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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, February 20, 2015

अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा पलाश विश्वास


अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा

अंधेर नगरी चौपट राजा,

टका सेर भाजी टका सेर खाजा

पलाश विश्वास

वर्धा महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय के छात्र,हमारे युवा मित्र मजदूर संजीव झा ने आज सुबह ,सुबह हमें बाबा नागार्जुन की ये पंक्तियां टैग की हैंः

बेचेंगे हम सेवाग्राम

सस्ता है गांधी का नाम

रघुपति राघव राजा राम

लोगे मोल लोगे मोल??......


छेदश्चन्दनचूतचंपकवने रक्षा करीरद्रुमे

हिंसा हंसमयूरकोकिलकुले काकेषुलीलारतिः

मातंगेन खरक्रयः समतुला कर्पूरकार्पासियो:

एषा यत्र विचारणा गुणिगणे देशाय तस्मै नमः


Jaitley's Gift to Aam Aadmi & Corporates Alike Budget may propose significant changes in personal income tax and corporate tax structures, giving a boost to savings and lifting sentiments across spectrum.इकोनामिक टाइम्स की खबर बांच लैं पहले।


बहरहाल टैक्स छूट कारपोरेट और विदेशी पूंजी के लिए अनंत हरिकथा है और राजराज के तहत हमारे लिए घासफूस गाजरमूली भी है कि मसलन अगले हफ्ते पेश होने वाले बजट में सरकार टैक्स बचाने के कुछ और तरीके टैक्सपेयर्स के हाथों में दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सेक्शन 80सी के अलावा एक अलग सेक्शन का प्रावधान कर सकती है। साथ में टैक्स स्लैब में भी फेरबल की संभावना है।


बजट में सेक्शन 80सी के अलावा टैक्स बचाने के दूसरे रास्तों का ऐलान किया जा सकता है। 25000 रुपये से 50000 रुपये तक के निवेश का दूसरा विकल्प दिया जा सकता है। दूसरे विकल्प का मकसद इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रकम जुटाना हो सकता है। दूसरे विकल्प का मकसद लोगों में बचत को बढ़ावा देना हो सकता है।


इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब में भी फेरबदल पर चर्चा संभव है। फिलहाल इनकम टैक्स के 3 स्लैब हैं और टैक्स स्लैब में बदलाव का मकसद टैक्स बेस बढ़ाना होगा।


खबर है कि गैस प्राइस पूलिंग से सेक्टर की सभी कंपनियों को एक समान कारोबार करने के लिए मौका मिलेगा। एलएनजी इंपोर्ट पर 5 फीसदी कस्टम ड्यूटी हटाए जाने से सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा।


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अडानी अंबानी जितना भरे टैक्स उतना ही भरें प्रजा

अंधेर नगरी चौपट राजा,टका सेर भाजी टका सेर खाजा


मुश्किल यह है कि गुरुजी की नसीहत मानकर इस मृत्यु उपत्यका से नसीहत पाने की कोई सूरत नहीं है और अंधेर नगरी में फांसी का फंदा तैयार है,माफिक गला चाहिए और इस देश के नागरिकों का गला सुर बेसुर अब एको साइज का है।


सूट जो करोड़ टकिया नीलाम मा खरीद लिज्यो तो शायद बचने की कोई राह निकल जाई।

बजटसमय है तो रघुकूल रीति मुताबिक आईपीएल चालू आहे।


संडे को अंडे खाना सेहत के मुताबिक है या नहीं,आयुर्वेद मुताबिक सोच समझ लें,लेकिन किरकेट सर्कस आस्ट्रेलियाई भारतीय पिच पर चालू आहे।


चालू आहे क्रिकेटसीजन बजटवसंतबहार साथे।



बाकी वाम दक्षिण गांधीवादी समाजवादी अंबेडकरी सबै टका सेर भाजी टका सेर खाजा।

आंदोलन जुलूस धरना निषेध राष्ट्रव्यापी हड़ताल दिवाली होली ईद क्रिसमस सबै चालू आहे और मुक्तो बाजारों चाली आहे।

देस बेचो चालू आहे।

संसद लोकतंत्र चालू आहे।


कि अबाध विदेश पूंजी का जो वेग आवेग है,वहींत विकास दर असल जो बुलरन मा तुरत फुरत जलेबी बाई बनी आइटम डांस करिहैं मलंग मलंग।


मेंहदी लगाकर दुल्हन बइठलन वानी,साजन बइठल वाशिंगटन।

उहां से किया टेलीफून कि रिटेल खोल दो।

खुल गया सिम सिम।

अलीबाबा चालीस चोर डोली उठावै खातिर तैयार बा।

हुक्म उदुली की कोई सूरत नइखे,खुदरा कारोबारियों के गले की नाप मुताबिक फंदा तैयार हो गइलन।


रेलवे के निजीकरण वास्ते विशेषज्ञ सालह घनघोर है कि इस बार रेल बजट से कई उम्मीदें हैं। ज्यादा से ज्यादा रूट का मॉडर्नाइजेशन और इलेक्ट्रीफिकेशन होना चाहिए और नई ट्रेन शुरू करने की बजाए टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन पर जोर दिया जाना चाहिए। लोको पार्ट्स के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। रेलवे वर्कशॉप और फैक्ट्री के क्वॉलिटी कंट्रोल को बेहतर किया जाना चाहिए।


सुरक्षा और साफ-सफाई के काम का निजीकरण होना चाहिए और रेलवे के लिए ज्यादा फंडिंग की जरूरत है। कुछ ट्रेनों का निजीकरण होना चाहिए।


कर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स के एमडी कर्नल एल वी राजू का कहना है कि रेल बजट में नई पैसेंजर ट्रेन और फ्रेट टेनों का ऐलान होना चाहिए। ट्रेक के अपग्रेडेशन पर कोई ऐलान आना चाहिए। रेलवे की सुरक्षा काफी जरूरी है और रेलवे की सुरक्षा बढ़ाने के लिए नए सुरक्षाकर्मियों को लगाया जाना चाहिए।


पैसेंजर ट्रेनों के किराए शायद ना बढ़ाए जाएं क्योंकि पिछले दिनों पेट्रोल और डीजल के दाम काफी कम हुए हैं। रेलवे का बहुत सारा पैसेंजर एयरलाइन और बसों की तरफ शिफ्ट हो रहा है जिसके चलते भी रेलवे किराए बढ़ाने की गुंजाइश नहीं है।


एल वी राजू के मुताबिक रेलवे के निजीकरण की बहुत जरूरत है और इसके होने के बाद ही रेलवे की स्थिति में पूरा सुधार हो सकता है। पैसेंजर ट्रेन्स की स्थिति भा काफी खराब है तो इसे ठीक करने के लिए निजीकरण की जरूरत है।

The Economic Times

Yesterday at 3:30pm ·

‪#‎TALK2FM‬ Smart cities, job creation, skill development, Digital India and Clean India - what should Budget 2015 focus on?

