अमेरिका में भी फासिज्म की दस्तक कि ट्रंप हुए राष्ट्रपति उम्मीदवार
अमेरिका भारत को हमेशा अस्थिर बनाने में लगा है।ट्रंप ने इस्लाम के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान किया है लेकिन वे भारत के लिए भी बेहद खतरनाक होंगे।महादेश के हालात बेहद संगीन हैं,ट्रंप लूटेंगे मुनाफा।
हम अब आ बैल मुझे मार की तर्ज पर इस्लाम के खिलाफ अमेरिका के आतंकविरोधी गठजोड़ में इजराइल के साथ पार्टनर है।इस पार्टनरशिप में हिंदू राष्ट्र का एजंडा भी अब शामिल हो गया है और इसका सीधा मतलब है कि भारत के मुकाबले अमेरिकी ब्रांड का इस्लामी आतंकवाद इस महादेश के युद्ध स्थल पर सबसे बड़ी चुनौती है।
पलाश विश्वास
तमाम विवादों को दरकिनार करते हुए रिपब्लिकन पार्टी ने आखिरकार अमेरिकी के भावी राष्ट्रपति के लिए रंगभेदी फासिस्ट अरबपति डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बना दिया है।रिबल्किन प्रत्याशी बनने के साथ ही ट्रंप दुनिया के वजूद के लिए सबसे खतरनाक त्तव बन गये हैं,जिन्हें किसी भी सूरत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।मैडम हिलेरी के मुकाबले वे अमेरिका में नये सिरे से गृहयुद्ध के हालात में दुनियाभर के लिए श्वेत आतंक साबित हो सकते हैं।
अमेरिका भारत को हमेशा अश्थिर बनाने में लगा है।ट्रंप ने इस्लाम के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान किया है लेकिन वे भारत के लिए भी बेहद खतरनाक होंगे।
गौरतलब है कि अमेरिका में इस साल के नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी ने डोनाल्ड ट्रंपकी उम्मीदवारी का औपचारिक ऐलान कर दिया।
जबाव में अपने निराले अंदाज में ट्रंप ने ट्विटर पर इस ओर खुशी जताते हुए कहा कि वह कड़ी मेहनत करेंगे और पार्टी का मान ऊंचा बनाए रखेंगे।
इसके साथ ही उन्होंने 'अमेरिका फर्स्ट' का नारा भी दिया।इस अमेरिका फर्ट के नारों को भारत के बारे में उनके अति उच्च विचारों के मद्देनजर समझने की जरुरत है।
अगर हम उनके मुस्लिम विरोधी बयानों को किनारे रख दें तो भी किसी भी कोण से ट्रंप भारत के लिए दोस्त साबित होने वाले नहीं हैं।
गौरतलब है कि अपने 16 प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने और रिपब्लिकन पार्टी के भीतर अपने प्रति उपज रहे असंतोष से निजात पाते हुए डोनाल्ड ट्रंप आखिरकार पार्टी की तरफ से उम्मीदवारी हासिल करने में सफल रहे।
जाहिर है कि वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो अमेरिका में श्वेत अश्वेत गृहयुद्ध जितना तेज होने वाला है,उससे कहीं ज्यादा तेज होगा अमेरिका का आतंक के विरुद्ध युद्ध और अपरब वसंत का सिलसिला जिसकी दस्तक इस महादेश में भी मानसून की घऩघटा है और हम आपदाओं के मध्य हैं।
हिटलर और मुसोलिनी के उत्थान से भी भयंकर नतीजे होंगे डोनाल्ड ट्रंप का यह उत्थान क्योंकि मुक्तबाजार का मुनाफावसूली का एकतरफा नरसंहारी एजंडा के साथ दुनियाभर में राष्ट्र राज्यों का अमेरिकीकरण का कार्यक्रम है।
फासिज्म का मुकाबला फिरभी संभव था।मुक्तबाजारी फासिज्म के ग्लोबल आर्डर की हिटलरशाही का मुकाबला उससे भी मुश्किल है।तब सिर्फ यहूदियों का कत्लेआम हुआ और आज कहना मुश्किल है कि कसका कत्लेआम नहीं होगा।
अमेरिका फासिज्म के खिलाफ लड़ाई का शुरुआती दौर हार गया जैसे रिपब्लिकन पार्टी में उनके विरोधी उनका मुकाबला कर नहीं पाये।बाकी दुनिया के लिए यह मुकाबला बहुत ज्यादा खून खराबा करने वाला है।गौरतलब है कि रिपब्लिकन पार्टी ने नैशनल कन्वेंशन में मंगलवार को अरबपति बिजनसमैन डॉनल्ड ट्रंप को औपचारिक रूप से अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित कर दिया। अमेरिका में 8 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अब डॉनल्डट्रंप डेमोक्रैटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन को चुनौती देंगे। ट्रंप को लेकर पार्टी के नैशनल कन्वेंशन में भी काफी विरोध और विवाद देखने को मिला लेकिन पार्टी के पास कोई चारा नहीं था।
