आर्थिक सुधारों के अश्वमेध घोड़े को थामने की न जरुरत महसूस हो रही है किसी को , न हिम्मत है किसी रुस्तम में!अब भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की कमान भी कारपोरेट हाथों में।
इस बीच अंधकार के आलम में पूरा देश नौटंकी का मजा देख रहा है। जैसे पश्चिम में राजकुमार और राजकुमारी के अंतरंग दृश्यों का काकटेल बिक रहा है, वैसे ही जमाईराजा के किस्से हाटकेक है। घोटोला दर घोटाला बेपर्दा हो रही है सरकार। लेकिन सरकार तो नीति बनाती व नहीं है नहीं है। नीतियां अमल में लाती है।कारपोरेट राज में संसदीय प्रणाली गैरप्रासंगिक हो गयी है। सारा बंदोबस्त कारपोरेट। राजनीति भी कारपोरेट। नीति निर्धारण से लेकर कानून भी कारपोरेट बना रहा है। पर कारपोरेट राज पर कोई उंगली उठा नहीं रहा है। कारपोरेट मीडिया घोटाला बायोस्कोप का निर्माता निर्देशक प्रायोजक है और हम मजे ले रहे हैं। दम घुट रहा है , पर अहसास तक नहीं है। धूमधड़ाके के साथ गणेश चतुर्दशी मना चुके हैं। दुर्गोत्सव , दिवाली और बकरीद का धर्मनिरपेक्ष उत्सव जारी है। कौन नहीं जानता कि वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति!नंदीग्राम में विराजेंगी मां शक्ति!पर नंदीग्राम कहां है? जो लोग कह रहे थे, आमार नाम तोमार नाम सबार नाम नंदीग्राम, वे कहां हैं?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
आर्थिक नरसंहार की रफ्तार घटाने के लिए कोई आंदोलन हो नहीं रहा है। प्रतिरोध की बात ही न करें। राजनीतिक दलों से मोहभंग के बाद गैर राजनीतिक सिविल सोसाइटी और मीडिया पर जिन्होंने दांव लगाया, उन्हें शायद यह नहीं मालूम कि पर्दाफाश और घोटालों के आरोप से भले ही राजनीतिक समीकरण बने बिगड़े हों, सत्ता बदल गयी हो, अभियुक्तों का बाल बांका नहीं होता। यूपीए सरकार घोटालों से घिरी है। चुनावों में रसोई की आग की आंच सबसे ज्यादा महसूस किये जाने की आशंका है। पर सरकार घोटालों के समाचारों के बीच मजे से आर्थिक सुधारों की मुहिम जारी रखे हुए है और इसके खिलाफ कोई शोर शराबा नहीं हो रहा है। कारपोरेट मीडिया ध्यान बंटाने का काम कितनी खूबी से करता है और सत्तावर्ग को अपना एजंडा अमल में लाने में कैसे सहयोग करता है, यह बात खुलकर सामने आ गयी है।पर लोग कांग्रेस को आरोपों में घिरे होने और संघ परिवार के सत्ता में लौटने की फिजां से ही खुश है। आर्थिक सुधारों के अश्वमेध घोड़े को थामने की न जरुरत महसूस हो रही है किसी को , न हिम्मत है किसी रुस्तम में! बेफिक्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की संख्या छह करने का फैसला नहीं पलटा जाएगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को लेकर गलत संदेश जाएगा। इस तरह की खबरें आई थीं कि साल में सब्सिडी वाले 12 सिलेंडर देने पर सरकार में सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। लेकिन अब इसमें खटाई पड़ती दिख रही है। बढ़ते सब्सिडी बिल को देखते हुए सरकार ने 13 सितंबर को रियायती दरों पर मिलने वाले एलपीजी सिलेंडरों की सीमा तय करने का फैसला किया था। छह के बाद सिलेंडर की आपूर्ति बाजार भाव पर होगी। बिना सब्सिडी वाले बाजार मूल्य पर मिलने वाले सिलेंडर पर सीमा नहीं होगी।