कोल इंडिया अब बिजली उत्पादन भी करेगी, हरी झंडी का इंतजार
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बहुत जल्द कोल इंडिया बिजली उत्पादन कारोबार में पूंजी खपाने वाली है।इस सिलसिले में कोल इंडिया की ओर से 1200 से लेकर 1500 मेगावाट के संयंत्र लगाने की योजना है।अगर कोयला मंत्रालय या भारत सरकार ने अड़ंगा नहीं डाला, तो इस उद्यम से कोल इंडिया को बिजली कंपनियों के शिकंजे से छूटने की राह निकल सकती है।अभी इस परियोजना को भारत सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। जबकि वित्त मंत्रालय देश में कोल इंडिया की भूमिका कम से कम करके विदेशी कोयलाक्षेत्रों में कोल इंडिया की नकदी खपाने की योजना बना रही है। कारपोरेटजगत और बिजली कंपनियों को भी इस योजना को लेकर आपत्ति हो सकती है।विनिवेश और विभाजन की तैयरियों के बीच बिजली उत्पादन की यह परियोजना आखिर लागू भी होगी या नहीं ,कहना मुश्किल है। फिलहाल कोल इंडिया प्रबंधन ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
इसी बीच सरकारी क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. ने कहा है कि वह बुधवार को एनटीपीसी के साथ ४,००० से १०,००० मेगावाट बिजली परियोजनाओं के लिए ७ से ८ ईंधन आपूर्ति करार करेगी। जो करीब 4,000 मेगावाट क्षमता के लिए होंगे।कोल इंडिया के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एस. नरसिंग राव ने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच कोल इंडिया द्वारा दिए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता को लेकर विवाद का लगभग समाधान हो चुका है। दोनों कंपनियां पहले ही फरक्का और काहलगांव परियोजनाओं के लिए ईंधन आपूर्ति समझौता कर चुकी हैं।
राव का कहना था कि सीआईएल व एनटीपीसी के बीच एक तालमेल है कि पिछले वर्ष अक्टूबर से जब उन्होंने हमें भुगतान में कमी की थी, तब से लेकर अब तक गुणवत्ता के लिए तीसरे पक्ष द्वारा आकलन के मुद्दे पर किस दिशा में बढ़ा जाए।
उन्होंने कहा कि लोडिंग की लोकेशन पर तीसरे पक्ष द्वारा कोयले की गुणवत्ता जांच की जाएगी।एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के नए उत्पादन संयंत्रों को पूरी कोल लिंकेज के लिए करीब 2.8 करोड़ टन सालाना कोयले की जरूरत होगी। एनटीपीसी ने कोयले की गुणवत्ता को लेकर सीआईएल के साथ ईंधन आपूर्ति करार करने से मना कर दिया था।
कंपनी ने सीआईएल की सहायक शाखा ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को भुगतान भी रोक दिया था। इसके जवाब में दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी सीआईएल ने भी एनटीपीसी को कोयले की आपूर्ति रोक दी थी।बाद में सरकार के बीच-बचाव के चलते यह मामला निपटा।
राव ने कहा कि एनटीपीसी पर कोल इंडिया का करीब 4,000 करोड़ रुपये बकाया है।एनटीपीसी ने इसका भुगतान शुरू कर दिया है।पिछले सप्ताह एनटीपीसी ने ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के साथ दो एफएसए पर हस्ताक्षर किए थे।ये एफएसए एनटीपीसी के कहलगांव संयंत्रव फरक्का संयंत्र के लिए किए गए थे।
कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, कोल इंडिया लिमिटेड 31 मार्च 2014 तक कोयले की ढुलाई पर निगरानी के लिए जीपीएस प्रणाली स्थापित कर सकती है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली लगाने के लिए निविदा जारी कर दी गई है। सूत्रों ने कहा कि कोयला मंत्रालय से प्रोत्साहन पाकर कंपनी ने अपनी सभी प्रमुख खानों में यह प्रणाली लगाने का विचार किया है।
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