Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, November 9, 2016

ट्रंप की ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल पलाश विश्वास



ट्रंप की ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल

पलाश विश्वास

नई विश्वव्यवस्था  में नागपुर तेलअबीब और वाशिंगटन गठभंधन के आधर पर अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर ग्लोबल हिंदुत्व के उम्मीदवार घनघोर रंगभेदी डोनाल्ड ट्रंप के ताजपोशी से पहले भारत में आर्थिक आपातकाल लागू हो गया है। नये नोटों में अब लालकिला और मंगलयान चस्पां है और उनके साथ फिलहाल गांधी नत्थी है और गुरु गोलवलकर या सावरकर या नाथुराम गोडसे की तस्वीर फिलहाल लगी नहीं है।लेकिन लालकिले से हिंदुत्व के मंगल यान का खुल्ला अंतरिक्ष अभियान शुरु हो गया है।भारत का हिंदुत्व का एजंडा अब अमेरिका का एजंडा भी है और इसलिए राष्ट्रीय प्रतीकों का इतिहास करेंसी के जरिये बदलने की कार्वाई भी ग्लोबल हिंदुत्व की जीत का जश्न बन गया है।हिंदुत्व एजंडे का यह ट्रंप कार्ड है।

प्रधानमंत्री द्वारा 500 और 1000 रूपये के नोट बंद करने की घोषणा के कुछ घंटे बाद रिजर्व बैंक ने आज नयी विशेषताओं तथा नये आकार में 500 और 2000 रूपये के नोटों की नई श्रृंखला जारी की।आरबीआई ने कहा कि पहली बार जारी हो रहे दो हजार रूपये के नोटों को महात्मा गांधी (नई) सीरिज कहा जाएगा और इसके पीछे मंगलयान मिशन की तस्वीर छपी है। इसमें कहा गया कि इस नोट का मूल रंग गहरा गुलाबी रंग और नोट का आकार 66 मिमी गुना 166 मिमी होगा।इसमें कहा गया कि 500 रूपये के नये नोट की थीम दिल्ली का लालकिला होगी।

न संसद,न अशोक चक्र और न ससंविधान थीम लालकिला का मतलब भी बूझ लें।

एक हजार के नोट से ही लोग तबाह थे और अब दो हजार के नोट एटीएम से निकलेंगे,तो हाल क्या होना है,समझ लीजिये।इस 2000 रुपये के महात्‍मा गांधी सीरीज के नए नोट के पिछले हिस्‍से में मंगलयान का चित्र है। उल्‍लेखनीय है कि दो साल पहले देश ने पहली बार मंगल ग्रह पर मंगलयान को सफलतापूर्वक भेजा। इस नोट का बेस कलर मेंजेटा है. नए नोट का साइज 66 मिमीx166 मिमी है।

बहरहाल सोना चांदी हीरे जवाहरात जैसी अकूत संपदा जब्त करने का कोई कार्यक्रम नहीं है और न विनिवेश मार्फत निवेश में सफेद हुए विदेशी जमीन से आये काले धन का किस्सा खत्म होने जा रहा है।उद्योगों,सेवाओं और बुनियादी जरुरतों के क्षेत्र में जो निवेश है ,जो अचल संपत्ति बेदखल जल जंगल जमीन और आजीविका की बदौलत है,उन्हे भी कोई खतरा नहीं है।

राजधानी नई दिल्ली वायु प्रदूषण की वजह से अभी नागपुर स्थानांतरित भी नहीं हुआ है।घांधी को आहिस्ते से हाशिये पर खिसकाने की इस प्रक्रिया को आप हिंदुत्वकरण भी नहीं कह सकते और रिजर्व बैंक और वित्तीय प्रबंधन की स्वायत्तता का असहिष्णु सवाल उठा सकते हैंं क्योंकि यह अर्थव्यवस्था या अर्थशास्त्र का कोई मामला हो न हो,विशुध राष्ट्रहित के लिए सलवाजुड़ुम या फौजी हुकूमत है और गौरतलब है कि युद्ध परिस्थिति जैसे आपातकाल में सेना वायुसेना और जलसेना के प्रधानों को यकीन में लेकर राष्ट्रहित में आम जनता के खजाने का यह खुलासा है।

