अब भारत सरकार की जरुरत क्या है?
संसद के भरोसे उदारीकरण कब रुका है, जो रुक जायेगा? सार्वभौम राष्ट्र में अलगअलग राज्य अमेरिका और दूसरे देशों का उपनिवेश बनता जा रहा है। केंद्र सरकार ने खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी के सवाल पर राज्यों को निर्मय की आजादी देकर देश के संघीय ढांचा और समता के सिद्धांत को पहले ही तिलांजलि दी है। राज्यों के क्षत्रपों की महात्वाकांक्षा के चलते अलगाववाद और अन्य राज्यों के भारतीय नागरिकों बहिष्कार तिरस्कार से एकता और अखंडता वैसे ही खतरे में है। विदेशी पूंजी की अंधी दौड़ रही सही कसर पूरी कर देगी। सुधारों की गाड़ी पर सवार केंद्र सरकार का इरादा अब पीछे मुड़कर देखने का नहीं है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भारत सरकार की जरुरत क्या है?अब अमेरिका सीधे राज्य सरकारों से सौदे करने में लगा है। बंगाल में हिलेरिया की सवारी से शुरू हुआ यह सिलसिला तेज होता जा रहा है। अब भारत सरकार की जरुरत क्या है? अमेरिकी अर्थव्यवस्था कछुए के रफ्तार से चल रही है और यूरोप की अर्थव्यवस्था यूरोपियन सेंट्रल बैंक के नोट छापने की वजह से जिंदा है।देश को अमेरिका और यूरोप बनाने की जुगत में देश को तोड़ देने का काम हो रहा है।एक अमेरिकी व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की। कहा जा रहा है कि इस मुलाकात में प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश में निवेश को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा की।मध्य प्रदेश में निवेश और औद्योगिक विकास से जुड़े लोगों के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि राज्य में भारत-अमेरिका व्यवसाय सम्मेलन आयोजित करने पर सहमति बन गई हैराज्य सरकार की ओर जारी बयान में बताया गया कि अमेरिका यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिन वाशिंगटन में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और भारतीय उद्योग परिसंघ व्यवसाय सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस अवसर पर भारत-अमेरिका व्यवसाय सम्मेलन मध्यप्रदेश में आयोजित करने पर सहमति बनी। समय और स्थान बाद में तय होंगे।इस मौके पर मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश भारत के राज्यों में सबसे तेज गति से निवेश क्षेत्र के रूप में सामने आया है। राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की भरपूर सम्भावनाएं हैं।।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंध मैत्रीपूर्ण हैं। भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा विदेशी पूंजी निवेश का स्त्रोत है। भारत में कुल विदेशी पूंजी निवेश में छह प्रतिशत योगदान अमेरिका का है।तो युवराज राहुल गांधी ताजपोशी की तैयारी में कश्मीर में औद्योगीकरण की मुहिम चलाने में जुट गये। पूंजी का खेल कश्मीर में शुरू हो गया,तो बाकी देश के मुकाबले उसकी प्रतिक्रिया विस्फोटक होगी।अधिकांश आर्थिक सुधारों की घोषणा हो चुकी है और बाजार के अब एक सीमित दायरे में ही रहने की उम्मीद है। हालांकि, नवंबर माह में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले बाजार में एक करेक्शन देखा जा सकता है।आर्थिक सुधारों से संबंधित कईं महत्वपूर्ण बिलों को वास्तविकता में बदलने से पहले संसद की मंजूरी दिलानी होगी और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा विशेष रूप से एफडीआई की सीमा बढ़ाए जाने के खिलाफ दिखाई दे रही है। पर संसद के भरोसे उदारीकरण कब रुका है, जो रुक जायेगा? सार्वभौम राष्ट्र में अलगअलग राज्य अमेरिका और दूसरे देशों का उपनिवेश बनता जा रहा है। केंद्र सरकार ने खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी के सवाल पर राज्यों को निर्मय की आजादी देकर देश के संघीय ढांचा और समता के सिद्धांत को पहले ही तिलांजलि दी है। राज्यों के क्षत्रपों की महात्वाकांक्षा के चलते अलगाववाद और अन्य राज्यों के भारतीय नागरिकों