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Memories of Another day

Memories of Another day
While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, January 9, 2016

घानी का गुड़ हो और बगैर रसायनिक खाद वाले सफेद तिल । धूप में सुखाई करारी लकड़ियों का चौथाई गट्ठर हो अलाव के वास्ते । रात में चाँद भले ही मद्दिम हो , पर हो । कनपटियों पर शनैः बर्फीली हवाओं का कटाक्ष भी हो । तभी सार्थक है यह मौसम ।

अमीर खुसरो की कविता-छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके
आप भी सुनियेगा Rajiv Nayan जी की आवाज़ में..
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https://www.facebook.com/rajivnayanbahuguna.bahuguna/videos/1544599599098143/?theater
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna
5 hrs · 


घानी का गुड़ हो और बगैर रसायनिक खाद वाले सफेद तिल । धूप में सुखाई करारी लकड़ियों का चौथाई गट्ठर हो अलाव के वास्ते । रात में चाँद भले ही मद्दिम हो , पर हो । कनपटियों पर शनैः बर्फीली हवाओं का कटाक्ष भी हो । तभी सार्थक है यह मौसम ।

ऋतु आराधन
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देव दिनकर , एक छोटे से बीज को आप कालांतर में महा वृक्ष बना देते हो । उस वृक्ष के फल आप महामहिम की गरिमा का ही फलादेश है । इस मर्त्य लोक की समस्त सरिताएँ अहिर्निश आपकी श्लाघा में ही ऋचाओं का उच्चारण करती हैं । आपके संरक्षण और मार्ग दर्शन में ही मुझ अकिंचन ने महाद्वीपों का भ्रमण किया । समुद्रों के सघन सुनील वर्ण से अपने कम्प्यूटर में नीली स्याही भरी । आप यशस्वी का पुण्य और फले ।




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