चिदंबरम ने तोक्यो में आर्थिक सुधार के कुछ और कदम उठाने का भी आश्वासन दिया। ये सुधार बीमा, बैंकिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में होंगे। इन पर कुछ हफ्तों के भीतर फैसला लिया जाएगा। केंद्र सरकार मल्टी ब्रांड रिटेल, विमानन और बीमा व पेंशन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अनुमति देने का फैसला पहले ही ले चुकी है। ये सभी कदम चिदंबरम के वित्त मंत्री बनने के बाद उठाए गए हैं। चिदंबरम ने रुपये में कुछ और मजबूती की उम्मीद जताई। डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा बीते तीन माह में पांच से छह फीसद मजबूत हुई है। रुपये की यह उछाल एशियाई मुद्राओं में सबसे ज्यादा है। रुपये के और ऊपर जाने से महंगाई में बढ़ोतरी कुछ थमेगी, क्योंकि आयात सस्ते होंगे। उन्होंने यह संकेत दिया कि अगले बजट में वह खर्चो में कटौती और निवेश बढ़ाने के उपायों पर जोर देंगे। यानी सब्सिडी में कटौती का सिलसिला जारी रहेगा। सरकार इसी मकसद से डीजल के दाम बढ़ाने के साथ ही सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की संख्या घटा चुकी है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पर चिंता जाहिर करते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि जिंसों की ऊंची कीमत विशेषकर ऊर्जा की कीमत देश की वृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए बड़ा खतरा है। केंद्र सरकार के दो मंत्रियों के बीच फिर तलवारें खींच गई हैं। इस बार लड़ाई वित्तमंत्री पी चिदंबरम और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के बीच है। जयंती नटराजन ने प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखकर चिदंबरम के नेशनल इंवेस्टमेंट बोर्ड (एनआईबी) बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। नटराजन ने लिखा है कि अगर नेशनल इनवेस्टमेंट बोर्ड बना, तो यह उनके मंत्रालय की ताकत को दबाने जैसा होगा।दरअसल वित्त मंत्री चाहते हैं कि सालों से लटके बड़े इंफ्रा प्रोजेक्टों को फटाफट मंजूरी मिले और इसके लिए वो जल्द एनआईबी का गठन चाहते हैं। इसका ब्लूप्रिंट भी कैबिनेट के सामने पेश हो चुका है।एनआईबी को अधिकार होगा कि किसी भी मंत्रालय की आपत्ति को खारिज कर प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दे। यही बात पर्यावरण मंत्री को खटक रही है। जयंती नटराजन ने प्रधानमंत्री को 9 अक्टूबर को जो पत्र लिखा है उसमें कहा है कि एनआईबी के गठन का प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं है क्योंकि एनआईबी के पास किसी मंत्रालय की नाकामी को परखने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।जयंती नटराजन ने अपने पत्र में ये भी लिखा है कि अगर पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति को खारिज करते हुए एनआईबी कोई फैसला लेता है तो इसका संसद में जवाब कौन देगा। पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन को इस बात पर भी ऐतराज है कि एनआईबी इंडस्ट्री को ये अधिकार देता है कि वो मंत्रालयों के फैसले के खिलाफ इसमें अपील कर सकें। लेकिन एक आम आदमी और एनजीओ एनआईबी में अपील नहीं कर सकता, आखिर ये भेदभाव क्यों?एनआईबी का उद्देश्य है कि 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के इंफ्रा प्रोजेक्ट को फटाफट मंजूरी मिले। खासकर वो प्रोजेक्ट जो किसी ना किसी मंत्रालय की मंजूरी की वजह से फंसे हुए हैं। एनआईबी में वित्त मंत्री, कानून मंत्री और एक सीनियर मंत्री शामिल होगा। लेकिन सरकार के अंदर ही एनआईबी को लेकर जिस तरह से विरोध बढ़ रहा है उसे देखते हुए ऐसा लगता नहीं है कि वित्तमंत्री की राह आसान होगी।
आर्थिक सुधार एक वृहद अर्थ वाला शब्द है। प्रायः इसका उपयोग अल्पतर सरकारी नियंत्रण, अल्पतर सरकारी निषेध, निजी कम्पनियों की अधिक भागीदारी, करों की अल्पतर दर आदि के सन्दर्भ में किया जाता है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि आर्थिक सुधार और आम आदमी के नाम पर देश में लूट मची है।
