हमारी नपुंसक राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिरोध का कोई यंत्र नहीं है और सीने पर चढ़कर हंक रहा है अमेरिका।
सुधारों को निर्देशित कर रहे हैं अमेरिकी वित्त सचिव तो रेटिंग एजंसियों का दबाव अलग है!विश्व बैंक का दबाव अलग है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन भी पीछे नहीं है। वैश्विक अमेरिकी वर्चस्व के आर्थिक संगठनों के कारेंदे ही नीति निर्धारण करते हैं। नपुंसक राजनीति के सामने आत्मरति के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता। अगर सरकार हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी शोम कमेटी की सिफारिशें मान लेती है तो शायद वोडाफोन को भारत में टैक्स न देना पड़े। जिसके पूरे आसार हैं। आम आदमी की तो ऐसी की तैसी, उद्योगपतियों को राहत और सहूलियतों का सिलसिला रोकेगा कौन माई का लाल? एकता परिषद के प्रतिनिधियों और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के बीच ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है।इसका असर अगले जनादेश पर जरूर होना है।ग्लोबल हिंदुत्व और यहूदी गठजोड़ का कमाल अमेरिका में भी दीखने लगा है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
खतरे के बादल छंट गये हैं और कोई शक नहीं कि राजनीतिक संकट से निपटने में कांग्रेस ने महारत हासिल कर ली है।दिग्गज जानकार अब भी यही सलाह दे रहे हैं कि आगे भी बाजार में तेजी का दौर जारी रहने वाला है।एक दिन जोश दिखाने के बाद आज बाजार फिर गिर पड़ा। बाजार की इस गिरावट में छोटे और मझौले शेयरों को सबसे ज्यादा चोट लगी है। सेंसेक्स और निफ्टी में आज करीब 1 फीसदी की ही गिरावट थी लेकिन मिडकैप और स्मालकैप इंडेक्स को 1.5 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ है। बाजार में आज गिरने वाले शेयरों की तादाद भी 3 गुनी थी। एसएंडपी के आज उस बयान ने भी बाजार का सेंटीमेंट खराब कर दिया जिसमें उसने कहा है कि रेटिंग घटने का खतरा कायम है। मायावती ने कहा है कि डीजल की बढ़ी कीमतों और खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) जैसे फैसले पर विरोध के बावजूद वह केंद्र सरकार से समर्थन वापस नहीं लेंगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वडोदरा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बुधवार को शरद पवार को पाचवीं बार अध्यक्ष चुन लिया गया, पवार से नाराज उनके भतीजे अजित पवार की गैर मौजूदगी में हुई कार्यकारिणी में यह फैसला लिया गया। उधर, डीएलएफ के साथ कारोबारी रिश्तों पर घिरे रॉबर्ट वाड्रा का एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने यह कहते हुए बचाव किया है कि उन पर राजनीतिक साजिश के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं।अब दूसरे चरण के आर्थिक सुधार में कोई बड़ी अड़चन पैदा होने की आशंका नहीं है। हमारी नपुंसक राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिरोध का कोई यंत्र नहीं है और सीने पर चढ़कर हंक रहा है अमेरिका। सुधारों को निर्देशित कर रहे हैं अमेरिकी वित्त सचिव तो रेटिंग एजंसियों का दबाव अलग है!विश्व बैंक का दबाव अलग है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व व्यापार संगठन भी पीछे नहीं है। वैश्विक अमेरिकी वर्चस्व के आर्थिक संगठनों के कारेंदे ही नीति निर्धारण करते हैं। नपुंसक राजनीति के सामने आत्मरति के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता।संसद और संविधान की गत यह है कि अगर बैंक कानून पास नहीं होता है तो भी फाइनैंस मिनिस्ट्री, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से नए बैंकों के लिए लाइसेंस इशू करने को कहेगी।सत्ता वर्ग के लिए मायावती और मुलायम की पैंतरेबाजी दर्सल कोई चुनौती थी ही नहीं, बल्कि उसे सबसे बड़ी राहत यह मिलने जा रही है कि जल, जंगल और जमीन का हक पाने के लिए ग्वालियर से चला 50 हजार लोगों का काफिला आगरा पहुंच गया है लेकिन जनसत्याग्रहियों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही केंद्र सरकार ने आदिवासियों के साथ समझौते के संकेत दे दिए हैं। माना जा रहा है कि मंगलवार को दिल्ली में हुई बैठक में जनसत्याग्रह की अगुवाई कर रहे एकता परिषद के प्रतिनिधियों और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के बीच ज्यादातर मुद्दों पर सहमति बन गई है।इसका असर अगले जनादेश पर जरूर होना है। एकता परिषद की अगुवाई में आए इन सत्याग्रहियों के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हो गए हैं। उनका कहना है कि अगर केंद्र सरकार इन सत्याग्रहियों का साथ दे तो राज्य सरकार भी उनका साथ देने को तैयार है। ऐसा माना जा रहा है कि कल इनके लिए कोई ऐतिहासिक फैसला किया जा सकता है।