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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, April 25, 2011

Fwd: Wanted



---------- Forwarded message ----------
From: Tara Tripathi <nirmaltara@gmail.com>
Date: 2011/4/25
Subject: Wanted



        वांटेड
आवश्यकता है एक पूँछ हिलाने वाले की
जो लात खाकर भी स्थितप्रज्ञ का सा मुखौटा ओढ़े,
खीसें निपोरते हुए पूँछ हिलाता रहे.
विज्ञापन पढ़ा-- पूँछ वालों ने भी और बिना पूँछ वालों ने भी.
अपनी- अपनी क्वालिफिकेशन्स पर विचार किया,
बायोडाटा भेज दिया.
आदमी ने सोचा, क्या पता बिना पूँछ के भी चल जाय
पूँछ  नही भी है तो क्या हुआ,
साहब के रसोईघर में पहुँच तो है ही, अर्जी भेज दी
चयनकर्ता बैठे, आवेदन पत्रों पर विचार करने लगे.
शेर का बायोडाटा देखा,
कंट्रोल और जानवरों  के क्वालिटी कंट्रोल में बेजोड़
डिसिप्लिन का क्या कहना,
 एक आवाज क्या देता है, पूरा जंगल सहम जाता है.
पूँछ भी बड़ी है.
चलिये, उसे हिलाने की न सही, पटकने की अदत तो है ही.
एक दो ओरिएंटेशन  कोर्स  कर लेगा तो
 रफ्ते रफ्ते पूँछ हिलाना भी सीख जाएगा.
चंगुल में फँस जाने पर, सर्कस में
रिंग मास्टर के आगे पूँछ तो दबा ही लेता है.
दूसरा चयनकर्ता बोला,
पूँछ दबता तो है, पर  गुर्राना  नहीं छोड़ता.
पूरे सलेक्शन बोर्ड ने एक स्वर से कहा, रिजेक्टेड.
दूसरी अर्जी गीडड़ की.
चयनकर्ताओं  ने संलग्नक देखे.
पता लगा, जब कालेज में था,
 प्रोफ़ेसर साहब की चाकरी करता था.
 इसीलिए पूँछ छब्बेदार है.
चालाक  भी है और फुर्तीला भी,
लात खा कर खीसें भी निपोरता है.
दूसरा चयनकर्ता बोला
पर मौका देख कर, शाम होते ही,
 बस्ती के बाहर से ही सही, ललकारने सा लगता है.
 सब ने कहा, तब तो बेकार है.
अब सामने आया, लंगूर का बायोडाटा
 देखा, पूँछ तो बड़ी लंबी है,
 मुख्यमन्त्री तक तो पहुँचती ही होगी.
बाप-दादा राम की सेना में रह चुके हैं
 यह प्रमाण पत्र भी संलग्न है.
शिफारिशकर्ता ने लिखा है के थोड़ी सी ट्रेनिंग पाकर,
पूँछ हिलाने की तक्नीक में माहिर हो जाएगा.
तीसरा चयनकर्ता बोला,
एक कमी है,
 जरा सा फटकार लगाओ, तो ऐसी पोज बनाता है,
 जैसे कह रहा हो कि देख लूंगा.
तब तो जंगली है, रिजेक्टेड.
ऐसे ही तरह-तरह की पूँछ वाले आये, तरह-तरह के करतब दिखाये
 पर लात खा कर भी विनम्रतापूर्वक मुस्कुराए,
 ऐसा एक भी नहीं.
स्क्रीनिंग में अनुमोदित अंतिम आवेदनपत्र कुत्ते का.
चयनकर्ताओं को लगा,  जिसकी तलाश थी, वह मिल गया.
पूँछ भी पूरी तरह लोचदार.
पीढ़ियों  से पूँछ  हिलाने का अभ्यस्त,
सभी उसके इस गुण से परिचित हैं
अतः भाई भतीजेवाद का आरोप भी नहीं लगेगा.
 बस, साक्षात्कार  के लिए बुला लिया.
कुत्ता आया, दयनीय भाव से मुस्कुराया,
पूँछ हिलाने की  हजार शैलियाँ दिखाईं, खीसें भी निपोरीं
बस लात खा कर भी खीसें निपोरते हुए पूँछ हिलाते रहने का
एक फिजिकल टेस्ट रह गया.
चेयरमैन जी उठे और कुत्ते को एक लात मारी
कुत्ता रिरियाया, कुछ दूर जाकर, गुर्राया
 चयन कर्ता बोले, धत तेरे की, यह भी अनफिट है.
 अब चयन्कर्ताओं की समझ में आया
कि यद्दि पूँछ असली होगी तो
लात खाकर कोई भी क्यों मुस्कुराएगा
 बदला भले ही न ले सके, भुनभुनाएगा,
मौका देख कर अकड़ भी दिखाएगा.
इसलिए,
पूँछ के शब्दार्थ  पर क्यों जायें.
पूँछ एबेस्ट्रेक्ट भी तो हो सकती है.
 हो सकता है, भीतर हो, बाहर नहीं.
 देह में पूँछ न होने के कारण
 रद्दी की टोकरी में पड़ा आदमी का बायोडाटा उठाया
इण्टरव्यू के लिए बुलाया.
आदमी आया,
 एक चयनकर्ता ने उसे तत्काल एक लात जमायी.
आदमी लात खाकर भी,
 न दहाडा, न हुआँ..या, न खौकियाया, न रिरियाया,
केवल विनम्र भाव से मुस्कुराया.
बस चुन लिया गया.
जर्नलिस्ट कागदास ने मुझे बताया
भाई! कमाल है आदमी.
 पूँछ न होते हुए भी  पूँछ हिलाने में बेजोड़ निकला
 इसलिए चुन लिया गया.

ता.च.त्रि.





nirmaltara



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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