बहिष्कार तिरस्कार से एकता और अखंडता वैसे ही खतरे में है। विदेशी पूंजी की अंधी दौड़ रही सही कसर पूरी कर देगी। सुधारों की गाड़ी पर सवार केंद्र सरकार का इरादा अब पीछे मुड़कर देखने का नहीं है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आगे और सुधारों का वादा करते हुए बीमा व पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ संबंधी विधेयकों को पारित कराने के लिए भाजपा समेत पूरे विपक्ष से बातचीत का रास्ता खोलने की बात कही है। सुधारों की गाड़ी पर सवार केंद्र सरकार का इरादा अब पीछे मुड़कर देखने का नहीं है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आगे और सुधारों का वादा करते हुए बीमा व पेंशन क्षेत्र में एफडीआइ संबंधी विधेयकों को पारित कराने के लिए भाजपा समेत पूरे विपक्ष से बातचीत का रास्ता खोलने की बात कही है। वित्त मंत्री शनिवार को रिजर्व बैंक [आरबीआइ] व भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] के अधिकारियों और विदेशी निवेशकों के साथ बैठक करने मुंबई आए थे।चिदंबरम ने कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख सूचकांक निफ्टी में शुक्रवार को अचानक आई भारी गिरावट [फ्लैश क्रैश] की जांच जारी है। इस मामले में बाजार नियामक सेबी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज [एनएसई] उचित कदम उठाएंगे। वित्त मंत्री ने निवेशकों को शेयर बाजार में किसी तरह की संरचनात्मक जोखिम नहीं होने का भी भरोसा दिलाया। शुक्रवार को एक ब्रोकिंग फर्म एमके ग्लोबल द्वारा गलत सौदे लगाए जाने से एनएसई का निफ्टी 900 अंक से ज्यादा लुढ़का था। वैसे, कुछ ही मिनटों में हालात सामान्य हो गए थे।
रसोई की आग में झुलसती जनता के खिलाफ जंग जारी!सातवां ही नहीं, अब पहला सिलेंडर भी महंगा पड़ेगा।केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने शुक्रवार को रसोई गैस एजेंसी संचालकों का कमीशन बढ़ा दिया और उसका भार उपभोक्ताओं पर डाल दिया। इसी के कारण दामों में यह वृद्धि हुई है। नई दरें शुक्रवार से लागू हो गईं। ममता बनर्जी ने सरकार के इस फैसले को जनविरोधी करार दिया है। उन्होंने फेसबुक पर टिप्पणी की है, 'आपको पता है कि यूपीए-2 के दौरान एलपीजी की कीमतें कितनी बार बढ़ी हैं और इससे आम आदमी पर बोझ बढ़ा है? सरकार ने एक बार फिर इसकी कीमतें बढ़ा दी हैं। ...वेरी बैड, वेरी सैड।' हालांकि, एजेंसी के गोदाम से खुद गैस सिलेंडर लाने पर 15 रु. कम चुकाने होंगे।
अब दवाओं की कीमतें बभी बढ़ेंगी।मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने आवश्यक दवाओं की कीमतें तय करने के लिए बाजार आधारित फार्मूले की सिफारिश की है। इसके तहत बाजार में 1 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली सभी दवाओं की औसत कीमत के आधार पर दवाओं की कीमतें तय की जाएंगी।आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्रस्तावित न्यू फार्मा प्राइसिंग पॉलिसी (एनपीपीपी) अगले सप्ताह कैबिनेट में विचार के लिए रखी जा सकती है। फार्मास्युटिकल्स विभाग इसके लिए कैबिनेट नोट को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फार्मास्युटिकल्स विभाग दवा कंपनियों के लिए कुछ शर्तें भी जोड़ सकता है।सूत्रों के मुताबिक न्यू फार्मा प्राइसिंग पॉलिसी को अंतिम निर्णय के लिए अगले सप्ताह कैबिनेट में भेजा सकता है। अगले सप्ताह सरकार को सुप्रीम कोर्ट को आवश्यक दवाओं की कीमतें नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी भी देनी है। ऐसे में फार्मास्युटिकल्स विभाग आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक शर्त जोड़ सकता है जिसके तहत दवा कंपनियों के लिए निश्चित मात्रा में आवश्यक दवाओं का उत्पादन करना जरूरी होगा।