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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Thursday, July 30, 2015

गढ़वाली कविता लुढ़की , गीतों में भारी गिरावट , कथा में बिकवाली नही


 गढ़वाली कविता लुढ़की  , गीतों में  भारी गिरावट  ,  कथा में बिकवाली नही 


                                       (फेसबुक में Like की असलियत ) 


                   

                              चबोड़ , चखन्यौ , फिरकी :::   भीष्म कुकरेती 



            ना ना मेरि सुबेर सुबेर पियीं नी च ना हि मि भंगल्या छौं जु बुलणु  कि फेसबुक मा Like भ्रमकारी , भ्रामक अर भ्रान्तिकार च ।  मि खपटणा  बजैक बुलणु छौं बल  फेसबुक मा Like बड़ो भ्रम पैदा करदो , मि कंटर बजैक बुलणु छौं बल फेसबुक मा Like धोखा दींदु, मि जंगड़ बजैक बुलणु छौ बल फेसबुक मा Like बड़ो मायावी च। मीन पिछ्ला एक मैना से  अकादमीय रीति से इ ना ब्यवसायिक रीति से फेसबुक का Like पर खोज कार अर कुछ रिजल्ट तो हाहाकारी पैना।  ल्या म्यर खोज का  कुछ नमूना -


                                     जब ताजो ताजो बण्यु कविन नेत्र सिंह असवाल पर भचका मारी 


 एक ताजो ताजो पीएचडी धारीन द्याख कि गढ़वाली फेसबुक्या ग्रुपुं माँ कविता की बड़ी पूच च।  डा साबन स्वाच बल  जब बालकृष्ण ध्यानी , जयाड़ा जन नौन पीएचडी धारी कविता रच सकदन वो किलै ना ? तो वैन बि गढ़वाली मा अपणी पैलि  कविता पोस्ट कर दे।  कविता पैथर पोस्ट ह्वे अर Like की बिठकि डा साब क अ चौक मा पैलि पौंचि गेन।  Like की कटघळ देखिक पीएचडी धारी का पूठ पर नौ पूळ पराळ चली गेन। अर वु दुसर कविता रचणो कुर्सी मा ना सोफ़ा मा लम्पसार ह्वे गे। 

                        गढवळिक  वरिष्ठ गजलकार नेत्र सिंह असवाल तै वा कविता द्वी दिन बाद दिखे गे।  अब नेत्र सिंह असवाल ह्वे सन अस्सी का दशक का साहित्यकार।  असवाल जी नया नया कवियों तै समझाण अपण फर्ज अबि बि समजदन।  भलमनसा मा ऊंन ताजो ताजो बण्युं कवि तै Message मा Message दे - बल भया तुम्हारी कविता का इ हाल छन कि पंडों नाच मा ढोल उकाळि ताल बजाणु च -नि सौक सकदु बुढ़ेंद दैं , त दमौ पर ताल च बड़ा मांगणो तुन तुन तो ढोली जागर लगाणु च -अभिमन्यु मरे गे अर कुंती तै अति शोक ह्वे गे अर पंडो नाचण वाळ का खुट भंगड़ा करणा छन , हथ कथकली नाच की हरकत करणा छन अर नचनेर इन झिंगरी लीणु च जन बुल्यां  डौण्ड्या नरसिंघ नचणु हो। प्रिय जरा कवित्व अर कविता पर पैल ध्यान दे फिर कविता रचण शुरू कौर। 

                    ताजो ताजो कवि तै तो Like की कटघळ का कटघळ जि मिल्यां छया।  ताजो बण्यु कवि न  सीधा हरेक ग्रुप मा नेत्र सिंह असवाल की धज्जी उड़ै दे कि तुम बीसवीं सदी का कवि इकीसवीं सदी की कवितौं तै क्या सम्जिल्या ? मि तै 117  लोगुंन 13 घंटा मा Like कार।  उ लोग बड़ा कि तुम बड़ा ? असवाल जी फेसबुक मा अपण कुंद पड्यु मुख तो दिखै नि सकदा छा। असवाल जीन कसम खै देन कि आज से कै बि साहित्यकार तै नि अडाण अपितु दस दै Like की प्रतिक्रिया दीण।  द्वी चार दिन ताजो ताजो कविन हर घंटा मा कविता पोस्ट करिन पर धीरे धीरे Like करण वाळ गायब ह्वे गेनी।  अब नया नया कवि का समज मा अयि कि फेसबुक्या दोस्तुंन सुदि मुदि Like कार छौ।  डा साब अब श्रीनगर से गाजियाबाद अयाँ छन अर असवाल जीका पता पुछणा  छन। 

      

                               मदन डुकलाण का पिताजी मृत्यु पर मदन जी तै हार्दिक बधाई ! 


             मदन  डुकलाण जीकी कवितौं तै फेसबुक्या पाठक पसंद करदन।  पर्सिपुण मदन जीका पिताजी गुजरेन तो वूंन फेसबुक मा सूचना दे - मेरे पिताजी की असामयिक मृत्यु !

फेसबुक मा पोस्ट इन हुईं छे -

                   मेरे पिताजी की असामयिक मृत्यु !

