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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, July 13, 2013

आधी रात के उस पान ने प्राण की तकदीर बदल दी

सिनेमास्‍मृति

आधी रात के उस पान ने प्राण की तकदीर बदल दी

13 JULY 2013 NO COMMENT

♦ प्रकाश के रे

सके लंबे संघर्ष की कहानी 1938 में लाहौर की एक चांदनी रात से शुरू होती है। एक फिल्म वितरण कंपनी में 150 के मासिक वेतन पर नियुक्त अठारह-उन्नीस साल का वह सुंदर, स्मार्ट लड़का राम लुभाया की पान की दुकान पर खड़ा था। दो-चार 'घूंट' लगाये हुए आत्मविश्वास से भरा वह अपनी बारी के इंतजार में था। उसे क्या पता था कि उस आधी रात किस्मत ने उसके लिए क्या नियत किया हुआ था!

प्रसिद्ध लेखक वली मुहम्मद वली (वही वली साहिब जिन्होंने बाद में बॉम्बे टाकीज की मशहूर फिल्म 'किस्मत' की नायिका मुमताज़ शांति से ब्याह कर सनसनी फैला दी थी) पान खाने उसी दुकान पर पहुंचे। उन्होंने युवक को सर से पांव तक निहारा। उन्हें एहसास हो गया था कि जिसकी तलाश वह कर रहे थे, वह मिल गया। वली साहिब एक पंजाबी फिल्म में खलनायक की भूमिका के लिए ऐसे ही नौजवान की तलाश में थे। वली साहिब, जो खुद भी खुमार में थे, ने उस लड़के से फिल्म में काम करने का प्रस्ताव रखा। लड़के ने इसे गंभीरता से न लेते हुए, वली साहिब से पूछा- 'क्या मैं आपका नाम जान सकता हूं?' वली साहिब ने कहा- 'वली'। लड़का शरारत भरे अंदाज़ में हंसते हुए बुदबुदाया- 'आधी रात को कुछ घूंट लेने के बाद हर कोई खुद को वली समझाने लगता है'। उर्दू में वली का मतलब आत्मज्ञानी व्यक्ति होता है। लड़के ने अनिच्छा के साथ अगले दिन स्टूडियो आकर उनसे मिलने का वादा किया, लेकिन अगले ही पल यह सब भूल गया। संयोग देखिए, तीन-चार दिनों के बाद वह एक अंग्रेजी फिल्म देखने गया और वली साहिब से फिर टकरा गया। वली साहिब ने पूछा – 'क्या हुआ? तुम आये क्यों नहीं?'

अब उस लड़के को उस पेशकश की गंभीरता का एहसास हुआ। अगले ही दिन वह स्टूडियो गया और 50 रुपये मासिक पर पंजाबी फिल्म 'यमला जाट' में खलनायक की भूमिका के लिए रख लिया गया। इस तरह प्राण कृश्न सिकंद ने फिल्मों में अपना कैरियर शुरू किया और प्राण बन गये। मोती बी गिडवानी के निर्देशन में बनी डीएम पंचोली द्वारा निर्मित 'यमला जाट' एक बड़ी हिट साबित हुई। इस फिल्म का संपादन शौकत हुसैन ने किया था। हुसैन साहिब ने कुछ ही महीनों बाद खुद के निर्देशन में बन रही फिल्म 'खानदान' में प्रख्यात अदाकारा और गायिका नूरजहां के साथ नायक के रूप में प्राण को पेश किया। यह फिल्म भी बड़ी कामयाब फिल्म रही। प्राण अब सुर्ख़ियों में थे।

(प्रकाश कुमार रे। सामाजिक-राजनीतिक सक्रियता के साथ ही पत्रकारिता और फिल्म निर्माण में सक्रिय। दूरदर्शन, यूएनआई और इंडिया टीवी में काम किया। फिल्म शोधार्थी भी। फिलहाल वे वी शांताराम पर शोध में लगे हैं और बीआर चोपड़ा पर केंद्रित उनकी पुस्तक जल्‍दी ही प्रकाशित होने वाली है। उनसे pkray11@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।)

http://mohallalive.com/2013/07/13/a-glowing-tribute-to-the-villain-of-the-millennium/

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