---------- Forwarded message ----------
From: Tara Tripathi <nirmaltara@gmail.com>
Date: 2011/4/18
Subject: देवभूमि ?
देवभूमि ?
देवियों के बल पर टिकी कृषि, मनीआर्डर पर टिका भरण-पोषण, होटलों और
खोमचों में चाय की चुस्कियों के बीच बीड़ी के धुएँ के साथ उड़ती फसकें और
राजनीति, खण्डहरों में चलते अध्यापक विहीन विद्यालय, चिकित्सकों और
औषधियों के लिए तरसते चिकित्सालय, हर साल हजारों यात्रियों की बलि लेतीं
सड़कें, अपने मायके में ही सीवर गंगा में ढलती गंगा, खल्वाट होते पर्वत
और वन, भूख से व्याकुल हो कर घरों में घुसते बाघ, उजड़ते गाँव, सूखते
प्राकृतिक स्रोत, बँधती नदियाँ, अपने जल, जंगल, जमीन और पितरों की थात
को नीलाम करने को उतावले जन-नायक, कंगाल होता हिमालय और उसको बेच कर
मालामाल होते नेता, अफसर और माफिया----आम आदमी को उल्लू बनाने के लिए
गढ़ा गया एक शब्द 'देवभूमि'.
--
nirmaltara
From: Tara Tripathi <nirmaltara@gmail.com>
Date: 2011/4/18
Subject: देवभूमि ?
देवभूमि ?
देवियों के बल पर टिकी कृषि, मनीआर्डर पर टिका भरण-पोषण, होटलों और
खोमचों में चाय की चुस्कियों के बीच बीड़ी के धुएँ के साथ उड़ती फसकें और
राजनीति, खण्डहरों में चलते अध्यापक विहीन विद्यालय, चिकित्सकों और
औषधियों के लिए तरसते चिकित्सालय, हर साल हजारों यात्रियों की बलि लेतीं
सड़कें, अपने मायके में ही सीवर गंगा में ढलती गंगा, खल्वाट होते पर्वत
और वन, भूख से व्याकुल हो कर घरों में घुसते बाघ, उजड़ते गाँव, सूखते
प्राकृतिक स्रोत, बँधती नदियाँ, अपने जल, जंगल, जमीन और पितरों की थात
को नीलाम करने को उतावले जन-नायक, कंगाल होता हिमालय और उसको बेच कर
मालामाल होते नेता, अफसर और माफिया----आम आदमी को उल्लू बनाने के लिए
गढ़ा गया एक शब्द 'देवभूमि'.
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nirmaltara
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/
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