उदारीकरण के पक्ष में मुख्य तर्क यह दिया जाता ह कि इससे दक्षता आती है और हरेक को कुछ अधिक प्राप्त होता है।ममता ने कहा कि आर्थिक सुधार का मतलब लोगों के हित से होना चाहिए लेकिन आजकल किसी भी तरह के जनविरोधी कदम का नाम आर्थिक सुधार दिया जा रहा है।
भारत मे आर्थिक सुधारों की शुरूआत सन 1990 से हुई । 1990 के पहले भारत मे आर्थिक विकास बहुत ही धीमी गति से हो रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास काफी धीमा था ।
सरकार की इन नीतियों के खिलाफ केंद्रीय श्रमिक संगठन 23 नवंबर को पूरे देश में विरोध दिवस के रूप में मनाएगा। 18 व 19 दिसंबर को सभी श्रमिक संगठन देश भर में सत्याग्रह व जेल भरो आंदोलन करेंगे। 20 दिसंबर को दिल्ली चलो नारे के साथ श्रमिक संगठन दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार संपन्न समिति से 8 नवंबर को मिलेंगे ताकि वस्तु एवं सेवाकर :जीएसटी: के कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दों को सुलझाया जा सके। वित्त मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, े वित्तमंत्री पी चिदंबरम 8 नवंबर को अधिकारसंपन्न समिति से मिलेंगे। े समिति के सदस्यों के साथ बैठक से पहले चिदंबरम 22 अक्तूबर को इसके अध्यक्ष सुशील मोदी के साथ विचार विमर्श करेंगे।
सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी का 49 प्रतिशत निवेश पेंशन में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति जैसे कारण से देश में ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।केंद्र सरकार ने बिना सदन में चर्चा किए आयल इंडिया लिमिटेड में दस प्रतिशत, हिंदुस्तान कापर में 9.5 प्रतिशत, नाल्को में 12.15 प्रतिशत तथा एमएनटीसी में 9.33 प्रतिशत निवेश किया है। अब सरकार नाल्को और ऑयल इंडिया से विनिवेश प्रक्रिया शुरू कर सकती है। 15 नवंबर के बाद नाल्को और ऑयल इंडिया का ऑफर फॉर सेल लाया जा सकता है।सेल, हिंदुस्तान कॉपर, एनएमडीसी के ऑफर फॉर सेल दिसंबर में आ सकते हैं। पावर ग्रिड, एमएमटीसी, एनटीपीसी के एफपीओ जनवरी-मार्च के दौरान लाए जा सकते हैं।माना जा रहा है कि एनएमडीसी और पावर ग्रिड में हिस्सा बेचने को कैबिनेट से जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। बीएचईएल के ऑफर फॉर सेल का विरोध भारी उद्योग मंत्रालय कर रहा है।अगले हफ्ते ऑयल इंडिया के विनिवेश के लिए मर्केंटाइल बैंकर को नियुक्त किया जा सकता है। वहीं, कर्मचारी यूनियन के भारी विरोध की वजह से सरकार नेवेली लिग्नाइट का विनिवेश टाल सकती है।नेशनल फर्टिलाइजर, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर और इंजीनियर्स इंडिया में हिस्सा बेचने का भी प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा जा सकता है। 25 अक्टूबर तक सरकारी कंपनियों के ईटीएफ के लिए सलाहकार नियुक्त होंगे।