मध्य प्रदेश की बड़ी आबादी आदिवासी क्षेत्रों से आती है। इसी को भांपते हुए सीएम शिवराज आज न सिर्फ सत्याग्रहियों के साथ जुड़े बल्कि उन्होंने ऐलान कर डाला कि यदि केंद्र सरकार भूमि सुधार से जुड़ा कानून लागू करती है तो वह न सिर्फ अपने राज्य में उसे पूरा समर्थन देंगे बल्कि बीजेपी और दूसरी पार्टियों द्वारा शासित अन्य राज्यों में भी इसे लागू किए जाने की दिशा में प्रयास करेंगे।भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा संप्रग सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना : मनरेगा : की तारीफ किये जाने पर केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने आज उनका धन्यवाद किया । शिन्दे ने कहा कि आडवाणी का अभिनंदन है कि उन्होंने देश की एक अच्छी योजना के लिए तारीफ की । विपक्ष को ऐसा ही होना चाहिए । सरकार की जो अच्छी बात है, उसकी तारीफ करे ।
भारत में पिछले दिनों फिर से शुरू की गई आर्थिक सुधार प्रक्रिया को उत्साहवद्र्धक बताते हुए अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में इसके सकारात्मक परिणाम दिखेंगे। गाइथनर मंगलवार को नई दिल्ली में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने संबंधी निर्णय के बारे में पूछे गए सवाल पर गाइथनर ने कहा कि इससे जो विकास की प्रक्रिया शुरू होगी वह अंतत: देश की जनता के लिए खुशहाली लाएगी।गाइथनर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नान्के यहंा इंडो-यूएस इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल पार्टनरशिप की तीसरी कैबिनेट लेवल मीटिंग में भाग लेने के लिए दो दिवसीय भारत यात्रा पर आए हुए हैं। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव भी शिरकत कर रहे हैं। इस मौके पर चिदंबरम ने कहा कि इस फोरम की सहायता से भारत को एक बेहतर अवसर मिला है, दूसरों से बात करने का और एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझने का। बैठक में दोनों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय विकास पर चर्चा की।गाइथनर ने कहा कि मंगलवार की बैठक व्यापार और निवेश पर लगे प्रतिबंधों को कम करने पर केंद्रित थी ताकि समन्वित विकास को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि वह द्विपक्षीय टैक्स समझौतों पर भी ध्यान दे रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश के दौरान होने वाली कर चोरी से बचा जा सके। चिदंबरम का कहना है कि भारत ग्लोबल अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है इसलिए दूसरे देशों में जो कुछ हो रहा है, उसका असर यहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है।
इसी बीच ग्लोबल हिंदुत्व और यहूदी गठजोड़ का कमाल अमेरिका में भी दीखने लगा है।अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए पिछले सप्ताह हुई बहस के दौरान रिपब्लिकन प्रत्याशी मिट रोमनी से मात खाने के बाद राष्ट्रपति बराक ओबामा अब सर्वेक्षणों में पिछडऩे लगे हैं। छह नवंबर को होने वाले मतदान से पहले रोमनी ने ओबामा पर बढ़त हासिल कर ली है। गैलप के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार रोमनी ने ओबामा पर चार फीसदी की बढ़त बना ली है। इसके मुताबिक बहस के बाद से पंजीकृत मतदाता ओबामा से दूरी बनाने लगे हैं।
वॉलमार्ट का भारती में निवेश सवालों के घेरे में आ गया है। मल्टीब्रांड रिटेल को मंजूरी के पहले ही किस तरह वॉलमार्ट ने इसमें निवेश कर दिया। यही नहीं निवेश का जाल इस तरह बुना गया कि सरकार और रिजर्व बैंक दोनों को इसकी भनक तक नहीं लगी। ना ही उन्हें कोई जानकारी दी गई।
मार्च 2010 में वॉलमार्ट ने सेडार सपोर्ट सर्विस में 456 करोड़ रुपये का निवेश किया था। सेडार सपोर्ट सर्विस का पहले नाम भारती रिटेल होल्डिंग्स था। इसलिए वॉलमार्ट का सेडार में निवेश गैरकानूनी माना गया है।
डील का स्ट्रक्चर इस तरह हुआ जिससे मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई का उल्लंघन किया। हालांकि वॉलमार्ट ने सवालों के जवाब नहीं दिए लेकिन भारती का कहना है कि उन्होंने सभी कानूनों का पालन किया और सारी जानकारी सरकार के पास मौजूद है।
सेडार भारती रिटेल के जरिए भारत में मल्टीब्रॉन्ड कारोबार करती थी। दिसंबर 2009 में सेडार ने एओए में बदलाव कर रियल एस्टेट कंसल्टेंट का काम शुरू किया। रियल एस्टेट कंसल्टेंट कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी है। 29 मार्च 2010 को सेडार ने 45.58 करोड़ कंवर्टिबल डिबेंचर जारी किए और 70 पैसे के प्रीमियम पर डिबेंचर को 42.59 करोड़ शेयरों में बदला इस तरह वॉलमार्ट ने सेडार के रियल एस्टेट कंसल्टेंट कारोबार में 456 करोड़ रुपये का निवेश किया।