इस फार्मूले से बाजार में बिकने वाली लगभग 30 फीसदी दवाएं प्राइस कंट्रोल के दायरे में आ सकेंगी। मौजूदा समय में ड्रग प्राइस कंट्रोल आर्डर 1995 के तहत 78 दवाएं प्राइस कंट्रोल के दायरे में हैं। फार्मा सेक्टर से जुड़े विश्लेषकों का मानना है कि प्राइस कंट्रोल से बचने के लिए दवा कंपनियां आवश्यक दवाओं के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने वाले फार्मूलेशन के स्थान पर वैकल्पिक फार्मूलेशन का इस्तेमाल कर सकती हैं।ऐसे में कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार की कोशिश बेकार साबित होगी। आवश्यक दवाओं की कीमतें नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने गैर सरकारी संगठन आल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क और अन्य की ओर पेश हुए वकील ने अदालत में बताया है कि प्रस्तावित दवा नीति से आवश्यक दवाओं की कीमतों में इजाफा हो सकता है।
रसोई गैस की कीमत में थोड़ी वृद्धि और हो गई है। तेल कंपनियों ने शनिवार से रसोई गैस एजेंसियों के कमीशन में वृद्धि कर दी है। इसके चलते आम जनता को अब सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के लिए अतिरिक्त 11.42 रुपये प्रति देने होंगे। वैसे, पेट्रोल और डीजल पर भी कमीशन बढ़ाया गया है। पेट्रोल पर कमीशन में लगभग 61 पैसे और डीजल पर 42 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। इसका बोझ फिलहाल ग्राहकों पर डाला जाएगा या नहीं, यह अभी तय नहीं है।सरकार की तरफ से तेल कंपनियों को कहा गया है कि अगले कुछ दिनों में जब पेट्रोल व डीजल की कीमत घटाई जाएगी, तब बढ़े हुए कमीशन को उसमें समायोजित कर लिया जाए। रसोई गैस के 14 किलो वाले सिलेंडर पर कमीशन की मौजूदा दर 25.83 रुपये को बढ़ाकर 38 रुपये कर दिया गया है। इस तरह से कमीशन में 50 फीसद की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि से दिल्ली में सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत अब 410.12 रुपये होगी। वहीं, गैर सब्सिडी वाली गैस का मूल्य 921.5 रुपये होगा।पेट्रोल पर कमीशन की दर को 1.49 रुपये से बढ़ाकर 2.10 रुपये प्रति लीटर किया गया है। डीजल पर इसे 91 पैसे प्रति लीटर से बढ़ाकर 1.33 रुपये कर दिया गया है। इस वृद्धि के बावजूद पेट्रोल पंप मालिक खुश नहीं है। देश के 42 हजार पेट्रोल पंपों के एसोसिएशन के महासचिव अजय बंसल ने कहा, 'पेट्रोल पंप साल भर, चौबीसों घंटे काम करते हैं। उनके लिए कोई छुंट्टी नहीं होती। इसके बावजूद हमारे कमीशन में 10 फीसद की वृद्धि की गई है, जबकि एलपीजी एजेंट के कमीशन में 50 फीसद की वृद्धि हुई है। हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है।'
लेकिन नेशनल फेडरेशन ऑफ एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स ऑफ इंडिया सरकार के फैसले से खुश नहीं है। उसकी मांग है कि कमीशन 65 रुपये बढ़नी चाहिए। फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी पवन सोनी ने कहा कि यह दरअसल महंगाई भत्ता के आधार पर की गई बढ़ोतरी है, जो दो साल से बकाया था। और वैसे भी डीलर अपना कमीशन 65 रुपये बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर को मुलाकात में सरकार ने हमसे 15 दिन का वक्त मांगा था। इस मियाद के बाद हम आगे के कदम के बारे में सोचेंगे।
अगर फेडरेशन की जिद की आगे सरकार झुकती है तो ग्राहकों पर करीब 54 रुपये की मार और पड़ेगी। फेडरेशन जनता पर एक और बोझ डलवाने पर आमादा है। सोनी ने कहा कि मौजूदा नीति के तहत हमें तीन दरों (रियायती, गैर रियायती और व्यावसायिक) पर सिलेंडर बेचना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार डीलरों के लिए सिर्फ एक दाम तय करे और सब्सिडी का पैसा ग्राहकों के बैंक खाते में जमा कराए। अगर ऐसा हुआ तो ज्यादातर ग्राहकों के लिए रसोई गैस का सिलेंडर लेना काफी मुश्किल हो जाएगा।
पांच सदस्यीय अमेरिकी व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से उनके सरकारी आवास पांच-कालीदास मार्ग पर मुलाकात की। समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री अखिलेश आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में ज्यादा-से-ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करने की लगातार कोशिश कर रहे है।
