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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Friday, September 28, 2012

जीने नहीं देती तो सब्सिडी क्यों देती है सरकार

जीने नहीं देती तो सब्सिडी क्यों देती है सरकार?

जरूर मंगल ग्रह पर कारपोरेट राज रहा होगा और मुक्त बाजार भी। प्राकृतिक संसाधनों की लूट  खसोट की खुली छूट इसी बंदोबस्त में संभव है।इसी वैश्विक ​​व्यव्स्था में मनुष्य के लिए तमाम प्रकृतिक संसाधन मंगल की विरासत बनते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बतौर लाइसेंस लहराकर कोलगेट मामले में घोटाले की लीपापोती में लगी है सरकार। छवि के सहारे आम आदमी संघ परिवार को एक बार फिर सत्ता सौंप दें तो वहीं विनिवेश युग की वापसी तय है।जब तक लोतंत्र पर कारपोरेट का कब्जा खत्म नहीं होता, चाहे मायावती या फिर ममता बनर्जी को ही प्रधानमंत्री बना लें, आम आदमी की मौत विलंबित हो सकती है, टलेगी नहीं।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास


जीने नहीं देती तो सब्सिडी क्यों देती है सरकार?आम आदमी की मौत जब तय है चाहे राम मारे या रावण, तब उसे सब्सिडी क्यों चाहिए, अर्थशास्त्रियों ने इस पहेली को बूझने की कवायद ​​शुरू की है।राजकोषीय मजबूती का खाका बनाने के लिए गठित केलकर कमिटी ने सरकार को सलाह दी है कि रसोई गैस, केरोसीन, डीजल तथा राशन की दुकान से मिलने वाले अनाज के दाम बढाकर विभिन्न तरह की सब्सिडी को समाप्त कर दिया जाए।अर्थशास्त्री कारपोरेट का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें आम आदमी की परवाह करनी नहीं होती। देश अर्थशास्त्री चला रहे हैं। आम आदमी जल जंगल जमीन घर और आजीविका के साथ मानवाधिकार व नागरिक अधिकार से बेदखल है, पर उनके पास वोट हैं। राजनीति को आम आदमी की​
​ परवाह नहीं, वोटों की फिक्र है। भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों को मुआवजा, मुनाफे का हिस्सा, पुनर्वास और लोकहित में ही अधिग्रहण के ​​प्रावधान होने थे। अब औद्योगीकरण लोकहित है और निवेश का माहौल बनाने के संदर्भ में  मुआवजा, मुनाफे का हिस्सा, पुनर्वास और लोकहित गैर प्रासंगिक हैं, सो कारपोरेट दबाव में राष्ट्रीय निवेश बोर्ड (एनआईबी) के गठन से पहले ही यह कानून बेलगाम भूमि अधिग्रहण करने लायक बनाया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा बिल का हल्ला था बहुत, पर जब सब्सिडी ही खत्म करनी है तब इस कानून का हश्र क्या होगा?भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहां शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 2014 तक नहीं चल पाएगी। उन्होंने कहा कि मध्यावधि चुनाव होना तय है। लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए अच्छा अवसर है, इसलिए कार्यकर्ता पार्टी की छवि को 'विश्वसनीय' और 'भ्रष्टाचार मुक्त' बनाएं।भाजपा खुदरा कारोबार में विदेशी पूंजी के खिलाफ है, पर पार्टी निवेश के माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। छवि के सहारे आम आदमी संघ परिवार को एक बार फिर सत्ता सौंप दें तो वहीं विनिवेश युग की वापसी तय है।जब तक लोतंत्र पर कारपोरेट का कब्जा खत्म नहीं होता, चाहे मायावती या फिर ममता बनर्जी को ही प्रधानमंत्री बना लें, आम आदमी की मौत विलंबित हो सकती है, टलेगी नहीं।

दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों से अमेरिकी राष्ट्रपति बाराक ओबामा को दूसरा टर्म जीतने में मदद जरूर हो सकती है और मैडोना का करतब भी देखने को मिलसकता है, पर इनसे न वित्तीय घाटा कम हो रहा है और न उत्पादन बढने वाला है। उद्योगपतियों को दी जाने वाली छूट का​​सिलसिला नये वित्तीय कानूनों से जरूर बढ़ने वाला है और विदेशी कर्ज भी। भारत की समस्या शेयर बाजार की समस्या नहीं है, कृषि व्यवस्था , भूमि सुधार और संसाधनों की समस्या है, इसे न राजनेता मानने को तैयार हैं और न अर्थशास्त्री।बहरहाल सरकार वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने की पूरी कोशिश में है। मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की उधारी भी इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर तय की गई है। सरकार ने कल हुई बैठक में ये तय किया है कि अगले 6 महीने में वो 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज और लेगी।इस वित्त वर्ष में सरकार ने 5 लाख 69,000 करोड़ रुपये की उधारी का लक्ष्य रखा है। अब तक सरकार इस लक्ष्य का 65 फीसदी पैसा उठा चुकी है। इसलिए आगे के लिए सिर्फ 2 लाख करोड़ रुपये और उठाने का फैसला लिया गया है।हफ्ते के अंतिम कारोबारी दिन रुपये की मजबूती के साथ शुरुआत हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया 29 पैसे की उछाल के साथ 52.73 के स्तर पर खुला है, जो रुपये का 5 महीने का उच्चतम स्तर है। शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 52.62 के स्तर तक मजबूत हुआ है। गुरुवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 53.02 पर बंद हुआ था।स्पेन की ओर से उठाए गए कदमों के चलते वैश्विक बाजारों में उछाल है जिससे रुपये में मजबूती देखने को मिलेगी। अर्थव्यवस्था की सुस्ती के चलते बुनियादी क्षेत्रों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। प्राकृतिक गैस, कच्चा तेल, उर्वरक और सीमेंट उत्पादन में तेज गिरावट की वजह से आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अगस्त में सिमट कर 2.1 फीसद रह गई है। इन चार क्षेत्रों की वृद्धि दर शून्य से भी नीचे चली गई है। विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच तेज आर्थिक सुधारों की उम्मीद लगाए निवेशकों को रुपये का भी दम मिल गया। इसके चलते हुई लिवाली से दलाल स्ट्रीट में दो सत्रों बाद शुक्रवार को तेजी फिर लौट आई। इस दिन बंबई शेयर बाजार [बीएसई] का सेंसेक्स 183.24 अंक चढ़कर 18762.74 पर बंद हुआ। यह इसका 14 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है। इसी प्रकार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 53.80 अंक की बढ़त लेकर 5703.30 पर बंद हुआ।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर को मंगल ग्रह पर जल की मौजूदगी के भूविज्ञानी प्रमाण मिले हैं। किसी समय मंगल के चारों ओर जल प्रवाहित होता था। लाल ग्रह पर पुराने समय में जल की धारा द्वारा बहाकर ले जाई गई बजरी का पता चला है। नासा ने कहा है, 'मंगल पर जल की मौजूदगी के संकेत पहले भी मिले हैं, लेकिन अब ऐसी चट्टानें मिली हैं जिनमें जल धारा वाली बजरी को देखा गया है।जरूर मंगल ग्रह पर कारपोरेट राज रहा होगा और मुक्त बाजार भी। प्राकृतिक संसाधनों की लूट  खसोट की खुली छूट इसी बंदोबस्त में संभव है।इसी वैश्विक ​​व्यव्स्था में मनुष्य के लिए तमाम प्रकृतिक संसाधन मंगल की विरासत बनते जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बतौर लाइसेंस लहराकर कोलगेट मामले में घोटाले की लीपापोती में लगी है सरकार। देश का पहला भू-जल नक्शा शुक्रवार को जारी कर दिया गया। इसमें शामिल आंकड़ों के अनुसार जहां दिल्ली में कई जगहों पर जमीनी जलस्तर बेहद तेजी से घटा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भी कमोबेश यही हालात हैं।वहीं हिमाचल प्रदेश देश में सबसे अधिक जमीनी जलस्तर वाला राज्य है, जहां इस्तेमाल किए गए पानी की पूर्ति जल्द हो जाती है। भारत के लगभग हर हिस्से के भूजल स्तर के बारे में गहन जानकारी देने वाला यह नक्शा अपनी तरह का पहला प्रयास है। सेंट्रल ग्राउंडवाटर बोर्ड ने यह नक्शा तैयार किया है।

