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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Wednesday, July 31, 2013

सुनीता भास्कर तहसीलदार ने तो निभायी खनन की दारोगाई..पर पंडित अलोपिदीन धोखा दे गया......

तहसीलदार ने तो निभायी खनन की दारोगाई..पर पंडित अलोपिदीन धोखा दे गया......

खनन माफियाओं का दुस्साहस तो देखिये..तहसीलदार के ऊपर की ट्रैक्टर चढ़ा दिए..गड्ढे में कूदकर जान न बचायी होती तो तहसीलदार जान गँवा बैठता....हरिद्वार जिला प्रशासन ने पुलिस में रपट लिखाई है..पुलिस जैसे ही छानबीन शुरू करेगी माफिया के पर्याय बन चुके विधायक मंत्रियों के डीआईजी को फोन घनघनाने लगेंगे ..क्या जाहिर नहीं है की कौन होगा ऐसा दुस्साहसी खनन माफिया.भाई भतीजा साला रिश्तेदार या चुनाव के वक्त का कोइ डोनर या पार्टी कार्यकर्ता ही तो....सरकारी नुमाईन्दो का इनके सामने झुक जाने के सिवा चारा ही क्या है आखिर....मुंशी प्रेमचंद के पंडित अलोपदीन ही जब नैतिक नहीं रह गए तो बंशीधर के आदर्शों की परख कौन करेगा भला....कोई नमक का दरोगा आज सीना तानने की कोशिश करेगा तो पंडित अलोपदीन के आदमी घर जाकर गोलियों तमंचों से भून आयेंगे उसे...ईनाम की पुडिया लेकर नहीं पहुंचेगे उसके पास....प्रेमचंद की आदर्शवादी कहानियाँ सुख व गर्व से सीना फुला सकती हैं हमारा बस...यथार्थ पर उनके चल पाना कितना कठिन हो चला है......

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