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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Sunday, April 19, 2015

टल्ली -थिगळि -पैबंद संस्कृति बिनास से सेवानिवृत लोगुं नुकसान

टल्ली -थिगळि -पैबंद संस्कृति बिनास से सेवानिवृत लोगुं नुकसान 

                        चबोड़्या, चखन्यौर्या , हंसोड्या   :::   भीष्म कुकरेती 


टल्ली , थिगळी या पैबंद लगाण एक भली संस्कृति छे। पुनः दुरस्तीकरण एक सभ्यता छे।  रिपेयरिंग एक कल्चर छे। 

या पैबंद लगाणो संस्कृति गाँव इ ना शहरूं मा बि परिपक्व स्थिति मा छे।  अरे जु गांवुं मा द्यु बतल पर बि टल्ली लगदी छे तो शहरूं मा कबि जंद्यो पर बि टल्ली लगदी छे।  छतरा , रेडिओ , स्टोव , चप्पल रिपेयरिंग संस्कृति तो अबि बि चलणि च। 

टल्ली संस्कृति से सबसे अधिक फायदा बूड बुड्यों तै हूंद छौ।  बस सेवा निवृत ह्वावो ना कि टल्ली संस्कृति का बैठ्वाक याने कुसन मा दिन बितै ल्यावो अर बासी भोजन (जु  पैबंद ही च ) से जिंदगी गुजार द्यावो।  

भौत सा समय जंग्या -कच्छा पर इथगा थिगळी लग जांद छ कि ओरिजिनल कच्छा  का कपड़ा इ गायब ह्वे जांद छौ अर इन कच्छा पैरण वळ तब बि घमंड नि करदो छौ कि वु इथगा इनोवेटिव अर क्रियेटिव च। 

टल्ली संस्कृति का बाइ प्रोडक्ट या साइड इफेक्ट सभ्यता छे कि बडु कपड़ा छुटुं तै पैरा द्यावो।  इन बि दिखे गे छौ कि क्वी बुड्या मर जावो तो वैक कपड़ा हैंक बुड्या पैर्दो छौ अर इख तक कि स्वर्गवासी बुड्या का चश्मा पृथ्वीवासी हैंक बुड्या पैर लींद छौ। 

अब कै हैंकाक कपड़ा पैरणो रिवाज पर लगाम लग गे अर कुत्ता बि यीं संस्कृति का विरोधी ह्वे गेन। 

मि अब रिटायर ह्वे ग्यों तो मीन बि स्वाच कि मि अब अपण नौनुं कपड़ा पैरिक पुनर्जवानी को लुफ्त उठौं।  पर जब मी अपण नौना की टी शर्ट अर जीन पैरिक रोड पर औं तो जु कुत्ता म्यार खुट चाटद छा वु में पर भुकण मिसे गेन अर टल्ली संस्कृति का विरोध मा ज़रा मुहल्ला का कुत्ता एक ह्वे गेन। 

अब घौरम बैठिक मे शरीका बुड्याका जंग्या याने बरमुदा का पैथरो हिस्सा अर टी शर्ट का कीसा अधिक फटदन।  बैठ बैठिक  जंग्या कु पैथरो हिस्सा फटण लाजमी च अर सेवानिवृति का बाद किसौंद खाली चिल्लर रखण से कीसा कु फ़टण क्वी अपवाद नी च।  पर अजकाल दर्जी टेलर मास्टर ह्वे गेन तो ऊंन टल्ली लगाण बंद कर देन।  म्यार कच्छा याने बरमुदा कु पैथर फट अर टी शर्ट  कु कीसा फट तो मि टल्याणो टेलर मास्टरुं मा ग्यों।  हरेकन मि तै इन दुत्कार जन मि खजी वळ कुत्ता हों।  मि चार मील घूम तो एक टेलर मास्टर मील गे जु म्यार कच्छा अर टी शर्ट तै टल्याणो बान दर्जी बणनो बान तयार ह्वे गे।  वु टेलर मास्टर सहतर साल कु छौ अर मेरी बुढ़ापा की भावना तै अच्छी तरह से समझदो छौ इलै वु टेलर से दर्जी बणणो तयार बि ह्वे।  वैन बड़ी लगन से टल्ली लगैन अर मि प्रसन्नता पूर्वक टल्लीदार कच्छा अर टी शर्ट लेक घर ऐ ग्यों।  मि खुस छौ कि म्यार बच्चा मेरी मितव्ययता से खुस ह्वे जाल। 

पर मेरी प्रसन्नता थ्वड़ा देर बि नि राइ।  सरा घौरम कुहराम मचि गे। 

बड़ी ब्वारिन ब्वाल - अब आप हमतै नीचा दिखाणो बान टल्लीदार कपड़ा पैरण चाणो   छंवां ? लोगुन  बुलणि  च कि जौंक ब्वारी नौकरी करदी वु टल्लीदार कपड़ा पैरणु च।

बेटान बि खदुळ कुत्ता जन ब्यवहार कार - हम आपौ कुण क्या नि छंवां करणा अर आप टल्ली लगैक ऐ गेवां ?

घरवळिन बि लताड़ गौड़ी तरां लात लगांद ब्वाल - जवानी मा कमैक धरदा तो बुढ़ापा मा टल्लीदार कपड़ा पैरणो जरूरत पड़दी क्या ?

अब टल्लीदार कपड़ा पैरण असभ्यता ना गुनाह ह्वे गे। 

अब रिपेयरिंग कु जमाना नी च बल्कि यूज ऐंड थ्रो कु जमाना च।  याने अब हरेक तै बुढ़ापा का वास्ता उथगा इ कमाण पोड़ल जथगा वु जवानी मा खर्चदो। 

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