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Memories of Another day

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Thursday, April 5, 2012

अगले सैन्य प्रमुख पर अभी से उठने लगे सवाल

अगले सैन्य प्रमुख पर अभी से उठने लगे सवाल

hursday, 05 April 2012 10:04

नई दिल्ली, 5 अप्रैल (एजेंसी)। पूर्व नौकरशाहों ने लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह के अगले सैन्य प्रमुख के रूप में नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 
नौसेनाध्यक्ष (सेवानिवृत्त) रामदास, वरिष्ठ पत्रकार सैम राजप्पा, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी और एमजी देवासहायम ने अपने 60 पेजों की जनहित याचिका में कहा कि बिक्रम सिंह की नियुक्ति निजी और राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करवाने के लिए की जा रही है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी जिक्र किया गया है जिसके तहत पीजे थॉमस की मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में तब नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी, जब इस पद के लिए उनकी योग्यता सवालों के घेरे में आ गई थी।
मौजूदा समय में बिक्रम सिंह पूर्वी कमांड के प्रमुख हैं। तय कार्यक्रम के तहत जनरल वीके सिंह की 31 मई 2012 में सेवानिवृत्ति के बाद वे सैन्य प्रमुख का पद संभालने वाले हैं। जनहित याचिका में बिक्रम सिंह के खिलाफ तीन मामलों को उठाया गया है जो उनकी योग्यता को संदेह के घेरे में लाते हैं। पहला मामला जम्मू कश्मीर में 2001 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ का है जिसमें सिंह भी शामिल थे। मुठभेड़ में मारे गए युवक जैतुना की मां ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में आरोप लगाए थे कि उसका बेटा रोज मजदूरी कर अपना पेट भरता था। लेकिन अनंतनाग में हुई एक फर्जी मुठभेड़ में विदेशी आतंकवादी बताकर उसकी हत्या कर दी गई। बिक्रम सिंह उस समय राष्टÑीय रायफल्स के ब्रिगेडियर कमांडर थे और उस मुठभेड़ में घायल भी हुए थे। उन्हें उनकी इस बहादुरी के लिए मेडल भी दिया गया  था। इस मुठभेड़ में एक अन्य अधिकारी सहित सेना के एक जवान की भी मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दिए एक ताजा बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि यह मुठभेड़ वास्तविक थी।

जनहित याचिका में वादकारियों ने कहा है कि वह व्यक्ति विशाल भारतीय सेना की अगुआई कैसे कर सकता है जिसके खिलाफ एक राज्य के हाई कोर्ट में आपराधिक मुकदमा चल रहा है। थॉमस के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ही फैसले को आधार बनाकर याचिका में कहा गया है कि बिक्रम सिंह जैसे अधिकारी स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से भारतीय सेना को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे। बिक्रम सिंह के खिलाफ दूसरा मामला 2008 में कांगो में संयुक्त राष्टÑ का शांति मिशन भेजने के समय का है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस मिशन के दौरान बिक्रम सिंह अपने मातहत कुछ गैरजिम्मेदार अधिकारियों पर नियंत्रण पाने में नाकाम रहे थे। याचिका में दावा किया गया है कि सैन्य अदालत में यह मामला लटका पड़ा है। बिक्रम सिंह कांगो के बहु देशीय शांति मिशन के डिप्टी फोर्स कमांडर थे। 1990 के शुरुआत में सिंह ने निकारागुआ और अलसल्वाडोर में संयुक्त राष्टÑ के पर्यवेक्षक के रूप में भी सेवा दी थी।
तीसरे मुद्दे में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के जन्मतिथि विवाद पर दस फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। लेकिन इस पर अभी तक अनिश्चितता बनी हुई है। वीके सिंह के जन्मतिथि विवाद के अनसुलझा रहते हुए बिक्रम सिंह की नियुक्ति सेना प्रमुख के तौर पर कैसे हो सकती है। अदालत यह तय नहीं कर पाई कि सिंह की जन्मतिथि 1950 है या 1951। इसके बाद तो सरकार के फैसले से ही उनकी सेवा का कार्यकाल तय होता है।

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