SEND IN your suggestions here: http://ow.ly/JeYN1

'#TALK2FM Smart cities, job creation, skill development, Digital India and Clean India - what should Budget 2015 focus on? SEND IN your suggestions here: http://ow.ly/JeYN1'




देश मा कानून का राज होई तब ना कानून संविधान पादै हो।

हम तुम ससुरा कौन खेत की मूली के पेंटिंग करके पार्टी जो परिवर्तन खातिरै बनाइलन दिदिया हमार,उ अब कटघरा मा वानी जइसल जेल जाई रहे अपना ललुआ वइसन जेल तैयार बा दिदिया खातिर।


पण जो मोदी बाबा ह,कानून तोड़ताड़ पूरा देश गुजरात बनाइल, धकाधक फैशन उलट पुलट कर दिहिस।


हर घड़ी नई उड़ान,थ्री डी भाखण,इस पर तुर्रा हर घड़ी फिलिम की हिरोइल सगरी मरमर जाई कि इतना ड्रेस चेंज करै बारंबार एकदम सीन मुताबिक,लोकेशन मुताबिक।

'My dear friends , Good night !'




कौन सिलता है उनका सूट।

कौन खर्च करता है उनकी उड़ान पर।

कौन पे करता है उनका मीडिया ब्लिट्ज।

कैसे पूंजी पर सवार है उनकी केसरिया सुनामी।

उसकी मगर कोई सीबीआई जांच न होई।

तू किस खेत की मूली बै,चैतू।


रिलायंस एस्सार वगैरह तेल मंत्रालय की जासूसी काहे खातिर करें कुछ समझ में ना आवै,तेल मंत्रालय तो दशकों से रिलायंस हवाले हैं।कमसकम रिलायंस को जाजूसी की जरुरत न हवैके चाहि पर खबरों है टाइस्म आफ इंडिया मा केः

Blowing the lid off an organized racket allegedly linked to corporate espionage, Delhi police have arrested five people involved in stealing official and classified documents from the Union petroleum ministry and supplying these to business houses, think tanks and lobbyists.

Among those arrested by the crime branch are two present and two former employees (both brothers), all of whom worked as multi-tasking staffers in the ministry located at Shastri Bhawan. The arrests took place late on Wednesday night. Two former journalists, including Santanu Saikia, who runs a website named Indianpetro.com, have been detained for questioning. A Reliance Industries Limited (RIL) official is among four others also detained for interrogation.

आपके लिए बामुलाहिजा हाजिर है गाजर थोकै भाव कि नौकरी रहे ना रहे,विनिवेश हो कि ना हो,निजीकरण हो कि नाही परवाह मत कर के अंधेर नगरी चौपट राजा।आगे तितर पीछे तितर,कभी ना गिन कितने तितर। का दाना ऊपर दाना,छतर पर लड़की नाचे,लड़का हुआ दीवाना।बेगानी शदी में अब्दुल्ला दीवाना।

सैलरी बढ़ने की खबर से सर्विस वाले भावविभोर हो इससे पहले यह भी समझ लें कि आने वाले बजट में सरकार सर्विस टैक्स बढ़ा सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार सर्विस टैक्स में 2 फीसदी बढ़ोतरी का विचार कर रही है। लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ये टैक्स एक बार में नहीं बल्कि धीरे-धीरे बढ़ाएगी। इससे सरकार को करीब 30,000 करोड़ रुपये की आय की उम्मीद है।

इसके अलावा सरकार सर्विस टैक्स की निगेटिव लिस्ट का दायरा भी कम करेगी। अभी 39 सेवा पूरी तरह से सर्विस टैक्स की निगेटिव लिस्ट से बाहर हैं। सर्विस टैक्स नियमों में फेरबदल के लिए फाइनेंस कानून में संशोधन करना पड़ेगा।

जट आने में कुछ ज्यादा दिन नहीं बचे। 28 फरवरी को आने वाला बजट देश की दिशा और दशा दोनों ही तय करने में अहम भूमिका निभाएगा, या कहें कि आइना दिखाएगा तो गलत नहीं होगा। देश दुनिया को अच्छा मैसेज देने के लिए मोदी सरकार के लिए इससे बड़ा मौका नहीं हो सकता है। सरकार से काफी उम्मीदें हैं। लोग चाहते हैं कि सरकार अब लोक-चुभावन वादों से आगे निकलकर कुछ ठोस फैसले ले।

आने वाले बजट को लेकर सीएनबीसी आवाज़ के संपादक संजय पुगलिया का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के पास वक्त कम रह गया है और क्यों ये बजट मोदी सरकार के लिए मेक या ब्रेक का बजट साबित हो सकता है। संजय पुगलिया के मुताबिक 28 फरवरी को आने वाले बजट में मोदी सरकार को बड़े काम करने का सिर्फ वादा नहीं बल्कि इन वादों पर अमल करने का ऐलान भी करना होगा। मोदी सरकार की ओर से तेज ग्रोथ का भरोसा दिलाया जा सकता है ताकि देश में गरीबी मिट सके, लेकिन ये तेज ग्रोथ आएगी कहां से इसकी तस्वीर स्पष्ट करनी होगी।


नई दिल्ली। इस साल आपकी सैलरी में अच्छी बढ़ोतरी होने वाली है। ग्लोबल जॉब कंसल्टेंट एऑन हेविट के सर्वे के मुताबिक साल 2015 में लोगों की सैलरी में औसतन 10.6 फीसदी तक बढ़ोतरी होगी।

प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए सैलरी इन्क्रीमेंट के मामले में साल 2015 शानदार साबित होने वाला है। एऑन हेविट के सैलरी इन्क्रीज सर्वे 2015 के मुताबिक इस साल देश में सैलरी में औसतन बढ़ोतरी 10.6 फीसदी तक होगी। जबकि पिछले साल सैलरी में बढ़ोतरी 10.4 फीसदी थी। और, इस बढ़ोतरी में सबसे आगे रहेगा रियल एस्टेट सेक्टर।

सर्वे के मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर में करीब 12.25 फीसदी सैलरी बढ़ोतरी होगी। इसके बाद होगा लाइफ साइंस सेक्टर जिसमें 12 फीसदी सैलरी बढ़ने की उम्मीद है। मीडिया, केमिकल्स और आईटी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी सैलरी में इन्क्रीमेंट औसत से ज्यादा होगा।

इस साल जिन सेक्टरों में सैलरी 10 फीसदी से कम बढ़ने की उम्मीद है उनमें टेलीकॉम, ट्रांसपोर्ट, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल और फाइनेंस शामिल हैं। एऑन हेविट के मुताबिक अगर बजट में मेक इन इंडिया पर सरकार फोकस करती है, तो रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे जिनका फायदा आने वाले सालों में दिखेगा।


कि गले का फंदा कितना जोर से कसा जा रहा है,अहसासो ही नहीं होगा।

गांधी हत्यारे की तो मंदिर बन गया।अंबेडकर के हत्यारे कितने हैं,संविदान के हत्यारे कितने हैं,गिना नहीं किसी ने अनगिनत ही होवै शायद।


पांचवां शिड्युल छठां शिड्युल और पेसा के बावजूद आदिवासी कयामत जी रहे हैं।पर्यावरण हरी झंडी हो गयी बेदखली खातिर अटूट सलवा जुड़ुम खातिर।