वित्तीय प्रबंधन में भी फौजी हस्तक्षेप और वित्तमंत्री का अता पता नहीं है,कैबिनेट मंजूरी है और कैबिनेट में उदयोग जगत का किसी का कोई लेना देना नहीं है सो विशुध यह राजकाज फासिज्म का कारपोरेट गोरखधंधा है,यह लांछन लगाना देशद्रोह का मामला बन सकता है।

इस पर तुर्रा यह कि केंद्र सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया है।लेकिन इसकी घोषणा रिजर्व बैंक के गवर्नर के बदले राष्ट्र को प्रधानमंत्री के संबोधन में की गयी है।

सबसे लोकतांत्रिक किस्सा तो यह है कि लंबे समय तक भाजपाई राजकाज से पहले तक आयकर और तमाम टैक्स न देने के आरोपों में घिरे केसरिया राजकाज में उपभोक्ता बाजार में सबसे बड़े ब्रांड बतौर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पछाड़कर करीब एकाधिकार कायम करने वाले पतंजलि बाबा मीडिया पर इस सर्जिकल स्ट्राइक के सबसे बड़े प्रवक्ता है तो रिजर्व बैंक की ओर से आधिकारिक रुप में जारी हो जाने से पहले नये दो हजार और पांच सौ रुपये के नोट की डिजाइन सोशल मीडिया पर वाइरल है।

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर राजन के बदले अब गुजरात के ही अर्जित पटेल हैं,जो प्रधानमंत्री के खासमखास हैं और रिजर्व बंक के सभी सत्ताइस अंगों में निजी क्षेत्रों के निर्देशक प्रस्थापित है।

जाहिर है कि नोट की डिजाइन के लीक होने के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि निजी क्षेत्र के निदेशकों और इस सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने वाले लोगों की निष्ठा भी इसीतरह लीक हुई है या नहीं।खास तौर पर यह गौरतलब है कि भारत सरकार ने आरबीआई की ओर से जारी 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की तैयारी दस महीने पहले से ही कर ली थी। काले धन पर लगाम लगाने के लिए देश में लम्बे अर्से से 500से हजार रुपये की नोटों को बंद करने की मांग चल रही थी। हाल ही में सुब्रहमन्यम स्वामी ने इस बात को फिर से कहा था। इससे पहले बाबा रामदेव, अन्ना हजारे और कई अर्थशास्त्री इसके लिए मांग कर चुके थे। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और आरबीआई गवर्नर ने बडे ही गुपचुप तरीके से अपनी इस योजना का अंजाम दिया। इसकी तैयारी दस महीने से चल रही थी।दस महीने की इस तैयारी में नोटों की डिजाइन की तरह यह फैसला लीक नहीं हुआ और इस प्रक्रिया में शामिल लोगों से जुड़े कालाधन के कारोबारियों को इसकी सूचना न मिली हो तो समझ लीजिये कि रामराज्य है।

अगर लीक हुई है तो सत्तापक्ष के नजदीकी तमाम कंपनियों और घरानों का काला धन यकीन मान लीजिये कि अब तक सफेद पतंजलि है।बाकी आम जनता को साबित करना है कि उनकी जमापूंजी में काला कुछ नहीं है।कल आधी रात से दरअसल यही कवायद शुरु हो गयी है।आम आदमी को ही अपना दामन साफ कराने के लिए बाकायदा पहचान पत्र के साथ बैंकों में हाजिरी लगानी है।

खास बात यह भी है कि मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मंगलवार आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए हैं। इसके बाद सोने के दाम में उछाल आया है. मुंबई में प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत में 4000 रुपये का इजाफा हुआ है। सोने के नए रेट सुबह 11 बजे मार्केट खुलने के बाद आएंगे।कालेधन पर अंकुश के उपायों तथा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद मजबूत वैश्विक इशारों के बीच यहांनई दिल्ली में सोना 900 रुपये की छलांग के साथ तीन साल के उच्चस्तर 31,750 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया।

