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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, July 10, 2013

उत्तरकाशी जाते हुए इन दो बच्चों को देखा था। अपनी ही दुनिया में मस्त। मगर आसमान से आई काली आपदा से बेखबर। सड़क खराब होने पर बस रुकी तो पानी में छप छप खेलने लगे। टैक्सी चलाने वाला पिता खुद तो नहीं पढ़ सका। मगर बच्चों को दिल्ली के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रहा था। केदारनाथ में यात्रियों को भेजकर वह नीचे टैक्सी में अपने साथियों के साथ सो गया । पानी का रैला उसे भी बहा ले गया। निहाल की लाश लस्कर में मिली थी। दिल्ली से इन दो बच्चों और उनकी मां को भी चिन्यालीसोढ़ के पास गांव में लाया गया। उन्हें यही बताया कि निहाल सिंह को कुछ चोट आई हैं। लेकिन कब तक छुपाएंगे। घर पहुंचने पर तो पता लगा ही होगा। उन बच्चों की मुझे याद आती है। डर भी कि कही पढ़ाई न छूट जाए। उनका मां के सिवा कोई नहीं। गांव वाले भी कब तक साथ देंगे। ईश्वर उन बच्चों को सहारा देना। आगे की जिंदगी में उन पर रहम करना।

उत्तरकाशी जाते हुए इन दो बच्चों को देखा था। अपनी ही दुनिया में मस्त। मगर आसमान से आई काली आपदा से बेखबर। सड़क खराब होने पर बस रुकी तो पानी में छप छप खेलने लगे। टैक्सी चलाने वाला पिता खुद तो नहीं पढ़ सका। मगर बच्चों को दिल्ली के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ा रहा था। केदारनाथ में यात्रियों को भेजकर वह नीचे टैक्सी में अपने साथियों के साथ सो गया । पानी का रैला उसे भी बहा ले गया। निहाल की लाश लस्कर में मिली थी। 
दिल्ली से इन दो बच्चों और उनकी मां को भी चिन्यालीसोढ़ के पास गांव में लाया गया। उन्हें यही बताया कि निहाल सिंह को कुछ चोट आई हैं। लेकिन कब तक छुपाएंगे। घर पहुंचने पर तो पता लगा ही होगा। 
उन बच्चों की मुझे याद आती है। डर भी कि कही पढ़ाई न छूट जाए। उनका मां के सिवा कोई नहीं। गांव वाले भी कब तक साथ देंगे। ईश्वर उन बच्चों को सहारा देना। आगे की जिंदगी में उन पर रहम करना।

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