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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, October 20, 2012

Fwd: [Nagvanshi Brotherhood] १) मा. वामन मेश्रामजी के बामसेफ का सम्मलेन दिनाक-...



---------- Forwarded message ----------
From: Satyajit Maurya <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/10/20
Subject: [Nagvanshi Brotherhood] १) मा. वामन मेश्रामजी के बामसेफ का सम्मलेन दिनाक-...
To: Nagvanshi Brotherhood <nagvanshibrotherhood@groups.facebook.com>


१) मा. वामन मेश्रामजी के बामसेफ का सम्मलेन...
Satyajit Maurya 11:41am Oct 20
१) मा. वामन मेश्रामजी के बामसेफ का सम्मलेन दिनाक- २३ आक्टोबर २०१२ को ३ : ०० बजे, औद्दोगिक प्रशिक्षण संस्था,(ITI) दीक्षाभूमि, नागपुर में होने जा रहा है। इनके प्रचार के पोस्टरों में लगभग २६ महापुरुष दिखाई देते है, (बुद्ध को छोड़कर) और इन्ही के विचारो को लेकर मा. वामन मेश्रामजी, ने अपनी अभिनय शैली से सभी को प्रभावित किया है और आज भी कर रहे हैं। आज कई युवा अपनी प्रेरणा मानते हैं। मा. वामन मेश्रामजी, इन युवा से ख़ासे प्रभावित हैं, इनके संघटन के लिए यह युवा दिव्यदान के जैसे है, और मै भी इनका प्रशंशक हूँ ।

२) हमें याद है, केरला के मुलाखात में व्यक्तिगत रूप से मा. वामन मेश्रामजी से पूछा 'इन 26 महापुरुषओं के विचारोसे आप किस प्रकार का सामाजिक परिवर्तन करना चाहते हो'? प्रतिप्रश्न करते हुए हमें कहा "आप कहा जारहे हो" ! हमने कहा 'रामेश्वरम' जा रहा हूँ! 'राम सेतु के तैरने वाले पत्थर धुंडने' ! फिर मा. वामन मेश्रामजी ने कहा, जब आप को रामसेतु के तैरने वाले पत्थर का पहाड़ मिल जायेंगा तब आप को आप के सवाल का जवाब भी मिल जायेंगा।

३) मा. वामन मेश्राम की बात हमें कुछ इस प्रकार समजमे आई, झेन स्टोरी के उदहारण से समजे; एक व्यक्ति घोड़े पर सवार होकर घोड़ा रास्तेपर तेजीसे भागे जा रहा था, रास्ते के बगल में खड़े एक व्यक्ति ने उस तेज भागते हुए व्यक्ति को देखा और पूछा की "भाई घोड़े पर सवार होकर इतने तेजीसे कहा जा रहे हो ?' घोड़े पर सवार उस व्यक्ति ने उस रास्ते के बगल में खड़े व्यक्ति से कहा "मुझे पता नहीं-घोड़े को पूछ"- कुछ ऐसी ही स्थिति हमारी दिखाई देती है, हमें भी विभिन्य संघटन के 100 घोड़ो पर सवार है और संघटन कहा जा रहा है, हमें ही पता नहीं...तनिक रुके और ध्यान देकर अपने नासिका से आने-जाने वाली वर्तमान सांस को गहराई से देखे, बुद्ध की ध्यान विद्धिया और नितिमुल्लवान व्यक्ति विकास की शिक्षा वर्तमान के सामजिक परिवर्तन के लिए ही है.....

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