नकदी पर रोक है।सौना पर कोई रोक नहीं है ।जाहिर है कि देश भर में लोग लगातार गोल्ड की बुकिंग करवा रहे हैं।सबसे हैरत की बात यह है कि लोग सोने की बुकिंग किलोग्राम में करवा रहे हैं।किलोग्राम में सोना बुक करवाने लोग जाहिर है कि बैंकों और एटीएम पर कतारबद्ध लोगों में नहीं हैं।कालाधन इसतरह निकल रहा है और वह सरकारी खजाने में इसतरह जमा होने लगा है और आम जनता को इसीके लिए मामूली सा त्याग करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि सरकार के पांच सौ और एक हजार रुपये के मौजूदा नोटों को आम लेनदेन के लिए तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने के फैसले से एक समय लगभग 1700 अंक का गोता लगा चुका बीएसई का सेंसेक्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद काफी हद तक वापसी करता हुआ आखिरकार 339 अंक की गिरावट के साथ 27,253 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 'नोट' पर मचे हाहाकार से शुरुआती कारोबार में 541 अंक टूटने के बाद कारोबार की समाप्ति पर अपनी गिरावट 111.55 अंक पर सीमित कर 8,432 अंक पर बंद होने में कामयाब रहा।

जाहिर है कि इस फैसले का टांका कहीं न कहीं हिंदुत्व के नये ईश्वर डोनाल्ड ट्रंप से भी जुडा़ है।कहां जुड़ा है,वह फिलहाल बताया नहीं जा सकता।

अजीब संजोग है कि ट्रंप के अमेरिका फतह करने की पूर्व संध्या पर फासिज्म के राजकाज के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए देश के वित्तीय प्रबंधन में ऐतिहासिक फौजी हस्तक्षेप के तहत युद्धउन्मादी यह औपचारिक घोषणा की। हालांकि आम जनता को मोहलत दी गयी है कि, 10 नवंबर से 31 दिसंबर 2016 तक आप 500 रुपये और 1000 रुपये के अपने सभी पुराने नोट बैंक या डाकघर से उचित पहचान पत्र तक दिखाकर बदल सकेंगे।गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए मंगलवार को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला किया है।

इसी बीच केंद्रीय बैंक के चीफ जनरल मैनेजर राजिंदर कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'आम लोगों की बैंकिंग लेनदेन की जरूरत को देखते हुए शनिवार और रविवार को भी बैंक खुले रहेंगे।' बयान के मुताबिक बैंकों को कहा गया है कि वह अन्य कार्य दिवसों की तरह ही शनिवार और रविवार को भी पूरे ड्यूटी आवर्स में काम करें। इसके अलावा उन्हें सभी तरह के ट्रांजैक्शंस को चालू रखने के लिए कहा गया है। बैंकों की ओर से भी इस बारे में आम लोगों को जानकारी देने को कहा गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंडराते घने संकट के बादल की आड़ में लोकतांत्रीकि संस्थाओं और आम जनता के हकहकूक पर हमलों की नरंतरता के मध्य फौजी प्रधानों से मुलाकात के बाद वित्तीय पर्बंधन अपने हाथ में लेते हुए नोटों को रद्द करने का ऐलान करते हुए आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि सीमा पार से आतंकवाद को पैसा दिया जाता है। सीमा पार से जाली नोटों का धंधा हो रहा है। अब जरूरत आतंकवाद और कालेधन पर निर्णायक लड़ाई की है क्योंकि कालाधन और आतंकवाद देश को बर्बाद कर रहा है। मोदी ने कहा कि अब देश के लोग चाहते हैं कि आतंकवाद, भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई हो।

रोहित वेमुला की संस्थागत हत्या से लेकर जेएनयू के छात्र नजीब के मामलों में बुरी तरह फंसी सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता खत्म करके केसरियाकरण की मुहिम चला रही है तो जल जंगल जमीन आजीविका नागरिक मानवाधिकार के खिलाफ अनंत सलवाजुड़ुम जारी है और जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालयों की दो प्राध्यापिकाओं समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ एनडीटीवी पर एकदिनी प्रतिबंध कारपोरेट मीडिया बैरन प्रणव राय के आत्मसमर्पण के तहत वापस लेने के तुरंत बाद हत्या का मुकदमा दायर किया गया है।समाने पंजाब और यूपी के चुनाव हैं।

ऐसे माहौल में जब अमेरिका में लोग नये राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाल रहे थे,राष्ट्र को प्रधानमंत्री के अभूतपूर्व संदेश के बाद सारा देश एटीएम के बाहर कतारबद्ध हो गया ताकि अगले दजिन के खर्च के लिए सौ सौ के चार नोट एक एक बार निकालकर अगले कई दिनों की रोजमर्रे की जरुरतें पूरी करने का जुगाड़ लगा सके।कालाधन निकालने की इस कवायद का नतीजा जो बी हो,घर में रखी नकदी यकायक जादुई छड़ी से देशभर में रद्दी में बदल जाने से सामान्य जनजीवन पटरी से बाहर हो गया।