रक्षा गठबंधन अब परमाणु है।रक्षा सौदे पर कमीशन सफेद धन है।

स्विसो बैंक के एकाउंट से कारपोरेट फंडिगं पर्दाफाश।राजनीति में नब्वे फीसद काला धन,सन्नाटा पसरा देश मा।

किसका का उखाड़ लिया जनता जनार्दन ने।


नाम वास्ते कानून बदल रिया है।

अपने आनंद तेलतुंबड़े कहते हैं कि राज्यतंत्र जो अखंड सैन्य तंत्र है,उसके मध्य बाबा साहेब किनारे हैं और संविधान का कोमा सेमीक्लोन फुलस्टाप भी बदले बिना जनसंहारी नीतियों को अमल में लाकर मनुस्मृति शासन चालू आहे।


लोकतंत्र का फरेब और जनादेश का तिलिस्म बुझावै खातिर संसद है,सरकार है।


बाकी जौन राज्यतंत्र सो हिंदुत्व कारपोरेट राजतंत्र है जो है वो है वह जेतना केसरिया उतना ही कारपोरेट।

जितना इंडियन उससे कहीं ज्यादा अमेरिकी।

जौन केसरिया झंडा है,उसमें चेहरा अंकल सैम है।


अबहुं जो बजट आयी रही उ समता समरसता और सामाजिक न्याय के साथोसाथ हिंदुत्व की,धर्म अधर्म और आस्था की पराकाष्ठा होई कि बै चैतू तू जो है वहींच है अंबानी अडानी डाउ कैनमिकल्स मनसैंटो तमाम आयुध बेचो कंपनी सगरी आउर जो अलीबाबा और चालीस चोर देश को लूटै,सब बराबर।जइसन सब्सिडी बिन सब्सिडी गैस एकच।


जइसन दुनिया मे तेल घटल बढ़ल,तेल पेट्रोल एकच भाव है बाकी मामूली घटत बढ़त है।जइसन हम रुपै में कारोबार करै तो का देश अंबानी के डालर में भुगतान करै और उसी डालरे भाव शून्य मंहगाई दर पर अनाज सब्जी दवा फल तेल दूध चिकित्सा शिक्षा परिवहन, घरभाड़ा बिजली बिल वगैर वगैरह सेनसेक्स हो जाये।


उछाला ही उछाला।

विकास दर  यहींच।

विकास गाथा यहींच कि तेरा जो विकास वहींच विकास अडानी का अंबानी का डाउ कैमिकल्स और अलीबाबा का विकास वहींच।


मतबल यह हुआ कि बजट मा टैक्स में समाजवाद आई।

समाजवाद एइसन कि जइसन अंधेर नगरी चौपट राजा,टका सेर भाजी टका सेर खाजा



जो भिखारी बाड़न,वो भी जो टैक्स भरै,वहींच टैक्स अडानी अंबनी खातिरे तय हुई रहा।


मतबल कि अंबानी अडानी का विकास होय तो आटोमैटिक देश हीरक राजा का देश भयो कि आटोमैटिको सगरे बायोमैट्रिक आधार निराधार नागरिक नागरिका तमामो विकसित कमल कमल।


चुंई चुंई के निकले गंगा की धार दही दूध मलाई चापै हो।


अपना हाड़ मांस कबाबै कबाब हो।


फिन बइठकै विश्वकप जिताय खातिर बैरीटोन साथै उचित संगत दियल चाहि ताली पिटब के नईकी टीवी नईकी व बाीवी की लिव इन साथे मस्त कलंदर जिंदड़ी हो।


उसदिन अपने डाक्टर शांतनु घोष कह रहे थे कि मधुमेह वरदान है।वरना कोई बिस्तर में गिरे बिना कभी डाक्टर के दरवज्जे धरना ना देवै।


मर खपकर साल दो साल में मधुमेह मरीज को चेकअप कराना होता है।


चेकअप ना करावै तो भी पहिला दफा मर्ज मालूम पड़ने पर जो दवा मिलती है,उसमें दिल से लेकर दांत तक का इलाज का बंदोबस्त रहता है।


डाक्टर दिखाओ चाहे न दिखाओ,जो स्वस्थ मनुष्य चेक अप का झमेले में फंसता नहीं कहीं,उसके मुकाबले मधुमेह मरीज अकस्मात मरता नहीं है।


फिर उनने कहा कि मधुमेह मरीज होने की एक और सुविधा भारी है कि दिल का दौरा पड़े तो दर्द का अहसास भी न होगा।सीधे स्वर्ग वास।

मनसैंटो रेडियो एक्टिव मुक्तबाजारे कौन नहीं है मधुमेह मरीज सर्वे अलग चाहिए।


तेल मंत्रालय ने फर्टिलाइजर प्लांट्स के लिए इस्तेमाल होने वाले नेचुरल गैस और एलएनजी की प्राइस पूलिंग का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव के तहत घरेलू और इंपोर्टेड गैस की कीमत का औसत निकालकर एक ऐसा रेट तय करना है, जिस पर सभी यूरिया प्लांट को डिलीवरी की जा सके।


देश में फर्टिलाइजर प्लांट यूरिया बनाने के लिए गैस का इस्तेमाल करती हैं जिसकी खपत करीब 42.25 एमएमएससीएमडी है। इसमें से 26.5 एमएमएससीएमडी घरेलू उत्पादन से आता है, जबकि 15.75 एमएमएससीएमडी गैस इंपोर्ट करना पड़ता है। घरेलू गैस की कीमत है 4.2 एमएमबीटीयू है जो इंपोर्टेड एलएनजी का करीब एक तिहाई है।


तेल मंत्रालय का ये प्रस्ताव अभी इंटर मिनिस्ट्रियल बातचीत के लिए रखा गया है, जिसके बाद इसे कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स में भेजा जाएगा। इससे प्लांट की क्षमता भी सुधारी जा सकेगी। प्राइस पूलिंग को प्रभावी बनाने के मकसद से तेल मंत्रालय ने एलएनजी इंपोर्ट पर कस्टमर ड्यूटी से छूट का प्रस्ताव भी रखा है। साथ ही सिफारिश की है कि नेचुरल गैस को डिक्लेयर्ड गुड्स की कैटेगरी में रखा जाए।


फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल सतीश चंदर का कहना है कि यूरिया के उत्पादन में 75 फीसदी लागत का हिस्सा गैस की कीमत का होता है। यूरिया के अलावा पीएनके फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियों को भी गैस पूलिंग की जरूरत है। गैस की कीमत ग्राहकों तक पहुंचने के कारण कंपनियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।


गैस प्राइस पूलिंग से सेक्टर की सभी कंपनियों को एक समान कारोबार करने के लिए मौका मिलेगा। एलएनजी इंपोर्ट पर 5 फीसदी कस्टम ड्यूटी हटाए जाने से सरकार पर सब्सिडी का बोझ कम होगा।

