From: Roma <romasnb@gmail.com>
Date: 2013/1/2
Subject: Setting up of Woman Empowerment Center Place: Bharati Sadan, Saharanpur,Uttar Pradesh 18th January, 2013
To:
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INVITATION LETTER
On the 2nd Death Anniversary of Bharati RoyChowdhury
Setting up of Woman Empowerment Center
Place: Bharati Sadan,Village NagalMafi, Shakumbhari Devi
District: Saharanpur,Uttar Pradesh
Date: 18th January, 2013
As you all are aware that Bharati RoyChowdhury, a very respected and revolutionary women leader left us on 18 January 2011 after a long struggle . She dedicated her entire life for the cause of women's rights, especially for landless women's' right to land. Today women's' struggles for their right to land is making a strong statement across India's political firmament. And one of the main reasons for this is that since the days of British colonialism and during independent India's existence, all development plans have resulted in massive displacement and ensuing increase in landlessness. Where people were expected to have got their rights to land ,forests and water, the neo-liberal economic onslaught actually further snatched away their very access to land and other natural resources which were directly linked to their livelihood . The number of landless grew exponentially. The neo liberal economic policies forced multitudes of women to become agricultural labourers.
Further, it must be noted that no revenue law in the country has any provision for women to independently own agricultural land despite the fact that landless peasant women contribute 90% of the total labour involved in any agricultural work. Women's right to land is only looked at from the perspective of right to familial property and not from the perspective of their right to livelihood. The State has refused to give any kind of recognition to landless and poor women with regard to their right to land, or for that matter any natural resources. This productive force has only been viewed within the confines of the four walls of the family and the matter of their social equality or legal rights have been left to the fancies of the family. And these families are essentially anti-woman – not believing in their equality, very feudalistic and oppressive.
During this entire period, despite peasant movements, anti-displacement struggles, the country has only seen increasing landlessness. In the last three decades women have fought tooth and nail against such occurrences. Such movements had their beginning in the 70s in Bodh Gaya, Bihar. Struggles and movements has helped evolve a collective consciousness among women which has resulted in their increasing participation against anti-people development policies and at various regional levels have established their strong leadership in several protest movements. Today a vibrant women's land rights movement has made its significant presence felt in districts of UP and Uttarakhand . Through these mass movements the struggling women are also applying new methodologies for creating alternatives ,prominent being their initiatives for creating collectives for agriculture and forestry against the present exploitative economic and political system which is destroying the natural resources and traditional livelihoods. The primary objective of such initiatives lie in their aim of protecting the traditional livelihood practices and also creating common assets and new opportunities for future generations. The fascinating blend of struggle and new practices surely points towards a new horizon. National Forum of Forest People and Forest Workers is fully involved in such processes and is committed to enhance such practices as building up cooperatives, protecting traditional seed varieties/genetic pool, conserving natural resources. Poor landless women are now demanding their independent right to land and natural resources from the state.
Bharatiji was involved from the beginning of this process and always kept inspiring the community. For this process to move ahead strongly it is very important to strengthen women's leadership. With this objective in mind, National Forum of Forest People and Forest Worker's have decided to set up a Woman Empowerment Center at a regional level. Programmes oriented towards developing and enhancing the leadership capabilities of the struggling women would be the key focus of such empowerment centers. Training, interactions and new practices –would form the core focus of such Empowerment Centers. For empowerment of women leadership in movements, it is absolutely essential to expand the political and social space of women in family, society and organizations. The women empowerment centers would lay special emphasis on this aspect. With such an objective in mind, the first Women Empowerment Center would be set up in Nagal Mafi. It may be recalled here that 22 years ago in this very village in the foothills of the forest covered Shivalik mountain range, a community center was set up to strengthen women's movement and Bharati ji had played a major role in that initiative. She also spent quite a bit of her working life in this center. And it was for this reason that during her first death anniversary last year, as a tribute to her contribution in setting up the center as a fulcrum of the movement then, the community center was christened as Bharati Sadan.
We solicit your presence and active participation in this endeavor.