इस बीच अंधकार के आलम में पूरा देश नौटंकी का मजा देख रहा है। जैसे पश्चिम में राजकुमार और राजकुमारी के अंतरंग दृश्यों का काकटेल बिक रहा है, वैसे ही जमाईराजा के किस्से हाटकेक है। घोटोला दर घोटाला बेपर्दा हो रही है सरकार। लेकिन सरकार तो नीति बनाती व नहीं है नहीं है। नीतियां अमल में लाती है।कारपोरेट राज में संसदीय प्रणाली गैरप्रासंगिक हो गयी है। बीबीसी को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में भारत के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि आने वाले दिनों में सरकार हर हफ़्ते एक ऐसा आर्थिक सुधार ला सकती है जिसके लिए संसद में कानून पास करने की ज़रुरत नहीं है। सारा बंदोबस्त कारपोरेट। राजनीति भी कारपोरेट। नीति निर्धारण से लेकर कानून भी कारपोरेट बना रहा है। पर कारपोरेट राज पर कोई उंगली उठा नहीं रहा है। कारपोरेट मीडिया घोटाला बायोस्कोप का निर्माता निर्देशक प्रायोजक है और हम मजे ले रहे हैं। दम घुट रहा है , पर अहसास तक नहीं है। धूमधड़ाके के साथ गणेश चतुर्दशी मना चुके हैं। दुर्गोत्सव , दिवाली और बकरीद का धर्मनिरपेक्ष उत्सव जारी है। कौन नहीं जानता कि वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति!नंदीग्राम में विराजेंगी मां शक्ति!पर नंदीग्राम कहां है? जो लोग कह रहे थे, आमार नाम तोमार नाम सबार नाम नंदीग्राम, वे कहां हैं? मां शक्ति की उपासना को लेकर महानगर कोलकाता में एफडीआई जिहाद के गढ़ में तैयारी शुरू हो गई है। दुर्गा पूजा को भव्य व आकर्षक बनाने के लिए कमेटियां खास तैयारी कर रही हैं। भक्तों को आकर्षित करने के लिए पूजा पंडालों को अलग-अलग स्वरूप दिया जा रहा है। कुछ ऐसी ही नायाब कलाकारी अशोकनगर में बन रहे पंडाल में नजर आ रही है। कलाकारों ने पंडाल को कोलकाता के नंदीग्राम की तर्ज पर बनाया है। इसके अंदर प्रवेश करते ही हर ओर ग्रामीण परिवेश नजर आता है। यहां शहरी चमक-दमक से इतर तालाब से मटकी में पानी भरती महिला, डाक ले जाता डाकिया, खेतों में चरती गाय, बकरी, भैंस, धान का बाड़ा, खेत जोतता किसान और पाठशाला में पढ़ाई करते बच्चों को देखकर लोगों को खुद के गांव में होने का एहसास होगा।पंडाल के मध्य में मां का भव्य मंदिर होगा। इसमें प्राचीनता लाने के लिए घासफूस से सजावट की जाएगी। यहीं बैठकर लोगों को दर्शन-पूजन करना होगा। अशोक नगर दुर्गा पूजा कमेटी इस बार अपनी पूजा का 48वां वर्ष मना रही है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का बचाव करने के लिए मनमोहन सिंह सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि कांग्रेस में आतंकवाद पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने में ऐसी संवेदनशीलता की 'कमी' है।
आर्थिक सुधारों के सबसे बड़े आइकन और कारपोरेट नजर में भावी प्रधानमंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का बचाव करने के लिए मनमोहन सिंह सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि कांग्रेस में आतंकवाद पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने में ऐसी संवेदनशीलता की 'कमी' है।मोदी ने वाड्रा का नाम लिए बिना कहा, 'एक परिवार के दामाद के खिलाफ कुछ आरोप थे और मनमोहन सिंह की पूरी सरकार उनके बचाव में उतर आयी। यह उनका कुछ निजी हो सकता है और समय के साथ सच्चाई सामने आ जाएगी।' उन्होंने जामनगर जिले के इस मंदिर नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए वाड्रा की ओर इशारा करते हुए कहा, 'लेकिन आरोपों के बाद दिल्ली की पूरी सरकार ऐसे भयभीत हो गई कि उसे लगा कि यह कोई बहुत बड़ा तूफान आ गया हो, एक बड़ा मामला हो और उन्हें उनको बचाने के लिए कुछ करना चाहिए। मनमोहन सिंह की पूरी सरकार उनके बचाव में उतर आयी।'