सरकार बजट की तैयारियों में जुटी है लेकिन एक आम आदमी की बजट विशलिस्ट तैयार हो चुकी है। हर कोई यही चाहता है कि सरकार बजट 2015 में, एक आम निवेशक के बचत को सबसे ज्यादा तरजीह दे। इसी को ध्यान में रखते हुए कोई टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहा है तो कोई लोन पर ब्याज की रियायत मांग रहा है। कुछ लोग नई इंवेस्टमेंट के इंतजार में हैं, तो कई ऐसे लोग हैं जो रिटायरमेंट प्रोडक्ट्स से जुड़े ऐलान सुनना चाहता है। इस खास शो में हमारा मकसद यही है कि हम आपकी विशलिस्ट वित्त मंत्री तक पहुंचाएं, साथ ही आपको ये भी बताएं कि अगर आपकी विश पूरी हुई तो उसका आपकी जेब और जिंदगी पर कैसा असर होगा।

मोदी सरकार का इस साल का बजट खास है। इंडस्ट्री के साथ साथ, हर खास और आम इंसान को इससे कई उम्मीदें हैं। इकोनॉमी की ग्रोथ और रोजगार के साथ, सरकार से टैक्स और निवेश को तवज्जो देने पर भी जोर दिया जा रहा है। बजट 2015 में एक आम निवेशक के लिहाज से क्या अहम एलान हो सकते हैं, क्या हैं वो निवेश की रणनीति जो आपको बजट को ध्यान में रखकर बनानी चाहिए, हम आपको बताएंगें हमारी खास पेशकश ऐसे बनेगा पैसा में।



Feb 20 2015 : The Economic Times (Mumbai)

Expect Tax Goodies to All on B-Day

Deepshikha Sikarwar

New Delhi:





Jaitley's Gift to Aam Aadmi & Corporates Alike Budget may propose significant changes in personal income tax and corporate tax structures, giving a boost to savings and lifting sentiments across spectrum

Direct tax rates may be in for a major overhaul in the budget. Among the most significant measures that finance minister Arun Jaitley is likely to announce in his much-anticipated budget on February 28 could be a recast of the direct tax structure, with the government looking to clean up levies on individuals and companies to create an investment-friendly regime and boost consumer sentiment.

Personal income tax and corporate tax structures could see a significant revamp, leaving more money in the hands of individuals and with companies.

"The idea is to spur investments and remove unnecessary hurdles," said a government official, adding that deliberations were still going on. A revamp of tax slabs for individu als and incentives to encourage sav ings and investment in housing could be taken up as part of the pack age as the government is not just keen on giving some relief to the t common man but also wants to pror vide a boost to financial savings. Financial sector regulators including the Reserve Bank of India have also favoured increased incentives for household savings.

The revamped national numbers show that the savings rate fell to 30% of gross national disposable income (GNDI) in 2013-14 from 33% in the year before. The exact quantum of relief is not yet known. In its first budget, the government had raised the exemption limit by Rs 50,000 but tax slabs were left unchanged. Similarly, the Section 80 C limit that offers tax rebates for investments and on home loan interest payments were raised by Rs 50,000 each.Though muted tax revenue growth and the need to set aside more funds for development leave little room, the government is keen to improve consumer sentiment, which is now being regarded as a quick way to revive the economy.

There is limited scope for indirect tax reforms with the goods and services tax set to be imposed on April 1, 2016, compared with direct taxes, which have seen multiple changes over the past few years, rattling overall business sentiment.

The focus, another official said, will be on providing a healing touch by bringing clarity in some of the complicated tax provisions that have hurt the country's image as an investment destination.

Industry views the upcoming budget as a make-or-break one and is looking to Jaitley's effort to kick off an investment cycle. Companies want a stable and nonadversarial tax regime. Industry chambers including Ficci, CII and Assocham have also sought simplification of the tax structure.

Among the areas expected to be in focus are clarity in the minimum alternate tax (MAT) framework, an improvement in the dispute-settlement mechanism, tax clarity for real estate investment trusts and alternate investment funds in the form of tax pass through and cleaning up of provisions impacting infrastructure and manufacturing.

The MAT rate is likely to be cut from the current 18.5%, if not for all companies, at least for those in special economic zones.

A section within the government has strongly favoured applying retrospective provisions on indirect transfers--the Vodafone amendment--on a prospective basis and only when large stakes change hands.

This group is of the view that the provi sion has done much to damage India's reputation as an investment destination and clarity on this within the legislative framework would remove doubts in the minds of those looking to put their money to work in India.

Most industry bodies and foreign investors have strongly pitched for a change in this provision despite finance minister Jaitley's repeated assurance that it would not be used.

The government has decided not to appeal the Shell and Vodafone judgments by the Bombay High Court, in line with its intent to be more investor friendly, but a decision on the retrospective amendment will be taken at the highest political level as there are a number of cases in litigation involving substantial revenue.

Sources said this could even be referred to the Cabinet for a decision.

Tax experts said India is the most taxed economy in Asia and there is scope for further reforming the tax structure on the lines of customs duty .

"There is a need for simplifying complicated tax policies," said Rahul Garg, leader, direct tax practice, PwC.

The peak tax rate is 30% in India and a 210% surcharge is levied depending on profit. However, the effective tax rate, after factoring in all exemptions, is only just over 22%.










अंधेर नगरी चौपट्ट राजा

टके सेर भाजी टके सेर खाजा


प्रथम दृश्य

वाह्य प्रान्त)

(महन्त जी दो चेलों के साथ गाते हुए आते हैं)

सब : राम भजो राम भजो राम भजो भाई।

राम के भजे से गनिका तर गई,

राम के भजे से गीध गति पाई।

राम के नाम से काम बनै सब,

राम के भजन बिनु सबहि नसाई ॥

राम के नाम से दोनों नयन बिनु

सूरदास भए कबिकुलराई।

राम के नाम से घास जंगल की,

तुलसी दास भए भजि रघुराई ॥

महन्त : बच्चा नारायण दास! यह नगर तो दूर से बड़ा सुन्दर दिखलाई पड़ता है! देख, कुछ भिच्छा उच्छा मिलै तो ठाकुर जी को भोग लगै। और क्या।

ना. दा : गुरु जी महाराज! नगर तो नारायण के आसरे से बहुत ही सुन्दर है जो सो, पर भिक्षा सुन्दर मिलै तो बड़ा आनन्द होय।

महन्त : बच्चा गोवरधन दास! तू पश्चिम की ओर से जा और नारायण दास पूरब की ओर जायगा। देख, जो कुछ सीधा सामग्री मिलै तो श्री शालग्राम जी का बालभोग सिद्ध हो।

गो. दा : गुरु जी! मैं बहुत सी भिच्छा लाता हूँ। यहाँ लोग तो बड़े मालवर दिखलाई पड़ते हैं। आप कुछ चिन्ता मत कीजिए।

महंत : बच्चा बहुत लोभ मत करना। देखना, हाँ।-

लोभ पाप का मूल है, लोभ मिटावत मान।

लोभ कभी नहीं कीजिए, यामैं नरक निदान ॥

(गाते हुए सब जाते हैं)


अंधेर नगरी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कृत व्यंग्यात्मक और रोचक प्रहसन है।

  • इसका नायक 'अन्धेरनगरी' का राजा 'चौपट राजा' है।

  • यह प्रहसन अत्यंत प्रसिद्ध और लोक-प्रचलित है।

  • उसमें छ: अंक हैं।

पहला अंक

पहले अंक में एक महंत अपने दो शिष्यों, नारायणदास और गोबरधनदास में से दूसरे को भिक्षा माँगने के सम्बन्ध में अधिक लोभ न करने का उपदेश देता है।

