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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, June 18, 2012

कथाकार और आलोचक अरूण प्रकाश का निधन

http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-26/78-literature/2763-kathakar-alochak-arun-prakash-nidhan

लंबे से समय से सांस  की बीमारी से पीडि़त चल रहे कथाकार और आलोचक अरूण प्रकाश का आज दिन में 1 बजे दिल्ली के पटेल चेस्ट अस्पताल में निधन हो गया। वे लगभग 64 साल के थे। अब उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी हैं। बिहार के बेगुसराय जिले में 1948 में जन्में अरूण प्रकाश प्रगतिशीलधारा के रचनाकारों में महत्वपूर्ण हैं। 

बिहार के बरौनी में हिंदुस्तान फर्टीलाइजर में कार्यरत रहे अरुण प्रकाश बीआरएस लेकर पिछले ढाई दशक से दिल्ली में रह रहे थे। उन्होंने साहित्य यात्रा की शुरूआत कविता से की थी] लेकिन बाद में उन्हें प्रसिद्धि कहानी के क्षेत्र में मिली। वे वृत्तचित्रों से भी जुड़े रहे. 

अस्सी के दशक में प्रवासी बिहारियों पर लिखी उनकी एक कहानी 'भैया एक्सप्रेस' सर्वाधिक चर्चित रही थी। उनके पांच कहानी संग्रह, एक कविता 'रक्त के बारे में' और एक उपन्यास 'कोंपल प्रकाशित है। इसके अलावा आलोचना और संस्समरण के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान है। वे साहित्य अकादमी की पत्रिका 'समकालीन भारतीय साहित्य' के संपादक भी रहे। 

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