Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, July 18, 2012

जिंदगी कैसी है पहेली हाय... राजेश खन्ना ने कहा अलविदा

Wednesday, 18 July 2012 15:01

मुंबई, 18 जुलाई (एजेंसी) ''मेरे सपनों की रानी'' और ''रूप तेरा मस्ताना...'' जैसे रोमांटिक गीतों के भावों को अपनी जज्बाती अदाकारी से जीवंत करने वाले राजेश खन्ना ने अपने जमाने में लगातार 15 हिट फिल्में देकर बालीवुड को ''सुपर स्टार'' की परिभाषा दी थी। 
राजेश खन्ना के बालों का स्टाइल हो , या ड्रैसअप होने का तरीका, उनकी संवाद अदायगी हो या पलकों को हल्के से झुकाकर, गर्दन टेढी कर निगाहों के तीर छोड़ने की अदा उनकी हर अदा कातिलाना थी। उनकी फिल्मों के एक एक रोमांटिक डायलाग पर सिनेमाघरों के नीम अंधेरे में सीटियां ही सीटियां गूंजती थी। 
69 वर्षीय बालीवुड के ''सुपर स्टार'' ने आज यहां बां्रदा स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। 
राजेश खन्ना को ऐसे ही सुपर स्टार नहीं कहा जाता था । युवक और युवतियां उनके इस कदर दीवाने थे कि बाजारों में निकलने पर युवतियां पागलों की तरह उनकी कार को चूमती थी और कार पर लिपस्टिक के दाग ही दाग होते थे । युवतियां उन्हें अपने खून से लिखे खत भेजा करती थीं । 
उनसे पहले के स्टार राज कपूर और दिलीप कुमार के लिए भी लोग पागल रहते थे लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि जो दीवानगी राजेश खन्ना के लिए थी , वैसी पहले या बाद में कभी नहीं दिखी।
29 दिसंबर 1942 को राजेश खन्ना का जन्म अमृतसर में हुआ था और उनकी परवरिश उनके दत्तक माता पिता ने की । उनका नाम पहले जतिन खन्ना था । स्कूली 

Wednesday, 18 July 2012 15:01

मुंबई, 18 जुलाई (एजेंसी) ''मेरे सपनों की रानी'' और ''रूप तेरा मस्ताना...'' जैसे रोमांटिक गीतों के भावों को अपनी जज्बाती अदाकारी से जीवंत करने वाले राजेश खन्ना ने अपने जमाने में लगातार 15 हिट फिल्में देकर बालीवुड को ''सुपर स्टार'' की परिभाषा दी थी। 
राजेश खन्ना के बालों का स्टाइल हो , या ड्रैसअप होने का तरीका, उनकी संवाद अदायगी हो या पलकों को हल्के से झुकाकर, गर्दन टेढी कर निगाहों के तीर छोड़ने की अदा उनकी हर अदा कातिलाना थी। उनकी फिल्मों के एक एक रोमांटिक डायलाग पर सिनेमाघरों के नीम अंधेरे में सीटियां ही सीटियां गूंजती थी। 
69 वर्षीय बालीवुड के ''सुपर स्टार'' ने आज यहां बां्रदा स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। 
राजेश खन्ना को ऐसे ही सुपर स्टार नहीं कहा जाता था । युवक और युवतियां उनके इस कदर दीवाने थे कि बाजारों में निकलने पर युवतियां पागलों की तरह उनकी कार को चूमती थी और कार पर लिपस्टिक के दाग ही दाग होते थे । युवतियां उन्हें अपने खून से लिखे खत भेजा करती थीं । 
उनसे पहले के स्टार राज कपूर और दिलीप कुमार के लिए भी लोग पागल रहते थे लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि जो दीवानगी राजेश खन्ना के लिए थी , वैसी पहले या बाद में कभी नहीं दिखी।
29 दिसंबर 1942 को राजेश खन्ना का जन्म अमृतसर में हुआ था और उनकी परवरिश उनके दत्तक माता पिता ने की । उनका नाम पहले जतिन खन्ना था । स्कूली दिनों से ही राजेश खन्ना का झुकाव अभिनय की ओर हो गया था और इसी के चलते उन्होंने कई नाटकों में अभिनय भी किया। 

सपनों के पंख लगने की उम्र आयी तो जतिन ने फिल्मों की राह पकड़ने का फैसला किया । यह दौर उनकी जिंदगी की नयी इबारत लिखकर लाया और उनके चाचा ने उनका नाम जतिन से बदल कर राजेश कर दिया। इस नाम ने न केवल उन्हें शोहरत दी बल्कि यह नाम हर युवक और युवती के जÞेहन में अमर हो गया। 
1965 में राजेश खन्ना ने यूनाइटेड प्रोड्यूर्स एंड फिल्मफेयर के प्रतिभा खोज अभियान में बाजी मारी और उसके बाद शोहरत और दौलत उनके कदम चूमती चली गयी। उनकी सबसे पहली फिल्म ''आखिरी खत'' थी जिसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। उन्हें दूसरी फिल्म मिली ''राजÞ'' । यह फिल्म भी प्रतियोगिता जीतने का ही पुरस्कार थी। 
उस दौर में दिलीप कुमार और राज कपूर के अभिनय का डंका बजता था और किसी को अहसास भी नहीं था कि एक ''नया सितारा'' शोहरत के आसमान को कब्जाने के लिए बढ़ रहा है । राजेश खन्ना ने ''बहारों के सपने'' , ''औरत'' , ''डोली'' और ''इत्तेफाक'' जैसी शुरूआती सफल फिल्में दीं लेकिन 1969 में आयी ''आराधना'' ने बालीवुड में ''काका'' के दौर की शुरूआत कर दी। 
''आराधना'' में राजेश खन्ना और हुस्न परी शर्मिला टैगोर की जोड़ी ने सिल्वर स्क्रीन पर रोमांस और जज्बातों का वो गजब चित्रण किया कि लाखों युवतियों की रातों की नींद उड़ने लगी और 'काका' प्रेम का नया प्रतीक बन गए ।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...