बहरहाल जदयू प्रमुख शरद यादव ने आज समाज पर आरोप लगाया कि वह मंहगाई, बेरोजगारी, एफडीआई और किसानों की आत्महत्या की बजाय 'निजी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।' यादव ने अरविंद केजरीवाल का नाम लिए बिना उनकी ओर से हाल में किये गए आंदोलनों को खारिज करते हुए कहा, 'किसी भी मुद्दे से देश से संबंधित मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हैं।' उन्होंने अरविंद केजरीवाल के रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ पर लगाए गए आरोपों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक और घोटाला जनता के सामने आ गया है।राजग संयोजक यादव ने कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी की ओर से संचालित ट्रस्ट में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों पर कहा, 'एक और घोटाला उभर रहा है।' उन्होंने कहा कि उन्हें वाड्रा या खुर्शीद के खिलाफ लगाए जाने वाले आरोपों की प्रामाणिकता के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इन मुद्दों के शोरगुल में राष्ट्रमंडल, 2जी, कोल ब्लॉक आवंटन तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संचालन में घोटाले को भुलाया नहीं जाना चाहिए।
अब भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम की कमान भी कारपोरेट हाथों में।गेल, टाटा स्टील और इन्फोसिस जैसी देश की बड़ी कंपनियां भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और कॉरपोरेट कामकाज बेहतर करने के लिए अनूठे तरीके अपना रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था की भारतीय शाखा ग्लोबल कांपैक्ट नेटवर्क इंडिया (जीसीएनआई) ने एक रपट पेश की है जिसमें विभिन्न संबद्ध पक्षों (निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र, समाज) द्वारा भ्रष्टाचार कम करने की संयुक्त पहल के महत्व को उजागर किया है।रपट में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की नौ कंपनियों का अध्ययन पेश किया गया है जिनमें गेल, टाटा स्टील और इन्फोसिस जैसी कंपनियां शामिल हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार से निपटने और अपने यहां कापरेरेट कामकाज सुधारने के लिए अनोखी पहल की। मसलन गेल ने पूरी बिलिंग प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और उपयोगकर्ताओं के अनुकूल बनाया और नैवेली लिग्नाईट ने ई-खरीद प्रक्रिया लागू की है।टाटा स्टील की आचार संहिता में उपहार, दान और सरकारी एजेंसियों के साथ वार्ता से जुड़े नियम शामिल हैं वहीं टाटा केमिकल्स ने उपहार और भंडाफोड़ करने से जुड़ी नीतियां बनाईं। इस रपट में एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाले संयुक्त उद्यम 'एमजंक्शन सर्विसेज लिमिटेड' का भी अध्ययन पेश किया गया है जो सेल और टाटा स्टील का संयुक्त उद्यम है और यह कालाबाजारी, कार्टेल और बिचौलियों को खत्म करेगा।जीसीएनआई की प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष एके बाल्यन ने कहा, 'ऐसे खुलासों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने और कंपनियों को ऐसे अनुभव बांटने के लिए तैयार करने से निश्चित तौर पर भ्रष्टाचार मुक्त माहौल तैयार करने और इसे बढ़ाने में मदद मिलेगी।' बाल्यन ने कहा कि फिक्की और सीआईआई जैसे उद्योग मंडलों को भारतीय कारोबारी माहौल में भ्रष्ट प्रक्रिया की पहुंच खत्म करनी चाहिए।