पिछले दिनों में उन्होंने प्रदेश में नई औद्योगिक नीति का ऐलान करने से पहले देश के कुछ उद्योगपतियों के साथ बैठक करके उनसे इस पर सुझाव मांगे थे।
पांच सदस्यीय अमेरिकी व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनके सरकारी आवास पांच-कालीदास मार्ग पर मुलाकात की। समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री अखिलेश आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में ज्यादा-से-ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करने की लगातार कोशिश कर रहे है।
पिछले दिनों में उन्होंने प्रदेश में नई औद्योगिक नीति का ऐलान करने से पहले देश के कुछ उद्योगपतियों के साथ बैठक करके उनसे इस पर सुझाव मांगे थे।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री अखिलेश से शुक्रवार की मुलाकात में अमेरिकी व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल ने सूबे में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की इच्छा जताई। ऐसी खबरे है कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर उनकी सरकार का रुख जानने की कोशिश की। उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी खुदरा कारोबार में एफडीआइ का विरोध कर रही है।
इसी बीच कश्मीर विश्वविद्यालय छात्रों ने शुक्रवार को अलगाववादी सियासत को नकारते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और देश के नामी उद्योगपतियों रतन टाटा, कुमार मंगलम बिरला, राहुल बजाज और दीपक पारेख के साथ मुलाकात की। छात्रों से संवाद के दौरान उद्योगपतियों ने वादा किया कि अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि कश्मीर की अवाम के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएं।राहुल गांधी और देश के नामी उद्योगपति जब सभागार के भीतर छात्रों से संवाद कर रहे थे, ठीक उसी समय विश्वविद्यालय में लॉ विभाग के पास छात्रों का एक गुट राहुल गांधी वापस जाओ के नारे लगा रहा था। नारेबाजी कर रहे छात्रों ने सभागार की तरफ मार्च का भी प्रयास किया, लेकिन इन्हें आगे जाने की अनुमति नहीं मिली। सूत्रों के मुताबिक, राहुल के दौरे का विरोध कर रहे इन छात्रों ने पाकिस्तानी राष्ट्रगान भी गाया, लेकिन किसी ने भी इन लोगों पर ध्यान नहीं दिया।
गौरतलब है कि राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर कुछ जानेमाने उद्योगपतियों के साथ कश्मीर में हैं। शुक्रवार को वे छात्रों से संवाद कर रहे थे। रत्न टाटा ने कहा कि राहुल गांधी ने इस प्रयास के जरिये एक नई रोशनी के लिए खिड़की ही नहीं, बल्कि पूरा दरवाजा खोला है। बातचीत बहुत ही लाभप्रद रही। जो मानवपूंजी यहां है, वह देश में शायद ही कहीं हो। अब हम उद्योगपतियों की जिम्मेदारी है कि कश्मीरियों के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि वे भी देश के विकास और समृद्धि का हिस्सा बन सकें।
कश्मीर विवि के प्रमुख सभागार में राहुल गांधी सहित दिग्गज उद्योगपतियों ने लगभग 700 छात्र-छात्राओं के साथ अर्थव्यवस्था, औद्योगिकीकरण और रोजगार संबंधी मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। राहुल गांधी ने सभागार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां योग्य बच्चों की एक बड़ी जमात है। ये छात्र देश के उद्योगपतियों के साथ संवाद से काफी उत्साहित हैं।
इस आयोजन में शामिल छात्रों में काफी उत्साह देखा गया। बीए की छात्रा आस्मा ने कहा कि हमें कभी उम्मीद नहीं रही कि हम देश के नामी उद्योगपतियों से सीधे बातचीत कर सकेंगे। हमने उनसे कश्मीर के औद्योगिकीकरण पर बातचीत की है। एमबीए के छात्र नसीम अहमद ने कहा कि इन लोगों ने हमें यकीन दिलाया है कि वे कश्मीर में न सिर्फ पूंजी निवेश करेंगे, बल्कि देश भर में कश्मीरी छात्रों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे।