देश में निवेश माहौल सुधारने की खातिर सरकार ने तेजी से जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत वित्त मंत्रालय ने राष्ट्रीय निवेश बोर्ड (एनआईबी) के गठन के लिए एक कैबिनेट नोट पेश किया है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 15 सितंबर को हुई योजना आयोग की बैठक में यह प्रस्ताव दिया था। बजट 2012-13 के आंकड़ों पर सवाल उठाने वाली विजय केलकर समिति की रिपोर्ट को आज सार्वजनिक किया गया। समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सरकार को सब्सिडी और योजनागत व्यय कम करने और विनिवेश के जरिये कम से कम 30,000 करोड़ रुपये जुटाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही समिति ने कहा है राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए कर-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात में इजाफा करना चाहिए, ताकि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.2 फीसदी तक रह सके।समिति ने कहा है कि सरकार अगर इस दिशा में पहल नहीं करती है तो राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.1 फीसदी तक पहुंच सकता है जबकि बजट में इसे 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा, 'सब्सिडी पर समिति की कुछ सिफारिशें सरकार के सतत और समावेशी विकास लक्ष्य के विपरीत है।' समिति ने प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक को चरणबद्घ तरीके से लागू करने की सिफारिश की है जबकि सरकार पहले ही सबको खाद्य सुरक्षा देने का वादा कर चुकी है।

राष्ट्रीय निवेश बोर्ड (एनआईबी) की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे और बोर्ड बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को जल्द अनुमति दिलाना सुनिश्चित करेगा।  वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एनआईबी के गठन के लिए मंत्रालय ने आज एक कैबिनेट नोट पेश कर दिया है।  अधिकारी ने बताया कि एनआईबी कितनी रकम तक की परियोजनाओं को मंजूरी देगा अभी तक यह तय नहीं किया गया है। अधिकारी ने कहा, 'यह 1,000 करोड़ रुपये या 5,000 करोड़ रुपये भी हो सकती है। एनआईबी समय समय पर इसकी अधिकतम सीमा तय करेगा।' अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव को कैबिनेट की जल्द मंजूरी मिल जाएगी क्योंकि खुद प्रधानमंत्री कई बार बुनियादी परियोजनाओं को अनुमति मिलने में लगने वाले लंबे समय को लेकर चिंता जता चुके हैं। इससे निवेशकों का उत्साह और आर्थिक विकास बढ़ेगा। हालांकि इस दिशा में प्रमुख सवाल यह है कि क्या एनआईबी उन परियोजनाओं को भी मंजूरी देगा, जिनमें विदेशी निवेश शामिल होगा।

केलकर समिति ने सिफारिश की है कि जब भी कृषि उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया जाए, तब राशन की दुकानों पर बिकने वाले खाद्य उत्पादों के दाम भी बढऩे चाहिए। जब राशन के तहत मिलने वाली चीनी के दाम बढ़ाने का विपक्ष पुरजोर विरोध कर रहा है, समिति ने चीनी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से हटाने की बात कही है।