अब कहा जा रहा है कि सितंबर 2012 तक आरबीआई के पास सेडार में एफडीआई की कोई जानकारी नहीं थी। सेडार ने 456 करोड़ रुपये का इस्तेमाल भारती रिटेल में किया। इस तरह वॉलमार्ट का पैसा भारती रिटेल के मल्टीब्रांड रिटेल कारोबार में लगा और एफडीआई नियमों का उल्लंघन हुआ।
पैसे की किल्लत, नाराज कर्मचारी और ठप हुई फ्लाइटों से परेशान किंगफिशर एयरलाइंस ने आज अपने कर्मचारियों के सामने गुहार लगाई है।
किंगफिशर एयरलाइंस के सीईओ संजय अग्रवाल ने आज अपने पायलटों और अन्य स्टाफ से काम पर लौटने की अपील की है। किंगफिशर एयरलाइंस का मैनेजमेंट चाहता है कि स्थिति सामान्य हो जाए जिससे कंपनी में पैसों की कमी दूर हो सके।
संजय अग्रवाल ने कर्मचारियों से कहा कि उनके सहयोग के बिना कंपनी का एक कदम भी आगे बढ़ना मुमकिन नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि तमाम मुसीबतों के बावजूद कंपनी स्थिति को सामान्य करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।
डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर पड़ने और शेयर बाजार में जारी उठा पटक से प्रभावित भारतीय अरबपतियों में रिलायंस इडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी 19.3 अरब डॉलर के साथ सबसे रईस भारतीय हैं। चीन के शांगहाय शहर में मुख्यालय वाली बाजार अनुसंधान फर्म हुरून ने आज पहली बार भारत के बारे में अपनी 'हारुन इंडिया रिच लिस्ट जारी की'। इसमें 100 धनाढ्य भारतीयों को रखा गया है।एक अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति वाले भारतीय धनवानों की सूची में मुकेश अंबानी को पहला स्थान दिया गया है। सूची में 59 भारतीय एक अरब डॉलर या उससे अधिक की संपत्ति वाले हैं। रईसों की इस सूची में स्टील किंग के नाम से मशहूर लक्ष्मी निवास मित्तल को दूसरा स्थान दिया गया है और वह 16.9 अरब डालर की संपत्ति के मालिक है। वहीं इस्पात क्षेत्र की प्रभावशाली उद्योगपति सावित्री जिंदल को भारत की सबसे धनवान महिला बताया गया है जिनके पास 5.6 अरब डालर की निजी दौलत है। बायकॉन की किरण मजूमदार शॉ को दूसरी सबसे धनवान महिला हैं और उनके पास 60 करोड़ डालर की संपत्ति है।हारून रिपोर्ट ने आज एक बयान में कहा कि इस सूची में स्थान पाने के लिए न्यूनतम आय 33 करोड़ डॉलर निर्धारित की गई थी। इस 100 की सूची में वर्ष के दौरान 52 अमीरों की संपत्ति का अवमूल्यन हुआ। इनमें से 21 की पूंजी एक चौथाई तक घटी। रईसों की इस सूची में मित्तल के बाद क्रमश: सन फर्मास्युटिकल्स के दिलीप सांघवी (8.5 अरब डॉलर), इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्र की दिग्गज शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी के पालोनजी मिस्त्री (7.9 अरब डॉलर), एस्सार एनर्जी के शशि और रवि रूइया (7.2 अरब डॉलर) और गोदरेज समूह के आदी गोदरेज (6.9 अरब डॉलर) को स्थान दिया गया है। हारून रिपोर्ट के अध्यक्ष और मुख्य अनुसंधानकर्ता रुपर्ट हूगवर्फ ने एक बयान में कहा, 'हरून इंडिया रिच लिस्ट में शामिल लोगों की जानकारियां आधुनिक भारत में हो रहे कारोबार को बताती हैं।'
शोम कमेटी ने कहा है कि ऐसेट्स के इनडायरेक्ट ट्रांसफर पर आगे की डील में ही टैक्स लगाया जाए। इससे वोडाफोन का भारतीय टैक्स अथॉरिटीज से छह साल पुराना विवाद खत्म हो सकता है। हालांकि, इससे एक और मोर्चा हचिसन के साथ खुल सकता है, जिसने वोडाफोन को टेलिकॉम बिजनस बेचा था। टैक्स एक्सपर्ट पार्थसारथी शोम की अगुवाई वाले पैनल ने सुझाव दिया है कि ऐसेट के इनडायरेक्ट ट्रांसफर के मामले में टैक्स लगाने के लिए कानून में बदलाव सिर्फ प्रॉस्पेक्टिव डील पर हो। साथ ही यह टैक्स उसी से लिया जाए, जिसे कैपिटल गेंस हो। इससे सरकार को बजट के विवादास्पद एलान से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी, जिसकी वजह से उसकी दुनिया भर में आलोचना हुई थी। शोम कमेटी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है, 'प्रपोज्ड इनकम टैक्स अमेंडमेंट के चलते भारत में टैक्स कानून को लेकर तस्वीर धुंधली हुई है।' इसमें कहा गया है कि कानून में रेट्रॉस्पेक्टिव बदलाव इक्का-दुक्का मामलों में ही होने चाहिए। साथ ही, इस तरह के बदलाव स्टेकहोल्डर से बातचीत के बाद किए जाने चाहिए। इसका मकसद टैक्स का दायरा बढ़ाना नहीं होना चाहिए। कमेटी ने यह भी कहा है कि अगर इस प्रविजन को पहले की तारीख से लागू किया जाता है, तो उसके लिए पेनल्टी नहीं लगाई जानी चाहिए और ब्याज भी नहीं वसूलना चाहिए। शोम ने कहा, 'हम सबसे पहले यह चाहते हैं कि इस प्रविजन को पुरानी डील पर लागू न किया जाए। रेट्रॉस्पेक्टिव प्रविजन के चलते कई तरह की उलझनें पैदा होती हैं। किसी इन्वेस्टर या टैक्सपेयर के लिए तस्वीर का साफ होना बहुत जरूरी है। मिसाल के लिए मुझे आज बुलाकर यह नहीं कहा जाना चाहिए कि आप पर पिछले 10 साल से टैक्स लगाया जाएगा। हम यह कह रहे हैं कि आपको कानून में रेट्रॉस्पेक्टिव बदलाव के जरिए रेवेन्यू बेस नहीं बढ़ाना चाहिए। इस मामले में हमें लगा कि रेवेन्यू बेस बढ़ाने के लिए कानून में बदलाव की बात कही गई।'
