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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Monday, October 1, 2012

ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम !

ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम !

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

ममता बनर्जी ने जंतर मंतर रैली से तीसरे मोर्चे की पहल कर तो दी है, लेकिन इससे सुधारों पर अंकुश लगने के आसार कम है। क्योंकि ममता के तीसरे मोर्चे में वामपंथियों के लिए कोई जगह नहीं है। संघ परिवार भी ममता की राजनीतिक गतिविधयों के मद्देनजर सरकार विरोधी तेवर में संयम बरत रहा है। कांग्रेस और संघ परिवार दोनों के लिए ममता बनर्जी की पहल खतरे की घंटी है। दोनों आर्थिक सुधारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं।​​ इसके अलावा समाजवादी नेता शरद यादव के बंगाल की शेरनी के हक में खड़ा हने के बावजूद समाजवादी खेमा अभी इस कवायद से ​​अलग है। जबकि आर्थिक मुद्दों में अंबेडकरवादियों की कोई दिलचस्पी नहीं है और ममता के तीसरे मोर्चे में उनके लिए बी कोई जगह बननी ​​मुश्किल है। ममता के अनास्था प्रस्ताव लाने की धमकी पर संघ परिवार की कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं है। शरद यादव तो पहले ही मनमोहन को आश्वस्त कर चुके हैं कि कोई अनास्था प्रस्ताव नहीं आयेगा, आराम से रहे।जंतर मंतर रैली से कोई भारी बदलाव की संभावना नजर नहीं ​​आ रही। द्रमुक नेता करुमानिधि के इस बयान के बावजूद कि एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव का वे समर्थन करेंगे। पर इसके साथ ही साफ कर दिया हि केंद्र सरकार को उनका समर्थन जारी रहेगा। वे ममता की राह पकड़कर अलग हो भी गये तो जयललिता समर्थन के लिए तैयार हैं जो केंद्र​ ​ के खिलाफ अपनी तोपें निलंबित किये हुए हैं। जाहिर है कि आनंद शर्मा और चिदंबरम जैसे सुधार सिपाहसालार काफी आक्रामक हैं।राजनीतिक मामलों के जानकार सोमवार 1 अक्टूबर की ममता की रैली को तृणमूल के शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देख रहे है।मनमोहन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ममता का सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ यह पहली रैली है। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ़ जंतर मंतर पर अपने भाषण में उन्होंने कहा कि सरकार के हाल के फैसले छोटे-बड़े दुकानदारों और किसानों से लेकर आम आदमी के खिलाफ़ हैं।

जवाबी कार्रवाई के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 28 अक्तूबर को रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करेंगे। यह रैली एफडीआई और संप्रग सरकार के सुधार के अन्य उपायों के फायदे बताने के अभियान का हिस्सा होगी।दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यहां लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र द्वारा किए गए सुधार के उपायों के फायदों के बारे में लोगों को बताने के लिए आने वाले दिनों में कई रैलियां आयोजित की जाएंगी।वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस मौके पर भाजपा पर एफडीआई के मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।  सरकार ने रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] को मंजूरी तो दे दी, लेकिन इसके राजनीतिक विरोध को दबाने के लिए वह उद्योग जगत को ही हथियार बना रही है। सरकार की तरफ से इंडिया इंक को कहा गया है कि रिटेल में एफडीआइ के विरोध को शांत करने की जिम्मेदारी उनकी भी है। यही वजह है कि रिटेल क्षेत्र की प्रमुख घरेलू कंपनियों के साथ उद्योग चैंबर भी देश भर में सरकार के इस फैसले के समर्थन में अभियान चलाने जा रहे हैं।

