सबसे हैरतअंगेज है स्त्री संगठनों की निष्क्रियता जो स्त्री स्वतंत्रता के लिए अति मुखर
हैं लेकिन न गुर मेहर और न मंदाक्रांता के बारे में उनमें कोई हलचल नजर आ रही है।
भारत के जनवादी लेखक संघ ने मंदाक्रांतो को सामूहिक बलात्कार की धमकी की निंदा करते हुए चेतावनी दी है कि श्रीजात बंदोपाध्याय और मंदाक्रांता सेन की लड़ाई थमेगी नहीं, इसमें और-और नाम शामिल होते जायेंगे!
सोसाइटी का अता पता नहीं है।बहरहाल इक्क दुक्का संगठन विरोद प्रदर्सन कर रहे हैं और बाकी देश में म्लेच्छ करार दिये जाने का डर इतना हावी हो गया है कि सड़क पर कुछभी नजर नहीं आ रहा है।
"मुझे अपनी फ़िक्र नहीं. बुनियादपरस्ती से लड़ने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लिखा जाए और अधिक रैलियाँ की जाएँ."
ये शब्द हैं बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन के, जिन्हें हिन्दुत्ववादियों ने फेसबुक पर गैंग-रेप की धमकी दी है. मंदाक्रांता सेन ने 19 मार्च को आदित्यनाथ के यूपी मुख्यमंत्री बनने पर लिखी गयी श्रीजात की कविता पर हिन्दुत्ववादियों के हमले की आलोचना की थी. हिन्दुत्ववादियों का कहना था कि श्रीजात की कविता ने हिन्दू भावनाओं को आहत किया है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. मंदाक्रांता इस विवाद में श्रीजात के पक्ष में खड़ी रहीं और उन्होंने हिंदुत्ववादियों के खिलाफ एक विरोध रैली में भी हिस्सा लिया. मंदाक्रांता ने 2015 में असहिष्णुता के ख़िलाफ़ साहित्य अकादमी यंग राइटर्स स्पेशल अवार्ड भी वापस किया था.
जो लोग आलोचनात्मक नज़रिया रखनेवाली विचारशील स्त्रियों के लिए हर बार गैंग-रेप की धमकी दुहराते हैं, वे निस्संदेह भारतीय संस्कृति के सबसे सजग रक्षक होंगे. उनके ऐसे कारनामों से उनकी 'भारतीय संस्कृति' को समझने का रास्ता खुलता है. हे रक्षको, शर्म करो! और स्यापा भी, कि श्रीजात बंदोपाध्याय और मंदाक्रांता सेन की लड़ाई थमेगी नहीं, इसमें और-और नाम शामिल होते जायेंगे.
"मुझे अपनी फ़िक्र नहीं. बुनियादपरस्ती से लड़ने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लिखा जाए और अधिक रैलियाँ की जाएँ."
ये शब्द हैं बांग्ला कवयित्री मंदाक्रांता सेन के, जिन्हें हिन्दुत्ववादियों ने फेसबुक पर गैंग-रेप की धमकी दी है. मंदाक्रांता सेन ने 19 मार्च को आदित्यनाथ के यूपी मुख्यमंत्री बनने पर लिखी गयी श्रीजात की कविता पर हिन्दुत्ववादियों के हमले की आलोचना की थी. हिन्दुत्ववादियों का कहना था कि श्रीजात की कविता ने हिन्दू भावनाओं को आहत किया है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए. मंदाक्रांता इस विवाद में श्रीजात के पक्ष में खड़ी रहीं और उन्होंने हिंदुत्ववादियों के खिलाफ एक विरोध रैली में भी हिस्सा लिया. मंदाक्रांता ने 2015 में असहिष्णुता के ख़िलाफ़ साहित्य अकादमी यंग राइटर्स स्पेशल अवार्ड भी वापस किया था.
जो लोग आलोचनात्मक नज़रिया रखनेवाली विचारशील स्त्रियों के लिए हर बार गैंग-रेप की धमकी दुहराते हैं, वे निस्संदेह भारतीय संस्कृति के सबसे सजग रक्षक होंगे. उनके ऐसे कारनामों से उनकी 'भारतीय संस्कृति' को समझने का रास्ता खुलता है. हे रक्षको, शर्म करो! और स्यापा भी, कि श्रीजात बंदोपाध्याय और मंदाक्रांता सेन की लड़ाई थमेगी नहीं, इसमें और-और नाम शामिल होते जायेंगे.
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