आर्थिक सुधार के सरकार के कदमों को तवज्जो न देते हुए इंटरनैशनल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने चेतावनी दी है कि अगर भारत ने वित्तीय घाटे को रोकने और निवेश के माहौल को बेहतर करने की कोशिश नहीं की तो अगले 24 महीने में देश की क्रेडिट रेटिंग को घटाकर 'जंक' का दर्जा दे दिया जाएगा। एजेंसी ने कहा कि अगर आर्थिक विकास की संभावनाएं धूमिल पड़ती हैं, राजनीतिक हालात बिगड़ते हैं या आर्थिक सुधारों की गति धीमी पड़ती है तो देश की रेटिंग कम की जा सकती है।
हालांकि, एजेंसी ने यह भी कहा कि अगर सरकार घाटे को कम करने के उपायों को अमल में लाती है और निवेश के माहौल को बेहतर करती है तो रेटिंग आउटलुक को नेगेटिव से पॉजिटिव किया जा सकता है। अप्रैल में रेटिंग आउटलुक को स्थिर से नेगेटिव किया गया था।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने विभिन्न मोर्चे पर विरोध झेल रही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की ध्वजवाहक कार्यक्रम मनरेगा की प्रशंसा की है। उन्होंने यहां कहा कि इस कार्यक्रम से ग्रामीण लोगों का सशक्तिकरण हुआ है और आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने में मदद मिली है।वर्ष 2005 में बनाया गया महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून संप्रग सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है।आडवाणी ने कहा कि यह काम के बदले नकदी से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी योजना है और इसके अंतर्गत सालाना 100 दिन के रोजगार के प्रावधान से 5.3 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 67वें सत्र में 'सामाजिक विकास' विषयक तीसरी समिति की सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए कल आडवाणी ने कहा, ''इस कार्यक्रम से सामाजिक विषमता को दूर करने, ग्रामीण जनता को सशक्त बनाने, ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण और आर्थिक वृद्धि में जान डालने में मदद मिली है।'' यहां आए भारतीय सांसदों के समूह के साथ आए आडवाणी महासभा के विभिन्न सत्रों में शिरकत करेंगे।उन्होंने भारत में महिलाओं और कमजोर तबकों के मदद के लिए उठाए जा रहे कदमों का उल्लेख किया। इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और विक्लांगों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारत समावेशी विकास को हासिल कर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भ्रष्टाचार की समस्या से 'युद्धस्तर' पर लड़ने की अपील करते हुए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि यूएन कन्वेंशन अगेन्स्ट करप्शन को सभी देशों को मंजूरी देनी चाहिए ताकि दुनिया भर के सुरक्षित पनाहगारों में गुप्त रूप से रखे गए धन को बरामद किया जा सके।
आडवाणी ने कहा कि भ्रष्टाचार की समस्या से विकासशील के साथ ही विकसित देश भी त्रस्त हैं लेकिन इसके दुष्परिणाम विकासशील देशों को सर्वाधिक प्रभावित कर रहे हैं । विकासशील देशों में यह सेवा क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है और लोगों पर इसका सीधा असर होता है।
जनरल डिबेट इन थर्ड कमिटी के दौरान आडवाणी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे का युद्धस्तर पर समाधान करने की जरूरत है और सरकारों के काम में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि अघोषित धन अथवा काले धन का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि उत्पादन क्षेत्र में यह वृद्धि और विनिवेश को सीमित करता है।