समिति ने डीजल के दाम में 4 रुपये/लीटर, केरोसिन के दाम में 2 रुपये/लीटर और रसोई गैस के दाम में 50 रुपये/सिलिंडर का तुरंत इजाफा करने का सुझाव दिया है। इससे पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से तेल विपणन कंपनियों को होने वाला नुकसान 20,000 करोड़ रुपये कम हो जाएगा। इसके अलावा समिति ने नियमित तौर पर डीजल के दाम बढ़ाने का सुझाव दिया है।  तेल कंपनिया आम लोगों एक-दो दिनों के भीतर पेट्रोल के दाम घटाकर कुछ राहत दे सकती हैं।डीजल को बाजार के हवाले करने की तैयारी बतौर सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने से तेल कंपनिया आगामी एक-दो दिनों में पेट्रोल के दाम एक से दो रुपये प्रति लीटर घटा सकती हैं। कहा जा रहा है कि कंपनियों दो दिनों में दाम घटाने पर फैसला करेंगी। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव 115 डॉलर से गिरकर 105 से 110 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं। ऐसे में पेट्रोल के दामों में कटौती जरूरी हो गया है। देश की जनता डीजल के दामों में वृद्धि से पहले से ही खासा परेशान है। अब पेट्रोल के दाम घटने से कुछ राहत मिल सकती है।

केलकर समिति ने यूरिया के दाम में 10 फीसदी बढ़ोतरी के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव का समर्थन किया है। समिति ने सरकार को उससे योजनागत खर्च को 20,000 करोड़ रुपये कम करने का सुझाव दिया है।

एक सप्ताह के अंदर एक और वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिज रेटिंग्स ने आज वर्ष 2012-13 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्घि के अनुमान को 6.5 फीसदी से घटा कर 6 फीसदी कर दिया है। एजेंसी ने वैश्विक आर्थिक बहाली से जुड़े जोखिमों में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए भारत की वृद्घि दर के अनुमान में यह कटौती की है। हालांकि फिच ने वित्त वर्ष 2013-14 के लिए जीडीपी वृद्घि के अनुमान को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है। स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स (एसऐंडपी) ने भी सोमवार को जीडीपी वृद्घि के अनुमान को 6.5 फीसदी से घटा कर 5.5 फीसदी कर दिया था। स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स की तरह फिच ने भी 'अस्थिर राजनीतिक हालात' की वजह से सरकार द्वारा हाल में घोषित आर्थिक सुधार के उपायों के लिए कार्यान्वयन जोखिम पर चिंता जताई है।

देश के आठ महत्वपूर्ण उद्योगों की विकास दर अगस्त 2012 में मामूली 2.1 फीसदी रही, जो 2011 की समान अवधि में 3.8 फीसदी थी। आठ महत्वपूर्ण उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफायनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली उद्योग शामिल हैं। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इनकी 37.90 फीसदी हिस्सेदारी है।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक आलोच्य अवधि में कच्चे तेल (0.6 फीसदी), प्राकृतिक गैस (13.5 फीसदी), उर्वरक (2.1 फीसदी) और सीमेंट (2.4 फीसदी) में गिरावट दर्ज की गई।तेजी में रहने वाले उद्योगों में रहे कोयला (11.0 फीसदी), पेट्रोलियम रिफायनरी उत्पाद (8.4 फीसदी), इस्पात (1.8 फीसदी) और बिजली (1.7 फीसदी)।

एशियानॉमिक्स के एमडी डॉ जिम वॉकर का कहना है कि बड़े देशों की अर्थव्यवस्था की हालत अब भी खराब है। चीन में मंदी अनुमान से ज्यादा तेजी से बढ़ी है और दुनिया के शेयर बाजारों में तेजी समझ से परे है। जिम वॉकर के मुताबिक अमेरिकी सरकार और फेडरल रिजर्व को नौकरियां बढ़ाने पर जोर देना होगा। फेड चेयरमैन बेन बर्नांके के कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के हित में नहीं हैं।चीन समेत दूसरे बड़े देशों के मुकाबले भारत की स्थिति अच्छी है। पॉलिसी सुधरें तो भारत 8-9% की ग्रोथ दिखा सकता है। सरकार को वित्तीय घाटे को काबू करना होगा तभी विकास तेजी से बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2013 में भारत की जीडीपी 6 फीसदी के करीब रहेगी। वित्त वर्ष 2013 में भारत की महंगाई दर 5 फीसदी से ज्यादा होगी। सरकार के बड़े खर्चों के चलते देश में महंगाई बढ़ी है।