बाजार कितना बम बम है, उसकी बानगी देखिये! घरेलू ऑटो उद्योग की दशा व दिशा चालू वित्त वर्ष के शेष बचे महीनों में क्या होगी, इसे तय करने में अगला हफ्ता बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस हफ्ते देश की प्रमुख कार कंपनियां छह नई कारों के मॉडल लेकर बाजार में आने वाली हैं। इनमें समाज के आम से लेकर खास वर्ग तक के लिए वाहन शामिल हैं। इस वर्ष कारों की बेहतर निराशाजनक बिक्री को देखते हुए माना जा रहा है कि अगर जनता ने इन कारों को हाथों-हाथ ले लिया तो घरेलू ऑटो उद्योग की मंदी दूर हो सकती है। ईंधन संकट क्या बला है? बाजार में इस हफ्ते उताव-चढ़ाव रहने के आसार हैं। सितंबर में महंगाई के आंकड़े और कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की दिशा तय करेंगे। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स की ओर से भारत की साख घटाने संबंधी चेतावनी को देखते हुए गत सप्ताह निवेशकों ने बिकवाली की। इससे बंबई शेयर बाजार [बीएसई] के सेंसेक्स में लगातार पांच सप्ताह से जारी तेजी का सिलसिला टूट गया। 12 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 263 अंक लुढ़ककर 18675.18 अंक पर बंद हुआ। जानकारों के मुताबिक, निवेशकों की नजर अब मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर होगी। ये सोमवार को जारी होंगे। कर्ज की ऊंची ब्याज दरें आम और खास सभी को परेशान किए हुए हैं। कर्ज दरों को नीचे लाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को हर हाल में मिलकर काम करना होगा। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को तोक्यो में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठक में भाग लेने जापान आए हुए हैं।चिदंबरम ने कहा कि ऊंची ब्याज दरों ने बड़े पैमाने पर उधार लेने वाले उद्योग जगत की मुश्किलें बढ़ाई हैं। मध्य वर्ग के लोग भी परेशानी झेल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने घर, कार या दोपहिया वाहन के लिए लोन ले रखा है और उनकी ईएमआइ बहुत बढ़ गई है। इन ऊंची दरों का लाभ सिर्फ फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) करने वालों को ही मिल रहा है। वित्त मंत्री का यह बयान रिजर्व बैंक की दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले आया है। केंद्रीय बैंक 30 अक्टूबर को यह समीक्षा पेश करेगा। आरबीआइ ने इस साल अप्रैल से अपनी नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) को आठ फीसद पर बरकरार रखा है।
भारत में अगले पांच साल के दौरान करोड़पतियों की तादाद में भारी बढ़ोतरी होगी और 2017 तक देश में अत्यधिक संपन्न लोगों की तादाद बढ़कर 2,42,000 हो जाने की संभावना है।क्रेडिट सुईस रिसर्च इंस्टीच्यूट की वैश्विक संपत्ति रपट के मुताबिक फिलहाल देश में करोड़पतियों की तादाद 1,58,000 है जो 2017 तक 53 फीसदी बढ़कर 2,42,000 हो जाएगी।इस रिपोर्ट में हालांकि देश में संपत्ति के लिहाज से गहरी खाई का जिक्र किया गया है। भारत में एक ओर जहां ज्यादातर लोगों (95 फीसद) के पास 10,000 डॉलर (करीब पांच लाख रुपए) से कम है जबकि दूसरी तरफ आबादी के बहुत छोटे से हिस्से (सिर्फ 0.3 फीसद) के पास 1,00,000 डॉलर (करीब 5.5 करोड़ रुपए) की संपत्ति है।रिपोर्ट में कहा गया, भारत में संपत्ति बढ़ रही है, मध्यवर्ग का दर्जा बढ़ रहा है और संपन्नों की तादाद बढ़ रही है, इनमें से बहुत कम लोग ऐसे है जिन्होंने इस समृद्धि को दूसरों के साथ बांटा है इसलिए अभी गरीबी बहुत अधिक है। क्रेडिट सुईस के मुताबिक भारत में करीब 1,500 बेहद धनाढ्य लोग हैं जिनके पास करीब पांच करोड़ डॉलर और 700 धनाढ्यों के पास 10 करोड़ डॉलर है।रिपोर्ट में कहा गया कि 2012-17 के बीच विश्व भर में करोड़पतियों की तादाद 1.8 करोड़ बढ़कर 4.6 करोड़ हो जाने की उम्मीद है जिनकी तादाद फिलहाल 2012 में 2.8 करोड़ है।