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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, November 4, 2011

सिर्फ 40 लाख रुपए में बिक गई सोनू गुर्जर की नेतागीरी

विकास धूत, चंचल पाल चौहान 
नई दिल्ली : मारुति सुजुकी में हालिया हड़ताल का नेतृत्व 
करने वाले लोगों ने कंपनी से चुपचाप इस्तीफा दे दिया है। सेटलमेंट के तौर पर कंपनी से लाखों रुपये लेने के बाद उन्होंने ऐसा किया है। इससे उनके साथी सदमे और गुस्से में हैं। 

देश की सबसे बड़ी कार कंपनी को हड़ताल से 1,600 करोड़ रुपए की आमदनी से हाथ धोना पड़ा था। 

दो मजदूर नेताओं सोनू गुर्जर और शिव कुमार सहित बुधवार तक मारुति के मानेसर प्लांट के 30 निलंबित कर्मचारी इस्तीफा दे चुके थे। उन्हें 16 से 40 लाख रुपए तक रकम मिली है। मामले से जुड़े कई लोगों ने इसकी पुष्टि की। गुर्जर और कुमार दोनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। बताया जाता है कि दोनों ने करीब 40-40 लाख रुपए लेकर 22 अक्टूबर को इस्तीफा दे दिया। गुर्जर और कुमार के साथ निलंबित रहने वाले बाकी 28 लोगों ने पिछले 10 दिनों में कंपनी छोड़ी है। उनमें से हरेक को सेटलमेंट के लिए करीब 16 लाख रुपए मिले थे। हालांकि, हड़ताल 19 अक्टूबर को ही खत्म हो गई थी। 

मारुति के एक प्रवक्ता ने सभी निलंबित 30 कर्मचारियों के इस्तीफा देने और कंपनी से 'फुल और फाइनल सेटलमेंट की पूरी रकम लेने' की पुष्टि की। इससे घटना से प्लांट में मजदूर आंदोलन की हवा निकल सकती है। मानेसर प्लांट में 7 से 19 अक्टूबर यानी 13 दिनों तक चली हड़ताल के खत्म होने के 12 दिन बाद ही यह मामला सामने आया है। कुछ मजदूरों का कहना है कि इससे भविष्य में कंपनी का पलड़ा भारी रह सकता है। मजदूरों और कंपनी के बीच विवाद का कारण मानेसर प्लांट में एक नई यूनियन के गठन की मांग थी, जिसका कंपनी विरोध कर रही थी। 

मारुति से इस्तीफा देने वाले मजदूरों में से एक ऋषि पाल ने बताया कि उन्होंने बुधवार को ही कंपनी छोड़ दी थी। उन्हें 16 लाख रुपए का चेक मिला है। गुर्जर और कुमार के इस्तीफे का पता चलने के बाद उनके और दूसरे निलंबित मजदूरों के पास कंपनी छोड़ने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा था। उन्होंने कहा, 'हड़ताल के निपटारे के समय हम 30 लोगों ने फैसला किया था कि नतीजा चाहे जो भी हो, हम साथ रहेंगे। जब हमारे विरोध के बावजूद सोनू और शिव ने इस्तीफा दे दिया, तब हमें भी ऐसा करना पड़ा।' 

उन्होंने बताया कि कंपनी की आंतरिक जांच में मजदूरों को गलत ठहराया जा चुका है। इसलिए उन्होंने भुगतान के बाद नौकरी छोड़ने का फैसला किया। पाल ने कहा, 'कंपनी ने इस्तीफा देने की एवज में हमें रकम देने की पेशकश की गई थी।' हड़ताल के दौरान नेता के रूप में उभरने वाले 27 वर्षीय गुज्जर के बारे में उनके पुराने साथियों ने बताया कि वह सारा समान लेकर यहां से जा चुके हैं।
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