25 राज्यों के 50 हजार भूमिहीनों लोगों का ग्वालियर से दिल्ली तक निकाला गया जनसत्याग्रह मार्च शनिवार को चौथे दिन राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर गया। गौरतलब है कि पूरे देश में समान भूमि सुधार कानून की मांग को लेकर हजारों आदिवासियों और भूमिहीनों का यह जत्था बुधवार को मध्यप्रदेश के ग्वालियर से दिल्ली तक की पदयात्रा पर निकला है। इस सत्याग्रह मार्च की अगुआई एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल कर रहे हैं। इस पैदल मार्च में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। यह पैदल मार्च 12 किलोमीटर लंबा है। आंदोलनकारियों ने इस भूमि सुधार आंदोलन को 'जन सत्याग्रह' का नाम दिया है।जनसत्याग्रह मार्च को भाजपा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। शुक्रवार को इस यात्रा का पड़ाव मुरैना का बाबा देवपुरी रहा। शनिवार को जनसत्याग्रही देवपुरी से आगे निकले और आगरा होते हुए राजस्थान की सीमा में प्रवेश किया। राजस्थान में इस यात्रा का पहला पड़ाव धौलपुर जिले में मनिया है। सत्याग्रह की अगुआई कर रहे एकता परिषद के अध्यक्ष पीवी राजगोपाल के मुताबिक, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस सिलसिले में उनसे बात की है। राजगोपाल के अनुसार, जयराम रमेश ने संभवत: इस बारे में प्रधानमंत्री से भी बात की है। इससे पहले ग्वालियर में बुधवार को जनसत्याग्रह मार्च शुरू होने से पहले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और केंद्रीय उद्योग व वाणिज्य राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को मेला मैदान में सत्याग्रहियों से बातचीत के लिए पहुंचे थे, लेकिन बातचीत सफल नहीं हुई। हालांकि केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश सत्याग्रहियों की मांगों को जायज ठहरा चुके हैं, लेकिन इन्हें पूरा करने में उन्होंने अपनी असमर्थता जताई। उनका कहना है कि इस मुद्दे पर राज्यों से भी चर्चा करनी होगी।
चिदंबरम ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] के मसले पर मतभेद है। मैं इस मसले पर विपक्षी नेताओं के साथ बैठक करने का इच्छुक हूं। मुझे उम्मीद है कि विपक्षी नेता सहमति देंगे। दोनों संशोधन विधेयकों का संसद में पारित होना अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।' उन्होंने इसके लिए मीडिया से भी सहयोग मांगा।
चिदंबरम के मुताबिक, कैबिनेट द्वारा पारित किए गए बीमा संशोधन विधेयक में वित्त मामलों पर संसद की स्थाई समिति की अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया है। वैसे, समिति ने इस क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा 26 फीसद पर बरकरार रखने की सिफारिश की थी। सरकार ने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण [इरडा] और संबंधित पक्षों से परामर्श के आधार पर इसे बढ़ाकर 49 फीसद करने का फैसला लिया है। एफडीआइ की सीमा बढ़ाना बीमा उद्योग और देश के लोगों के हित में है। बीमा क्षेत्र की सभी कंपनियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। देश में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टील, ऑटोमोबाइल्स और सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में नए निवेश की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा, 'यदि हमें अपने आप पर भरोसा हो तो यह निवेश हो सकता है। मुझे उम्मीद है कि हम ऊंची विकास दर के रास्ते पर वापस लौट आएंगे।' इसके अलावा उन्होंने चालू वित्त वर्ष का विनिवेश लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद जताई है।
जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स [गार] को लेकर पार्थसारथी शोम समिति की रिपोर्ट के संबंध में चिदंबरम ने कहा कि इसे जल्दी ही आम लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस पर जनता की प्रतिक्रिया के बाद ही सरकार पिछली तारीख से बदलावों के सवाल पर अपनी राय कायम करेगी। सरकार वोडाफोन समेत सभी कर विवादों का समाधान करना चाहती है। वित्त मंत्री बनने के बाद पहली बार मुंबई आए चिदंबरम ने विभिन्न बैठकों में आरबीआइ के गवर्नर डी सुब्बाराव, सेबी बोर्ड और म्युचुअल फंड व वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