दूसरा अंक

दूसरे अंक में बाज़ार के विभिन्न व्यापारियों के दृश्य हैं, जिनकी माल बेचने के लिए लगायी गयी आवाज़ों में व्यंग्य की तीव्रता है। शिष्य बाज़ार में हर एक चीज़ टके सेर पाता है और नगरी और राजा का नाम, अन्धेर नगरी - चौपट राजा, ज्ञातकर और मिठाई लेकर महंत के पास वापस आता है।

तीसरा अंक

गोबरधनदास से नगरी का हाल मालूम कर वह ऐसी नगरी में रहना उचित न समझ तीसरे अंक में वहाँ चलने के लिए अपने शिष्यों से कहता है। किंतु गोबरधनदास लोभ के वशीभूत हो वहीं रह जाता है और महंत तथा नारायणदास वहाँ से चले जाते हैं।

चौथा अंक

चौथे अंक में पीनक में बैठा राजा एक फरियादी की बकरी मर जाने पर कल्लू बनिया, कारीगर, चूनेवाले, भिश्ती, कसाई और गड़रिया को छोड़कर अंत में अपने कोतवाल को ही फाँसी का दण्ड देता है, क्योंकि अंततोगत्वा उसकी सवारी निकलने से ही बकरी दबकर मर गयी।

पाँचवा अंक

पाँचवें अंक में कोतवाल गर्दन पतली होने के कारण गोबरधनदास पकड़ा जाता है, ताकि उसकी मोटी गर्दन फाँसी के फन्दे में ठीक बैठे। अब उसे अपने गुरु की बात याद आती है।

छटा अंक

छठे अंक में जब वह फाँसी पर चढाया जाने को है, गुरु जी और नारायणदास आ जाते हैं। गुरु जी गोबरधनदास के कान में कुछ कहते हैं और उसके बाद दोनों में फाँसी पर चढ़ने के लिए होड़ लग जाती है। इसी समय राजा, मंत्री और कोतवाल आते हैं। गुरु जी के यह कहने पर कि इस साइत में जो मरेगा सीधा बैकुण्ठ को जाएगा, मंत्री और कोतवाल में फाँसी पर चढ़ने के लिए प्रतिद्वंतिता उत्पन्न हो जाती है, किंतु राजा के रहते बैकुण्ठ कौन जा सकता है, ऐसा कह राजा स्वयं फाँसी पर चढ़ जाता है।



Anand Patwardhan का यह पोस्ट गौरतलब हैःः

Acche Din for 70 accused killers

Justice denied, she recalls: they cut off my hands

All 70 accused in Sesan Nava massacre acquitted, village of Baloch Muslims split and angry over 'sell-out'.

INDIANEXPRESS.COM

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19-02-2015

बेंगलुरु। फ्रांस की रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनी दसॉल्ट ने आज गुरुवार को भारत के साथ जल्द बहुप्रतिक्षित 10 अरब डॉलर के राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर दस्तखत होने के प्रति भरोसा जताया। दसॉल्ट ने कहा कि पहले दिन से ही इसकी कीमत समान है और वह इस संबंध में अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) की शर्तों पर कायम है।


कंपनी ने यह भी कहा कि जैसा कि दिसंबर में दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों ने फैसला किया था, उसके अनुरूप एक अधिकारप्राप्त टीम पहले ही भारत पहुंच चुकी है और वार्ता को आगे बढ़ा रही है। दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपीयर ने कहा कि कीमत का मसला बिल्कुल साफ है।


एलआई (न्यूनतम निविदाकर्ता) के पहले दिन से हमारी कीमत समान है। इसलिए उस मोर्चे पर कोई बदलाव नहीं हुआ है। दसॉल्ट के यहां सरकारी कंपनी एचएएल द्वारा बनाए जाने वाले 108 लड़ाकू विमानों के लिए गारंटी देने को इच्छुक नहीं होने के दावे के बारे में पूछने पर ट्रेपीयर ने इंकार किया और कहा कि आरएफपी में जो कहा गया है वह उससे पीछे नहीं हटा है।


ट्रेपीयर ने कहा कि हम पूरी तरह अपने अनुरोध प्रस्ताव के जवाब पर कायम हैं। इसी जवाब से भारत सरकार ने एल 1 को चुना, जो राफेल था और हम उसी प्रतिबद्धता पर कायम हैं जैसा कि आरएफपी में जिक्र किया गया था।


एयरो इंडिया एयर शो में हिस्सा लेने के लिए यहां आए ट्रेपीयर ने जोर दिया कि उनकी कंपनी आश्वस्त है कि वे पूरी तरह आरएफपी पर कायम है। इससे पहले जनवरी में भारतीय रक्षा सूत्रों ने दावा किया था कि गारंटी शर्तों और कीमतों में बढ़ोतरी के कारण फ्रांस के साथ सौदे की राह में अड़चनें आ गई हैं।


सूत्रों ने कहा था कि गेंद फ्रांस के पाले में है। साथ ही कहा गया था कि अनुरोध प्रस्तावका पालन किया जाता है तो सौदा जल्द हो सकता है। दसॉल्ट ने इस सप्ताह 24 राफेल विमानों के लिए मिस्र के साथ 5.9 अरब डॉलर का सौदा किया था। यह कीमत 126 विमानों के लिए 10 अरब डॉलर की उस कीमत से बहुत ज्यादा है जितने में भारत को यह मुहैया कराया जाएगा।


कीमत बढ़ोतरी के बारे में ट्रेपीयर ने कहा कि यह मत भूलिए कि 24 विमानों, फ्रिगेट बेड़े और युद्धक सामग्री के लिए मिस्र के साथ हुए अनुबंध के मामले में क्या प्रकाशित हुआ है। उसमें केवल विमान ही नहीं थे।


वर्ष 2012 में जब दसॉल्ट का जब पहली बार चयन हुआ तो भारत दसॉल्ट से आयात करने वाला पहला देश हो गया था। दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि हर देश का बातचीत का अपना अलग तरीका होता है।


मिस्र की तरफ से बेहद मांग थी और हम उनकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम थे। जहां तक भारत की बात है हम लंबे समय से भारतीय वायु सेना और भारत सरकार के प्रति कटिबद्ध हैं।



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5 hrs ·

मोदी सरकार देश को आगे ले जाने के लिए बहुत तेजी से काम कर रही है इसलिए आलोचना हो रही है। जानिए, ऐसा किसने और क्यों कहा...

'तेज काम करने के लिए हो रही है हमारी आलोचना'

बैंकिंग इंडस्ट्री के दिग्गज दीपक पारेख की निंदा का जवाब देते हुए फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने...

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नागार्जुन की यह पंक्तियाँ कितनी सटीक और तीक्ष्ण व्यंग्य लिए हुए है......

बकौल कमल जोशी ये वादियाँ फिर फिर बुला रहीं हैं मुझे......,

'ये वादियाँ फिर फिर बुला रहीं हैं मुझे......,'




सूट पर जो विवाद है, वह तो अलग है, लेकिन फोटो पर क्लिक करके जानिए कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर कोई नियम भी तोड़ा है...