ट्रंप ने अमेरिका के लिए जो भावी एजेंडा रखा है, उसके मुताबिक उनके राष्ट्रपति बनने की स्थिति में अमेरिका में मस्जिदों पर निगरानी रखी जाएगी। इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी संगठन के खिलाफ अमेरिका को 'कठोर पूछताछ" के लिए वटरबोर्डिंग जैसे दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करने पर बल दिया जाएगा। अवैध अप्रवासियों और सीरियाई प्रवासियों को रोकने के लिए अमेरिका व मेक्सिको के बीच एक 'बहुत बड़ी दीवार" खड़ी की जाएगी। ट्रंप अमेरिका में रहने वाले 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने के पक्षधर हैं और साथ ही 'जन्म से नागरिकता" की नीति को भी खत्म करना चाहते हैं, जिसके तहत अमेरिकी धरती पर जन्म लेने वाले अवैध अप्रवासियों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
पहले अमेरिका यानी पहले अमेरिकी हित और अमेरिकी हित क्या होते हैं लातिन अमेरिका ,वियतनाम युद्ध और काड़ी युद्ध से लेकर अरब वसंत तक इसके अनेक ज्वलंत उदाहरण हैं कि कैसे अमेरिकी हितों की बलिबेदी पर दुनियाभर के देशों के करोड़ों बेगुनाह लोग बलि चढ़ाये जाते रहे हैं।
समझिये कि नरसंहारों का सैलाब आने वाला है जो हर राष्ट्रवादी सुनामी पर भारी पड़ने वाला है।हिंदुत्व की सुनामी हो या पिर इस्लामी राष्ट्रवाद की सुनामी,अमेरिकी नरसंहर युद्ध गृहयुद्ध और विश्वव्यापी शरणार्थी समस्या सबकुछ पर गहरा असर करने वाला है डोनाल्ड ट्रंप का यह अमेरिका फर्स्ट।
अमेरिकी राष्ट्रपतियों के किये कराये का नतीजा सारी दुनिया को भुगतना पड़ता है।बुश पिता पुत्र ने पहले ही इस दुनिया को तेल कुँओं की आ में झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी।चिटपुट सैन्य हस्तक्षेप से लेकर वियतनाम युद्ध तक अमेरिकी राष्ट्रपतियों का राज काज दुनियाभर में अस्थिरत पैदा करने के साथ सात युद्ध और गृहयुद्ध का कारोबार रहा है।
इसी कारोबर के लिए अमेरिका ने दुनियाभर में आतंकवादी संगठन तैयार किये जो खाडी युद्ध के बाद अमेरिका औययूरोप में बहुत गहरे पैठ गये हैं और नतीजतन दुनिया का नक्शा अब मुकम्मल शरणार्थी शिविर है।
सद्दाम हुसैन को महिषाशुर बनाकर उसका वध करने का युद्ध अपराध मधयएशिया ही नहीं,एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक को तेलकुंओं की आग में झुलसा रहा है।
हमारे पड़ोस में बांग्लादेश में जिस तरह आतंकवाद का खुल्ला खेल चल रहा है ,वह साबित करता है कि किस हद तक हम बारुद के ढेर पर बैठे हैं।
इस आतंक का आयात भी अमेरिका से हुआ है।तालिबान से लेकर अलकायदा और आइसिस तक अमेरिकी साम्राज्यवाद की जारज संतानें हैं।
इसी तालिबान की मदद की आड़ में अस्सी के दशक में असम से लेकर पूर्वोत्तर तक में भारत को अमेरिका अशांत करता रहा है।जिससे हम अभी उबर नहीं सके हैं।
कश्मीर में तो पंजाब और असम की तुलना में पाकिस्तान से होने वाले युद्धों को छोड़ दें तो छिटपुट वारदातों के अलावा हालात केंद्र में मुफ्ती सईद के गहमंत्री होने तक शांत रहा है।उनकी बेटी रुबइया के अपहरण के साथ कश्मीर में अस्थिरता का नया दौर शुरु हुआ है लेकिन अब भी असम और समूचे पूर्वोत्तर में हालात बहुत संवेदनशील है।
अब जो हालात बन रहे हैं वे बांग्लादेश युद्ध से ज्यादा खतरनाक हैं क्योंकि अब किसी पाकिस्तान से नहीं ,मुकाबला अमेरिका के बनाये इस्लामी राष्ट्रवाद और आतंकवाद से है,जिसकी जड़े इस देश में सर्वत्र बेहद मजबूत हैं।
अब नये सिरे से बांग्लादेश के विभाजन का खतरा है क्योंकि होमलैंड ही वहां के अल्पसंख्यकों के बचने का एकमात्र विकल्प है क्योंकि बांग्लादेश सरकार सबकुछ जान बूझकर हालात पर काबू पाने में नाकाम है और उसके संगठन पर भी इस्लामी राष्ट्रवादियों का कब्जा हो गया है।
