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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, April 6, 2011

Fwd: बस यही आखिरी मौका है



---------- Forwarded message ----------
From: Tara Tripathi <nirmaltara@gmail.com>
Date: 2011/4/6
Subject: बस यही आखिरी मौका है


          आज भारत की स्थिति  ' माता' की नहीं, एक मरी हुई भैंस की सी
हो गयी है, जिसे उसकी समर्थ  बेटे- बेटियाँ, सियारों, भेडियों, गिद्धों,
की तरह नोच-नोच  कर खा रहे हैं.  मीडिया पर बडे घरानों का कब्जा है. जिन
पर नहीं है, वे सरकारों द्वारा फेंके जाने वाले टुकडों की आशा में
ठकुरसुहाती कर रहे हैं.  नेताओं के कमों से  पूरा जन मानस  बीमार है. कुछ
बेईमानी करस हैं तो कुछ बेईमनी तरस. भ्रष्टाचार को कब की सामाजिक
स्वीकृति मिल चुकी है.

             यह पीढी जिस तरह नैतिकता, पर्यावरण, भौतिक संसाधनों का
भट्टा बैठा रही है, उससे तो यही लगता है कि मानव वंशियों की सीमा यहीं तक
है. आगे सर्वनाश है. जापान का हलिया  संकट सामने है. हमने भी उत्तरी भारत
के लिए नरोरा, पश्चिमी भारत के लिए तारापोर,  और अब जैतपुर तैयाज द्ज रखे
हैं. गंगा का मैदान टिहरी जलाशय के दरकने  की प्रतीक्षा दर रहा है.  जंगल
सिमट रहे हैं. भूखे वनचर घरों में घुस रहे हैं.   और हम सत्ता के नशे मैं
है.  सत्ता ?  वही नहीं जो हम समझते है. सत्ता वह जो चपरांसी से लेकर
प्रशासन के सर्वोच्च शिखर तक, ग्राम प्रधान से लेकर प्रधान मंत्री तक
व्याप्त है.

          भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस अहिंसक युद्ध के समरांगण मैं आपकी
प्रतीक्षा है. आइये,     क्रिकेट के विश्व कप का सा जुनून अन्ना हजारे के
भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में भी भर दें.  विश्व कप तो भारतीय टीम की
जुझारू एकजुटता ने २८ साल बाद फिर से जीत लिया पर इस सघर्ष में जीत  की
स्थिति तो आज नहीं तो कभी नहीं की स्थिति में है.  आज यह गान्धीवादी
तरीके से हल नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में खूनी क्रान्ति से ही हल
होगा.  वह खूनी खेल जो लीबिया में हो रहा है.

--
nirmaltara



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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