विवादित सूटः क्या प्रधानमंत्री ने नियम तोड़ा है?

आचार संहिता स्पष्ट तौर पर कहती है कि कोई भी केंद्रीय या राज्य मंत्री अपने नजदीकी...

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Yesterday at 12:20pm ·

दिल्ली में बीजेपी के किस पूर्व विधायक पर रेप का आरोप लगा है, तस्वीर पर क्लिक करके जानिए पूरा मामला...

दिल्ली में BJP के पूर्व विधायक के खिलाफ रेप की FIR

दिल्ली के एक पूर्व एमएलए के खिलाफ रेप की एफआईआर दर्ज की गई है...

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Controversial Gujarat Cop DG Vanzara Leaves Jail, Says 'Acche Din' are Back ‪#‎WTFnews‬ =http://www.kractivist.org/controversial-gujarat-cop-dg-van…/

'Controversial Gujarat Cop DG Vanzara Leaves Jail, Says 'Acche Din' are Back #WTFnews =http://www.kractivist.org/controversial-gujarat-cop-dg-vanzara-leaves-jail-says-acche-din-are-back-wtfnews/'

In his speech on Tuesday the prime minister made a future promise and yet seemed unwilling to name the problem he was promising to deal with.

If Modi won't even name the problem of communalism, how will he solve it?

The prime minister broke his silence on religious intolerance only after the Delhi election results made him realise its steep cost.

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मजदूर बिगुल टीम का यह पोस्ट गौरतलब हैः

26 फरवरी को संशोधनवादी ट्रेड यूनियनों द्वारा एक ओर रस्म-अदायगी की तैयारी

February 20, 2015 at 11:52am

गौरतलब है कि 26फरवरी को देश की सेण्ट्रल ट्रेड यूनियनें श्रम क़ानूनों में सुधार के विरोध में एक दिन का प्रदर्शन (सत्याग्रह आन्दोलन) करने जा रही है। वैसे तो हर साल ही ये यूनियनें फरवरी के महीने में रस्म अदायगी के तौर पर आम हड़ताल करती हैं। होली, दिवाली की तरह ही ये दिन भी एक "वामपंथी" त्यौहार बन कर रह गया है। सरकार व उद्योगपति भी उस दिन को एक दिन की छुट्टी मान चुके हैं। लेकिन इस बार मुद्दा थोड़ा अलग व गम्भीर है।

यूँ तो 1991 में निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों के लागु होने के बाद से लगातार श्रम क़ानूनों को कमजोर किया जा रहा है। जो श्रम का़नून हैं भी, उनमें से ज्यादातर लागु नहीं होते हैं पर फासीवादी भाजपा की सरकार आने के बाद तो रहे सहे सभी श्रम क़ानून छीनने की तैयारी शुरू हो चुकी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र की सरकार ने तो अपने यहाँ श्रम क़ानून बदल भी दिए हैं। केन्द्र सरकार भी उनको बदलने के प्रस्ताव पारित कर चुकी है। देशभर में आज 60 करोड़ से अधिक मज़दूर हैं जिनका 93 फ़ीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र में काम करता है। ठेका,दिहाड़ी, कॉण्ट्रेक्टपर काम करने वाले इन 56 करोड़ मज़दूरों के हालात बेहद खराब हैं। ना तो इनके लिए न्युनतम मज़दूरी कानून लागु होता है, ना कोई सामाजिक सुरक्षा मिलती है और नौकरी की सुरक्षा की तो बात करने की भी जरूरत नहीं है। ट्रेडयूनियन की बड़ी-बड़ी दुकानें चलाने वाले मज़दूर-हितों के वामपन्थी सौदागरों का सबसे बड़ा आधार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में संगठित मज़दूरों तथा निजी क्षेत्र के कुछ बड़े उद्योगों में काम करने वाले संगठित मज़दूरों के बीच था। निजीकरण-उदारीकरण की आँधी में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लाखों संगठित मज़दूरों की नौकरियाँ तो गयीं ही, इन धन्धेबाज़ों के ज्यादातर तम्बू-कनात भी उखड़ गये। देश की 56 करोड़ असंगठित मज़दूर आबादी को संगठित करने की बात तो दूर, उनकी माँग उठाना भी ट्रेड यूनियन के इन मदारियों ने कभी ज़रूरी नहीं समझा। (गौरतलब है कि जब केन्द्रीय ठेका कानून को कमजोर करने के लिए उसमें abolition के साथ regulation जोड़ा गया था तब भी इन संशोधनवादियों ने सशक्त विरोध नहीं किया था।) मगर मज़दूरों की इस भारी आबादी में भीतर-भीतर सुलगते ग़ुस्से और बग़ावत की आग को भाँपकर अब ये न्यूनतम मज़दूरी, काम के घण्टे, ठेका प्रथा जैसी माँगों के सहारे असंगठित मज़दूरों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए उछलकूद कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि सरकार और पूँजीपतियों से रियायतों के कुछ टुकड़े माँगने में सफल हो जायें जिससे इस विशाल मज़दूर आबादी के बढ़ते आक्रोश पर पानी के छींटे डाले जा सकें। लेकिन इनके सारे संगठन ऊपर से नीचे तक इतने ठस और जर्जर हो चुके हैं कि चाहकर भी ये अपनी ताक़त का ज़ोरदार प्रदर्शन नहीं कर पाते।

आज करोड़ों-करोड़ मज़दूर भयानक शोषण के शिकार हैं। किसी भी इलाक़े में कोई भी श्रम क़ानून लागू नहीं होता। 12-12 घण्टे काम करने के बाद भी इस जानलेवा महँगाई में इतना नहीं मिलता कि मज़दूर चैन और इज्ज़त के साथ दो रोटी खा सकें। मालिक जब चाहे जिसे भी निकालकर बाहर कर सकते हैं, पैसे मार सकते हैं, मगर कहीं कोई सुनवाई नहीं होती। मज़दूर जान पर खेलकर काम करते हैं और आये दिन दुर्घटना और बीमारी के शिकार होते रहते हैं। स्‍त्री मज़दूरों की हालत तो और भी बदतर है। क़दम-क़दम पर अपमान और ज़ि‍ल्लत भी बर्दाश्त करनी पड़ती है। ऐसे में मज़दूरों की माँगों पर लम्बी तैयारी के साथ ज़बर्दस्त जुझारू आन्दोलन खड़ा किया जासकता है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि मज़दूरों को उनके हक़ों के बारे में जागरूक और शिक्षित किया जाये और ज़मीनी तौर पर छोटी-छोटी लड़ाइयों के ज़रिये उनको मज़बूत और जुझारू तरीक़े से संगठित किया जाये। मगर बड़ी-बड़ी यूनियनों के बड़े-बड़े नेता आलीशान दफ्तरों में बैठकर डीलिंग करते हैं और निचले स्तर पर उनके लोग घटिया किस्म की दल्लागीरी में लगे रहते हैं। मज़दूरों को उनके हक़ों के बारे में जागरूक करने से तो उनकी दुकानदारी ही चौपट हो जायेगी। इसलिए हड़ताल के नाम पर कुछ रस्मी क़वायदों से ज्यादा ये कुछ कर ही नहीं सकते।

