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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Tuesday, April 3, 2012

Fwd: [अपना मोर्चा] नामवर जी बोलने में बेहद उदार हैं. तरुण विजय हों...



---------- Forwarded message ----------
From: Nilakshi Singh <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/4/4
Subject: [अपना मोर्चा] नामवर जी बोलने में बेहद उदार हैं. तरुण विजय हों...
To: अपना मोर्चा <ApnaMorcha@groups.facebook.com>


नामवर जी बोलने में बेहद उदार हैं. तरुण विजय...
Nilakshi Singh 12:17am Apr 4
नामवर जी बोलने में बेहद उदार हैं. तरुण विजय हों या अज्ञेय, वह खुलकर प्रशस्ति-गायन में संलग्न पाए जा रहे हैं. उनकी तमाम लीलाएं चर्चा के घेरे में हैं. वैसे भी पिछले काफ़ी समय से विचारधारा को लेकर उनकी अंतरात्मा उन्हें तनिक भी नहीं कचोटती दिखती. अगर नामवर की भक्त-मंडली इस मुद्दे पर उनसे सवाल नहीं पूछ सकती तो यह उस मंडली की कमजोरी नहीं, बल्कि खुद नामवर की विफलता है, जो अपने लोगों में सवाल पूछने की कुव्वत पैदा नहीं कर सके. यह उस तेज-तर्रार नामवर की विफलता है, जिसने कई मठ तोड़े. तरुण विजय तो नामवर का चंदन लगाने में कामयाब हो ही गए हैं, लेकिन नामवर रूपी चंदन से सवाल तो किया ही जाना चाहिए कि वे कैसे कैसों को खुद से लिपटने का मौका दिए जा रहे हैं.

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