उन्होंने सभी देशों द्वारा यूएन कन्वेंशन अगेन्स्ट करप्शन की अभिपुष्टि करने और भ्रष्ट तरीके से अर्जित एवं विदेशों में जमा किए गए धन को बरामद करने में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्थक सहयोग करने का आह्वान किया। आडवाणी संयुक्त राष्ट्र महासभा के विभिन्न सत्रों में भाग लेने के लिए गए भारतीय सांसदों के दल का हिस्सा हैं। 'सामाजिक विकास' के मुद्दे पर वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि वैश्विक स्तर पर लगातार आर्थिक संकट से विकासशील देशों की आर्थिक प्रणाली प्रभावित हो रही है। आडवाणी ने मांग को मजबूत करने और नौकरियों के सृजन के लिए सामूहिक नीति बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि एक अरब से ज्यादा लोग गरीबी और भूखमरी के शिकार हैं तो हमें समग्र विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। कई देशों में गरीबी घटी है लेकिन वहां शिक्षा, भोजन और अन्य मूलभूत सुविधाओं की चुनौतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि विकासशील देश बेरोजगारी, भोजन एवं उर्जा की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं।
विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण उभरते बाजार वाली अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक वृद्धि जुलाई-सितंबर अवधि में धीमी रही। एचएसबीसी के सर्वे के अनुसार हालांकि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चीन से अधिक रही। एचएसबीसी इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स (ईएमआई) इस साल तीसरी तिमाही में घटकर 52.1 रहा जो अप्रैल-जून अवधि में 53.2 था।सेवा क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र की खराब स्थिति के कारण आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ा। वैश्विक मांग कमजोर होने से विनिर्माण क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एचएसबीसी के अनुसार हालांकि चार प्रमुख उभरते देशों में भारत तथा रूस की स्थिति ब्राजील तथा चीन के मुकाबले बेहतर रही।परजेचिंग मैनेजर इंडेक्स (पीएमआई) पर आधारित एचएसबीसी ईएमआई सर्वे उभरते बाजारों में किया गया। हालांकि यह 50 से उपर रहा लेकिन वैश्विक आर्थिक स्थिति से अभी उन्हें खतरा बना हुआ है। एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (केंद्रीय तथा पूर्वी यूरो एवं उप-सहारा अफ्रीका) एम उलेगन ने कहा, उभरती अर्थव्यवस्थाएं विकसित देशों की खराब स्थिति से प्रभावित हुई हैं। वैश्विक व्यापार चक्र की खराब होती स्थिति, कमजोर बाह्य मांग तथा नये निर्यात मांग में गिरावट से विनिर्माण उत्पादन प्रभावित हुआ है।
पर विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6 पर्सेंट कर दिया है। भ्रष्टाचार तथा नीतिगत मुद्दों पर अनिश्चितता को देखते हुए वर्ल्ड बैंक ने ऐसा किया है। पहले इसके 6.9 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया गया था। वर्ल्ड बैंक ने 'इंडिया इकनॉमिक अपडेट' टॉपिक से बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा है, 'वित्त वर्ष 2011-12 की चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत तथा 2012-13 की पहली तिमाही में 5.5 प्रतिशत थी। इसे देखते हुए मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर करीब 6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।' हालांकि विश्व बैंक का आर्थिक वृद्धि का यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसी अन्य संस्थाओं की तुलना में बेहतर है। आईएमएफ ने 2012 में आर्थिक वृद्धि दर 4.9 पर्सेंट रहने का अनुमान जताया है, जबकि पूर्व में इसके 6.2 पर्सेंट रहने की बात कही गई थी।मुद्रास्फीति के बारे में विश्व बैंक ने कहा है कि उच्च घरेलू ईंधन मूल्य समेत अन्य कारणों से यह मार्च 2013 तक 8 पर्सेंट के आसपास रहेगी। अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही। वहीं वित्त वर्ष 2011-12 में यह 6.5 पर्सेंट रही जो नौ साल का निम्न स्तर है। विश्व बैंक ने कहा कि आर्थिक नरमी का कारण ढांचागत समस्याएं हैं। इसमें बिजली की किल्लत, बिजली क्षेत्र के समक्ष वित्तीय समस्याएं, खनन तथा दूरसंचार क्षेत्र में भ्रष्टाचार, खनन, कर व जमीन अधिग्रहण से संबद्ध कानूनों में प्रस्तावित बदलाव को लेकर निवेशकों में अनिश्चितता शामिल हैं। इसके अलावा जमीन तथा बुनियादी ढांचा की समस्या भी निम्न आर्थिक वृद्धि का कारण हैं।
एसऐंडपी ने परिसंपत्तियों की गुणवत्ता कमजोर पड़ने की आशंका में सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है। हालांकि बैंकों ने कहा है कि इससे उन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि रेटिंग एजेंसी ने रेटिंग, सोवरेन रेटिंग के समकक्ष ला दी है।
एसऐंडपी ने कहा, 'हम स्टेट बैंक की परिसंपत्तियों के कमजोर गुणवत्ता प्रदर्शन की आशंका के चलते उसकी क्रेडिट रेटिंग का पुनर्निर्धारण कर उसे 'बीबीबी' से बदलकर 'बीबीबी माइनस' और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की रेटिंग 'बीबीबी माइनस' से बदलकर 'बीबी प्लस' करते हैं।
