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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, April 23, 2012

उपेक्षित महसूस करते हैं असम में रहने वाले सिख

उपेक्षित महसूस करते हैं असम में रहने वाले सिख

Monday, 23 April 2012 14:02

इटानगर, 23 अप्रैल (एजेंसी) असम में निवास कर रहे करीब 50,000 सिख अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका मानना है कि न तो असम सरकार और न ही पंजाब सरकार उन्हें पूरी तरह से स्वीकार करती है।


असम के ज्यादातर सिख नागौन और सोनितपुर जिले में रहते हैं। असम के सिखों का मानना है कि 1820 के आस-पास जब महाराजा रंजीत सिंह ने म्यांमार के आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए 500 सिखों की एक टुकड़ी यहां भेजी थी, वह तभी से यहां रह रहे हैं। 
रंजीत सिंह ने असम के राजा चन्द्रकांत सिंहा के निवेदन पर म्यांमार के हमलावरों से लड़ने के लिए सिखों की यह टुकड़ी भेजी थी। सिख टुकड़ी का नेतृत्व चैतन्य सिंह ने किया था। 
इसके करीब दो सदी बाद और अब से करीब चार साल पहले 166 सिख अपनी जड़ों की तलाश में  पंजाब की ऐतिहासिक यात्रा पर गये ।  

असम सिख संघ के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बताया, ''यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी क्योंकि इससे पहले असम के सिखों ने इस प्रकार के व्यवस्थित तरीके से कभी यात्रा नहीं की थी। उनके करीबी और दूर के सभी रिश्तेदार उनसे छूट गये थे।''
उन्होंने बताया, कि यह अंधेरे में कंकड फेंकने जैसा था, क्योंकि यहां से गये 166 सिखों को अपने मूल निवास स्थान अथवा गांव के बारे में कछ पता नहीं है। 
उन्होंने कहा, '' तब से अब तक पंजाब में भी बहुत परिवर्तन हो चुका है। यह बहुत दिलचस्प यात्रा थी क्योंकि हममे से कोई भी सिख देश के बाकी सिखों की तरह पंजाबी में बात नहीं कर सकता था और न ही पंजाबी समझ सकता था।

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