खासकर शादी व्याह के लिए निकासी आत्मघाती साबित हो गयी।खेती बाड़ी में लगे जनसमुदायों की नकद लेनदेन की वजह से देहात घहरे संकट में है।वेतन मजूरी का पैसा निकालकर महीनेभर का राशन,मकान किराया,बिजली बिल,बच्चों की फीस,यातायात के किराया औरतमाम तरह का बकाया भरने के लिए नौकरीपेशा लोगों ने उसी दिन या एक दो दिनपहले एटीएम से पांच सौ और एक हजार के नोट पाये थे,अब वे किसी काम के नहीं है।

अपना सारा कामकाज छोड़कर मेहनत की गाढे़खून पसीने की वह कमाई और घरेलू महिलाओं ने घर का ख्रच बचाकर आदतन जो थोड़ी बहुत बचत की थी ,वह सबकुछ बैंकों और डाकघरों में अगले दिनों न जाने कब तक धरना देकर जमा करने की आपाधापी शुरु हो गयी है।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे आर्थिक आपातकाल कहा है तो माकपा महासचिव ने इसे आर्थिक अराजकता बता दिया है।ममता दीदी ने खुद कहा है कि एक दिन पहले उन्होंने खर्च के बाबत निजी खाते से पचास हजार रुपये निकाले हैं जो उन्हें अब बैंक में वापस कराने हैं।

लोकतांत्रिक संस्थानों का कबाड़ा करने के बाद बैंकिंग और बीमा निजी क्षेत्र के हवाले करने के बाद,खुदरा बाजार से लेकर परमाणु ऊर्जा,राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा में विनिवेश करने के बाद राष्ट्र और राष्ट्रकी सुरक्षा के नाम देशबक्ति साबित करने की आम जनता की परेड लगाने का यह तुगलकी फरमान कितना गोपनीय रहा है,वह भी संदिग्ध है जबकि राजकाज नागपुर वाशिंगटन और तेलअबीब से संचालित होते हैं।नीतियां निजीक्षेत्र के धुरंधर बनाते हैं।विशेषज्ञ समितियां भी उन्हीं की है।देस का वित्तमंत्री मशहूर कारपोरेट वकील है और रिजर्व बैंक का भी निजीकरण हो गया है तो रक्षा सौदों में दलाली भी अब जायज है।

किस गलियारे से काला धन वापस आयेगा जबकि कालाधन का कारोबार करने वाले नोटों का कारोबार अमूमन करते नहीं हैं और नकदी जमा रखने के बजाय वे सोना चांदी जमीन और कारोबार उद्योग में सारी पूंजी खपाते हैं।जरुरी खर्च के लिए भी वे आम जनता की तरह नोटों के सहारे होते नहीं है।मोरारजी भाई  ने जब नोट वापस लिए थे तबके हालात और अबके हालत में भारी अंतर है।

भारत में पहले भी बड़े नोटों को बैन किया गया है।बड़े नोटों का चलन बंद करना कोई नई बात नहीं है। 1000 रुपये के नोट का चलन पहली बार जनवरी 1946 में और फिर 1978 में बंद किया गया था। उस समय भी यह फैसला कालेधन और उससे चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था को रोकने के लिए किया गया था। आपातकाल के बाद के दौर में कालेधन का प्रयोग काफी प्रासंगिक हो चला था। इस फैसले को लागू करने के लिए हाइ डेमोमिनेशन बैंक नोट ऐक्ट 1978 नाम से कानून बनाया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने 1938 और 1954 में सबसे बड़ा नोट 10,000 रुपये का छापा था।  1978 में भी सरकार ने कालेधन से निपटने के लिए 1000, 5000 और 10000 रुपये को नोटों पर रोक लगाया था।उस वक्त भी कालाधन कहीं से निकला नहीं था।

अबकी दफा कालाधन सफेद करने के हजार दरवाजा खुल्ला रखकर आम लोगों को बलि का बकरा बनाने की यह कवायद इसलिए किसी भी मायने में वित्तीय प्रबंधन नहीं है,यह विशुध हिंदुत्वकरण है और इसकी शुरुआत गांधी को हाशिये पर ऱखने के लिए लालकिले और मंगलयान को नये नोटों से चस्पां करने के साथ हो गयी है।