आर्थिक संकट से जूझ रही किंगफिशर एयरलाइंस की मुश्किलें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां बकाया नहीं मिलने से नाराज एयरलाइंस के कर्मचारी शुक्रवार को सड़क पर उतर गए और उनमें से एक कर्मचारी की पत्नी ने खुदकुशी कर ली, उधर सरकार ने भी एयरलाइंस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कंपनी को शोकॉज नोटिस भेजकर पूछा है कि क्यों न कंपनी का उड़ान संबधित लाइसेंस रद्द कर दिया जाए। डीजीसीए ने कंपनी से 15 दिन के भीतर इसका जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने शुक्रवार को कहा कि किंगफिशर एयरलाइंस को डीजीसीए को संतुष्ट करना होगा। डीजीसीए द्वारा सारे में मामले में संतुष्टि जाहिर करने के बाद ही किंगफिशर को उड़ान की अनुमति दी जाएगी। लेकिन फिलहाल इसकी कोई भी आशंका नहीं दिख रही है।
किंगफिशर का लाइसेंस रद किए जाने के एक सवाल पर अजित सिंह ने कहा कि लाइसेंस रद करने पर देखेंगे कि कानून क्या कहता है। उसके बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार किंगफिशर की मदद करने की स्थिति में नहीं है।
इससे पहले, वित्तीय संकट से जूझ रही किंगफिशर एयरलाइंस ने आशिक तालाबंदी की अवधि एक हफ्ते और बढ़ाने की घोषणा की। अब 12 अक्टूबर तक विजय माल्या के नेतृत्व वाली एयरलाइंस की उड़ानें ठप रहेंगी। वेतन बकाये के भुगतान पर हड़ताली कर्मचारियों के साथ बातचीत नाकाम रहने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है।
इस बीच, दिल्ली में कार्यरत किंगफिशर के एक कर्मचारी की पत्नी ने आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या कर ली। इस कर्मचारी को पाच महीने से वेतन नहीं मिला है। इससे मामला और उलझ सकता है। हालाकि बैंकों ने कंपनी को कुछ राहत देते हुए 60 करोड़ रुपये की रकम जल्द से जल्द देने पर सहमति जताई है।
हालात सुधरती न देख शीर्ष अधिकारियों द्वारा कंपनी छोड़ने का सिलसिला भी लगातार जारी है। अब एयरलाइंस के कंपनी सचिव भरत राघवन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। किंगफिशर की ओर से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना में यह जानकारी दी गई है। इससे पहले प्रबंधन स्तर के कई पायलट और वरिष्ठ इंजीनियर कंपनी छोड़ चुके हैं। नकदी की किल्लत के चलते कंपनी मार्च के बाद से ही कर्मचारियों को वेतन नहीं दे रही है। इसके चलते पिछले शुक्रवार से इंजीनियरों ने हड़ताल कर दी। रविवार को स्थिति तब और बदतर हो गई जब पायलट भी इस हड़ताल में शामिल हो गए। इसके चलते एयरलाइंस को 12 अक्टूबर तक के लिए आशिक तालाबंदी की घोषणा करनी पड़ी।
बीमा क्षेत्र नियामक इरडा ने कहा कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढऩे से 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। उधर, विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से सियासत भी गरमा गई है। फिक्की, एसोचैम जैसी औद्योगिक संस्थाओं ने विपक्षी दलों से सुधारों पर सरकार का साथ देने की अपील की है।
केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को बीमा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति को 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने की अनुमति दी है। इस पर इरडा के चेयरमैन जे. हरि नारायण ने कहा कि क्षेत्र की विकास दर 11 से 12 प्रतिशत रखने के लिए निवेश जरूरी है। हमारे पास जरूरी पूंजी की कमी थी। इस फैसले से कमी पूरी होगी। बीमा क्षेत्र को दोगुना होना है तो अगले पांच साल के लिए कम से कम 30 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। निजी बीमा कंपनियों ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
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