Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, August 14, 2014

By Uday Prakash अब तक जितने प्रधानमंत्रियों का भाषण सुना था , यह सबसे भावनात्मक, सरल , अपील करने वाला , सीधे दिल को छूने वाला भाषण था। कई पंद्रह अगस्तों में पहली बार, बिना बुलेट प्रूफ के कठघरे में खड़े एक प्रधानमंत्री का अब तक का सबसे जबरदस्त रिटरिक।

Status Update
By Uday Prakash
अब तक जितने प्रधानमंत्रियों का भाषण सुना था , यह सबसे भावनात्मक, सरल , अपील करने वाला , सीधे दिल को छूने वाला भाषण था। कई पंद्रह अगस्तों में पहली बार, बिना बुलेट प्रूफ के कठघरे में खड़े एक प्रधानमंत्री का अब तक का सबसे जबरदस्त रिटरिक।

सुनते-सुनते , बीच-बीच में विभोर-विचलित होते हुए लगा , प्रधानमंत्री ने ठीक वही कहा , जो मैं सोचता हूँ. 
लेकिन मैं ऐसा सोचते हुए भी कुछ कर नहीं सकता. कर नहीं सका। 
क्या नए प्रधानमंत्री सचमुच कुछ कर पाएंगे ?
या यह सिर्फ एक बहुत अच्छा भाषण भर था , जिसे सुन कर कई लोगों को , 1940 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल के भाषण की याद हो आई। 
और कुछ को … ''अब तक क्या किया , जीवन क्या जिया ? 
मर गया देश , जीवित रह गए तुम … !''

कोई अच्छा स्पीच ड्राफ्ट था यह जो किसी कागज़ पर नहीं लिखा गया था, सिर्फ़ मौखिक था, या सचमुच कोई ईमानदार संकल्प। 
यह समय बताएगा। 
यही कम नहीं की इसकी शुरूआत 'टॉयलेट' से होनी है। और स्वतंत्रता दिवस की तारीख में, महात्मा गांधी के स्मरण के लिए, प्रधानमंत्री को यही सन्दर्भ उचित लगा। सफाई .... 
चलिए , हम अपने प्रिय कवि गजानन मुक्तिबोध को फिर उद्धृत कर लें … जो कुछ है , उससे बेहतर चाहिए , इस देश और समाज को सबसे पहले एक मेहतर चाहिए। 

काश राजनेता, कार्पोरेट घराने और प्रशासनिक अफसर मेहतर बनें और हर तरह की गंदगी को दूर करें, जो सबसे अधिक अब तक उनके आसपास ही पाया गया है. इससे अच्छा और क्या हो सकता है ? 

आख़ीर में, यह एक भाषण था। दस्तावेज़ी। 'सनद रहे और आगे काम आवै' जैसा आर्काइवल भाषण।

(लाल बहादुर शास्त्री , विवेकानंद , जयप्रकाश नारायण, महर्षि अरविंद आदि का ज़िक्र था , जिन्होंने भारत को बनाया। बस नेहरू-गांधी कुटुंब के अब तक के किसी भी सदस्य का कहीं उल्लेख नहीं था। लेकिन श्यामाप्रसाद मुखर्जी , हेडगेवार , उपाध्याय , सावरकर आदि का भी ज़िक्र नहीं हुआ कि तो लगा की यह पूरा का पूरा चुनावी भाषण भी नहीं था। आश्चर्य यह था की दुनिया की सबसे बड़ी , स्टच्यू ऑफ लिबर्टी को भी मात करने वाली जिन सरदार पटेल की मूर्ति निर्माण होना है , उन हमवतन गुजरात के लौह पुरुष को भी लालकिले के अपने पहले भाषण में वे भूल गए। कोई बात नहीं , चलता है सब , जैसा चलता आया है। )

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...