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने कहा कि रेटिंग घटाए जाने का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि रेटिंग एजेंसी ने रेटिंग, सोवरेन रेटिंग के समकक्ष ला दी है।
एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा, 'यह एक तरह से घटाया जाना नहीं है, बल्कि हमारी रेटिंग को सोवरेन रेटिंग के समान किया जाना है।'
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि इसका बैंक के धन जुटाने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि निकट भविष्य में विदेश से धन जुटाने की उसकी कोई योजना नहीं है।
हालांकि, यूनियन बैंक के सीएमडी डी. सरकार ने कहा, 'अगर एसऐंडपी ने दिसंबर तिमाही तक इंतजार किया होता तो बेहतर होता क्योंकि बैंक ने अप्रैल के बाद से अपनी परिसंपत्तियों की गुणवत्ता सुधारने के लिए काफी कुछ किया है।'
अगर बैंक कानून पास नहीं होता है तो भी फाइनैंस मिनिस्ट्री, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से नए बैंकों के लिए लाइसेंस इशू करने को कहेगी। मिनिस्ट्री का कहना है कि सही तरीके से कारोबार नहीं करने वाले बैंकों को पटरी पर लाने के लिए सेंट्रल बैंक के पास कंपनीज लॉ के तहत काफी पावर है। पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2010-11 बजट में नए बैंक लाइसेंस जारी करने का वादा किया था, लेकिन यह अगस्त 2011 से ही अटका हुआ है। उस समय रिजर्व बैंक ने इसके लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की थीं। सेंट्रल बैंक अपने इस रुख पर कायम है कि वह नए लाइसेंस तभी जारी करेगा, जब संसद बैंकिंग लॉज अमेंडमेंट बिल को पास कर दे। इससे आरबीआई को बैंकों के लिए ज्यादा रेग्युलेटरी पावर मिल जाएगी। हालांकि, फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक ऑफिसर ने बताया कि सरकार नोटिफिकेशन जारी करके कंपनीज ऐक्ट के तहत रिजर्व बैंक को ज्यादा पावर दे सकती है।
अधिकारी ने बताया, 'हम एक नोटिफिकेशन जारी करने की सोच रहे हैं। इससे बैंकिंग रेग्युलेशन (अमेंडमेंट) बिल पास होने तक रिजर्व बैंक को खासी सहूलियत मिलेगी।' उन्होंने नोटिफिकेशन के ब्योरे का खुलासा नहीं किया। हालांकि, मामले से वाकिफ एक व्यक्ति ने बताया कि इससे आरबीआई को सही तरीके से कामकाज नहीं करने वाले बैंकों पर कंट्रोल रखने में मदद मिलेगी। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अफसर ने बताया, 'कंपनीज लॉज में कुछ ऐसे प्रविजन हैं, जिसके तहत सेंट्रल बैंक मनमाफिक सहूलियतें दी जा सकती हैं।' कंपनीज लॉ के तहत सरकार के पास किसी बोर्ड को भंग करने, किसी इकाई की जांच करने और नॉमिनी डायरेक्टर्स को अपॉइंट करने का अधिकार है। सरकार ने बोर्ड की जगह ली है, खासतौर से सत्यम मामले में। कंपनीज लॉ बैंकों पर लागू होता है, लेकिन रिजर्व बैंक सेक्टोरल लॉ के तहत रेग्युलेटरी पावर बढ़ाना चाहता है।
वहीं, सरकार फाइनैंशल इनक्लूजन को आगे बढ़ाने के लिए और बैंक खोलना चाहती है। रिजर्व बैंक की सबसे बड़ी चिंता बड़े कॉर्पोरेट्स को नए लाइसेंस देने के बाद हितों के टकराव से जुड़ी है। इसका प्रमोटर ग्रुप से लेना-देना है। आरबीआई को डर है कि प्रमोटर ग्रुप लाइसेंस मिलने के बाद बैंक का इस्तेमाल अपने हितों को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।
कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि कृषि उत्पादों की आयात-निर्यात नीति में बार-बार बदलाव से वैश्विक कारोबारी साझेदार के तौर पर भारत की छवि को धक्का पहुंच रहा है, लिहाजा सरकार इन उत्पादों के लिए लंबी अवधि की आयात-निर्यात नीति पर काम कर रही है। पवार ने मंगलवार को कहा, इस नीति का विलय वस्तुत: देसी मांग को पूरा करने वाले कृषि समुदाय के हितों के साथ हो जाएगी, जिसकी चर्चा संबंधित मंत्रालयों से की जा चुकी है।
शरद पवार ने कहा है कि कुछ राज्यों में पडे़ सूखे के कारण साल 2012-13 में फसल उत्पादन में कुछ कमी आ सकती है। उन्होंने यह बात मंगलवार को आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में कही। पवार का कहना था कि पिछले फसली सीजन में खाद्यान्न उत्पादन 25 करोड़ 74.4 लाख टन था। इस बार इसमें करीब 1.4 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
