Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, April 26, 2012

गंगा पर संतों की नीयत पर उठे सवाल का जवाब नहीं दे पाए गोविंदाचार्य

https://mail.google.com/mail/?shva=1#compose

[LARGE][LINK=/index.php/yeduniya/1239-2012-04-26-13-05-28]गंगा पर संतों की नीयत पर उठे सवाल का जवाब नहीं दे पाए गोविंदाचार्य   [/LINK] [/LARGE]
Written by विजेंद्र रावत Category: [LINK=/index.php/yeduniya]सियासत-ताकत-राजकाज-देश-प्रदेश-दुनिया-समाज-सरोकार[/LINK] Published on 26 April 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=df75991e4b81a029c974b473c088f02b36996d83][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/yeduniya/1239-2012-04-26-13-05-28?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
अविरल गंगा व निर्मल गंगा पर देशभर के प्रतिष्ठित संतों के संगठन ..गंगा महासभा.. द्वारा प्रेस क्लब आफ इंडिया में आयोजित एक संवाददाता सम्मलेन में सभी पदाधिकारियों सहित संगठन के मार्गदर्शक के.एन. गोविन्दाचार्य भी निरुत्तर हो गये जब मैंने पूछा कि गंगा के मैली होने की शुरुआत धर्म नगरी ऋषिकेश व हरिद्वार से होती है और इसमे सबसे ज्यादा योगदान यहाँ के 5 स्टार ब्रांड धार्मिक आश्रमों का है, जिनका सारा सीवर व कचरा सीधे गंगा में जा रहा है? क्या ये अरबपति बने आश्रम अपने ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगा सकते? जिन्होंने गंगा के नाम पर अकूत सम्पति इकठ्ठी कर ली है? भागीरथी में बन रहे विद्युत परियोजनाएं तो संतों ने बंद करवा दी पर उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक के सौ कि.मी. के क्षेत्र में बने करीब 89 धार्मिक आश्रमों के किसी के भी अपने ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है और उनकी गन्दगी सीधे भागीरथी में जा रही है.... क्या संतों को सबसे पहले अपने घर में गंगा की सफाई के लिए काम नहीं करना चाहिए?

इस सवाल के जवाब में गंगा महासभा के महामंत्री आचार्य जीतेंद्र (काशी) जवाब देने का प्रयास करने लगे पर गोविदाचार्य ने बीच में ही टोकते हुए जीतेंद्र से कहा कि उनके सवाल के जवाब ये नहीं है? पर फिर गोविन्दाचार्य भी इस सवाल के जवाब में कुछ नहीं बोल सके और प्रेस वार्ता समाप्त हो गयी.... आचार्य जितेन्द्र ने एक आरोप जरूर लगाया कि उत्तराखंड में बांधों के समर्थन के पीछे अंतरराष्ट्रीय धन है, जो 35 ब्लैक लिस्टेड एनजीओ के माध्यम से उत्तराखंड में आ रहा है. इसका सीधा मतलब है कि इन्होंने बाँध समर्थक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को निशाने पर लेने का भी प्रयास किया है....!

[B]लेखक विजेंद्र रावत वरिष्‍ठ पत्रकार हैं.[/B]

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...