Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, September 29, 2013

मुख्यमंत्री के खिलाफ नजरुल अदालत में,अपने मुकदमे की पैरवी खुद करेंगे

मुख्यमंत्री के खिलाफ नजरुल अदालत में,अपने मुकदमे की पैरवी खुद करेंगे


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


आइपीएस अधिकारी नजरुल इसलाम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार के सीनियर अफसरों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है और अपने मुकदमे की पैरवी भी वे खुद करेंगे।

आइपीएस अधिकारी नजरुल इसलाम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार के सीनियर अफसरों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अपनी याचिका में उन्होंने दावा किया कि सरकार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारे पर उनकी वरिष्ठता के अनुरुप प्रमोशन देने से इनकार कर दिया। नजरुल इसलाम के वकील गुलाम मुस्तफा ने बताया कि इस सिलसिले में एक याचिका बंकशाल कोर्ट के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर की गयी है।


अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) पद के अधिकारी नजरुल इसलाम ने 17 अगस्त को पुलिस से ममता बनर्जी, मुख्य सचिव संजय मित्रा, गृह सचिव वासुदेव बनर्जी और पुलिस महानिदेशक नपराजित मुखर्जी के खिलाफ धमकी देने, मानसिक परेशानी देने, प्रमोशन देने से इनकार करने, छुट्टी देने से मना करने, फोन लाइनों को टैप करने आदि की शिकायत की थी।


इसलाम के वकील गुलाम मुस्तफा ने बताया कि हेयर स्ट्रीट पुलिस थाने ने, जहां इसलाम ने शिकायत दर्ज करायी थी, मामले की जांच से इनकार कर दिया। यहां तक कि कोलकाता पुलिस के आयुक्त ने भी, जिन्हें उन्होंने चिट्ठी लिखी थी, कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए इस याचिका को दायर किया गया है। अधिवक्ता मुस्तफा ने बताया कि अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया है और मामले की सुनवाई शुरू हो गयी है।


आइपीएस नजरुल इसलाम विवादों में रहे हैं।कभी मुख्यमंत्री के अति घनिष्ठ अफसर नजरुल ने मुसलिमदेर कि करणीय नामक पुस्तक लिखकर राज्य के अल्पसंख्यकों के साथ धोखाधड़ी का खुलासा किया है। इसके बाद उन्होंने मूलनिवासीदेर की करणीय नामक पुस्तक भी लिख दी और बंगाल में दलितों,शूद्रों, पिछड़ों और अल्पसंकख्यकों को मूलनिवासी बताते हुए उनके खिलाफ जारी एकाधिकारवादी जाति वर्चस्व के खिलाफ जिहाद भी छेड़ दिया है।


वाम शासन के दौरान सरकार की आलोचना के लिए हाशिये पर थे साहित्यकार नजरुल इस्लाम और परिवर्तन जमाने में भी लंबे समय से पुलिस महकमे में उन्हें दरकिनार कर रखा गया है।


प्रतिष्ठित साहित्यकार आइपीएस नजरुल इसलाम  का कहना है कि उनकी वरिष्ठता के आधार पर उन्हें उचित पद नहीं दिया गया है।


गौरतलब है कि वाम मोरचा के शासन में पुलिस उपायुक्त (खुफिया विभाग) रहते उन्होंने कई पेजीदे मामलों का खुलासा किया था। सट्टे के खिलाफ अभियान चलाया।


यह अजीब संयोग है कि वाम मोरचा शासन के दौरान ही विवादास्पद पुस्तक को लेकर भी वह चरचा में रहे हैं।


खास बात यह है कि दूसरे पढ़े लिखे लोगों की तरह अपनी खाल बचाने के लिए नजरुल कभी खामोश नहीं रहे। वे सामाजिक यथार्थ से समर्थ कथाकार है और जनसरोकार के मुद्दों को सीधे तौर पर संबोधित करके सत्ता से पंगा भी ले लेते हैं। किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ पद पर रहते हुए उन्होंने बाकायदा थाने में रपट दर्ज करायी। फिर भी कार्रवाई नहीं हुई तो सीधे अदालत पहुंच गये। यही नहीं वे अपने मुकदमे की पैरवी करेंगे।


 वे साहित्य के अलावा समाज सेवा से भी जुड़े  रहे हैं। खास कर शिक्षा के क्षेत्र में काम किया है।


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...