्होंने कहा, 'हां, निश्चित तौर पर इस तरह के लेनदेन कर के दायरे में आएंगे, इस बात की पूरी संभावना है।'योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि आमतौर पर कानून में संशोधन को पिछली तिथि से लागू नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने वोडाफोन जैसे सौदों पर कर लगाने के लिए आयकर कानून में प्रस्तावित संशोधन को उचित करार दिया। हालांकि प्रस्तावित संशोधन का वोडाफोन पर पडऩे वाले असर के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने सरकार की याचिका को सुनवाई के दौरान एक वाक्य में डिसमिस करार दे दिया। केंद्र ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले पर फिर से विचार करने के संबंध में तमाम तर्क प्रस्तुत किए थे। शीर्ष अदालत ने वोडाफोन की याचिका पर बंबई हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में ही स्पष्ट कर दिया था कि वोडाफोन और हचिसन-एस्सार के बीच हुआ सौदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों के दायरे में आता है। इसलिए इस पर आयकर नियम लागू नहीं होते।
सरकार ने पिछले महीने 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार दाखिल की थी। केंद्र ने इसके बाद 16 मार्च को संसद में पेश बजट में कंपनियों के अधिग्रहण के मामलों में कैपिटल गेन टैक्स के आयकर अधिनियम के प्रावधान को संशोधित करने का प्रस्ताव भी किया है। अधिनियम की धारा 149 में बदलाव कर सरकार ने ऐसे पुराने मामलों में भी आयकर वसूलने की अपनी मंशा साफ कर दी है। अभी तक इस धारा के तहत 6 साल पुराने मामलों में ही आयकर विभाग कर संबंधी नोटिस भेज सकता है, लेकिन अब यह अवधि बढ़ाकर 16 साल कर दी गई है। यह बदलाव 1 जुलाई, 2012 से लागू होगा।
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