शेयर बाजार की तेजी से जाहिर है कि सरकार और  सुधारों के भविष्य को लेकर उद्योग जगत और बाजार में कोई शंका नहीं है। देश के शेयर बाजारों में सोमवार को तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 61.17 अंकों की तेजी के साथ 18823.91 पर और निफ्टी 15.50 अंकों की तेजी के साथ 5718.80 पर बंद हुआ।जीएएआर टलने की उम्मीद और सरकार के सुधारों की ओर सकारात्मक रवैए से बाजार में भरोसा जागा। बंबई स्टॉक एक्सचेंज [बीएसई] का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 21.90 अंकों की तेजी के साथ 18784.64 पर खुला और 61.17 अंकों या 0.33 फीसदी तेजी के साथ 18823.91 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18838.54 के ऊपरी और 18745.28 के निचले स्तर को छुआ।विदेशी बाजारों में मजबूती के बीच तेज आर्थिक सुधारों की उम्मीद लगाए निवेशकों को रुपये का भी दम मिल गया।अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 52.40 पर बंद हुआ है। शुक्रवार को रुपया 52.85 के स्तर पर पहुंचा था।कमजोर शुरुआत के बाद रुपये ने अच्छी रिकवरी दिखाई। जीएएआर टलने की उम्मीद से एफआईआई निवेश बढ़ा, जिसकी वजह से रुपये में मजबूती लौटी। साथ ही, इंश्योरेंस सेक्टर में सुधार को लेकर घोषणाओं से विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा।बाजार में अभी और मजबूती आनी बाकी है। बाजार में तेजी का रुझान देखा जाएगा। दीवाली तक बाजार में तेजी का दौर जारी रहने की पूरी उम्मीद है। फिलहाल बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश का सही मौका है।

विदेशी निवेशकों को डराने वाले टैक्स नियम जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स [गार] पर अमल संबंधी दिशानिर्देशों के बारे में सरकार 10 दिन में फैसला लेगी और जरूरत पड़ने पर नियमों में संशोधन किया जा सकता है।ये दिशानिर्देश पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर ही तय होंगे। समिति ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सौंप दी। जीवन बीमा क्षेत्र में निवेशकों की रुचि पैदा करने के लिए सरकार ने कर सुधारों का एक बड़ा पैकेज तैयार किया है। इसके लिए सरकार जीवन बीमा पॉलिसियों को कई तरह की कर रियायतें देने की तैयारी में है। चिदंबरम ने रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि अभी सरकार इस पर विचार करेगी। उसके बाद सभी पक्षों की राय लेने के लिए इसे सार्वजनिक किया जाएगा। इसलिए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने में समय लगेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इसे अंतिम रूप देने तक मंत्रालय को तीन चरणों से गुजरना होगा। पहले चरण में रिपोर्ट के अध्ययन में 10 दिन का समय लेगा। इसके बाद दूसरे दौर में वित्त मंत्रालय की राय को कानून मंत्रालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसमें और दस दिन का समय लग सकता है। इसके बाद ही ये दिशानिर्देश अमल के लिए तैयार होंगे।शुरुआती दो चरण के बाद यदि जरूरत हुई तो इन दिशानिर्देशों के मुताबिक आयकर अधिनियम को भी संशोधित करना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आयकर अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता हुई तो समय और ज्यादा लग सकता है। तब इन दिशानिर्देशों को पहले कैबिनेट की मंजूरी दिलानी होगी। इसके बाद संसद आयकर अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देगी।शोम समिति ने पिछले सप्ताह सौंपी अपनी मसौदा रिपोर्ट में गार को तीन साल तक यानी 2016 तक टालने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट को सभी पक्षों की राय जानने के लिए वेबसाइट पर डाला गया था। उसके बाद ही समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंपी है। चिदंबरम ने कहा कि अनिवासी भारतीयों द्वारा परिसंपत्तियां अप्रत्यक्ष रूप से हस्तांतरित करने को लेकर शोम समिति की एक अन्य रिपोर्ट को जल्दी ही मंत्रालय की वेबसाइट पर डाला जाएगा। जैसे ही वित्त मंत्रालय इस रिपोर्ट की सिफारिशों का अध्ययन कर लेगा इसे वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक नया वित्तीय नियामक ढांचा बनाने की तैयारी चल रही है। इसी सिलसिले में फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमीशन ने रूपरेखा बनाई है।सूत्रों के मुताबिक नए वित्तीय नियामक ढांचे के तहत 7 अलग-अलग एजेंसी बनाई जाएंगी। आरबीआई को कंज्यूमर और माइक्रो-प्रूडेंशियल रेगुलेशन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।बैंकिंग और पेमेंट के अलावा सभी वित्तीय कानून लागू करने के लिए एक ही रेगुलेटर बनाया जाएगा। ये वित्तीय रेगुलेटर सेबी, एफएमसी, आईआरडीए और पीएफआरडीए की जगह लेगा और सभी वित्तीय संस्थानों के लिए कानून लागू करेगा।माना जा रहा है कि वित्तीय रेगुलेटर के खिलाफ अर्जी की सुनवाई फाइनेंशियल सेक्टर एपैलेट ट्राइब्यूनल करेगा। वहीं, फाइनेंशियल रिड्रेसल एजेंसी कंज्यूमर की शिकायतें सुनेगी।फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमीशन को मार्च 2011 में स्थापित किया गया था। कमीशन को मार्च 2013 तक अपनी अंतिम सिफारिशें पेश करनी हैं। कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा हैं।

