सीबीएम गैस उत्पादन से रानीगंज वैकल्पिक ईंधन का केंद्र बना
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
रानीगंज वैकल्पिक ईंधन के मामले में बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहा है। भारत सरकार की योजना प्राकृतिक गैस की खपत कम करके कोलबेड मीथेन गैस(सीबीएम गैस) को विकल्प बतौर पेश करने की है।हालांकि ओएनजीसी कोल बेड मिथेन कारोबार से बाहर निकलना चाहती है और पारंपरिक तेल व गैस खोज व उत्पादन कारोबार पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। पिछले साल जुलाई में पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से बाध्य किए जाने के बाद कंपनी ने सीबीएम ब्लॉक के लिए बोली रद्द करने का फैसला किया और नवंबर 2012 में ताजा बोली मंगाई थी।अब इस योजना का दारोमदार भी निजी क्षेत्र पर ही होगा।। सीबीएम प्राकृतिक गैस है और इसे कोयले के निर्माण के बीच से खोजा जाता है व इसकी निकासी ड्रिलिंग के जरिए होती है।
बहरहाल इस योजना का केंद्र बनता जा रहा है रानीगंज,जहांजीईईसीएल अभी रोजाना 20 एमएमसीएसएफडी (दो करोड़ मानक घन फुट) गैस का उत्पादन करती है और उत्पादन पश्चिम बंगाल के रानीगंज (दक्षिण) ब्लॉक में खोदे गए 144 कुओं से होता है।आकलन के मुताबिक जीईईसीएल के रानीगंज (साउथ) ब्लॉक में करीब 2.40 लाख करोड़ घनफुट गैस भंडार है। दामोदर वैली में स्थित यह ब्लॉक 210 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इस ब्लॉक से सीबीएम गैस का उत्पादन वर्ष 2007 में शुरू हुआ था। वर्ष 2010 में जीईईसीएल को तमिलनाडु में ६६7 वर्ग किमी में फैले मन्नारगुड़ी ब्लॉक का ठेका दिया गया था।
ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉर्प लिमिटेड (जीईईसीएल) ने सार्वजनिक उपक्रम ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के रानीगंज कोल-बेड मिथेन ब्लॉक में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है।लंदन स्टॉक एक्सचेंज (एलएसई) को दी जानकारी में जीईईसीएल ने कहा कि कंपनी ने ओएनजीसी द्वारा जनवरी 2012 में शुरू की गई स्पर्धात्मक निविदा प्रक्रिया में हिस्सा लेते हुए ओएनजीसी के रानीगंज (नॉर्थ) ब्लॉक में 25 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है।ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के कोल बेड मिथेन के चार ब्लॉक के लिए सिर्फ तीन कंपनियों ब्रिटेन की ग्रेट इस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन (जीईईसीएल), ब्रिसबेन की डार्ट एनर्जी और जिंदल स्टील ऐंड दीप इंडस्ट्रीज के कंसोर्टियम ने ही हिस्सेदारी खरीदने खातिर दोबारा बोली लगाई । ओएनजीसी के सूत्रों ने कहा, पिछली बार एस्सार एनर्जी ने बोली लगाई थी, लेकिन इस बार वह इससे दूर रही।भूमि अधिग्रहण की समस्या के समाधान आदि में दिक्कत महसूस करने के बाद संयुक्त ऑपरेटर लाने का इच्छुक है। चार सीबीएम ब्लॉक पर ओएनजीसी अब तक करीब 510 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है और बोली जीतने वाली कंपनी को अपनी हिस्सेदारी के अनुपात में इसे वापस करना पड़ सकता है।शायद इसी वजह से एस्सार इससे दूर हुई होगी।
रानीगंज झरिया कोयलाक्षेत्र इस वक्त कोकिंग कोयला के लिए विख्यात है। खानों में भूमिगत आग पर निंत्रण पाने के लिए रानीगंज के स्थानांतरण की योजना लेकिन खटाई में है।रानीगंज (नॉर्थ) ब्लॉक पश्चिम बंगाल में जीईईसीएल के रानीगंज (साउथ) ब्लॉक के बगल में ही है। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन्स (डीजीएच) के आकलन के मुताबिक रानीगंज (नॉर्थ) ब्लॉक में 1.5 लाख करोड़ घनफुट कोल-बेड मिथेन (सीबीएम) गैस का भंडार है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जून को नई गैस प्राइसिंग नीति को मंजूरी दी, जो 2014 के अप्रैल से लागू होगी। इसके तहत देश में उत्पादित गैस का मूल्य आयातित गैस कीमत और अंतर्राष्ट्रीय बाजार के मूल्य के औसत के बराबर होगा। यह फार्मूला सी. रंगराजन समिति ने सुझाया था, जिसका गठन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेल और गैस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर विचार करने के लिए किया था।गौरतलब है कि तेल नियामक डीजीएच ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की सीबीएम गैस कीमत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय का मानना है कि बोली प्रक्रिया के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय के दिशानिर्देशों का कंपनी ने पालन नहीं किया। मुकेश अंबानी की कंपनी ने कोल बेड मिथेन [सीबीएम] गैस की कीमत कच्चे तेल के दाम के मुताबिक तय करने का प्रस्ताव दिया था। इस लिहाज से इसकी कीमत 12.93 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू बैठती है। यह मौजूदा गैस कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से तीन गुना ज्यादा है।
अंडाल विमान नगरी बन जाने से कोयलांचल में रानीगंज के एक बड़ा औद्योगिककेंद्र बनकर उभरने की उम्मीद है। बंगाल के कोयलांचल के विकास के लिए कोल इंडिया पर अतिरिक्त निर्भरता घटाने के लिए पहल करें राज्य सरकार तो रानीगंज की किस्मत बदल सकती है।
ग्रेट ईस्टर्न एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड (जीईईसीएल) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेंद्र मोदी ने कहा, "यह कहकर कि नई गैस प्राइसिंग नीति सभी गैस पर लागू होती है, सरकार सीबीएम उद्योग पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। जबकि हमारे ठेकों के मुताबिक हम पहले से ही बाजार द्वारा निर्धारित कीमत पर इसे बेच रहे हैं।"
जो मिथेन गैस कोयले की अनर्छुई परतों से निकाली जाती है उसे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) कहते हैं और जो चालू खदानों से निकाली जाती है उसे कोल माइन मीथेन (सीएमएम) कहते हैं। कोल बेड मीथेन#कोल माइन मीथेन के विकास को भारत सरकार ने 1997 में एक नीति के ज़रिए बढ़ावा दिया था। इस नीति के अनुसार कोयला मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। सरकार ने वैश्विक बोली के तीन दौरों के ज़रिए कोल बेड मीथेन के लिए 26 ब्लॉकों की बोली लगाई थी। इनका कुल क्षेत्र 13,600 वर्ग किलोमीटर है और इसमें 1374 अरब घनमीटर गैस भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2007 में रानीगंज कोयला क्षेत्र के एक ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ कर दिया गया था । पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) कोल बेड मिथेन संबंधी गतिविधियों के लिए विनियामक की भूमिका निभाता है। डीजीएच ने सीबीएम-4 के तहत 10 नये ब्लॉकों की पेशकश की है।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहोल के ज़रिए यूएनडीपी#ग्लोबल एन्वायरमेंटल फेसिलिटी के साथ मिलकर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहालों के माध्यम सीएमएम की एक प्रदर्शनात्मक परियोजना को लागू किया गया है। इस परियोजना में कोल बेड मीथेन को एक ऊर्ध्वाधर बोर के ज़रिए प्राप्त किया गया है जहां 500 कि.वा.. बिजली पैदा होती है और उसे बीसीसीएल को आपूर्ति की जाती है।
हाल ही में संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण अभिकरण के सहयोग से सीएमपीडीआईएल, रांची में सीबीएमसीएमएम निपटारा केन्द्र स्थापित किया गया है जो भारत में कोल बेड मीथेनकोल माइन मीथेन के विकास के लिए आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराएगा ।
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