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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, August 3, 2015

पौड़ टूटल , पौड़ नि टूट सकुद , हम भी दिखला बल पौड़ टुटद च कि ना ?


 पौड़ टूटल , पौड़ नि टूट सकुद  , हम भी दिखला बल पौड़ टुटद च कि ना ? 



                             चबोड़ , चखन्यौ , चचराट   :::   भीष्म कुकरेती 



मि -हैलो ! हैलो ! हैलो हे बौ !

चिरयौवना भुंदरा बौ - अरे क्यांकि बौ अर क्यांकि सौ? 

मि -हे बौ ! एक हफ्ता ह्वे गे अर त्यार ना तो मोबाइल , न लैंडलाइन , पता च त्वे दगड़ बात नि करदो तो म्यार अपण बाल बच्चों दगड़ बात करणो जी नि बुल्यांद  । 

चिरबिगरैली बांद  भुंदरा बौ -अरे इस गाँव में तो काण्ड ही लग गए हैं। पता च त्वै तै 

मि -क्या ह्वाइ ?

चिर दगड्याणि  भुंदरा बौ -आठ दिन से ना तो बिजली च अर ऊनि मोबाइल टावरों पर बि आग लगी है।  नलका बि बंद। सब कुछ बंद है। वु त मि आज मोबाईल अर इमरजेंसी लाइट रिचार्ज करणो गूमखाळ औं तब मोबाइल शुरू ह्वे।  

मि -अरे प्रधान घन्ना बडा क्या करणु च ?

चिरयौवना भुंदरा बौ -घन्ना ज्योर तो अपणि डंडलि सजाणो तयारी करणा छन। 

मि -त भूतपूर्व ग्राम प्रधान जन्ना काका बि त बिजली -मोबाइल ठीक सेवा लाण मा मदद कर सकदन। 

  भुंदरा बौ -ऊँ ज्योरुं की  त डांडी पैली सजे गै छे ।  द्वी ये गाँवकुण रागस बणी गेन।  रागस ! 

मि -ह्यां ह्वाइ क्या च ?

 भुंदरा बौ -अरे तीन गावक मध्य एक छुटु पौड़ नी च ?

मि -हाँ जु पौड़ टूटि जावो तो सरा क्षेत्र वळु कुण कोटद्वार , ऋषिकेश जाण एक घंटा सौंग ह्वे जालु।  ये पौड़क कारण गाड़ी घ्वाड़ों  तै कथगा घुमाण पड़द।   

भुंदरा बौ -वी तो काण्ड लगीं छन।  जब जन्ना ज्योर प्रधान छया तो हर हफ्ता लैंसडाउन , पौड़ी जांदा छया अर हर महीना देहरादून जाँदा छया।  उख नेताओं अर अधिकार्युं खुट मा पड़दा छ कि ये छुट पौड़ तोड़ि द्यावो। 

मि -हाँ जब जन्ना काका का प्रधानचारी का छै सात मैना रयां छा तो इन लगणु छौ कि सरकार वै पौड़ आजी तोड़दि  भोळ इ  तोड़दि। 

  भुंदरा बौ -हाँ तब घन्ना ज्योरुंन क्या हल्ला कौर छौ अब  भूतपूर्व प्रधान हूणों पट बाद  जन्ना ज्योर पौड़ तोड़णो घोर बिरोध करणा छन। 

मि -क्या आआआ !  पौड़ घोर विरोधी घन्ना बाडा अब पौड़ तोड़णो समर्थक ह्वे गे ?

 भुंदरा बौ -हाँ अब घन्ना ज्योर ग्राम प्रधान जि बणि गेन। 

मि -अर जन्ना काका जु पौड़ तुड़वाणो बान जी जान लगाणु छौ वु अब पौड़ तुड़वाणो बिरोधी ह्वे गे। 

 भुंदरा बौ -बिरोधी ना वु ज्योर तो घोर बिरोधी ह्वे गेन।  ये गाँव मा दुयुंक झगड़ा मा रौण खाण मुस्किल ह्वे गे। 

मि -क्या ह्वाइ ?

 बांद  भुंदरा बौ -अरे रोज हो हल्ला।  एक दिन घन्ना ज्योरूक पाळिक लोग गाँव बिटेन मोर्चा निकाळिक,  हल्ला करिक, जन्ना ज्योरूक जनाजा निकाळिक पौड़ तक जांदन।  सरा दिन गाँव मा नारा लगणा रौंदन बल -पौड़ टूटेगा , पौड़ अवश्य टूटेगा , गाँव का विकास होगा। 

मि -ये मेरी ब्वे ! इथगा छुट गाँवमा अर जनाजा , मोर्चा , नारेबाजी ?

 भुंदरा बौ -फिर दुसर दिन जन्ना ज्योरूक पाळिक लोग गाँव बिटेनअपण गोर बछर , कुत्ता बिरलुं लेकि,  मोर्चा  निकाळिक पौड़ तक जांदन अर उख घन्ना ज्योरूक चिता जळान्दन। पिछ्ला सात आठ दिन से गाँव मा मोर्चा अर प्रतिमोर्चा ही निकळणा छन।  गौ बुरी चीज च कुछ बि काम हूणु हो धौं।  बिजली बंद , मोबाईल -टेलीफोन बंद।  इख तलक कि पाणी नळ बि बंद छन पर ग्राम प्रधान अर भूतपूर्व प्रधान मोर्चा नि काळणम व्यस्त छन।   गाँव वळ जावन भाड़ मा।  

मि -हाँ पोरुक साल तो घन्ना बडा पौड़ तुड़णो विरोध मा  आत्महत्या करणो तयार ह्वे गे छौ। 

भुंदरा बौ -अर ये साल जन्ना ज्योर पौड़ तोड़णो विरोध मा अपण दूधिक नाती तै लेकि बलि चढ़ाणो चल गेन। 

मि -अरे पर दुयुं तै बैठिक सुचण चयेंद कि ग्रामहित , जनहित , कक्षेत्रीय  विकास  का काम पैल अर व्यक्तिगत राजनीति बाद मा। 

बांद  भुंदरा बौ -हाँ हम सब्युंन दुयुं तै समजाई बि च कि विकास का काम छन ऊंमा राजनीति  नि कारो , राजनीति  नि कारो , नि कारो।  पर द्वी हमर बात सुणना इ नि छन। 

मि -पर किलै ?

  भुंदरा बौ -द्वी बुल्दन बल जब नरेंद्र मोदी अर सोनिया गांधी जनहित , लोकहित , देशहित की बात छोड़िक स्वार्थी राजनीति , स्वार्थी कूटनीति अर कुर्सीनीति मा  जनहित की आहुति दीणा छन  छन तो हम ग्राम प्रधान किलै  स्वार्थी राजनीति नि करला ?

मि -ये मेरि ब्वै ! 

भुंदरा बौ -यां !  यथो  राजा तथो प्रजा।  जन सयाणो तन तन गँवाड़ो ! जन मुखिया तन गँवड्या   हरिया ! 





3/8  /15 ,Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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