रिपोर्ट के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अरबपतियों की तादाद अभी अमेरिका और यूरोप के मुकाबले कम है जहां इनकी संख्या क्रमश: 1.69 करोड़ और 1.54 करोड़ है और अगले कुछ सालों में इसमें उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है।क्रेडिट सुईस ने कहा कि चीन में 2017 तक करोड़पतियों की तादाद दोगुनी बढ़कर 20 लाख हो जाएगी जबकि ब्राजील में भी इस अवधि में करोड़पतियों की तादाद में 2,70,000 का इजाफा होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा राष्ट्रीयकृत कॉर्पोरेशन बैंक पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहे हैं। उनकी तीन प्रभावी कंपनियों का खाता इसी बैंक में है। इसके साथ ही पड़ताल में यह बात सामने आई है कि वाड्रा 12 कंपनियों में निदेशक या अतिरिक्त निदेशक हैं। वाड्रा की कई कंपनियों द्वारा जमा कराए गए बैंक के दस्तावेजों के मुताबिक उनकी तीन कंपनियों का खाता कॉर्पोरेशन बैंक हैं। दो कंपनियों ने खातों की जानकारी नहीं दी है, लेकिन ऐसी जानकारी है कि दोनों खाते इसी बैंक से चलाए जा रहे थे।
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने गैर सरकारी संगठन के कोष के दुरुपयोग के आरोप का खंडन किया और साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर मामले की जांच की मांग भी की। इसी हस्ताक्षर पर खुर्शीद के ट्रस्ट को धन निर्गत हुआ था। खुर्शीद ने स्टिंग ऑपरेशन करने वाले टीवी चैनल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की भी बात कही। उधर इस मामले में प्रधानमंत्री को भी लपेटते हुए केजरीवाल ने खुर्शीद की सफाई को नकार दिया और कहा कि वह सोमवार को नए सबूतों को पेश करेंगे।
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा, नहीं इसमें (13 सितंबर को लिए गए फैसले में) कोई बदलाव नहीं होगा। यदि इसमें बदलाव किया जाता है तो हाल में सुधारों की दिशा में की गई पहल पर ही साया पड़ जाएगा। हालांकि, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एस. जयपाल रेड्डी ने इस सवाल पर कहा, मेरे पास इस मुद्दे पर कहने के लिए नया कुछ नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान एलपीजी के सभी उपभोक्ताओं को तीन सिलेंडर पर सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा, पहले छह महीने में आपने चाहे कितने भी सिलेंडर लिए हों, मार्च 2013 तक आपको तीन सिलेंडर सस्ती दर पर दिए जाएंगे। इसमें किसी तरह की संशय नहीं है।
सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों पर बढ़ती सब्सिडी पर अंकुश लगाने के लिए गत 13 सितंबर को सस्ते रसोई गैस सिलेंडर की संख्या छह पर सीमित करने का फैसला किया। जरूरत होने पर इससे अधिक सिलेंडर की आपूर्ति बाजार भाव पर होगी। इस लिहाज से प्रत्येक परिवार को साल में छह सिलेंडर 410.42 रुपए के दाम पर मिलेंगे जबकि इससे अधिक सिलेंडर के लिए 895.50 रुपए का भुगतान करना होगा।
बिना सब्सिडी वाले बाजार मूल्य पर मिलने वाले सिलेंडर पर कोई रोक नहीं होगी। कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सस्ते सिलेंडर की आपूर्ति के बारे में सवाल उठाया था।
उन्होंने उन हाउसिंग सोसायटी का मुद्दा भी उठाया था जिनमें एकमुश्त गैस आपूर्ति की जाती है। अधिकारी ने कहा आवासीय समितियों को एकमुश्त गैस आपूर्ति के मामले में भी यही तरीका अपनाया जाएगा।
मार्च 2013 तक 14.2 किलो के तीन गैस सिलेंडर मात्रा के बराबर ही गैस आपूर्ति की जाएगी और उसके बाद अगले वित्त वर्ष में छह सिलेंडर के बराबर मात्रा में आपूर्ति की जाएगी।
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

No comments:
Post a Comment