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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, February 29, 2012

Fwd: [पुस्‍तक-मित्र] ''ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के....'' के...



---------- Forwarded message ----------
From: Maya Mrig <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/2/29
Subject: [पुस्‍तक-मित्र] ''ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के....'' के...
To: पुस्‍तक-मित्र <pustakmitar@groups.facebook.com>


''ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के....''...
Maya Mrig 4:37pm Feb 29
''ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के....'' के रचनाकार जनान्‍दोलनों से जुड़े लोकप्रिय कवि एवं गीतकार बल्‍ली सिंह चीमा की नई ग़ज़ल पुस्‍तक 'हादसा क्‍या चीज़ है' का लोकार्पण प्रगति मैदान में चल रहे पुस्‍तक मेले में हुआ। चीमा के तेवर देखिये-

बालियां गेहूं की हों या धान की सब खा रही मण्‍डी
हम किसानों के लिए तो फसल के पत्‍ते नहीं बचते

लड़ मरुं या मार दूं...हैं रास्‍ते दो ही मेरे रब्‍बा
खुदकुशी मैं कर भी लूं तो कर्ज़ से बच्‍चे नहीं बचते.....

हादसा क्‍या चीज़ है/ग़ज़ल/बल्‍ली सिंह चीमा/पेपरबैक/पृष्‍ठ 88/मूल्‍य 40.00 रुपये/बोधि प्रकाशन, जयपुर/पुस्‍तक मेले में उपस्थिति आरोही, स्‍टॉल नं 120, हॉल नं 11

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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