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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, July 10, 2013

क्या समुचित मुआवजा लेकर सिंगुर की जमीन छोड़ देगा टाटा मोटर्स?

क्या समुचित मुआवजा लेकर सिंगुर की जमीन छोड़ देगा टाटा मोटर्स?


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


उच्चतम न्यायालय ने टाटा मोटर्स से पूछा है कि नैनो का कारखाना गुजरात के सानंद में श्थानांतरित हो गया है और चूंकि इसी कारखाने के लिए उसको जमीन दी गयी थी,तो अब वह बताये कि उसे इस जमीन की अब क्या जरुरत है।गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने सिंगुर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून निरस्त करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। इस कानून के तहत सिंगुर में टाटा मोटर्स को दी गई चार सौ एकड़ भूमि वापस लेने का अधिकार राज्य सरकार को मिल गया था। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों ने टाटा को सिंगुर छोड़ने पर विवश कर दिया था।



उच्चतम न्यायालय ने टाटामोटर्स से पूछा है कि समुचित मुआवजा लेकर वह इस जमीन को छोड़ने को तैयार है या नहीं।इस पर टाटा मोटर्स के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वे अपने मुवक्किल से पूछकर ही कोई जवाब दे सकते हैं।इस मुकदमे की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होनी है। अगर उच्चतम न्यायालय के सुझाव मुताबिक टाटा मोटर्स मुआवजा लेकर सिंगुर की जमीन छोड़ने को तैयार हो जाये,तो यह विवाद सुळझ जाने की उम्मीद बन सकती है।मालूम हो कि इससे पहले  सुप्रीम कोर्ट ने टाटा की अर्जी पर  सुनवाई करते हुए किसानों को जमीन लौटाने पर रोक लगा दी है। इससे ममता को जबर्दस्त झटका लगा है।अब अगर टाटा राजी हो जाये तो दीदी को अपना चुनावी वायदा पूरा करने का मौका मिल जायेगा।


गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने  घोषणा की है  कि जब तक सिंगुर मामले का कोर्ट से निपटारा नहीं हो जाता तब तक अनिच्छुक किसानों को प्रतिमाह एक हजार रूपया भत्ता मिलेगा। मुख्यमंत्री ने भूमि का पैसा नहीं लेने वाले अत्यंत गरीब किसान परिवारों को दो रुपये किलो चावल उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।उन्होंने कहा कि सत्ता संभालते ही उन्होंने सिंगुर की अधिग्रहित भूमि को वापस ले लिया। कोर्ट से मामले का निपटारा होते ही वह अनिच्छुक किसानों को भूमि लौटा देंगी।इसके विपरीत किसानों का कहना है कि अगर उन्हें मालूम होता कि उन्हें उनके भाग्य के सहारे छोड़ दिया जाएगा, तो वे टाटा नैनो परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होते।


राज्य सरकार ने वकील अभिजीत सेन गुप्ता के जरिए दायर अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय ने सिंगुर भूमि कानून निरस्त करने में गलती की है। टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए पट्टे पर दी गई 400 एकड़ की जमीन वापस लेकर उसे किसानों को लौटाने के इरादे से बनाए गए सिंगुर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून 2011 को उच्च न्यायालय द्वारा 22 जून को निरस्त करने से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को तगड़ा झटका लगा था।


उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह कानून संवैधानिक रूप से अवैध है। सिंगुर भूमि पुनर्वास एवं विकास कानून राज्य सरकार को टाटा मोटर्स से 400 एकड़ भूमि वापस लेने का अधिकार प्रदान करता था। टाटा मोटर्स ने इस कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इस कानून को असंवैधानिक करार देते हुए एकल न्ययाधीश के फैसले को निरस्त कर दिया था। एकल न्यायाधीश ने इस कानून को संवैधानिक करार दिया था। उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने इस कानून को असंवैधानिक और अवैध करार देते हुए टिप्पणी की थी कि चूंकि इसके लिए राष्ट्रपति की संस्तुति नहीं ली गई है, इसलिए यह असंवैधानिक और अवैध है। लेकिन उच्च न्यायालय ने इस निर्णय के अमल पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी ताकि इससे प्रभावित पक्ष उच्चतम न्यायालय में अपील कर सके।


तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने रघोषमा कर दी थी कि कि उनका मंत्रालय सिंगुर में रेलवे कोच फैक्टरी के निर्माण के लिए तैयार है। इसके लिए 'टाटा' की ओर से 'नैनो' के निर्माण की इकाई स्थापित करने के लिए अधिग्रहीत की गई 1000 एकड़ जमीन में से 600 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है।ममता ने सिंगुर में नैनो परियोजना को लेकर किए गए अपने बेमियादी धरने के ठीक एक साल बाद यह घोषणा की। ममता ने कहा कि इस परियोजना को पीपीपी मॉडल यानी सार्वजनिक निजी साझेदारी पर पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह की परियोजनाएँ इलाहाबाद और अलेप्पी में भी शुरू की जाएँगी।अब दीदी मुख्यमंत्री बन गयी हैं लेकिन उनकी पार्टी रेलवे से बेदखल है। ऐसे में उनकी पुरानी घोषणा के मुताबिक टाटा मोटर्स सिंगुर की जमीन चोड़ बी दें तो रेलवे का कोई कारखाना बनना मुश्किल ही है।


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