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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, July 18, 2013

अपराधी बनाने की तरकीब

  • अपराधी बनाने की तरकीब 

    विद्या भूषण रावत 

    परसों शाम महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के छात्र नमोनारायण मीणा ने मुझे फ़ोन किया तो उनकी आवाज में एक अजब सा तनाव था। 'सर हम लोगो को सी आर पी ऍफ़ ने गिरफ्तार कर लिया है', उन्होंने कहा ? मुझे समाझ नहीं आया तो मैंने पूछा क्यों और तुम कहाँ हो ? 'हम ८ छात्र बनारस से पूर्वी चम्परान आये हुए हैं और एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं। इस गाँव में हमारा सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहा था. मुझे ध्यान है नमोनारायण इस सांस्कृतिक ग्रुप के विषय में मुझसे अक्सर चर्चा करते हैं और मैंने भी हमेशा कहाँ के थिएटर और नुक्कड़ नाटको के जरिये हम अपनी बात को अच्छे से समाज में पहुंचा सकते हैं। नमो नारायण ने बस इतना कहाँ के सर हम केवल आपको जानकारी दे रहे हैं ताकि साथियों की जानकारी में रहे के वे कहाँ हैं और किन परिस्थितियों में गिरफ्तार हुए है। मैंने उनसे कहाँ के मुझे जानकारी दे के क्या स्थिति है ताकि मैं लोगो से संपर्क कर सकूं। रत में करीब साढ़े नौ बजे पुनः नमो नारायण का फ़ोन आया और अबकी बार तनाव उसके चेहरे पे साफ़ पढ़ा जा सकता था। सर, यह लोगो हमको कही ले जा रहे हैं और हमें कुछ बताया नहीं जा रहा . चारो तरफ अँधेरा है और जंगल है। मैंने उनसे पूछा के क्या इन लोगो ने तुम लोगो से मार पिटाए हुई क्या तो पता चला के अच्चे से की गयी। खैर मैंने कहा के थोड़ी देर में मैं बिहार के अपने साथियों से फोन पर बात कर इन छात्रो तक पहुचने की कोशिश करता हॊ क्योंकि ८ या ९ छात्रो को इस तरीके से पुलिस कहाँ ले जा रही है इसकी जानकारी होनी चाहिए . पटना, चंपारण सभी जगह कोशिश की मित्रो को पकड़ने के लेकिन कामयाबी नहीं मिली फिर खालिद भाई से संपर्क किया तो पता चला वोह भी दिल्ली से बहार है लेकिन उन्होंने अली अनवर साहेब से बात करली थी और हमने भी अली अन्वर जी का संपर्क नमो नारायण को दे दिया। मैंने सोचा के जब ये लोग अपने गंतव्य पर पहुँच जाएँ तो फिर बात करूंगा लेकिन यह क्या रत के साढ़े दस के बाद फ़ोन स्विच ऑफ जा रहा था। मैं जानता हूँ पुलिस वाले फ़ोन, लैपटॉप पहले ले लेते हैं और बात भी बाद में करेंगे पहले पिटाई करते हैं इसलिए मेरी चिंता बढ़ गयी। 

    सुबह फिर कोशिश की लेकिन कोई संपर्क नहीं हुआ तो नमो नारायण के साथी पंकज गौतम से बात हुई और उन्हें भी इस विषय में बहुत जानकारी नहीं थी। इस पुरे मामले की सबसे ख़राब बात यही थी के किसी को भी जानकारी नहीं दी गयी थे। खैर पंकज ने मुझे बताया के वह साथियों से संपर्क करके पता करेगा और मुझे जानकारी देगा। वैसे थोडा बहुत उसे पता था के यह लोग बिहार गए हैं। दोपहर में पंकज ने मुझे बताया के इन लोगो को गया लाया गया है और शायद दोपहर तक छूट जायेंगे। लेकिन दोपहर में भी फोन पर नमोनारायण से बात नहीं हो पाए और अंततः छूटने के तुरंत बाद उन्होंने मुझे फोन किया तो मैंने ये प्रश्न ही पूछा के तुम्हारा फोन बंद क्यों था तो उसने बता दिया के जिस वक़्त वह अली अनवर जी से बात कर रहा था और उन्हें जानकारी दे रहा था एक पुलिश अधिकारी ने वोह बात होने नहीं दी और फोन छीन लिया और उसके बाद से ही उसे बंद कर दिया गया।

    खैर इस घटना की कड़ी निंदा की जानी चाहिए क्योंकि यह सभी छात्र समाज बदलाव के लिए अपनी हैसियत के मुअत्ताबिक कुछ करना चाहते थे और उन्हें गिरफ्तार किया गया और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया और मार पिटाई की गयी। पुलिस ने तो अखबारों को भी बताया की इन लोगो को माओवादी बताकर पकड़ा गया है. फिलहाल यह लोगो को मोतिहारी में ले जाया गया और शाम तक छोड़ दिया गया है .

    मैं सभी साथियों से अनुरोध करता हूँ के अपने काम के प्रति उद्देश्यों को कम न करें लेकिन बहुत सावधानी से काम करे। सभी के संपर्क में रहे और स्थानीय संघठनो का सहयोग ले. कही भी ऐसे ही मत जाइये और सभी साथियों को अपने पुरे कांटेक्ट दीजिये . भारत की पुलिस और प्रशाशन आपके विचारो से डरता है। वोह चाहता है आप कुआ खोदे, सड़क बनाएं खडंजा बनवाए, कंडोम बेचें, दूकान लगवाएं, 'भलाई' करें लेकिन आप कोई विचार न दें।। यह विचार से डरने वाले लोग हैं और हमें देखना है की कैसे हम अपने जनमानस को तर्कशील और राजनैतिक तौर पर परिपक्व बना सकें। सभी साथियों को ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करनी चाहिए क्योंकि अगर इन सभी साथियों के नाम इमरान, सुल्तान मोहम्मद या कुछ और होते तो मैं शर्तिया कहता हूँ के लश्कर, इंडियन मुझाहिदीन या कोई और कह दिया जाता और अगर एनकाउंटर हो जाती तो आश्चर्य नहीं होना चहिये। यह समय है संविधान प्रदत् अधिकारों को मांगने का और उन्हें लागू करवाने का। हम एक मिलिट्री राज्य बन रहे हैं और सत्तारूढ़ तकते यही चाहती हैं के हमारे विचारो की धार कुंद हो जाए और हम पूंजी और धर्म के धंदे में फंसकर इनकी शरण में नतमस्तक रहे।

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