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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, July 19, 2012

Fwd: सिनेमा: कल्पना पर कब्जा और प्रतिरोध



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/19
Subject: सिनेमा: कल्पना पर कब्जा और प्रतिरोध
To: deewan@sarai.net


पहले फिल्म के कैरेक्टर गरीब होते थे, झुग्गी झोपड़ी में रहते थे. अमिताभ बच्चन की फिल्म कुली याद करिए, जिसमें वह इकबाल नाम के कुली हैं और ट्रेड यूनियन से जुडे हैं. वह जमाना गया; आज हमारी फिल्म का हीरो कौन है? अम्बानी है. गुरू फिल्म को याद करें. तो आज की फिल्मों के ये हीरो हैं. आज कुछ फिल्में गरीबी पर बन जाती हैं जैसे स्लमडाग मिलेनियर, लेकिन इसमें गरीबी को साइक्लोन, भूकम्प की तरह भगवान का बनाया हुआ बताया जाता है. इसमें कोई विलेन नहीं होता और इस तरह से हमारे इमैजिनेशन पर कब्जा कर बत़ाया जाता है कि एनजीओ और कार्पोरेट की मदद से गरीबी को खत्म किया जा सकता है.

अरुंधति राय का एक भाषण

सिनेमा: कल्पना पर कब्जा और प्रतिरोध



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