Wednesday, 17 July 2013 09:30 |
धीरज चतुर्वेदी, छतरपुर (म.प्र.)। पन्ना जिले के गांव राजापुर में आज भी चंद बोरे अनाज के बदले बच्चों को गिरवी रख दिया जाता है। इस गांव में कई बच्चे बेगार करते नजर आते हैं। यह वही गांव है, जहां राहुल गांधी ने पांच साल पहले आदिवासी लल्लीबाई के घर भोजन कर भरोसा दिलाया था कि रोटी खाने के बदले नमक का कर्ज अदा करेंगे। अब केंद्र सरकार के बुंदेलखंड पैकेज के आबंटन पर सवाल उठने लगे हैं। गांव राजापुर पांच साल पहले अचानक सुर्खियों में तब आया था जब राहुल गांधी बुंदेलखंड के दौरे पर थे। इस गांव की लल्लीबाई के घर राहुल बाकी पेज 8 पर उङ्मल्ल३्र४ी ३ङ्म स्रँी ८ उङ्मल्ल३्र४ी ३ङ्म स्रँी ८ उङ्मल्ल३्र४ी ३ङ्म स्रँी ८ गांधी ने खाना खाकर रात बिताई थी। इस परिवार के लोग बताते हैं कि राहुल गांधी ने भरोसा दिया था कि इनकी मदद के लिए पहल करेंगे। विडंबना है कि जिस कमरे में राहुल ने रात बिताई थी आज वह जमींदोज हो चुका है। लल्लीबाई का परिवार आज भी भुखमरी का दंश झेल रहा है। राहुल के बुंदेलखंड दौरे के बाद ही उनकी पहल पर केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड पैकेज के रूप में भारी भरकम राशि आबंटित की थी। उद्देश्य था कि यह पैकेज बुंदेलखंड की गरीबी दूर करने के लिए वरदान साबित होगा। मगर रारापुर की किस्मत नहीं बदली। |
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Wednesday, July 17, 2013
ये कैसा देश है मेरा: पेट की खातिर बच्चों को गिरवी रखने की मजबूरी
ये कैसा देश है मेरा: पेट की खातिर बच्चों को गिरवी रखने की मजबूरी
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