Roma, Ganga Arya, Rajnish, Munnilal, Shanta Bhattacharya, Ashok Chowdhury, Kaushalrani, Sukalodevi, Lalti, Sarita, Behnadevi, Fatimabi, Matadayal, Rampal, Jang Bahadur, Amit, Praduman, Dr. surendar nischal, Avijeet,
महिला सशक्तिकरण केन्द्र की स्थापना के लिए प्रतिनिधि सभा
स्थान: भारती सदन, ग्राम नागल माफी, शाकुम्बरी देवी,
जनपद सहारनपुर, उ0प्र0
दिनांक: 18 जनवरी 2013
प्रिय साथीयों,
जैसा कि आपको विदित है कि 18 जनवरी 2011 क्रांतिकारी साथी भारतीजी का निधन एक लम्बे संघर्ष के बाद हो गया था। उन्होंने अपनी पूरी जिन्दगी महिला अधिकार और खास कर के भूमिहीन महिलाओं एवं समुदायों के अधिकारों के संघर्ष में योगदान किया। आज देखा जाए तो महिला भू-अधिकार आंदोलन सशक्त रूप से देश में कोने कोने में चल रहा है। जिसका एक बड़ा कारण यह है कि अंग्रेज़ी शासन काल और आज़ाद भारत में सरकारों द्वारा जो विकास नीति बनाई गई उससे करोड़ों लोग विस्थापित हुए और भूमिहीनों की संख्या बढ़ती गई। जहां एक तरफ लोगों को उनके जल, जंगल और जमींन पर मालिकाना हक़ मिलना था वहीं उनसे नवउदारवादी अर्थनीति के चलते भूमि व अन्य प्राकृतिक आजीविका के साधनों को छीनने का काम शुरू हुआ। जिससे भूमिहीन बनने की प्रक्रिया और भी तेज़ हुई। इन नवउदारवादी नीतियों ने बड़ी संख्या में महिलाओं को खेतीहर मज़दूर बनाने का काम भी किया।
दूसरी ओर हमारे देश के किसी भी राजस्व कानूनों में महिलाओं को स्वतंत्र रूप से खेती की भूमि को उपलब्ध करने के कोई प्रावधान नहीं है जबकि भूमिहीन किसान महिलाए खेती में 90 प्रतिशत का योगदान करती हैं। उनके भूअधिकारों को केवल सम्पति के अधिकारों से जोड़ कर देखा जाता है न कि आजीविका के अधिकारों के रूप में। ग़रीब महिलाओं के भूअधिकार, सार्वजनिक उपयोगों की भूमि पर अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों के अधिकार को राजसत्ता द्वारा मान्यता नहीं दी गई है। इस उत्पादक शक्ति को केवल परिवार की चार दीवारी के अंदर से देखा जाता है व उसके तमाम सामाजिक समानता व न्यायायिक अधिकारों को परिवार की मर्जी पर छोड़ दिया गया है। यह परिवार जो महिलाओं के मामले में गैरबराबरी, सांमती व उत्पीड़नात्मक सोच रखते हैं।
इस पूरे दौर में तमाम किसान आंदोलन, विस्थापन विरोधी आंदोलन के बावजूद देश में भूमिहीनता बढ़ती गई। पिछले तीन दशकों में इसके खिलाफ महिलाओं ने तेज़ी से संघर्ष को शुरू किया। इसकी शुरूआत 70 के दशक में बौद्ध गया, बिहार में शुरू हुई थी। महिलाओं में एक सामूहिक चेतना बनी जिसके तहत वो तमाम जनविरोधी परियोजना के खिलाफ आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही है और क्षेत्रीय स्तर में कई प्रतिरोध आंदोलन में एक सशक्त नेतृत्व भी स्थापित कर रही है। उ0प्र0, उत्तराख्ंाड़ और आस पास के राज्यों में भी महिला भू-अधिकार आंदोलन काफी तेज़ी से बढ़ रहा है। इन जनसंघर्षो में महिलाओं ने वैकिल्पक व्यवस्था को स्थापित करने के लिए प्रयोग भी शुरू कर दिए है जिसमें सामूहिक खेती और सामूहिक वानिकी प्रमुख है। इन प्रयोगों का मुख्य आयाम प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखते हुए और उसका आजीविका के लिए प्रयोग है। संघर्ष और प्रयोग का यह अभूतपूर्व तालमेल नई दिशा की तरफ भी इंगित कर रहा है। रा0 वनजन श्रमजीवी मंच इस प्रक्रिया में पूरी तरह से शामिल है और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। जिसके तहत सहकारी समितियों को बनाना, बीजों का संरक्षण, प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण आदि जिसमें शामिल हैं। अब भूमिहीन व ग़रीब महिलाए सरकार से अपने स्वतंत्र भूअधिकारों व संसाधनों के अधिकार की मांग कर रही हैं।
भारती जी इस प्रक्रिया के शुरूआती दौर से शामिल रही और समुदाय के साथीयों को प्रेरित करती रही। इस प्रक्रिया को सशक्त रूप से आगे बढ़ाने के लिए महिला नेतृत्व को मजबूत करना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसी उददेश्य को पूरा करने के लिए रा0 वनजन श्रमजीवी मंच ने यह तय किया है कि क्षेत्रीय स्तर पर महिला सशक्तिकरण केन्द्र को स्थापित किया जाए। इन केन्द्रों में संघर्षशील महिला साथीयों की नेतृत्व को विकसित करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस केन्द्र में प्रशिक्षण, आपसी तालमेल और नए प्रयोग के विषय में जानकारी हासिल करने के लिए आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगी। आंदोलन में महिला नेतृत्व के सशक्तिकरण के लिए परिवार, समाज और संगठन में महिलाओं के परिसर को बढ़ाना निहायत जरूरी है। महिला सशक्तिकरण केन्द्र इस विषय पर विशेष ज़ोर देगा। इसी कार्यक्रम के तहत नागलमाफी में पहले महिला सशक्तिकरण केन्द्र की स्थापना की जाएगी। ज्ञातव्य रहे कि 22 साल पहले सहारनपुर के इस वनाच्छिादित घाड़ क्षेत्र में महिला आंदोलन को मज़बूत करने के लिए विकल्प सामुदायिक केन्द्र की स्थापना की गई थी। जिसकी स्थापना में भारती जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल में उन्होंने इस केन्द्र में अपना बहुत समय बिताया। जिसके कारण पिछले वर्ष उनकी पहली पुण्यतीथि पर उनकी याद में इस समुदाय केन्द्र का नाम में 'भारती सदन' रखा गया।
हम उम्मीद करते हैं कि आप इस कार्यक्रम में जरूर शामिल होगें व अपना महत्पपूर्ण योगदान देगें।
धन्यवाद
रोमा गंगाआर्य रजनीश मुन्नीलाल अशोकचैधरी कौशलरानी सोकालो राजकुमारी
लालती सरिता बहनादेवी फातिमाबी मातादयाल रामपाल जंगबहादुर शांता भटटाचार्य
--
NFFPFW / Human Rights Law Centre
c/o Sh. Vinod Kesari, Near Sarita Printing Press,
Tagore Nagar
Robertsganj,
District Sonbhadra 231216
Uttar Pradesh
Tel : 91-9415233583, 05444-222473
Email : romasnb@gmail.com
http://jansangarsh.blogspot.com
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