                  See more    …… 

अब मदन जीकुण  द्वी घंटा मा 226 Like ऐ गेन।  डुकलाण जीक बिंगण -समजण मा नि आई कि लोग मेरी पिता जी की मृत्यु तै किलै Like करणा छन कौनसे म्यार पिताजी यूंमांगन कुछ मांगणो जांद छ कि यूँ तै मेरा पिता जी की मृत्यु अच्छी लगणी (Like =पसंद ) छ ?

खैर मदन जी Like  कुछ नि कर सकदा छ किन्तु Comments देखिक तो मदन जीकी फांस खाणो इच्छा ह्वे गे। 

कुछ Comments इन छा -

अस्लीयतवाद, Realism 

करुणामय कविता 

आंसू ला दिए आपकी कविता ने 

वाह !

गजब !

बधाई 

Congratulations for nice poetry 

मदन डुकलाण जीक समज मा ऐ गे कि पाठकुंन See more    …… से अग्वाड़ी द्याखि नी कि क्या सूचना च बस कविता संजिक Comments पोस्ट कर दिनि। 


                                 संदीप रावत गढ़वाली आलोचकों पर क्रोधित 


     संदीप रावत जी कवि बि छन अर साहित्य इतिहासकार बि।  किन्तु फेसबुक मा देर से ऐन।  एक विज्ञ मनिख संदीप जी तैं फेसबुक मा भर्ती करै गे अर संदीप जी तै द्वी कविता ग्रुप मा भर्ती करैक चली गेन अर संदीप जी तै कविता पोस्ट कराण बि सिखै गेन।  संदीप जीन द्वी कविता ग्रुप मा गढ़वाली कविता पोस्ट क्या करिन कि Like की झमाझम बारिश हूण शुरू ह्वे गेन।  इख तलक कि कमेँट्सुं ढांड बि पड़िन , जन कि -
सामयिक ! 
संवेदनशीलता की परिकाष्ठा 
उत्तरमार्क्सवादी कविता 
धार्मिक उन्माद को आपकी कविता से खतरा 
एक्सप्रेसिनिस्म का अच्छा उदाहरण 
ट्रू सुरेलिज्म 
         संदीप रावत जी तै गढ़वाली का आलोचक - भगवती प्रसाद नौटियाल - राम विलास शर्मा , वीरेंद्र पंवार -नामवर सिंह , देवेन्द्र जोशी -  मुद्राराक्षस  ,डा  नन्द किशोर ढौंडियाल - नन्द दुलारे वाजपेई , भीष्म कुकरेती -स्टेनले ग्रीनफील्ड पर गुस्सा आई कि यूंन संदीप रावत तै नि पछ्याण  जब कि फेसबुक मा पाठ्कुंन एकी घंटा मा पछ्याण दे।  रावत जी कु भरम अधिक देर तक नि रै। 
       संदीप जी तै फेसबुक मा भर्ती कराण वळ चारक घंटा मा वापस आइ अर रावत जी से क्षमा मांगण लग गे। 
भर्ती कराण वळ - रवत जी सॉरी मीन तुम तै हिंदी कविता ग्रुप मा भर्ती करै दे। 
संदीप - तो यु जौन Like अर Comments देन ऊँ तै गढ़वळि नि आदि होली ?
भर्ती करण वळु - ना 
बिचारा संदीप जीको भरम चारि घंटा मा टूटी गे। 
                
                                     भीष्म कुकरेती का गर्व चकनाचूर !

मि पिछला एक साल से फेसबुक मा छौं अर म्यार कुछ पांच छै पाठक मेरी हर पोस्ट पर 
वाह !
गजब ! 
सुंदर 
क्या लिखा है 
का कमेंट्स पोस्ट करणा रौंदन।  मि खुश छौ कि म्यार व्यंग्य का इथगा प्रशंसक छन। 
एक दिन मीन वै प्रशसंक  मांगी जु रोज पोस्ट करद छौ - क्या लिखा है ! अर फिर मीन वै पाठक तै फोन कार 
मि - भाई साब आप मेरा  बड़ा प्रशसक छंवां।  आप तै मया लेखों मा क्या पसंद आंदु ?
पाठक -जी मुझे ही नहीं  , मेरी पंजाबी माँ और मेरे  पिताजी को भी  गढ़वाली नही आती है।  मै तो बस टाइम पास करने के लिए आपको रोज 'क्या लिखा है ! Comments पोस्ट करता हूँ।  मैंने आज तक आपका शीर्षक भी ठीक से नही पढ़ा है। 
म्यार गर्व चूर चूर ह्वे गे छौ। 
इनि भौत सि घटना छन पर समय की कमी च, बकै   फिर कभी  !    

                   पाठकों से प्रार्थना 

हम गढ़वाली साहित्यकार Like का वास्ता नि लिखदां अपितु इलै लिखदां कि गढ़वळि का पाठक वृद्धि हो।  तो आप से हथजुडै च कि आप हमारा लिख्युं तै पैल बांचो अर फिर Like करो या Comments कारो।  कोरा Like से हम साहित्यकार या गढ़वाली भाषा तैं  क्वी फायदा नी च। 



31/7 /15 ,
Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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