ग्लोबल आर्थिक संकट में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं (इमर्जिंग इकोनॉमी) ने बेहतर प्रदर्शन किया है और अब उनकी नीतियां अच्छी हैं, लेकिन वह भविष्य में आने वाले आर्थिक मुश्किलों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी एक नई रिपोर्ट में यह बातें कही हैं।

आईएमएफ की ओर से जारी वर्ल्ड इकोनॉमी आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित देशों को एक और मंदी के अनुभव से गुजरना पड़ सकता है। इस स्थिति में उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का विकसित देशों के साथ परंपरागत निवेश की संभावनाएं समाप्त हो सकती हैं। घरेलू मुश्किलें फिर से परेशान कर सकती हैं, जो वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ा सकती हैं।

रिपोर्ट में उभरते हुए बाजारों में भारत, चीन, कोरिया, मलयेशिया और थाईलैंड जैसे देशों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन आशंकाओं के बीच उम्मीद बनाए रखने की कई वजहें हैं। इनमें नीतिगत सुधार और मुश्किलों से जूझने की शक्ति देने वाले कानूनी विकल्प उपलब्ध कराना शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील व इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं में हाल के दिनों में आई तेजी बहुत स्थिर नहीं है। क्योंकि, यह तेजी पूंजी की आवक, बढ़ती क्रेडिट क्षमता और उच्च कमोडिटी कीमतों आदि के चलते आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो दशक में उभरते और विकासशील देशों में नीतिगत सुधार से बाजार का तेजी से विस्तार हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह देश विस्तार योजनाओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इन दो दशकों में इन देशों का प्रदर्शन खासतौर से अच्छा रहा है। यह पहला मौका है जब विकसित देशों की तुलना में यह देश अपनी विस्तार योजनाओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं और इनका घाटा कम हुआ है। हालांकि, फिर भी यह देश ग्लोबल संकट से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू और बाहरी कई तरह की मुश्किलें इन देशों की विस्तार योजनाओं को रोक सकती हैं।

इस बीच खुदरा बाजार में निवेश पर अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक कानून का प्रस्ताव पेश करने का फैसला लिया। इस प्रस्ताव के जरिये न केवल विदेशी निवेश का विरोध किया जाएगा बल्कि राज्य के खुदरा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर घरेलू पूंजी के निवेश को बंद करने की कवायद भी की जाएगी।बिजनेस स्टैंडर्ड से पश्चिम बंगाल के उद्योग मंत्री पार्था चटर्जी का कहना है, 'हमने वर्ष 2007 में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसके तहत खुदरा क्षेत्र में एफडीआई और घरेलू पूंजी निवेश का विरोध किया गया था। यह भी कुछ ऐसा ही होगा। छोटे कारोबारियों के लिए बड़ा घरेलू निवेश भी खतरनाक है।'क्या इससे रिलायंस फ्रेश, पैंटालून, बिगबाजार या स्पेंसर जैसे आउटलेट पर असर पड़ेगा? उनका कहना है, 'उन्हें कुछ भी नहीं होगा। वे खुदरा आउटलेट की श्रेणी में शामिल नहीं हैं क्योंकि उनका कारोबार मॉल में चल रहा है।'

भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए आडवाणी ने कहा कि सरकार में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बावजूद 10-15 दिन पहले उनकी सोच अलग थी लेकिन अब सरकार बीमार हो चुकी है। यह अब आईसीयू (सघन चिकित्सा कक्ष) में है।

आडवाणी ने कहा, ''अचानक, यहां तक कि कांग्रेस के सहयोगियों को भी लगने लगा है कि यदि सरकार गिर जाती है तो यह अच्छा ही होगा।''

पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा, ''मुझे बहुत हद तक लगता है कि यह सरकार वर्ष 2014 तक नहीं चल पाएगी। यह सम्भव है कि इसकी जीवन रक्षक प्रणाली अलग हो जाए और वेंटिलेटर न रहे।''

