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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, February 4, 2015

हिटलर से प्रेरित होकर बने संगठन के उत्तराधिकारियों को हिटलर के प्रयोगों से ही रास्ता निकालना चाहिये।


नहीं....मैं नहीं मानता कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिये सब कुछ खत्म हो गया है। हिटलर से प्रेरित होकर बने संगठन के उत्तराधिकारियों को हिटलर के प्रयोगों से ही रास्ता निकालना चाहिये। पुलिस, सी.आई.डी. और आई.बी. को एस.एस. और गेस्टापो की तरह चुनाव की ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को धमकाने और ललचाने के लिये लगा दिया जाना चाहिये। आखिर वे भी तो सरकारी नौकर ही हैं। रिंगिंग का क्या मौड्यूल होगा यह उन्हें ठीक से समझा दिया जाना चाहिये। बहुत आराम से बाजी पलटी जा सकती हैं
हाँ....खतरे तो हैं। दिल्ली आखिर राजधानी है, दंतेवाड़ा का जंगल नहीं। मीडिया कितना भी दबा हुआ हो, उसमें काम कर रहे लोग खून के आँसू पी कर अपने आकाओं की मर्जी का लिख और दिखा रहे हों, मगर कभी-कभी जमीर पेट की आग से ज्यादा बड़ा हो ही जाता है। अगर बात खुल गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे। मगर यह खतरा तो उठाना ही पड़ेगा। यह सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं है। इसकी तरंगें दूर-दूर तक जायेंगी।
मुझे रामलीला के अन्तिम दो-तीन दिनों के दृश्य रह-रह कर याद आ रहे हैं..... मेघनाद की पूजा, कुम्भकर्ण और अहिरावण वाले......
नहीं....मैं नहीं मानता कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिये सब कुछ खत्म हो गया है। हिटलर से प्रेरित होकर बने संगठन के उत्तराधिकारियों को हिटलर के प्रयोगों से ही रास्ता निकालना चाहिये। पुलिस, सी.आई.डी. और आई.बी. को एस.एस. और गेस्टापो की तरह चुनाव की ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को धमकाने और ललचाने के लिये लगा दिया जाना चाहिये। आखिर वे भी तो सरकारी नौकर ही हैं। रिंगिंग का क्या मौड्यूल होगा यह उन्हें ठीक से समझा दिया जाना चाहिये। बहुत आराम से बाजी पलटी जा सकती हैं   हाँ....खतरे तो हैं। दिल्ली आखिर राजधानी है, दंतेवाड़ा का जंगल नहीं। मीडिया कितना भी दबा हुआ हो, उसमें काम कर रहे लोग खून के आँसू पी कर अपने आकाओं की मर्जी का लिख और दिखा रहे हों, मगर कभी-कभी जमीर पेट की आग से ज्यादा बड़ा हो ही जाता है। अगर बात खुल गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे। मगर यह खतरा तो उठाना ही पड़ेगा। यह सिर्फ दिल्ली का मामला नहीं है। इसकी तरंगें दूर-दूर तक जायेंगी।   मुझे रामलीला के अन्तिम दो-तीन दिनों के दृश्य रह-रह कर याद आ रहे हैं..... मेघनाद की पूजा, कुम्भकर्ण और अहिरावण वाले....

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