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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, July 28, 2012

Fwd: मारूति उद्योग, मानेसर: मजदूर विरोधी नीति का त्रासद मध्यांतर



---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/7/27
Subject: मारूति उद्योग, मानेसर: मजदूर विरोधी नीति का त्रासद मध्यांतर
To: Dilip Khan <dilipkmedia@gmail.com>


सरकार व मारूति प्रबंधक इस बात को छुपा ले जाने के लिए बेचैन हैं जिसमें उन्होंने मजदूरों के खिलाफ एक आपराधिक गोलबंदी किए हुए हैं। पिछले एक साल में मारूति के मानेसर प्लांट में जो घटना घटी हैं उसका सिलेसिलेवार जायजा लिया जाए उससे एक-एक बात खुलकर सामने आ जाएगाप। एक प्रबंधक की रहस्यमय मौत एक त्रासद मध्यांतर की तरह सामने आयी है। यहां से सरकार व प्रबंधक मिलकर पूरे मामले को अपने पक्ष कर लेने को तैयार हो गए हैं। हत्या की सारी नैतिक जिम्मेदारी मजदूरों के कंधों पर डालकर खुद को देश का जिम्मेदार कर्णधार साबित करने में लग गए हैं। अर्थव्यवस्था की नाक तक डूबे संकट को उबारने के लिए जब अमेरिकी शासक वर्ग फासिस्ट हत्यारे मोदी को सिर पर चढ़ाने के लिए तैयार है और यहां का पूंजीपति उसकी सरपरस्ती में जाने के लिए तैयार है तब निश्चय ही स्थिति नैतिक रूप से साफ सुथरा होने की जरूरत भी खत्म हो गयी है। अब तो सरपरस्ती पाने की होड़ की शुरुआत हो चुकी है।

मारूति उद्योग, मानेसर: मजदूर विरोधी नीति का त्रासद मध्यांतर



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