ममता ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक विशाल जनसभा आयोजित की और केंद्र सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई और डीजल मूल्य बढ़ोत्तरी को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला।ममता ने कहा कि संसद के अगले सत्र में वह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात करेंगी।सरकार ने देश को बेच दिया है। अब यह सरकार नहीं चलेगी।सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए ममता ने कहा कि केंद्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल करती है। उन्होंने कहा, 'महंगाई से देश का आम आदमी दुखी है। जब कोई सरकार के फैसलों के खिलाफ आवाज उठाता है तो सरकार उसे सीबीआई की धौंस दिखाती है।कांग्रेस को इतना गुस्‍सा क्‍यों आता है? सरकार ने देश को बेच दिया है। अब यह सरकार नहीं चलेगी। देश को बेचना आर्थिक सुधार नहीं है। सबको साथ लेकर चलना कामयाबी है।'

ममता ने कहा यह लड़ाई यहीं समाप्त नहीं होगी वह आगे भी सरकार के द्वारा लिए इस तरह के निर्णयों का विरोध करती रहेंगी।उन्होंने कहा एफडीआई, डीजल मूल्य बढ़ोत्तरी और एलपीजी गैस की सीमित डिलीवरी के विरोध में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस 7 नवंबर को हरियाणा, 17 नवंबर को लखनऊ और 19,20 नवंबर को दिल्ली में 48 घंटे का धरना देगी।

जंतर-मंतर पर ममता के धरना-प्रदर्शन की सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात थी जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव का मंच साझा करना।
शरद यादव की मौजूदगी के बाद राजनीतिक हल्कों में तीसरे मोर्चे की चर्चा तेज हो गयी है।जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव के मंच साझा करने से उत्साहित ममता ने कहा कि यदि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव साथ दें तो वह संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तैयार हैं।ममता के मुलायम के प्रति इस बयान के बाद माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे मोर्चे के लिए रूपरेखा तैयार हो रही है।

ममता बनर्जी ने पिछले दिनों यूपीए सरकार की कथित जनविरोधी नीतियों का हवाला देते हुए समर्थन वापस ले लिया था और तृणमूल कांग्रेस के सारे मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।इतना ही नहीं उन्होंने उन लोगों को भी बधाई दी जिन्होंने सरकार से इस्तीफा दिया।


दिल्ली के जंतर मंतर पर सरकार के फैसलों के विरोध में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह जनता से बात करने के लिए दिल्ली आई हैं। हिंदी में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि वह आम आदमी के साथ हैं और हमेशा रहेंगी।


सरकार के एफडीआई के फैसले का विरोध करते हुए ममता ने कहा कि इस फैसले से छोटी दुकानें बंद हो जाएंगी।


आगे के प्लान की घोषणा करते हुए ममता ने कहा 19 और 20 नवंबर को दिल्ली में धरना देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि दो नवंबर को वह हरियाणा जाएंगी।

उद्योग चैंबर एसोचैम रिटेल क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के आने से किसानों और ग्राहकों को होने वाले फायदे गिनाने के लिए देश में सौ बैठकों का सिलसिला शुरू करने जा रहा है। एसोचैम की तैयारी कितनी बड़ी है, यह इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उसने अपने दस पूर्व अध्यक्षों को मिलाकर एक समिति गठित की है। इसमें देश के एक से बढ़कर एक दिग्गज उद्योगपति हैं। इस अभियान को वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा का आशीर्वाद प्राप्त है।

बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के फैसले का विरोध कर रहे प्रमुख विपक्षी दल भाजपा पर हमला बोलते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई के बारे में नोट तैयार किया था।

शर्मा ने रविवार को यहां कांग्रेस समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर देश को 'गुमराह' करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संप्रग सरकार ने यह निर्णय पूर्ण विश्वास और स्पष्टता के साथ लिया है और इस पर फिर से विचार का सवाल नहीं उठता। भाजपा जब सत्ता में थी तो उसने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था।

उन्होंने कहा, मैं लगातार कह चुका हूं कि संसद चलनी चाहिए। तो मैं वह कैबिनेट नोट पेश कर सकता था जिसमें खुदरा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति की बात कही गई थी।

इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के हमलों का जवाब देने के लिए कांग्रेस ने 28 अक्तूबर को रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली का आयोजन किया है। इस रैली को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा अन्य वरिष्ठ नेता संबोधित करेंगे।

शर्मा ने कहा कि सरकार ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति का फैसला आर्थिक आधार पर जमीनी वास्तविकता को देखते हुए लिया है। इस मुद्दे का भाजपा का विरोध उसके 'खोखलेपन' को दर्शाता है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा, हमने यह नीति जमीनी वास्तविकता तथा देश में आर्थिक एवं सामाजिक असमानता को देखते हुए तैयार की है।

उन्होंने कहा कि देश के लोगों ने इस नीति को मंजूर किया है और यह किसी अन्य देश के प्रभाव में लाई नहीं गई है। शर्मा दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निवास पर इस मुद्दे पर पार्टी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक को संबोधित कर रहे थे।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने जिस दिन खुदरा व्यापार में एफडीआइ को अनुमति दी थी उसी दिन शाम को प्रमुख उद्योग चैंबरों के साथ शर्मा की बैठक हुई थी। इसमें शर्मा ने कहा था कि अगर इस फैसले को लेकर देश में कोई भ्रांति है तो उसे दूर करने की जिम्मेदारी उद्योग जगत की भी है। उद्योग जगत इस फैसले के समर्थन में काफी लंबे समय से लॉबींग कर रहा था। बहरहाल, एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत का कहना है कि लोगों को यह बताना जरूरी है कि विदेशी निवेश आने से न सिर्फ देश में अनाज व फलों की बर्बादी खत्म होगी, बल्कि रेफ्रीजरेटेड ट्रक, स्टोर व अन्य ढांचागत सुविधाओं में सुधार होने से काफी रोजगार भी बढ़ेगा। हो सकता है कि थोड़े समय के लिए बिचौलियों के रोजगार के अवसर कम हों, लेकिन देर-सवेर आपूर्ति श्रृंखला में उनके लिए भी रोजगार के अन्य अवसर खुलेंगे।

एसोचैम के अलावा देश की बड़ी रिटेल कंपनियां भी अपनी तरफ से जागरण अभियान शुरू करने जा रही हैं। इसमें अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉल-मार्ट भी सहयोगी होगी। इन कंपनियों की योजना पहले देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलने की है। इसके अलावा वे किसानों के प्रतिनिधियों और किसान समितियों से भी मिलेंगे। वॉल-मार्ट के प्रमुख राज जैन ने 'दैनिक जागरण' को बताया कि भारत में रिटेल कंपनियों का विरोध सिर्फ भ्रांतियों व कही-सुनी बातों पर आधारित है। इसे दूर करने के लिए सीधी बातचीत के अलावा और कोई दूसरा बेहतर विकल्प नहीं है।

जीवन बीमा पॉलिसी धारकों को आने वाले दिनों में कुछ और कर रियायतें मिल सकती हैं। वित्त मंत्रालय जीवन बीमा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिये कई तरह की रियायतें देने पर विचार कर रहा है।

वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने राजस्व विभाग से जीवन बीमा की पहली किस्त को सेवाकर से छूट देने और पेंशन योजनाओं के लिये आयकर में अलग से रियायती सीमा  तय करने की संभावनायें तलाशने को कहा है।