कृषि मंत्री ने कहा कि इस साल मॉनसून की गड़बड़ी के कारण खरीफ फसलों के उत्पादन में जो कमी आएगी उसे रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाकर पूरा करने की कोशिश की जाएगी और देश में अनाज की कमी नहीं रहेगी। इस बार कम बारिश के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के 360 से अधिक तालुके सूखे की चपेट में आ गए हैं। पवार का कहना था कि अगस्त और सितंबर में हुई अच्छी बारिश से अब जमीन में काफी नमी है। इसका फायदा रबी फसलों को होगा। पिछले दो फसली बरस में देश में रिकॉर्ड कृषि उत्पादन हुआ। इसके कारण भारत एक करोड़ टन चावल और 25-25 लाख टन चीनी और गेहूं का निर्यात करने में सफल रहा। खाद्यान्न का बफर स्टॉक करीब 2.12 करोड़ टन होना चाहिए। अभी केंद्रीय पूल में करीब सात करोड़ टन खाद्यान्न है।
आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में पवार ने कहा, पिछले कुछ सालों में हमने गेहूं व चावल के मामले में सतत निर्यात व आयात नीति बनाए रखने की कोशिश की है और आने वाले सालों में हम दूसरी फसलों के मामले में भी इसे जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि नीति के तहत देश में खाद्यान्न की किल्लत के समय बिना किसी अवरोध के आयात की अनुमति दी जानी चाहिए, वहीं अतिरिक्त उपलब्धता की स्थिति में मुक्त निर्यात की अनुमति होनी चाहिए। बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए खाद्य मंत्री के वी थॉमस (जिनका मंत्रालय ऐसी नीति बनाने में सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है) ने कहा, आयात या निर्यात को कुछ हद तक सीमित करने या न्यूनतम रकम तय करने पर विचार हो रहा है। अधिकारियों ने कहा, खाद्य मंत्री जल्द ही कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री से मुलाकात करने वाले हैं और इस मुलाकात में कृषि जिंसों के निर्यात को बनाए रखने वाले नीतिगत मसौदे पर चर्चा होगी।
इस बीच, एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए पवार ने कहा, सार्वजनिक उद्देश्य के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण अपवाद के तौर पर ही होना चाहिए। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह के प्रमुख पवार ने कहा कि कृषि मंत्रालय का मानना है कि बहुफसली जमीन और निश्चित तौर पर कम से कम एक फसल देने वाली जमीन का अधिग्रहण सार्वजनिक मकसद के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, अगले कुछ दिनों में विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा और इसमें हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे अधिग्रहण को रोकने का प्रावधान इसमें हो।
मंत्री की टिप्पणी ईजीओएम की बैठक के एक दिन बाद आया है, जो कुछ मसलों पर सदस्यों के मतभेद के चलते बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई थी। साल 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन के बारे में पवार ने कहा, पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 25.74 करोड़ टन के मुकाबले इस साल उत्पादन कम होगा। लेकिन अनाज की उपलब्धता घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगी। पिछले महीने कृषि मंत्रालय ने कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के 360 तालुके में सूखा पडऩे और कमजोर बारिश के चलते खरीफ के खाद्यान्न उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताते हुए कुल उत्पादन 11.71 करोड़ टन रहने की बात कही थी। मंत्री ने यह भी कहा कि सूखे पर अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह कृषि ऋण माफी या राहत पर तब फैसला करेगा जब ऐसी परिस्थितियां सामने आएंगी।
अरहर की जीनोम श्रृंखला पढऩे कामयाबी देश में दाल उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों में एक संभावित बड़ी उपलब्धि के तहत भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने अपने बलबूते अरहर की 'जीनोम' की पूर्ण व्याख्या कर ली है, जिससे दलहन की इस मुख्य फसल की उन्नत प्रजातियों के विकास और पादप संरक्षण के नए उपाय करने में मदद मिलेगी।
किसानों की आत्महत्या : पवार ने कहा कि सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों के कारण कृषि संबंधी कारणों से जान देने वाले किसानों की संख्या में काफी कमी आई है। 2006 में जहां 1035 किसानों ने आत्महत्या की, वहीं पिछले साल यह संख्या 480 थी।
एफडीआई : पवार ने मल्टी ब्रैंड रिटेल में एफडीआई का स्वागत करते हुए कहा कि इससे किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी और उपभोक्ताओं को कम कीमत में बेहतर सामान मिलेगा। विदेशी निवेश के कारण कृषि क्षेत्र को विकसित करने में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कहा कि वाणिज्यिक संस्थानों की संलिप्तता से बड़े पैमाने पर होने वाले भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कानून में बदलाव किया जाएगा, जबकि ईमानदार लोक सेवकों का बेहतर तरीके से संरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा।
