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Memories of Another day

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While my Parents Pulin babu and Basanti devi were living

Saturday, October 20, 2012

Fwd: [आम्ही स्वाभिमानी लिंगायतधर्मीय] हमारे बुद्धिजीवी वर्ग की कमाल कि सोच!



---------- Forwarded message ----------
From: Chaman Lal <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/10/20
Subject: [आम्ही स्वाभिमानी लिंगायतधर्मीय] हमारे बुद्धिजीवी वर्ग की कमाल कि सोच!
To: आम्ही स्वाभिमानी लिंगायतधर्मीय <242801855827287@groups.facebook.com>


हमारे बुद्धिजीवी वर्ग की कमाल कि सोच! एक बार...
Chaman Lal 3:24pm Oct 20
हमारे बुद्धिजीवी वर्ग की कमाल कि सोच!

एक बार मैं अपने महापुरुषों से प्रेरणा लेकर बामसेफ संघठन के द्वारा चलाये जा रहे अपने मूलनिवासी बहुजन लोगों के आजादी के आन्दोलन को राष्ट्रव्यापी बनाने की सोच लेकर अंशकालिक रूप से परिव्रज्या लेकर भारत जन-जागरण अभियान पर निकला! दक्षिण भारत के दौरे के दौरान जब मैं तिरुवनंथपुरम (Trivandrum) में था तो सुबह के समय मैंने वहां से सम्बंधित कुछ लोगों की लिस्ट तैयार की जिनको मुझ को अपने मिशन की जानकारी से अवगत करना था! इस कार्यक्रम के तहत मेरी मुलाकात केरला प्रदेश के एक्स-SC/ST चेयरमेन डा० P K Sivanadan से हुई! उन्होंने मुझसे मेरा परिचय अंग्रेजी भाषा में पूछा - तो मैंने संक्षिप्त रूप से उनसे कहा कि मैं बामसेफ का कार्यकर्ता हूँ और अपने मूलनिवासी बहुजन समाज के लिखे-पढ़े लोगों को पढ़ा-लिखा बनाने के लिए, अपने महापुरुषों के आन्दोलन से अवगत करने के लिए मैं आपके प्रदेश में आया हूँ! डॉ० पी० के० सिवानंदन जो कि IIT के पोस्ट ग्रेजुएट थे उनको यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुवा कि मैं भी IIT का ग्रेजुएट हूँ और एक सरकारी अधिकारी हूँ! इसलिए मेरी त्याग की भावना से अभिभूत होकर उन्होंने अपने और साथियों को बुलाकर मेरी मीटिंग करवाई - जिन लोगों के सामने मैंने अपने मिशन के और अपने महापुरुषों के विचारों को उनके सामने रखा! मेरी बातों को सुनकर वह और उनके साथी बड़े प्रभावित हुवे! मीटिंग के बाद में वो मुझको खाना खिलाने के लिए ऐसे विशेष प्रकार के होटल में लेकर गए जहाँ ओर्गानिक तरीके से उगाई गयी फल,सब्जियां और अनाज का खाना ओर्गानिक तरीके से ही बनाकर परोसा जाता था!

खाना खिलाने के बाद में उन्होंने मुझसे कहा कि चमन लाल जी क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि हम (मूलनिवासी बहुजन समाज के लोग) विदेशी ब्राह्मणों से जैनेटिकैली इन्फरियर हैं? और ब्राह्मणों कि गुलामी ख़त्म करने का वह उद्देश्य जिसको आप लोग बामसेफ के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं असंभव सा लगता है! मैं उनके मुँह कि तरफ देखता ही रह गया! और मैंने सोचा शायद उन्होंने संघर्ष करने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए ऐसा बचकाना वक्तव्य दिया होगा! फिर भी उनके इस विचार के बारे में आप क्या राय रखते हैं ? क्या इसमें कोई सत्यता है? या फिर हमारा बुद्धिजीवी वर्ग बनी-बनाई खीर खाने का आदी हों गया है? ऐसे में मूलनिवासी बहुजन समाज की समस्याओं का समाधान कैसे? - कृपया इस पर अपना तार्किक विचार रखें!

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