बांगालदेश में होमलैंड के हालात बने तो बंगाल और असम इस आग से बच सकेंगे,इसमें शक है।त्रिपुरा तो पूर्वोत्तर में सबसे कमजोर कड़ी है,जहां नेल्ली नरसंहार के बाद शांति बनी हुई है लेकिन वहां बांग्लादेश का असर सबसे मारक हो सकता है।
हम अब आ बैल मुझे मार की तर्ज पर इस्लाम के खिलाफ अमेरिका के आतंकविरोधी गठजोड़ में इजराइल के साथ पार्टनर है।इस पार्टनरशिप में हिंदू राष्ट्र का एजंडा भी अब शामिल हो गया है और इसका सीधा मतलब है कि भारत के मुकाबले अमेरिकी ब्रांड का इस्लामी आतंकवाद इस महादेश के युद्ध स्थल पर सबसे बड़ी चुनौती है।
ऐसे हालात में डोनाल्डट्रंपजैसे इस्लाम के खिलाफ खुल्ला युद्ध का ऐलान करने वाले फासिस्ट शख्सियत के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर बुस पिता पुत्र के युद्ध अपराधों के सारे रिकार्ड तो टूट ही सकते हैं,अमेरिका और इजराइल का पार्टनर होने का खामियाजा हमें इसी महादेश में और खासतौर पर भारत के विभिन्न राज्यों में भुगतने ही होंगे।
गौरतलब है कि एक टॉप रिपब्लिकन नेता नीट ग्रिंगिच का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डॉनल्ड ट्रंप दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में स्वभाविक रूप से फिट हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों नेता अमेरिका और भारत के संबंधों को नए मुकाम पर ले जाएंगे। रिपब्लिकन नेता ने कहा कि मोदी और ट्रंप दुनिया को ज्यादा सुरक्षित और बेहतर बनाएंगे। पूर्व स्पीकर ऑफ द यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स नीट गिंग्रिच ने रिपब्लिकन हिन्दू कोअलिशन की तरफ से आयोजित ब्रेकफस्ट में कहा, 'डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका की सुरक्षा को लेकर काफी टफ नेता हैं और मोदी भी इंडिया को लेकर बेहद सतर्क है।
जाहिर है कि इस समीकरण के भी नये मायने खुलने वाले हैं।गौर कीजिये,रिपब्लिकन नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी बेहतरीन नेता हैं, जो भारत में उद्यमियों और स्वतंत्र उपक्रमों की पैरोकारी करते हैं। गुजरात में उनके रिकॉर्ड को देखिए, वास्तव में बेहतरीन चीज हुई है।
गौरतलब है कि रिपब्लिकन पार्टी ने भारत को अमेरिका का नजदीकी सहयोगी और रणनीतिक साझीदार बताया है जबकि पाकिस्तान को अपने परमाणु हथियारों की रक्षा पर ध्यान देने के लिए कहा है। पार्टी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह अपने यहां रहने वाले सभी धर्मो के लोगों को हिंसा और भेदभाव से बचाए। राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में आयोजित सम्मेलन में विदेश नीति पर घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा गया कि भारतीय लोगों में जो काबिलियत है, उससे वह केवल एशिया नहीं बल्कि दुनिया का भी नेतृत्व कर सकते हैं।
गौरतलब है कि क्लिवलैंड में रिपब्लिकन पार्टी के सम्मेलन के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अमेरिका का सहयोगी बताया है। ट्रंप ने कहा कि भारत हमारा व्यापारिक साझेदार है। डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान और चीन के साथ बिगड़ते रिश्तों पर अपने 58 पेज के घोषणा पत्र में कहा है कि वह 'पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को सुरक्षित करना चाहता है।'
रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने घोषणा पत्र में कहा है कि राष्ट्रपति बनने पर वह नेताओं के साथ मिलकर काम करेंगे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे। ट्रंप कह कहना है कि वह नशीले पदार्थों के व्यापार के खिलाफ आगे बढ़ेगे। ट्रंप ने बताया कि 'हम भारत को विदेशी निवेश और व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रिपब्लिकन पार्टी ने कहा है कि भारत, अमेरिका का एक राजनीतिक सहयोगी है। भारत की तरफ से अमेरिका के लिए किए गए सहयोग को चुनावी घोषणा पत्र में बताया है और रिपब्लिक मंच से भारत सरकार से अपील की है कि 'हम भारत के धार्मिक समुदायों को हिंसा और भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेंगे। इस घोषणा पत्र में संबंधों को मजबूती देने के लिए सांस्कृतिक, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा की भी बात कही है।