चिदंबरम ने आज कहा कि उन्होंने केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड से जीवन बीमा कंपनियों के कर ढांचे में बदलाव पर दस दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है।

देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू करने में भाजपा के विरोध के कारण हो रही देर से परेशान केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि इस मसले पर आम सहमति बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
  
केंद्रीय संसदीय कार्य और कषि राज्य मंत्री हरीश रावत ने भाषा से बातचीत में कहा, भाजपा जीएसटी का विरोध कर उसके लागू होने में अनावश्यक रूप से रोड़े अटका रही है, लेकिन हम सभी भाजपा-शासित प्रदेशों से बातचीत कर इस मसले पर उनका समर्थन हासिल कर आम राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
  
उन्होंने हालांकि साफ किया कि यदि प्रयासों के बावजूद जीएसटी को लागू करने पर आम सहमति नहीं बन पाती है तो संप्रग सरकार उन राज्यों के साथ अलग से समक्षौता कर जीएसटी लागू कर सकती है जो इस प्रणाली को अपनाने को राजी हैं।  
 
रावत ने कहा कि हमारा मानना है कि भाजपा-शासित प्रदेशों के विरोध के कारण ऐसे राज्यों को क्यों नुकसान उठाना पड़े जो जीएसटी लागू करने के पक्ष में हैं।

वन और पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन का कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में देरी की वजह पर्यावरण मंत्रालय नहीं है। प्रोजेक्ट में देरी के लिए कंपनियां ही जिम्मेदार हैं। आर्थिक सुधारों की दौड़ में पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से कोई रुकावट नहीं डाली जा रही है। ये बात गलत है कि पर्यावरण मंजूरी में देरी की वजह से कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट अटके हुए हैं।

जयंती नटराजन के मुताबिक कई बार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए कंपनियों के कागजात पूरे नहीं होते हैं और राज्य सरकारें जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं करती हैं जिसके चलते प्रोजेक्ट को मंजूरी देने में देरी होती है। इस देरी की वजह पर्यावरण मंत्रालय नहीं होता है। पर्यावरण मंत्रालय की सबसे बड़ी प्राथमिकता पर्यावरण को संरक्षण देना है और इसके लिए कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

जयंती नटराजन के मुताबिक हाइवे प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की सहमति होना जरूरी है। इसके अभाव में हाइवे प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।

जयंती नटराजन का कहना है कि जैसे ही गोवा सरकार की तरफ से सभी जरूरी जस्तावेज मिल जाएंगे उस के तुरंत बाद गोवा में खनन को मंजूरी दे दी जाएगी। इसके लिए गोवा सरकार की तरफ से कानूनी दस्तावेज मिलने का इंतजार है।

एचसीसी के लवासा प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र सरकार से रिपोर्ट आने वाली है। इसके बाद सभी पहलुओं की समीक्षा और जांच करने के बाद ही लवासा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जा सकती है।

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमवार को दस्तावेजों के हवाले से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि जब वह 2002 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष थे, तो उन्होंने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे रोजगार के अवसर खत्म होंगे।

आडवाणी ने अपने ब्लॉग पर ताजा पोस्ट में कहा है कि सिंह ने 21 दिसंबर 2002 को फेडरेशन आफ महाराष्ट्र ट्रेडर्स को पत्र लिखकर कहा था कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का मुद्दा राज्यसभा में दो दिन पहले उठा है।

उन्होंने कहा था कि वित्त मंत्री (तत्कालीन) ने आश्वासन दिया है कि सरकार का खुदरा कारोबार में एफडीआई आमंत्रित करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

भाजपा ने सिंह और कांग्रेस दोनों पर आरोप लगाया कि उन्होंने 2002 में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का कडा विरोध किया था लेकिन आज वे अमेरिकी दबाव में अपनी बात से पलट गए हैं और एफडीआई का फैसला किया।

आडवाणी ने मनमोहन सिंह पर अपने आरोप को दोहराते हुए एक अन्य पत्र का हवाला दिया। यह पत्र फडरेशन आफ एसोसिएशन्स आफ महाराष्ट्र की विदेश व्यापार समिति के अध्यक्ष सी.टी. सांघवी ने लिखा था।


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