इसलिए संगठित मज़दूरों के बीच अपनी इज्जत बचाने के लिए हर साल ये एक सालाना छुट्टी टाइप की हड़ताल करते हैं। उसके भी उद्देश्यों, कारणों के बारे में ये व्यापक मज़दूर के बीच कोई प्रचार नहीं करते। अगर ये चाहें तो करोड़ों की संख्या में पर्चे छपवाकर देश की मज़दूर आबादी को कम से कम जागरूक तो कर ही सकते हैं। अगर कोशिश करें तो देश की मज़दूर आबादी पर चलाये जा रहे रोड़रोलर के खिलाफ जुझारू आन्दोलन भी खड़ा कर सकते हैं।आखिर इनके पास रेलवे, डाक जैसे महत्वपूर्ण विभागों में बड़ी बड़ी यूनियने भी तो हैं। पर इस तरह के जुझारू आन्दोलन खड़ा करना इनकी नियत में ही नहीं है। इन्हे तो सिर्फ मज़दूर वर्ग के सबसे जुझारू हथियार हड़ताल को कमजोर करना है ताकि लोग हड़ताल का नाम लेना भी छोड़ दे। ये भी दिलचस्प है कि हर साल का ये सालाना जलसा वामपंथी ट्रेड यूनियनें संघ की यूनियन भारतीय मज़दूर संघ और कांग्रेस की यूनियन इंटक के साथ मिलकर आयोजित करती हैं। सोचने की बात है कि सीपीआई और सीपीएम जैसे संसदीय वामपन्थियों समेत सभी चुनावी पार्टियाँ संसद और विधानसभाओं में हमेशा मज़दूर-विरोधी नीतियाँ बनाती हैं तो फिर इनसे जुड़ी ट्रेड यूनियनें मज़दूरों के हक़ों के लिए कैसे लड़ सकती हैं? पश्चिम बंगाल में टाटा का कारख़ाना लगाने के लिए ग़रीब मेहनतकशों का क़त्लेआम हुआ तो सीपीआई व सीपीएम से जुड़ी ट्रेड यूनियनों ने इसके ख़ि‍लाफ़ कोई आवाज़ क्यों नहीं उठायी? जब कांग्रेस और भाजपा की सरकारें मज़दूरों के हक़ों को छीनती हैं तो भारतीय मज़दूर संघ, इण्टक आदि जैसी यूनियनें चुप्पी क्यों साधे रहती हैं? ज़्यादा से ज़्यादा चुनावी पार्टियों से जुड़ी ये ट्रेड यूनियनें इस तरह रस्मी प्रदर्शन या विरोध की नौटंकी करती हैं। ऐसे में, इन चुनावी पार्टियों की ट्रेड यूनियनों से हम मज़दूर क्या कोई उम्मीद रख सकते हैं? पिछले कई वर्षों से लगातार इन ट्रेड यूनियनों की ग़द्दारी को देखने के बावजूद क्या हम इनके भरोसे रहने को तैयार हैं? बार-बार धोखा खाने के बावजूद क्या हम इन्हीं पर निर्भर रहेंगे?

हाल ही में 6 जनवरी 2015 को कोयला खान मज़दूरों के साथ भी इन्होने यही गद्दारी की थी जब 5 दिवसीय हड़ताल को शर्मनाक समझौते में बदल दिया व सरकार के किसी ठोस आश्वासन के बिना ही दो दिन में ही हड़ताल खत्म कर दी थी।

स्पष्ट है कि  सीटू, एटक, इण्टक,एक्टू, बीएमएस से लेकर एचएमएस जैसी यूनियनों के पास न तो मज़दूर आन्दोलन को आगे ले जाने का कोई रास्ता है और न ही इनकी ऐसी कोई मंशा है। वास्तव में, ट्रेडयूनियन आन्दोलन में इनकी भूमिका सिर्फ़ दुअन्नी-चवन्नी की लड़ाई लड़ते-लड़ते मज़दूरों की जुझारू चेतना की धार को कुन्द करना और इसी पूँजीवादी व्यवस्था में जीते रहने की शिक्षा देना और साथ ही पूँजीपति वर्ग के दलाल की भूमिका निभाना है।

इसलिए हमें आज सही क्रान्तिकारी ट्रेडयूनियन आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए पहले क़दम से मज़दूर वर्ग की ग़द्दार इन केन्‍द्रीय ट्रेड यूनियनों के चरित्र को मज़दूरों के सामने पर्दाफाश करना होगा। साथ ही आज के समय में नये क्रान्तिकारी ट्रेड यूनियन आन्दोलन को आगे बढ़ाने के लिए मज़दूरों की पूरे सेक्टर (जैसे ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर) की यूनियन और इलाक़ाई यूनियन का निर्माण करना होगा। क्योंकि मज़दूर से छीने जा रहे श्रम-क़ानूनों की रक्षा भी जुझारू मज़दूर आन्दोलन ही कर सकता है।



Feb 20 2015 : The Times of India (Ahmedabad)

RIL, Essar execs among 4 questioned for corporate espionage on oil ministry

Raj Shekhar

New Delhi:





Five Arrested, Offices Of Both Firms Raided

Blowing the lid off an organized racket allegedly linked to corporate espionage, Delhi police have arrested five people involved in stealing official and classified documents from the Union petroleum ministry and supplying these to business houses, think tanks and lobbyists.

Among those arrested by the crime branch are two present and two former employees (both brothers), all of whom worked as multi-tasking staffers in the ministry located at Shastri Bhawan. The arrests took place late on Wednesday night. Two former journalists, including Santanu Saikia, who runs a website named Indianpetro.com, have been detained for questioning. A Reliance Industries Limited (RIL) official is among four others also detained for interrogation.

Some of those being questioned were recipients of the leaked documents, police said.

The crime branch also conducted raids in Delhi and Haryana on Thursday evening, including the offices of RIL at Gopaldas building in Connaught Place and the Essar Group, officers said. The leaked documents pertain to policy matters of the government and comprise minutes of meetings, orders, official communiques and proposals.

Delhi police, sources said, were asked to act by the petroleum ministry after intelligence officials tipped them about activities of "vested interests" at the ministry.

"We had information on what was going on had put them (the thieves) under surveillance. Police are now investigating," petroleum minister Dharmendra Pradhan said.

Cops suspect that more ministry officials, including some senior ones, may be involved in the leaks and will be summoned soon to join investigations.

The two multi-tasking staffers have been identified as Ishwar Singh and Asharam. The three others arrested are Raj Kumar Chaubey , Lalta Prasad and Rakesh Kumar.

"The accused were gaining entry into the ministry at Shastri Bhawan after office hours on the basis of forged documents... They came in a car which had fake `Government of India' markings," police commissioner B S Bassi said. The accused may have been operating for several years, he added. The arrested men were selling the documents for Rs 5,000-10,000, police said, adding that the papers were subsequently analyzed and supplied to business houses for huge considerations.