ट्रंप ने कहा है कि किसी भी पाकिस्तानी व्यक्ति को आतंकवादियों के खिलाफ अमेरिका की मदद करने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। जिस तरह डॉ. शकील अफरीदी ने ओसामा बिन लादेन की जानकारी अमेरिका को दी थी। उसकी वजह से अफरीदी को पाकिस्तानी जेल में बंद कर दिया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान के साथ काम के रिश्ते जरुरी है। ट्रंप का कहना है कि वे पुराने रिश्तों को मजबूती देना चाहते हैं। इस संबंध से दोनेों देशों को फायदा मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान से छुटकारा पाने और पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को सुरक्षित करने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अमेरिका के लोगों का सहयोग निहित है।
वहीं नई दुनिया के मुताबिक अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप को उम्मीदवार बनाकर रिपब्लिकन अमेरिका का चरित्र बदलने की फिराक में है? यदि ट्रंप राष्ट्रपति बने और उन्होंने उन्हीं नीतियों पर चलने का प्रयास किया, जैसा वे राजनीतिक भाषणों में कहते हुए देखे जा रहे हैं, तो अमेरिका दुनिया को किस दिशा की ओर ले जाएगा? एक नजर इसी से जुड़े तीन अहम बिंदुओं पर -
राष्ट्रपति बनने पर यह सब करना चाहते हैं ट्रंप: ट्रंप ने अमेरिका के लिए जो भावी एजेंडा रखा है, उसके मुताबिक उनके राष्ट्रपति बनने की स्थिति में अमेरिका में मस्जिदों पर निगरानी रखी जाएगी। इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी संगठन के खिलाफ अमेरिका को 'कठोर पूछताछ" के लिए वटरबोर्डिंग जैसे दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करने पर बल दिया जाएगा। अवैध अप्रवासियों और सीरियाई प्रवासियों को रोकने के लिए अमेरिका व मेक्सिको के बीच एक 'बहुत बड़ी दीवार" खड़ी की जाएगी। ट्रंप अमेरिका में रहने वाले 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने के पक्षधर हैं और साथ ही 'जन्म से नागरिकता" की नीति को भी खत्म करना चाहते हैं, जिसके तहत अमेरिकी धरती पर जन्म लेने वाले अवैध अप्रवासियों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
ट्रंप, गांधी और मुसोलिनी: ट्रंप अपने बयानों व नजरिए को लेकर लगातार विवादों में हैं। उन पर महात्मा गांधी से लेकर पोप तक पर गलतबयानी के आरोप हैं। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप उस समय जबरदस्त चर्चा में रहे, जब उन्होंने इटली के फासीवादी नेता मुसोलिनी से जुड़े उस वाक्य को री-ट्वीट किया, जिसमें लिखा था - 100 साल तक एक भेड़ की तरह जीने से अच्छा है कि केवल एक दिन शेर की तरह जियो। ट्वीट पर जवाब में उन्होंने कहा - 'मुसोलिनी तो मुसोलिनी थे। क्या फर्क पड़ता है! उस ट्वीट ने आपका ध्यान खींचा कि नहीं?' ट्रंप का ये जवाब और फिर अमेरिकियों में उनके प्रति बढ़ा आकर्षण खतरनाक स्थिति का निर्माण करता दिखता है।
अमेरिकियों को पसंद हैं ट्रंप जैसे राष्ट्रपति: ट्रंप मानते हैं कि अमेरिका कागज के शेर की तरह दिख रहा है और उनके राष्ट्रपति बनने पर वह ऐसा नहीं रह जाएगा। उनके मुतााबिक, मैं अपनी सेना को इतना बड़ा और ताकतवर बना दूंगा कि कोई हमसे झगड़ने की हिम्मत न करे। इस तरह से वे अमेरिका को फिर से महान बनाने का सपना दिखा रहे हैं। एक अवधारणा यह है कि ट्रंप अपनी आक्रामक छवि के कारण आने वाले समय में और अधिक शक्तिशाली बनकर उभरेंगे। कारण यह है कि अमेरिकी एक सशक्त राष्ट्रपति को पसंद करते हैं।
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