बहरहाल पीएम मोदी ने ने भरोसा दिलाया है कि आपकी धनराशि आपकी ही रहेगी, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। देशवाशियों को कम से कम तकलीफ का सामना करना पड़े, इसके लिए हमने कुछ इंतज़ाम किए हैं। 100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 10 रुपये, 5 रुपये, 2 रुपये और 1 रूपया का नोट और सभी सिक्के नियमित हैं और लेन देन के लिए उपयोग हो सकते हैं।

गौरतलब है कि दस का सिक्का रिजर्व बैंक के वैध घोषित किये जाने के बावजूद बंगाल में लिया नहीं जा रहा है।पटना से लेकर गुजरात तक में यही संकट है।

प्रधानमंत्री के वायदे के मुताबिक आपके 500 और 1000 रुपये के नोट 8 नवंबर की  रात बारह बजे से कागज का मामूली टुकड़ा होजाने के बावजूद लेकिन घबराइये नहीं, आपके पास जो नोट हैं उनके बदले 100, 50, 20, 10, 5, 2 और 1 रुपये के नोट मिलेंगे। 10 नवंबर से 30 दिसंबर तक आप अपने 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट अपने बैंक खाते में जमा करा सकेंगे। 30 दिसंबर तक भी किसी कारण से आप अपने नोट नहीं बदल पाए तो आपको 31 मार्च 2017 तक आपको एक आखिरी मौका मिलेगा। रिजर्ब बैंक की तरफ से तय किए गए ऑफिस में आपको नोट बदलने का मौका मिलेगा।

फिलहाल एटीएम से आप एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 10000 और एक सप्ताह में 20000 रुपये ही निकाल पाएंगे। इस सीमा में बाद में वृद्धि की जाएगी। 10-24 नवंबर तक तत्काल जरुरत के लिए 500 रुपये और 1000 रुपये के 4000 रुपये तक के नोट बदले जा सकते हैं। बैंकों या पोस्ट ऑफिस में पहचान पत्र दिखाकर नोट बदले जा सकते हैं। 25 नवंबर से 4000 रुपये की ये सीमा बढ़ाई जाएगी। 9 और 10 तारीख को बैंकों के एटीएम काम नहीं करेंगे। इन्हीं हालात में  9 नवंबर को बैंकों में पब्लिक का काम नहीं हुआ।

जाहिर है कि सरकार के इस बड़े फैसले से आम जनता में अफरा-तफरी मची है। सरकार के फैसले के बाद एटीएस पर भीड़ लगी हुई है। लोग पूरी जानकारी के लिए परेशान हैं और छुट्टा देने के लिए कोई तैयार नहीं है।शुरू के 72 घंटों में यानि 11 नवंबर रात 12 बजे तक खास जरूरतों के लिए विशेष व्यवस्था दी गई है। इसमें अस्पताल में, डॉक्टर के पर्चे पर दवाई दुकान में, रेलवे, बस, हवाई जहाज के टिकट में, मान्यता प्राप्त को-ऑपरेटिव की दुकानों में, पब्लिक सेक्टर के पेट्रोल और गैस आउटलेट में, अंतिम संस्कार की जगहों पर 500 और 1000 रुपये के नोट चलेंगे। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 5000 रुपये तक की विदेशी मुद्रा या देसी नोट बदलने की सुविधा भी रहेगी। रिजर्ब बैंक ने 500 और 2000 रुपये के नए नोट को मंजूरी दी है, जो बाद में जारी किए जाएंगे।

गौरतलब है कि बाजार में 15.93 लाख करोड़ रुपये (2016) की कुल करेंसी है और इस कुल करेंसी की वैल्यू में 500 और 1000 रुपये के नोट की हिस्सेदारी करीब 85 फीसदी है।

जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से रियल एस्टेट शेयरों, दामों में भारी गिरावट आएगी। तीसरी, चौथी तिमाही में होटल कंपनियों और कंज्यूमर ड्यूरेबल बिक्री घट सकती है।वहीं क्रेडिट कार्ड पर ट्रांजेक्शन बढ़ने से बैंकों को फायदा होगा। बैंकों का सीएएसए बढ़ने से ये कदम बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छा रहेगा। आपको बता दें कि 1987 में आरबीआई ने नोटों की संख्या और महंगाई को नियंत्रण करने के लिए 500 के नोट जारी किए थे। वहीं 1000 के नोट पहली बार 1954 में लाए गए थे।




--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...