Joint commissioner of police Ravindra Yadav told TOI that investigations had revealed that the stolen documents were being sold to individuals in private energy consultancy companies as well as to those in the petrochemical and energy industry .

"The operation is continuing and more arrests are likely," he said, indicating that some energy consultants could come in the police net as well.

A police officer had been made the complainant in the case. The arrested men have been booked under the sections of criminal conspiracy, fraud and theft. Police were yet to charge them under the official secrets Act. "We are studying the leaked documents. If they turn out to be classified and come in the ambit of the official secrets Act, we will invoke it," Bassi said.

Describing the operation, addl CP (crime) Ashok Chand said the police had got information about the racket and were developing intelligence in the case when they received a tipoff.

"A special team led by DCP Bhisham Singh and ACP K P S Malhotra finally got an input that the accused would intrude into the ministry on Wednesday night. A trap was laid and three persons were spotted arriving in an Indigo car near Shastri Bhawan. Two persons got off and went inside while the third remained in the car. After two hours, when the two persons returned to the car, they were apprehended," Chand added.

The cops recovered duplicate keys used by them for getting into the offices of the petroleum ministry , forged ID-cards and fraudulently obtained temporary passes. The Indigo car had an unauthorized signage which said `Bharat SarkarGovernment of India'.

During interrogation, the arrested men revealed that Lalta Prasad and Rakesh Kumar were brothers and both had earlier worked as temporary multi-tasking staffers at Shastri Bhawan. They left in 2012. During their stint at Shastri Bhawan, they realized that they could easily lay their hands on official documents.

For the full report, log on to http:www.timesofindia.com


स्पेक्ट्रम नीलामी में टेलीकॉम कंपनियों की काफी दिलचस्पी दिख रही है। मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने भी इस बार स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाने का फैसला लिया है। रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए अर्जी दे दी है। कंपनी देशभर में 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाएगी।

रिलायंस जियो के अलावा भारती एयरटेल, वोडाफोन, एयरसेल और यूनिनॉर ने भी नीलामी के लिए अर्जी दे दी है। जिन कंपनियों ने नीलामी के लिए अर्जी दी है उनमें से ज्यादातर के लाइसेंस रिन्युअल का वक्त आ गया है। आइडिया को 9, वोडाफोन और रिलायंस कम्युनिकेशंस को 7-7 और भारती एयरटेल को 6 सर्किल में लाइसेंस रिन्यू कराने हैं।

इंफोसिस ने 1250 करोड़ में खरीदी US की कंपनी

Published on Feb 17, 2015 at 14:35

नई दिल्ली विशाल सिक्का ने इंफोसिस की कमान संभालने के बाद पहली बड़ी खरीद की है। इंफोसिस ने अमेरिका की कंपनी पनाया को खरीद लिया है। ये डील 20 करोड़ डॉलर यानि करीब 1250 करोड़ रुपये में हुई है। पूरा सौदा कैश में हुआ है। इंफोसिस के लिए पनाया डील अब तक की दूसरी सबसे बड़ी डील है। इसके पहले कंपनी ने 34.5 करोड़ डॉलर में लोडस्टोन को खरीदा था। पनाया अमेरिका की ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी कंपनी है और ये अमेरिका के साथ-साथ यूरोप में भी मौजूद है।

इंफोसिस के प्रोडक्ट्स को पनाया की टेक्नोलॉजी का फायदा मिलेगा। साथ ही 62 देशों में 1220 क्लाइंट्स भी मिलेंगे। पनाया के पास कोका-कोला, यूनिलीवर, मर्सिडीज-बेंज, एवरेडी, वॉल्वो, डॉल्बी और बॉश जैसे क्लाइंट हैं। इंफोसिस का कहना है कि पनाया की खरीद हमारी रिन्यू और न्यू स्ट्रैटेजी को दर्शाती है।

कोयला उगल रहा सोना: 80,000 करोड़ मिले

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वेंकैया ने कहा, नीलामी की सफलता साबित करता है कोयला घोटाला हुआ था भक्तों को नपुंसक बनाने के मामले में सीबीआई को राम-रहीम के खिलाफ मिले ठोस सबूत असदुद्दीन औवेसी के बेंगलूरू में घुसने पर रोक पेट्रोलियम मंत्रालय की जासूसी के मामले में अब तक सात लोग गिरफ्तार, छापे जारी 2 करोड़ के भी ऊपर पहुंची पीएम मोदी के सूट की बोली

कोयला उगल रहा सोना: 80,000 करोड़ मिले

Updated on: Fri, 20 Feb 2015 15:43:41 GMT

नई दिल्ली।

सियासी भूचाल लाने वाले कोल ब्लॉक अब सोना उगल रहे हैं। सरकार की ओर से जारी नीलामी प्रक्रिया के पांचवें दिन गुरूवार तक ही 21 खानों की नीलामी से सरकारी खजाने में 80 हजार करोड़ रुपए आ चुके हैं जबकि अभी सभी खानों की नीलामी पूरी नहीं हुई है। सरकारी कंपनी कोल इंडिया की ओर से निर्धारित दामों से रिकॉर्ड बोलियो का दौर जारी रहने से संभावना जताई जा रही है कि सभी 204 खानों की नीलामी का आंकड़ा 7 लाख करोड रुपए तक जा सकता है। वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि मौजूदा नीलामी समेत कोयला ब्लॉकों के आवंटन से अगले 30 साल में संबंधित राज्यों को 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त होंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि कोयला ब्लॉक के आवंटन से इस ईधन का इस्तेमाल करने वाले संयंत्रों के लिए इसकी आपूर्ति बढेगी। पूर्व कैग (नियंत्रक और म हालेखापरीक्षक) विनोद राय ने यूपीए सरकार द्वारा कोल ब्लॉक आवंटन में नीलामी प्रक्रिया का पालन नहीं कर 1,86,000 करोड़ रुपए के घाटे का आंकलन किया था। नीलामी की वर्तमान प्रवृत्ति को देखते हुए लगता है कि ये आंकड़ा भी काफी पीछे छूट जाएगा। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास कोयला मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार होने के दौरान नीलामी पहले आओ पहले पाओ के आधार पर आवंटित हुई थी। तब मनमोहन सिंह ने अगस्त, 2102 में संसद में कहा था कि राय का आंकलन गलत तथ्यों पर आधारित है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सितंबर, 2014 में 204 कोयला ब्लॉक का आवंटन रद्द करने के बाद सरकार की ओर से ये नीलामी की जा रही है। पहले चरण में 21 कोयला ब्लॉकों की पेशकश की गई है। पहले चरण की नीलामी 22 फरवरी को समाप्त होगी। इसके बाद दूसरे चरण के 43 कोयला ब्लॉक आवंटन के नीलामी की प्रक्रिया 25 फरवरी से 5 मार्च तक चलेगी। रिवर्स बीडिंग को अपनाया गया है। इसमें सबसे कम बोली लगाने वाले को खदान का आवंटन होता है। कोयले के दामों को नियंत्रण में रखने के लिए ये प्रक्रिया अपनाई गई है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र और झारखंड में खानें हैं।

http://legendnews.in/Business_inner.aspx?ID=621&PageID=4#.VOcXe3yUdJk


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