उन्होंने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से कहा कि पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देना शुरू कर देना चाहिए।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, ''मैंने वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद से अब तक सभी सरकारों को करीब से देखा है, पहले एक पत्रकार के रूप में, फिर एक पार्टी कार्यकर्ता और बाद में एक सांसद के रूप में। लेकिन इस तरह की सरकार कभी नहीं देखी।''

उन्होंने कहा, ''मौजूदा सरकार का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के साथ है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने अधिकार सोनिया को स्थानांतरित कर दिए हैं।''

आडवाणी ने कहा, ''वर्ष 2009 में मैंने मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री बताया था। तब कुछ लोगों ने मेरे बयान को अनुचित बताया था, लेकिन आज मेरी बात सही साबित हुई। मैंने जो कुछ भी कहा था, लोग आज उस पर सहमति जता रहे हैं।''

आडवाणी ने अगले लोकसभा चुनाव को पार्टी के लिए बड़ा अवसर करार देते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पार्टी की 'विश्वसनीय' और 'भ्रष्टाचार मुक्त' छवि बनाएं। कांग्रेस का 'विश्वसनीय विकल्प' बनने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ''यदि मौजूदा परिस्थिति में भी कांग्रेस बच निकलती है तो इससे यही साबित होगा कि सभी राजनीतिक पार्टियां समान व भ्रष्ट हैं।''

भाजपा नेता ने कहा, ''हमारा लक्ष्य साफ होना चाहिए। यदि भाजपा सत्ता में आती है तो भ्रष्टाचार नहीं होगा। हमें इस तरह की विश्वसनीयता पैदा करनी चाहिए।''

आडवाणी ने कहा, ''हमें लोगों को विश्वसनीय ढंग से बताना चाहिए कि जिस परिवर्तन की वे तलाश कर रहे हैं, वह सिर्फ सरकार बदलने से नहीं हो सकता, बल्कि ऐसी सरकार से होगा, जो देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो।''
बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते हुए पार्टी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, ''देश दोराहे पर है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग ने सत्ता में बने रहने का अधिकार खो दिया है।'' वहीं गडकरी ने कहा, ''यह देश की राजनीति को नई दिशा देने का वक्त है।''

जोशी ने कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की।

वर्ष 2010 के राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में धांधली और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाला का जिक्र करते हुए जोशी ने कहा, ''भ्रष्टाचार के मुद्दों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी आश्चर्यजनक है।''

भाजपा के प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी देश के गौरव को फिर से स्थापित करेगी और देश जिस पीड़ा से गुजर रहा है, उससे उसे बाहर निकालेगी। यह भी कहा गया कि जम्मू एवं कश्मीर में हाल के दिनों में सरपंचों की हत्या से जाहिर है कि राज्य में आतंकवाद एक बार फिर सिर उठा रहा है।

प्रस्ताव में असम में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ, मुम्बई में अमर जवान ज्योति पर हमला तथा उत्तर प्रदेश में पिछले छह में भड़के साम्प्रदायिक दंगों पर भी चिंता जताई गई।

बैठक में भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष को लगातार दूसरे कार्यकाल का विस्तार देने से सम्बंधित संशोधन को मंजूरी दे दी। अब तक अध्यक्ष केवल तीन वर्षो के कार्यकाल के लिए अपने पद पर रह सकता था। भाजपा के संविधान की धारा 21 के अनुसार, कोई भी योग्य व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल के लिए अध्यक्ष के पद पर हो सकता है और प्रत्येक कार्यकाल तीन-तीन वर्षो का होगा।
बैठक में यह प्रस्ताव भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू की ओर से लाया गया। उन्होंने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी अध्यक्ष को स्वत: दूसरे कार्यकाल का विस्तार मिल जाएगा।भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस संशोधन को इस साल मई में मुम्बई में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अंगीकार किया गया था, जिसे राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पुष्ट किया गया।इस संशोधन से भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष नितिन गडकरी को लाभ मिल सकता है, जिनका कार्यकाल दिसम्बर में समाप्त हो रहा है।

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