सीबीआई के 19वें सालाना सम्मेलन और भ्रष्टाचार निरोधक इकाइयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि सार्वजनिक प्राधिकारों के काम काज में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार सब कुछ करेगी। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि भ्रष्टाचार पर नकारात्मकता का विवेकहीन माहौल और निराशावाद देश की छवि और कार्यपालिका के मनोबल को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा, 'भ्रष्ट गतिविधियों के लिए नए तौर तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि पिछले दो दशक में तीव्र आर्थिक विकास ने भ्रष्टाचार के नए तरीके पैदा किए हैं।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में संशोधन पर विचार सिर्फ इसके प्रावधानों पर न्यायिक फैसलों को लेकर नहीं किया जा रहा है, बल्कि कानून में कुछ खामियों को दूर करने और इसे अंतरराष्ट्रीय तर्ज पर करने के लिए भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'अनुभवों से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में आपसी सहमति से हुई रिश्वतखोरी से निपटने में मुश्किल होती है और रिश्वत देने वाला अधिनियम के प्रावधानों का सहारा लेकर साफ बच निकलता है। अनुभवों से यह भी पता चला है कि बड़े पैमाने पर होने वाले भ्रष्टाचार ज्यादातर वाणिज्यिक संस्थानों के काम काज से जुड़े हुए हैं।' उन्होंने कहा कि कानून में प्रस्तावित बदलाव में इन सब बातों पर ध्यान दिया जाएगा।
सिंह ने कहा कि रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने में कॉरपोरेट नाकामी को एक नए अपराध के तौर पर शामिल किए जाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में किस तरह का संशोधन किया जाए ताकि ईमानदार लोक सेवकों का और अधिक प्रभावी तरीके से बचाव हो सके।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन, कोयला ब्लॉक आवंटन और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन घोटालों को लेकर सरकार पर चारों ओर से हमले हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, संशोधन के जरिए भ्रष्टाचार शब्द के लिए एक स्पष्ट एवं असंदिग्ध परिभाषा दी जाएगी, जिसके दायरे में आपूर्ति एवं मांग पक्ष भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं ईमानदार अधिकारियों के बचाव की जरूरत और कार्यपालिका के मनोबल को बनाए रखने की हमारी प्रतिबद्धता पर जोर देना चाहूंगा।' प्रधानमंत्री ने संभवत: विपक्षी पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार उठाये जा रहे भ्रष्टाचार के मुद्दों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नकारात्मक और निराशावाद का माहौल बनाये जाने से हमें कोई फायदा नहीं हो सकता। इससे सिर्फ देश की छवि खराब होगी और कार्यपालिका का मनोबल गिरेगा। उन्होंने जांच एजेंसियों को भ्रष्टाचार के नए तरीकों का सामना करने के लिए अपने कौशल में लगातार सुधार करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भ्रष्टों पर निरंतर नजर रखी जाए और उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं, जबकि बेकसूरों को परेशान नहीं किया जाए।
उन्होंने सीबीआई और भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों को विशेषज्ञों की सेवाएं लेने को कहा, जो उन्हें पेचीदा मामलों में निष्पक्ष जांच करने में सहायता कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक अपराधों को ध्यान में रखकर स्थापित किए गए संस्थानों का दायरा और अधिक होना चाहिए।
आयात-निर्यात नीति : पवार ने कहा कि कृषि के मामले में हमें एक दीर्घकालिक आयात-निर्यात नीति की जरूरत है। इस मामले में उतार-चढ़ाव से देश की साख पर फर्क पड़ता है।
This Blog is all about Black Untouchables,Indigenous, Aboriginal People worldwide, Refugees, Persecuted nationalities, Minorities and golbal RESISTANCE. The style is autobiographical full of Experiences with Academic Indepth Investigation. It is all against Brahminical Zionist White Postmodern Galaxy MANUSMRITI APARTEID order, ILLUMINITY worldwide and HEGEMONIES Worldwide to ensure LIBERATION of our Peoeple Enslaved and Persecuted, Displaced and Kiled.
Wednesday, October 10, 2012
हमारी नपुंसक राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिरोध का कोई यंत्र नहीं है और सीने पर चढ़कर हंक रहा है अमेरिका।
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