पावर प्रोजेक्टों का मलबा नदियों में बहने के कारण नदियों ने तबाही मचायी
पावर प्रोजेक्टों का मलबा नदियों में बहने के कारण नदियों ने तबाही मचायी
Posted: 16 Jul 2013 10:32 AM PDT
रुदप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली में नदियां उफान पर हैं। अलकनंदा, मंदाकनी और भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से लोगों में दहशत है। 15 मेगावाट की बनोला जल विद्युत परियोजना को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
वहीं दूसरी ओर नदियों द्वारा भयंकर तबाही के लिए पावर प्रोजेक्टोंा को माना जा रहा है,स्थाेनीय तजनता का कहना है कि पहली बार यह देखा गया कि नदियों का जल स्त र 40 फीट तक ऊपर उठ गया, इसका मुख्या कारण पावर प्रोजेक्टों का डम्पिंग यार्ड का मलबा नदियों में रहने से नदियों का स्ततर उठ गया, तिलवाडा से फाटा के बीच मंदाकिनी नदी पर एल एण्डय टी तथा लेंको तथा कालीमठ में कालीगंगा पावर प्रोजेक्टर के कारण भारी तबाही हुई, इन पावर प्रोजेक्टों का मलबा नदियों में बहने के कारण नदियों ने तबाही मचायी, वहीं अब इन पावर प्रोजेक्टोंा को करोडों का इश्योारेंस व अन्यब लाभ भी दे दिये जायेगें जबकि आम जनता को बहका दिया जायेगा,
मलबा सीधे अलकनंदा-भागीरथी या किसी छोटी-बड़ी उपनदी में फेंकने से और हिमालय से आयी मुलायम गाद से भरकर नदीतल उंचा उठता जा रहा है। इसमें हिमालय से ग्लेशियर के पिघलकर आगे पानी को कई सारे बांधों में पानी होकर छोड़ने से पानी की मात्रा दुगुनी चैगुनी होकर तूफानी बाढ़ आई है। हिमालय घाटी में एक नहीं, 70 बड़ी जलविद्युत परियोंजनाएं हैं, कई जलविद्युत परियोजनाओं द्वारा गाद और मलबा बहाने के कारण मंदाकिनी-अलकनंदा-भागीरथी सहित कई नदी घाटियों में हाहाकर मचाया है। विष्णुप्रयाग परियोजना में जेपी कंपनी ने अपने टरबाईन्स बचाये किन्तु लेकिन गोविंदघाट, पाण्डुकेशर, लाम्बगड़, पिलोना आदि गांवों के घर, होटेल्स, पुल और काॅफी कुछ खेती आदि ध्वस्त कर दिए। 19 छोटी परियोंजनाऐं, अस्सीगंगा की तीन, धौली गंगा पर बनी परियोजना का बड़ा हिस्सा बर्बाद हुआ। विष्णुप्रयाग योजना का बैराज टूट गया। श्रीनगर परियोजना (330 मेगावाट), मनेरीभाली चरण-2, फाटा ब्योंग, सिंगोली-भटवाड़ी आदि जलविद्युत परियोजनाऐं स्वंय प्रभावित हुई और इनसे पर्यावरण और लोगो की बड़ी हानि भी हुई। इसके लिये बांध कंपनियों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। CS JOSHI- EDITOR- www.himalayauk.org (UK Leading Newsportal)
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